मंगलवार, 7 जनवरी 2014

व्यापार वृद्धि प्रयोग - 2


-: मंत्र :-
॥ धां धीं धूं धूर्जटे पत्नीं वां वीं वुं वागधीश्वरी
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देव्ये शां शीं शुं में शुभम कुरु ॥

विधी :- उपरोक्त मन्त्र सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में से हैं । कुछ शुद्ध गुलाब में से बनी अगरबत्ती लेकर उपरोक्त मन्त्र 108 बार जप
कर अगरबत्ती अभिमंत्रित कर लीजिए । उसके बाद उन अगरबत्ती में से 5 अगरबत्ती लेकर प्रज्वलित करे । उसके बाद अपने पुरे व्यवसाय स्थल में एंटी क्लोक वाइस (घडी की उलटी दिशा में) घुमाले और एक जगह लगादे और फिर देखे आपका व्यापार कैसे नहीं चलता । यह प्रयोग पूर्ण प्रामाणिक एवं कई बार परिक्षीत हैं । माँ भगवती ने चाहा तो आप व्यापार को लेकर जल्द ही चिंता मुक्त हो जायेंगे ॥

रविवार, 5 जनवरी 2014

वीर शिवाजी और महाराणा प्रताप कि तरह हिन्दू धर्म कि रक्षा करनी है

 जो हिंदू इस घमंड मे जी रहे है कि अरबो सालो से सनातन धर्म है और इसे कोई नही मिटा सकता, मै उन्हें मुर्ख और बेवकूफ ही समझता हूँ.. आखिर अफगानीस्तान से हिंदू क्यों मिट गया? काबुल जो भगवान राम के पुत्र कुश का बनाया शहर था, आज वहाँ एक
भी मंदिर नही बचा ! गांधार जिसका विवरण महाभारत मे है, जहां की रानी गांधारी थी, आज उसका नाम कंधार हो चूका है, और वहाँ आज एक भी हिंदू नही बचा ! कम्बोडिया जहां राजा सूर्य देव बर्मन ने दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर अंकोरवाट बनाया, आज वहाँ भी हिंदू नही है ! बाली द्वीप मे 20 साल पहले तक 90% हिंदू थे, आज सिर्फ 20% बचे है ! कश्मीर घाटी मे सिर्फ 20 साल पहले 50%
हिंदू थे, आज एक भी हिंदू नही बचा ! केरल मे 10 साल पहले तक 60% जनसंख्या हिन्दुओ की थी, आज सिर्फ 10% हिंदू केरल मे है ! नोर्थ ईस्ट जैसे सिक्किम, नागालैंड, आसाम आदि मे हिंदू हर रोज मारे या भगाए जाते है, या उनका धर्मपरिवर्तन हो रहा है ! मित्रों, 1569 तक ईरान का नाम पारस या पर्शिया होता था और वहाँ एक भी मुस्लिम नही था, सिर्फ पारसी रहते थे.. जब पारस पर मुस्लिमो का आक्रमण होता था, तब पारसी बूढ़े-बुजुर्ग अपने नौजवान को यही सिखाते थे की हमे कोई मिटा नही सकता, लेकिन ईरान से
सारे के सारे पारसी मिटा दिये गए. धीरे-धीरे उनका कत्लेआम और धर्म- परिवर्तन होता रहा. एक नाव मे बैठकर 21 पारसी किसी तरह गुजरात के नवसारी जिले के उद्वावाडा गांव मे पहुचे और आज पारसी सिर्फ भारत मे ही गिनती की संख्या मे बचे है. हमेशा शांति की भीख मांगने वाले हिन्दुओं... आजतक के इतिहास का सबसे बड़ा संकट हिन्दुओं पर आने वाला है, ईसाईयों के 80 देश और मुस्लिमो के 56 देश है, और हिन्दुओं का एकमात्र देश भारत ही अब हिन्दुओं के लिए सुरक्षित नहीं रहा. भारत को एक फ़ोकट
की धर्मशाला बना दिया गया है, जहाँ इसके मेजबान हिन्दू ही बहुत जल्दी मुस्लिम सेना तैयार करने वाली संस्था PFI द्वारा शुरू होने वाले गृहयुद्ध में कश्मीर की तरह पुरे भारत में हिन्दुओं के हाथ-पैर काट दिए जायेंगे, आंखे निकाल ली जाएँगी, और कश्मीर की ही तरह उनकी सुरक्षा के लिए कही पर भी सरकार नाम की संस्था कोई भी सेना नहीं भेजेगीे, हिन्दू खुद तो ख़तम हो रहा है और समस्त विश्व के कल्याण की बकवास करता फिरता है, जबकि समूचा विश्व उसको पूरी तरह निगल लेने की पूरी तैयारी कर चूका है... आज तक हिन्दू जितनी अधिक उदारता और सज्जनता दिखलाता रहा है, उसको उतना ही कायर और मुर्ख मानकर उस पर अन्याय और हर तरह का धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक विश्वासघात किया जाता रहा है.. ...और हिन्दू है कि आंख बंद करके बस कहावतों में जिंदा रहकर बस भगवान के शांति स्वरूपं की पूजा करते-करते सच में नपुंसक बन चूका है.. जबकि हमारे किसी भी देवी देवता का स्वरुप अश्त्र-शस्त्र के बिना नहीं है, हमारे धर्म में धर्म की परिभाषा के 10 लक्षणों में अहिंसा नाम का कोई शब्द ही नहीं है, रक्षा धर्म ही हम हिन्दुओ की रक्षा कर सकता है... इसके बाद भी अति भाग्यवादी, अवतारवादी हिन्दुओं ने आज तक अपनी दुर्दशा के इतिहास से कोई सबक न लेकर आज भी सेकुलार्ता का नशा लेकर मुर्छित होकर जी रहा है, और अपने ही शुभचिंतक भाइयों को सांप्रदायिक
कहकर उनसे नपुंसक बनने की सीख देता फिरता है..!!

