रविवार, 6 अक्तूबर 2013

मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की पूजा

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्रि के नौ दिनों पर मां दुर्गा के जिन नौ रूपों का पूजन किया जाता उनमे आज दुसरे दिन ब्रह्मचारिणी स्वरुप की पूजा की जाती है. ब्रह्म का अर्थ है, तपस्या, तप का आचरण करने वाली भगवती, जिस कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया, वेदस्तत्वंतपो ब्रह्म, वेद, तत्व और ताप [ब्रह्म] अर्थ है ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है, इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बायें हाथ में कमण्डल रहता है.इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। माता ब्रह्मचारिणी हिमालय और मैना की पुत्री हैं. देवर्षि नारद जी के कहने पर भगवान शंकर की कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने इन्हें मनोवांछित वरदान दिया. और ये भगवान भोले नाथ की वामिनी बनी. जो व्यक्ति अध्यात्म और आत्मिक आनंद की कामना रखते हैं उन्हें इनकी की पूजा से सहज सब कुछ प्राप्त होता है.
इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है कि जिनका विवाह तय हो गया है लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के पश्चात भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने का मंत्र
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

एक विशिष्ट प्रयॊग

क्या आप का जीवन किसी के श्राप से दूषित या बंध गया है ? आप को साधना या अनुष्ठान करने पर लाभ नहीं मिलता है तो अवश्य ही आप बाधित है ! श्राप,दोष से मुक्ति केवल माँ दुर्गा के विशेष साधना से ही संभव है आज मैं एक विशिष्ट प्रयॊग दे रहा हु जिसे सम्पन्न कर जीवन में श्राप,दोष व पाप से मुक्ति प्राप्त होती ही है ! यह प्रयॊग सिर्फ पाप ही समाप्त नहीं करता बल्कि श्राप - दोष - कीलन को भी नष्ट कर देता है !
यह प्रयॊग शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से या आने वाली नवरात्र से आरम्भ कर ०९ दिन तक निरंतर करे इस प्रयॊग को रात्रि में ही करना चाहिए ! अपने सामने दुर्गा जी का चित्र एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर कर रखे .. चित्र के पास ही गणेश व गुरु को स्थान दे अब दाए हाथ में जल -अक्षत -पुष्प लेकर श्राप - दोष - पाप मुक्ति का संकल्प ले कर गणेश जी के पास रख दे ! अब सर्व प्रथम गणेश - गुरु का पूजन करे और गुरु मंत्र का जप कर साधना में पूर्ण सफलता की प्रार्थना कर माँ दुर्गा का विधिवत पूजन कर ७ बार शापोद्वार मंत्र का जप करे -
शापोद्वारमंत्र-ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं क्रां क्रां चंडिका देव्यै शाप नाशानुग्रह कुरु कुरु स्वाहा ( ७ बार जप करे )
अष्टादश शक्ति मंत्र -
(१)- ॐ ह्रीं श्रीं रेतः स्वरूपिण्यै मधुकैटभमर्दिनयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(२) ॐ श्रीं बुद्धि स्वरूपिण्यै महिषासुरसैन्य नाशिन्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(३) ॐ रं रक्त स्वरूपिण्यै महिषासुर मर्दिनयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(४) ॐ क्षुम क्षुधा स्वरूपिण्यै देवन्दितायै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(५) ॐ छां छाया स्वरूपिण्यै दूत सम्वादिनयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(६) ॐ शं शक्ति स्वरूपिण्यै धूम्रलोचन घतिन्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(७) ॐ तृम तृषा स्वरूपिण्यै चंड मुंड वध कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(८) ॐ क्षाम क्षान्ति स्वरूपिण्यै रक्तबीज वध कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(९) ॐ जां जाति स्वरूपिण्यै निशुम्भ वध कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१० ) ॐ लं लज्जा स्वरूपिण्यै शुम्भ वध कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(११) ॐ शं शान्ति स्वरूपिण्यै देव स्तुत्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१२ ) ॐ श्रं श्रधा स्वरूपिण्यै सकल फल दायिनयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१३) ॐ क्रां कान्ति स्वरूपिण्यै राज्य वर प्रदायै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१४) ॐ मां मातृ स्वरूपिण्यै अनर्गल कहिमसहितायै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१५) ॐ ह्रीं श्रीं दुं दुर्गायै सर्वैश्वर्य कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१६) ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः शिवायै अभेद्य कवच स्वरूपिण्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१७) ॐ कां काल्यै ह्रीं फट स्वाहायै ऋग्वेद स्वरूपिण्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१८) ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती
स्वरूपिण्यै त्रिगुणात्मिकायै दुर्गा देव्यै नमः
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
इन प्रत्येक १८ मंत्र जप का ७ बार जप करना है और जप के पश्चात सात बार शापोद्वारमंत्र का जप करना है , यह शक्ति प्रयॊग अत्यंत तीव्र और प्रभावकारी है , इन १८ शक्तियों का जब आवाहन किया जाता है तब शरीर और मन से श्राप एवं दोष का निराकरण होता ही है ! उस समय एक ज्वलन शक्ति सी उठती है, कुछ विचित्र भाव से होने लगते है साधक अपने आपको शांत रखते हुए यह प्रयॊग करे ! प्रत्येक जप के बाद माँ दुर्गा के चरणों में एक लाल पुष्प अर्पित करते जाए इस प्रकार १८ पुष्प अर्पित करने है ! अत्यंत परिश्रम से आप सब के जन कल्याण उद्देश से उपरोक्त मंत्रो को लिखा है आशा करता हु की आप सब अवश्य ही इस प्रयॊग को करेगे और लाभान्वित होगे !!
 

