शनिवार, 13 जुलाई 2013

श्री शिवाष्टक

जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,

जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे,

जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,

जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,

निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥


जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,


मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,


त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,


काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,


नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।


पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,


किस मुख से हे गुणातीत प्रभु तव अपार गुण वर्णन हो,


जय भवकारक , तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,


दीन दुःख हर सर्व सु:खकर, प्रेम सुधाकर की जय हो ,


पार लगा दो भव सागर से, बनकर कर्णाधार हरे।


पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥


जय मन भावन, जय अति पावन, शोक नशावन शिव शम्भो ,


विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,


सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,


मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,


विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।


पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥


भोलानाथ कृपालु दयामय, औढरदानी शिव योगी,


सरल हृदय,अतिकरुणा सागर, अकथ-कहानी शिव योगी,

निमिष में देते हैं,नवनिधि मन मानी शिव योगी,

भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी,

स्वयम्‌ अकिंचन,जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

आशुतोष! इस मोह-मयी निद्रा से मुझे जगा देना,


विषम-वेदना, से विषयों की मायाधीश छड़ा देना,


रूप सुधा की एक बूँद से जीवन मुक्त बना देना,


दिव्य-ज्ञान- भंडार-युगल-चरणों को लगन लगा देना,


एक बार इस मन मंदिर में कीजे पद-संचार हरे।


पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥


दानी हो, दो भिक्षा में अपनी अनपायनि भक्ति प्रभो,


शक्तिमान हो, दो अविचल निष्काम प्रेम की शक्ति प्रभो,


त्यागी हो, दो इस असार-संसार से पूर्ण विरक्ति प्रभो,


परमपिता हो, दो तुम अपने चरणों में अनुरक्ति प्रभो,


स्वामी हो निज सेवक की सुन लेना करुणा पुकार हरे।


पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥


तुम बिन व्याकुल हूँ प्राणेश्वर, आ जाओ भगवन्त हरे,


चरण शरण की बाँह गहो, हे उमारमण प्रियकन्त हरे,


विरह व्यथित हूँ दीन दुःखी हूँ दीन दयालु अनन्त हरे,


आओ तुम मेरे हो जाओ, आ जाओ श्रीमंत हरे,


मेरी इस दयनीय दशा पर कुछ तो करो विचार हरे।


पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥


॥ इति श्री शिवाष्टक स्तोत्रं संपूर्णम्‌ ॥

कैसे करे भैरवनाथ को प्रसन्न

कैसे करे भैरवनाथ को प्रसन्न :-
भैरवनाथ को काले वस्त्र और नारियल का भोग लगाना चाहिए .
कुत्तों को भोजन अवश्य खिलाना चाहिए,
काले रंग के कुते को पालने से भैरव प्रसन्न होते हैं 

भैरव जी के प्रमुख दो रूप :- 1:-बटुक भैरव, 2:-काल भैरव
बटुक भैरव : 'बटुकाख्यस्य देवस्य भैरवस्य महात्मन:। ब्रह्मा विष्णु, महेशाधैर्वन्दित दयानिधे।।'- अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महेशादि देवों द्वारा वंदित बटुक नाम से प्रसिद्ध इन भैरव देव की उपासना कल्पवृक्ष के समान फलदायी है। बटुक भैरव भगवान का बाल रूप है। इन्हें आनंद भैरव भी कहते हैं। उक्त सौम्य स्वरूप की आराधना शीघ्र फलदायी है। यह कार्य में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। उक्त आराधना के लिए मंत्र है- ।।ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाचतु य कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ।।
काल भैरव : यह भगवान का साहसिक युवा रूप है। उक्त रूप की आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय की प्राप्ति होती है। व्यक्ति में साहस का संचार होता है। सभी तरह के भय से मुक्ति मिलती है। काल भैरव को शंकर का रुद्रावतार माना जाता है। काल भैरव की आराधना के लिए मंत्र है- ।।ॐ भैरवाय नम:।।
प्रसिद्ध भैरव मंत्र :-
ॐ भं भैरवाय नमः ,
ॐ काल भैरवाय नमः ,
ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।