शनिवार, 4 जनवरी 2014

बेईमान कौन ?:-



एक गांव मे एक बाबाजी आया हुवा था ! पूरा मायावी दिखाई देता था !
पीत रंग के भगवा वस्त्र , शरीर पर भभुति , रुद्राक्ष की मोटी मोटी मालाएं
गले मे , जटा जुट बांधे हुये ! कुल मिलाकर शक्ल से ही बच्चों को तो
डरावना लगे ! पर जो उसके ही मार्ग के लोग थे उनके लिये भगवान से
कम नही ! बाबाजी ने गांव से बाहर एक पुराने मंदिर पर डेरा लगाया हुवा था !
और जैसा कि होता है वहां चेले चपाटे भी इक्कठे हो ही गये ! चारों तरफ़
बाबा की जय जय कार हो रही थी !

पर क्युं हो रही थी बाबा की जय जयकार ? बात यह थी कि बाबा के पास
आप जो भी ले जावो उसको दूना कर देते थे बिल्कुल शर्तिया ! और दूर दुर
तक बाबा की प्रसिद्धी फ़ैल गई ! किसी ने नोट डबल करवाये और किसी ने
कुछ छोटे मोटे गहने ! बहुत समय चला गया ! फ़िर गांव का जो सेठ था
उसको भी उस पर विश्वास हो गया कि बाबा योगीराज बहुत पहुंचे हुये हैं !
सो सेठ भी एक दिन पहुंचने के लिये तैयार हो ही गया और बाबा तो वहां
डटा ही इस सेठ को पहुंचाने के चक्कर मे था !

रात को जब सब चले गये तो बाबा के पास सेठ चुपके से आया और बोला-
महाराज क्या बताएं ? आप तो अन्तर्यामी हैं ! अब आप तो जानते हैं मेरा
काम है लोगो को ब्याज पर रुपया देना ! और आज कल रुपये की डिमान्ड
इतनी बढ गयी है कि मेरे पास रुपया कम पड जाता है ! उधार लेने वाले
बहुत हैं पर रुपये कम हैं !
बाबा बडे अनमने भाव से सुन रहे हैं जैसे उनको इन कामों मे कोई रुची
ही नही हो ! सेठ ने आगे कहा-- महाराज आप कोई ऐसा जतन करो कि
अपना भी माल डबल हो जाये ! बाबा के अन्दर ही अन्दर तो लड्डू फ़ुट रहे थे
पर उपर से बनते हुये महाराज बोले -- बच्चा हम इस मोह माया से बहुत दूर हैं !
हमको इस नश्वर सन्सार की माया से क्या लेना देना ? ये माया तो आनी जानी है !
फ़िर सेठ ने बडी अनुनय विनय की तो बाबाजी उनका धन दुगुना करने को
राजी हुये ! बाबा ने बताया परसो अमावस की रात शम्शान मे जाना पडेगा !
अगर थोडा बहुत का मामला होता तो यहां बैठे बैठे ही करवा देते पर ये तो
लाखों का मामला है ! सेठ ने सोचा ये कहीं श्मशान का बोल रहा है , वहां से
गायब हो गया तो ? इसके कुछ शन्का व्यक्त करने के पहले ही बाबाजी बोल
पडे-- बच्चा हम तो गरीबों की मदद करने को ईश्वर का जो आदेश आता है !
उसके पालन के लिये ये काम करते हैं और हम रुपये पैसे को हाथ लगाते
नही हैं ! सेठ की तो बांछे खिल गई और उनको लगा की महात्माजी तो परम
दयालू ईश्वर के साक्षात अवतार हैं और उनके चरणों मे लौट गया !
अमावस की रात.. आ गई ! सेठ सारा सोना चांदी, रुपया गहना यानि माल
असबाब पोटली मे बांध कर आ गया परम पिता महात्मा जी के पास ! और
अमावस आने का समय सेठ ने कैसे काटा होगा ये आप कल्पना कर सकते हैं !