2 अक्टूबर को जो सुनते है क्या यह सच है ?

अभी मै दूर दर्शन में देख रहा था राजघाट पोहुचे PM– सोनिया, अडवानी भी और कई नेता गण | और यह गीत सुनाया जा रहा था सावरमति के संत तूने करदिया कमाल, आज़ादी हमें दे गये बिना खड़ग बिना ढाल | इस से बड़ा झूट और क्या हो सकता है ? की बिना खड़ग बिना ढाल हमें आज़ादी मिल गयी ? भारत वासिओं को आज़ादी किनसे मिली? अंग्रेजों की गुलामी से ? अगर यह सच है तो 15 अगस्त 1947 के बाद भी माउन्ट बेटन इस भारत में क्या कर रहा था ? कौन था वह भारतीय थे क्या ?

तो आपने यह कैसा कह दिया की अंग्रेजों के हाथ से हमें आज़ादी मिली.और वह भी बिना खड़ग और बिना ढाल बताया जा रहा है | जब की 1857 से यह लड़ाई शुरू हुई, प्रथम शहीद होने वाले का नाम मंगल पाण्डेय, जिन्होंने अंग्रेजो द्वारा कारतूसों में ,गाय , और सुवर की चर्बी मिलाने का विरोध किया था | यह घटना है कोलकाता बैरकपुर छावनी की, 19 नंबर पलटनो को वह कारतूस दीगयी, तो हमारे देशभक्तों ने उस कारतूस को अपनाने से इंकार कर दिया | और अंग्रेजों ने बर्मा से गोरी पलटन मंग्वाली भारतीय सिपाहिओं को परेड में बुलवाकर बंदूकें रखवाली| भारतीय सिपाहिओं को सजा देना चाहती थी | जिसका विरोध मंगल पाण्डेय ने की थी और अंग्रेज अफसर ह्युसन, को ढेर कर दिया | फिर लेफ्टिनेंट बाघ को भी ढेर कर दिया, जब अंग्रेज अधिकारी भाग कर जनरल के बंगले पोहुचे, जनरल निकल कर आया सेनाओं को साथ लिए तो पाण्डेय ने अपनी छाती पर गोली मारली, जख्मी हो गये, और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया | और 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फासी दे दी गयी | फिर 19 और 34 नंबर पलटनो की नौकरी से निकल दी गयी | इसलिए देशके साथ वह लोग गद्दारी कर रहे हैं, जो झूठ बोलकर हमारे देश के लोगों को गलत सन्देश दे रहे है, कि बिना खड़ग बिना ढाल हमें आज़ादी मिली ? यह कोरा झूठ है, इस झुटका पर्दा फाश कौन करे, हमें बलिदान से आज़ादी मिली, न मालूम कितने लोगों के जाने गयी | 90 वर्ष की लड़ाई थी 2 =4 –दिनकी नहीं | तो सावरमती के संत का कमाल क्या था ?