प्रसिद्ध भैरव मंदिर :
1:-काशी का काल भैरव मंदिर सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर से भैरव मंदिर कोई डेढ़-दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
2:-नई दिल्ली के विनय मार्ग पर नेहरू पार्क में बटुक भैरव का पांडवकालीन मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध है।
3:-उज्जैन के काल भैरव की प्रसिद्धि का कारण भी ऐतिहासिक और तांत्रिक है।
4:-नैनीताल के समीप घोड़ा खाड़ का बटुकभैरव मंदिर भी अत्यंत प्रसिद्ध है। यहाँ गोलू देवता के नाम से भैरव की प्रसिद्धि है।

लाभकारी उपाय

दांपत्य सुख हेतु उपाय
माताएँ बहने रोज स्नान करने के बाद पार्वती माता का स्मरण करते-करते उत्तर दिशा की ओर मुख करके तिलक करें और पार्वती माता को इस मंत्र से वंदन करें – ॐ ह्रीं गौर्यै नमः। इससे बहनों के सौभाग्य की खूब रक्षा होगी तथा घर में सुख शान्ति और समृद्धि बढ़ेगी। घर के ईशान कोण में तुलसी रखना शुभ होता है। द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा और रविवार को तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए। बाकी के दिनों में तोड़ें तो || ॐ सुप्रभायै नमः, ॐ सुभद्रायै नमः। बोलते हुए तोड़ें, इससे तुलसीपत्र दैवी औषधि का काम करेगा। तुलसी के पौधे को जल देते समय यह मंत्र बोलें-|| महाप्रसादजननी सर्वसौभाग्यवर्द्धिनी। आधिव्याधिहरा नित्यं तुलसी त्वं नमोऽस्तु ते।।
यदि पति से झगड़ा होता है तो शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को पत्नी अशोक वृक्ष की जड़ में घी का दीपक और चंदन की अगरबत्ती जलाए, नैवेद्य चढ़ाए। पेड़ को जल अर्पित करते समय उससे अपनी कामना करनी चाहिए। फिर वृक्ष से सात पत्तो तोड़कर घर लाएं, श्रध्दा से उनकी पूजा करें व घर के मंदिर में रख दे। अगले सोमवार फिर से यह उपासना करे तथा सूखे पत्तां को बहते जल में प्रवाहित कर दें।

सुख-समृद्धि हेतु उपाय
घर में समृद्धि लाने हेतु घर के उत्तरपश्चिम के कोण (वायव्य कोण) में सुन्दर से मिट्टी के बर्तन में कुछ सोने-चांदी के सिक्के, लाल कपड़े में बांध कर रखें। फिर बर्तन को गेहूं या चावल से भर दें। ऐसा करने से घर में धन का अभाव नहीं रहेगा।
प्रत्येक मंगलवार को 11 पीपल के पत्ते लें। उनको गंगाजल से अच्छी तरह धोकर लाल चन्दन से हर पत्ते पर 7 बार राम लिखें। इसके बाद हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएं तथा वहां प्रसाद बाटें और इस मंत्र का जाप जितना कर सकते हो करें। `जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करो गुरू देव की नांई´ 7 मंगलवार लगातार जप करें। प्रयोग गोपनीय रखें। अवश्य लाभ होगा।
कलह, अशांति व ज्यादा खर्च शनि तंत्र: एक सफेद कागज एक ओर काले काजल से रंग दीजिये, सफेद तरफ लिखिये-- ऊँ नीला जल समाभाषम रवि पुत्रः यमाग्रजम छाया मार्तण्ड जय भूतम्तम नमामि शनिश्चरम ||पीपल के वृक्ष के नीचे सूर्यास्त के १५ मिनिट बाद पश्चिम दिशा की ओर मुँह करके दीपक सरसों के तेल की ७ बूँदे डालकर जला दें | कागज को जमीन पर बिछाकर (मंत्र वाली तरफ से ऊपर रखना है) | "धनम देहि" ७ बार ७ दाने उङद के उस कागज पर डालने हैं | कागज के ७ टुकड़े करके सातों पर अलग अलग नंबर लिख लें १,२,३,४,५,६,७, उनमें से ३ कागज की गोली उठा लीजिये, यह अंक शुभ होंगे | यह लगातार ७ शनिवार करना है |