श्मशान के लिये सेठ और बाबाजी का गमन शुरु हुआ-- बाबाजी अपनी सोच मे
और सेठ अपनी मे ! अब रास्ते मे बाबा ने बोलना शुरु किया -- देख बच्चा
श्मशान मे भूत प्रेत मिलेंगे पर तू डरना मत ! अगर कोई चुडैल आकर दांत
दिखाये तो भी मत डरना और कोई अस्थि पन्जर अचानक आकर नाचने लगे
तो उसको हाथ से पकड कर फ़ेंक देना ! और जब मै वहां से थोडी देर के
लिये कर्ण पिशाचिनी के साथ डांस करता हुआ गायब हो जाऊगा तब तुम
हिम्मत से काम लेना और मैं वापस नही आऊं तब तक इस रुपये वाली
पोटली को सम्भाले रखना और अगर कोई भूत या चुडैल गुस्से मे आकर
तुमको एक दो झापड भी मार दे तो चुप चाप हिम्मत से खडे रहना ! और ये
सारे भय बताते बताते वो दोनों गुरु चेले श्मशान घाट के बाहर तक आगये !
सेठ को एक बात तो पक्की हो चुकी थी कि बाबाजी नितान्त परमार्थी है तभी
तो कर्ण पिशाचिनी के साथ गायब होते समय पोटली सेठ के पास ही रहेगी
यानी कोई बदमाशी की गुन्जाइश ही नही ! पर जब दुसरी बात याद आयी तो
सेठ की हिम्मत जबाव दे गई ! अब कौन इस उम्र मे भूत प्रेत और चुडैलों के
मूंह लगे ? खाम्खाह का झन्झट क्यों लेना ? सो सेठ बोला-- बाबाजी आप
को मेरे लिये ये काम तो खुद ही करना पडैगा ! मुझे तो डर लग रहा है !
मेरी हिम्मत नही पड रही श्मशान मे घुसने की फ़िर भुत प्रेतों की तो सोच के
ही पसीने आ रहे हैं ! प्रभु आप ही ये पोटली लो और काम करके वापस आ
जाना ! मुझे आप पर भगवान जितना ही विश्वास है ! और बाबाजी ने बडी ना नुकर
करके पोटली उठाई और गायब हो गये और सेठ सुबह तो क्या अगले दिन
दोपहर तक बैठा रहा पर महात्मा जी को नही आना था सो नही आये !

अब साहब सेठ जी रोता पीटता किसी तरह घर आया ! लोग इक्कठे हुये ! पुलिस
मे रिपोर्ट लिखाई गई ! बाबा महात्माओं की बुराईयां की गई ! धर्म के नाम
पर कैसा कैसा धोखा चल रहा है ? ऐसे चालबाज और गुन्डे धर्म की ओट मे
छुपे हुये हैं ! अब यहां तक की कहानी मे तो कोई खास बात नही है ! पर इससे
मेरे मन मे जो सवाल उठे वो जरा देखें आप भी !

अब ये जो सेठ है , ये क्या भला आदमी है ? मुझे ये बिचारा नही बल्की महा
बेईमान आदमी लगता है !
ये खुद की चालबाजी से फ़ंसा है ! ये उस बाबा की बदमाशी से नही फ़ंसा है
बल्कि खुद की बेईमानी की वजह से लुट कर बैठा है ! अगर ये इमानदार आदमी
होता तो क्या इस तरह से नोट डबल करवाता ? नहीं ! बल्कि इमानदार होता
तो कहता भाई मुझे नही करवाना इस तरह के डबल नोट ! ये तो गैर कानुनी हुवा !
मेरे हिसाब से वो बाबा तो जब पकडा जायेगा तब पकडा जायेगा !
पर मुझे ऐसा लगता है कि असली गल्ती इस सेठ की है इसको सबसे पहले
सजा मिलनी चाहिये ! कानून जो भी कहता हो पर मुझे तो ऐसा ही लगता है !
अरब मे एक कहावत है कि सच्चे आदमी को धोखा देना मुश्किल काम है !
सच्चे आदमी को धोखा दिया ही नही जा सकता ! क्योंकि धोखा देने के सारे
उपाय झुंठे और बेइमान आदमी पर ही काम कर सकते हैं ! मुश्किल काम है किसी
इमानदार के साथ बेईमानी करना ! ईमानदारी की महिमा ऐसी है कि बेईमानी
उसको छू भी नही सकती ! जैसे सुरज को कभी अन्धेरा नही छूता !