हां यह तो ज़रूर है की जो सजा उन प्राण गवाने, और सजा भोगने वालों को मिली| उसका एक हिस्सा भी गाँधी और नेहरु को नहीं दीगयी, विचारशील लोगों जरुर समझ रहे होंगे कारण क्या है? मै इसका आंकड़ा दे रहा हूँ कहाँ कहाँ इन अंग्रेजोंका अत्याचार रहा और किस प्रकार के अत्याचार को भारत के लोगों ने सहन किया | यह मिथ्या प्रचार करने वालों का मुह बन्द करने को यह आंकड़ा पर्याप्त है | यह घटना किसके बाद कौन घटना घटती गयी और हादसा होता गया, नर संहार के साथ| 1 - इस बैरक पुर की घटना के बाद मानो क्रांति की बिगुल बजी, 2 - मेरठ की घटना 3 -फिर दिल्ली की घटना 4 –झाँसी की घटना 5 –झाँसीरानी का अमर बलिदान 6 –पंजाबमें क्रांति 7 –फिरोजपुर में क्रांति 8 – जालंधर, व फिल्लोर में क्रांति 9 –दिल्ली पर अत्याचार 10-राजा कुवरसिंह 11 –राजा अमर सिंह 12 –अवध की क्रांति 13 –बारी का युद्ध 14 –वीर नरपत सिंह 15-वीर अमर सिंह हरियाणा 16 –हरयाणा हांसी के वीर हुकमचंद 17 –वीर राजा नाहरसिंह 18 –वीरांगना देवी समां कौर 19 –जलियांवाला बाग 20 –राव तुलाराम 21 –वीर सावरकर 22 –वलवंत फडके 23 –गोपाल कृष्ण गोखले 24 –शंकर लिमये 25 –विष्णु गणेश पिगले 26 –लक्षमण कान्हेरे 27 –नारायण जोशी 28 –कृष्ण जी गोपाल कर्वे 29 –नारायण देश पाण्डेय 30 –रामचंद्र सोमन 31 –शिव राम राजगुरु 32 –पंजाब के वलिदान,सेनापति फूलासिंह 33 –नामधारीओं का बलिदान 34 –ला,हरदयाल 35 –लाला लाजपत राय 36 –मदनलाल धींगडा 37 –आमिर चाँद 38 –अवध विहारी 39-भाई बाल मुकुंद 40–सटी राम सखी 41–भाई परमानन्द 42 –तरुण वीर करतार सिंह 43 –हरनाम सिंह 44 –सोहनलाल पाठक 45 –वीर बंदासिंह 46 –मथुरासिंह 47 –भागसिंह 48 –भाई वतन सिंह 49 –बलवंतसिंह 50 –दिलीपसिंह 51–बन्तासिंह धामिया 52 –बरयामसिंह धुग्गा 53 –भाई मेवासिंह 54 –गेंदासिंह 55 – प० काशीराम 56 –रहमत अली शाह 57-मौलवी अहमदशाह 58 –वीरसिंह 59- रंगासिंह 60 –रामसिंह 61–उत्तमसिंह 61 –डॉ० अरुड्सिंह 62 –जगतसिंह 63 –भानसिंह 64 –उधम सिंह 65 –नंदासिंह 66 –खुशोराम 67 –सन्तासिंह 68 –किशनसिंह गर्गज्ज्य 69 कर्म सिंह 70 –धन्नासिंह 71 –बोमेली युद्ध का चार हुतात्मा 72 –प०जगतराम 73 –हरिकिशनसिंह 74-भगतसिंह 75 –सुखदेव 76 –वीर इन्द्रपाल77भगवतीशरण.दुर्गादेवी 78 –बबज्वाला सिंह 79 –राजस्थान के वलिदानी,ठा० केशरी सिंह बारहट 80 –कु०प्रतापसिंह 81 –ठा० जुरावार्सिंह 82 –वीर विजयसिंह पथिक 83 –अर्जुनलाल सेठी 84 –किसान आन्दोलन के शहीद वीर जुझार तेजा 85 –महाराजा किशनसिंह 86 –उ०प्र० के वलिदानी सूफी अम्बाप्रसाद 87 –गणेशशंकर विद्यार्थी 88 –चन्द्र शेखर आजाद 89 –प० रामप्रसाद बिस्मिल 90 –अश्फाख उल्लाह खान 91 –ठा०रोशनसिंह 92 –मन्मथ नाथ गुप्त 93 –रामदुलारे त्रिवेदी 94 –राज कुमार सिन्हा 95 –विजय कुमार सिन्हा 96 –प०गेंदा लाल 97 –शालिग्राम शुक्ल 98 –राजा महेन्द्र प्रताप 99 –रामचरण लाल शर्मा 100 –विष्णु शरण |

सिर्फ प्रमाण के लिए मै यह सौ नाम गिनाया हूँ. उन शहीदों के नाम गिनाकर समाप्त करना ही संभव नहीं अभी भारत के कई प्रान्त के शहीदों के नाम बाकी है | जिस में सबसे ज्यदा वलिदानी प्रान्त बंगाल है, अभी मै उनलोगों का नाम ही नहीं लिखा वह इसलिए की मै उसी प्रान्त से हूँ कही लोग यह कहने लगे की मै प्रन्तियेता का प्रचार कर रहा हूँ | मै जो नाम शहीदों का दिखाया हूँ अगर यह सत्य है तो इस सत्यता को न तो सोनिया जानती है और न हीं सोनिया पुत्र राहुल को मालूम | तो मिडिया जो सुना रही है उसमे क्या सत्यता है ? अगर यह झूठ है की सावर मति के संत की बिना खड़ग आज़ादी नहीं मिली, बल्कि हमारे पूर्वजों की खून से हमें आज़ादी मिली है | तो हमारे बच्चों को यह गलत और झूठी बातों को सुना कर हमारे इतिहास को किसलिए बिगाड़ा जा रहा है ? कौन जिम्मेदार, यह जवाबदेहि किसकी है ? हमारे बच्चों को यह सुनना था, की गाँधी के चरखे की घुन, घुन, से नहीं बन्दुक की धूं धूं से हमें यह आजदी मिली है | यह झूठे और मक्कार लोग हैं जो हमारे बच्चों को गलत पाठ पढ़ा रहे हैं, यह मर्यादा सिर्फ जाना और परखा नरेंद्र भाई मोदी, जो महान क्रांति कारी श्यामजी कृष्णवर्मा का अस्थिकलश लाये |