शनिवार, 21 सितंबर 2013

सकारात्मक सोच

किसी गाँव में दो साधू रहते थे. वे दिन भर भीख मांगते और मंदिर में पूजा करते थे। एक दिन गाँव में आंधी आ गयी और बहुत जोरों की बारिश होने लगी| दोनों साधू गाँव की सीमा से लगी एक झोपडी में निवास करते थे, शाम को जब दोनों वापस पहुंचे
तो देखा कि आंधी-तूफ़ान के कारण उनकी आधी झोपडी टूट गई है। 

यह देखकर पहला साधू क्रोधित हो उठता है और बुदबुदाने लगता है ,”भगवान तू मेरे साथ हमेशा ही गलत करता है… में दिन भर तेरा नाम लेता हूँ , मंदिर में तेरी पूजा करता हूँ फिर भी तूने मेरी झोपडी तोड़ दी… गाँव में चोर – लुटेरे झूठे लोगो के तो मकानों को कुछ नहीं हुआ , बिचारे हम साधुओं की झोपडी ही तूने तोड़ दी ये तेरा ही काम है …हम तेरा नाम जपते हैं पर तू हमसे प्रेम नहीं करता….”

तभी दूसरा साधू आता है और झोपडी को देखकर खुश हो जाता है नाचने लगता है और कहता है भगवान् आज विश्वास हो गया तू हमसे कितना प्रेम करता है ये हमारी आधी झोपडी तूने ही बचाई होगी वर्ना इतनी तेज आंधी – तूफ़ान में तो पूरी झोपडी ही उड़ जाती ये तेरी ही कृपा है कि अभी भी हमारे पास सर ढंकने को जगह है…. निश्चित ही ये मेरी पूजा का फल है , कल से मैं तेरी और पूजा करूँगा , मेरा तुझपर विश्वास अब और भी बढ़ गया है… तेरी जय हो !

मित्रों एक ही घटना को एक ही जैसे दो लोगों ने कितने अलग-अलग ढंग से देखा … हमारी सोच हमारा भविष्य तय करती है , हमारी दुनिया तभी बदलेगी जब हमारी सोच बदलेगी। यदि हमारी सोच पहले वाले साधू की तरह होगी तो हमें हर चीज में
कमी ही नजर आएगी और अगर दूसरे साधू की तरह होगी तो हमे हर चीज में अच्छाई दिखेगी ….अतः हमें दूसरे साधू की तरह विकट से विकट परिस्थिति में भी अपनी सोच सकारात्मक बनाये रखनी चाहिए।

सोमवार, 16 सितंबर 2013

नमाज के बाद फसाद

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गुरुवार, 5 सितंबर 2013

॥ अथ श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रम। ॥

जटाधरं पान्डुरान्गम शूलाहस्तम कृपनिधिम ।
सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे ॥ १॥

अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रम.न्त्रस्य भगवान.ह नारद^इषिः ।
अनुष्टुप.ह छन्दः . श्रीदत्तपरमात्मा देवता ।
श्रीदत्तप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥

जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसा.नहार हेतवे ।
भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १॥

जराजन्मविनाशाय देहाशुद्धिकराया च ।
दिगम्बरदयामूर्ते दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ २॥

कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधाराया च ।
वेदाशास्त्रपरिग्याया दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ३॥

र्हस्वदीर्घक्र^इशास्थूला-नामगोत्र-विवर्जिता ।
प्.न्चाभूतैकदीप्ताया दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ४॥

यज्याभोकते च यज्ञाय यज्यारूपधाराया च ।
यज्याप्रियाया सिद्धाय दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ५॥

आदौ ब्रह्मा मध्य विश्ह्नुरा.न्ते देवः सदाशिवः ।
मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ६॥

भोगालयाय भोगाय योगयोग्याय धारिने ।
जितेन्द्रियाजिताग्याया दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ७॥

दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूपध्राय च ।
सदोदितापराब्रह्मा दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ८॥

जम्बुद्वीपमहाक्शेत्रमातापुरनिवासिने ।
जयमानासताम देवा दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ९॥

भिक्शातानाम गर^इहे ग्रामे पात्रं हेमामयम करे ।
नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १०॥

ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्र चाकाशाभूताले ।
प्रग्यानाघनाबोधाया दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ११॥

अवधूतासदानान्दापराब्रह्मस्वरूपिने ।
विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १२॥

सत्यम्रूपसदाचारसत्यधर्मपरायन ।
सत्याश्रयापरोक्षाया दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १३॥

शूलाहस्तागादापाने वनामालासुकंधरा ।
यग़्य़सूत्रधरब्रह्मन.ह दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १४॥

क्षराक्षरास्वरूपाया परात्पराताराया च ।
दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १५॥

दत्त विद्याध्यालाक्ष्मीषा दत्त स्वात्मस्वरूपिने ।
गुनानिर्गुनारूपाया दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १६॥

शत्रुनाशाकाराम स्तोत्रं ग्यानाविग्यानादायाकम. ।
सर्वपापं शमं याति दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १७॥

इदं स्तोत्रं महाद्दिव्यम दात्ताप्रत्याक्षकाराकम. ।
दात्तात्रेयाप्रसादाच्चा नारादेना प्रकीर्तितम. ॥ १८॥

.. इति श्रीनारादापुराने नारादाविराचितम
दत्तात्रेयस्तोत्रं सुसंपूर्नाम. ..