रविवार, 16 फ़रवरी 2014

क्या केजरीवाल का जनलोकपाल बिल पास न करवा पाने के मुद्दे पर इस्तीफा देना एक सही कदम है ?

क्या केजरीवाल का जनलोकपाल बिल पास न करवा पाने के मुद्दे पर इस्तीफा देना एक सही  कदम है ?

द्वितीय दृष्टिकोण

दरअसल श्री अरविन्द केजरीवाल जी जन लोकपाल बिल पास ही नहीं करना चाहते थे । क्योंकि अगर वो इसे पास करवाना चाहते तो जैसे अन्य बिजली पानी में सब्सिडी का कानून, नर्सरी एडमिशन के प्रोसेस में बदलाव का कानून, पास करवाये इसे भी पास करवा सकते थे  अरविंद केजरीवाल कभी ये चाहते ही नहीं थे कि स्वराज बिल और जनलोकपाल बिल पास हो जाए.. जरा सोचिए .. अगर जनलोकपाल बिल पास हो जाता तो ये किस मुंह से फिर चुनाव लड़ते । ये मुद्दाविहीन हो जाते.. इसलिए जनलोकपाल और स्वराज के मुद्दे को जीवित रखना इनकी मजबूरी है । इस्तीफे की वजह है कि केजरीवाल सरकार नहीं चला पा रहे थे.. हर दिन नई गलतियां हो रही थी । सरकार चलाने में परेशानी हो रही थी दूसरी समस्या यह थी कि पानी बिजली के बिल घर पहुंचने लगे थे जिन्हें छूट मिली वो निराश थे क्योंकि जितना जोरशोर मचाया गया उस हिसाब से राहत नहीं मिल रही थी । और जिन्हें छूट नहीं मिली उनके बिल पहले से ज्यादा आ रहे हैं ।  हर दिन नौकरी को परमानेंट करने की डिमांड तेज हो रही थी ।  लोग धरना प्रदर्शन कर रहे थे ।  हकीकत यह है कि सरकार ये करने में असमर्थ है साथ ही भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए फोन नंबर दिए गए.. उसके जरिए एक भी चूहा आम आदमी पार्टी नही पकड़ सकी... लोगों का समर्थन दिन ब दिन कम होता जा रहा था.. जो सपने केजरीवाल ने दिखाए वो पूरे नहीं होते दिखाई दे रहे थे... साथ ही उनकी बातचीत व धरना प्रदर्शन की रणनीति भी लोगों को नाराज कर रही थी.. कहने का मतलब यह कि केजरीवाल को यह पता चल गया कि अगर कुछ और दिन
वो सरकार में रहे थे उनकी सारी पोल पट्टी खुल जाएगी..वो बेनकाब हो जाएंगे..यह भी जानना जरूरी है 
कि सरकार गिराने के फैसले को लेकर पार्टी में विरोध हो रहा था.. कई विधायक इस फैसले के खिलाफ
हैं ।  पार्टी टूट की कगार पर आ गई है ।  पार्टी के अंदर उठापटक की दूसरी वजह यह है कि अन्ना के 
आंदोलन से जुड़े प्रंमुख लोग पार्टी को छोड़ चुके हैं और उनकी जगह आशुतोष व योगेंद्र यादब जैसे 
लोगो ने ले ली है. समस्या यह है कि लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए जब आम आदमी पार्टी 
का कोई नेता जाता है तो स्थानीय लोग इनलोगों की बातों नहीं सुनते और इनके हाथों से
पार्टी का कंट्रोल छूट रहा है.. बिहार हो या हरियाणा हर शहर के कार्यकर्ता सिर्फ और सिर्फ केजरीवाल 
को चाहते हैं.. अरविंद केजरीवाल दिल्ली के कामों में फंसे थे.. वो टाइम नहीं सकते थे.. इतने 
दिनों में यह पता चल गया था कि लोकसभा चुनाव लड़वाना और तैयारी करना आम आदमी पार्टी के 
दूसरे नेताओं के बस में नहीं था.. दूसरी बात यह कि जिन बड़े बड़े लोगों ने पार्टी को ज्वाइन किया 
वो स्वयं चुनाव लड़ने की जुगाड़ में हैं तो पार्टी की किरकिरी तो तय थी.. इसलिए केजरीवाल ने 
लोगों ने जनलोकपाल और स्वराज को जिंदा रखने, पार्टी को लोकसभा चुनाव के लिए तैयार करने,
और दिल्ली सरकार की विफलताओं को छिपाने के लिए इस्तीफा दिया ताकि वो चिल्ला चिल्ला कर
सफेद झूठ बोल सकें कि जनलोकपाल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी की मैने कुर्बानी दे दी..

शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

क्या केजरीवाल का जनलोकपाल बिल पास न करवा पाने के मुद्दे पर इस्तीफा देना एक सही कदम है ?

क्या केजरीवाल का जनलोकपाल बिल पास न करवा पाने के मुद्दे पर इस्तीफा देना एक सही  कदम है ?

एक दृष्टिकोण

दरअसल श्री केजरीवाल जी भी ये अच्छी तरह से जानते थे कि दिल्ली विधानसभा में किसी भी कानून को बनाने के लिए केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की अनुमति लेना आवश्यक है जबकि देश के अन्य किसी भी राज्य को अपने यहाँ कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार कि अनुमति कि आवश्यकता नहीं है तो दिल्ली कि सरकार के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है केजरीवाल ने इसी सौतेले व्यव्हार के विरोध में रेल भवन के आगे धरना भी दिया था दरअसल श्री केजरीवाल जी और आम आदमी पार्टी उदभव गलत व्यवस्था का  विरोध  करने के कारण ही हुआ है  दिल्ली में हुए अन्ना के आंदोलन का मुख्य बिंदु "जन-लोकपाल कानून पास करवाना और गलत व्यवस्था और नियम को बदलकर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना"  ही था  और इसीलिए केजरीवाल और उनके सहयोगियो ने "आप" का गठन किया था केजरीवाल को दिल्ली विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिला फिर भी उन्होंने लोगो के भारी दबाव के कारण मॅहगाई से पिसती जनता को राहत  देने के लिए कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई और बिजली के बिल के दाम आधे किये और पानी मुफ्त देना शुरू कर दिया ।उनके समय में दिल्ली कि देखादेखी हरियाणा में भी बिजली के दाम कम हो गए।  सी एन जी के दाम घटाने के लिए उन्होंने केंद्र सरकार को लिखा फलस्वरूप सी एन जी के दाम 15 रु प्रति किलो कम हो गए ।  केजरी कि सरकार बनते ही भ्रष्टाचार-रिश्वतखोरी में भरी कमी आयी । सब्जियो के दाम कम हो गए । उन्होंने ये कानून पास किया कि सब्जी मंडी में आढ़ती अपना कमीशन किसान से न लेकर ग्राहको से ले , इससे आढ़ती तो नाराज हुए पर जनता और किसानो को फायदा हुआ । सरकारी अधिकारी-कर्मचारी अपना कार्य सही तरीके से और समय पर करने लगे । महगाई से पिसती जनता को वास्तव में राहत महसूस हुई । 

जन-लोकपाल कानून पास करना केजरीवाल जी का मुख्य चुनावी अजेंडा था और उन्होंने इसे पास न करवा पाने कि स्थिति में अपना इस्तीफा दे दिया और विधानसभा भंग करने कि सिफारिश कि है जो कि एकदम सही कदम है । 

सोमवार, 3 फ़रवरी 2014

ऋण नाशक उपाय

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शुक्ल पक्ष के मंगलवार को 21 गोमती चक्र लेकर उनको समुद्री नमक मिले पानी में एक घंटा डुबो दें। इसके पश्चात इन गोमती चक्रों को कच्चे दूध से धोंले तथा प्रत्येेक गोमती चक्र पर गणेश जी का स्मरण करते हुए सिन्दूर लगावें । यह कर चुकने के बाद इन गोमती चक्रों को चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर रखें तथा 21 लाल गुंजा 'रत्ती हल्दी की एक गांठ तथा तांबे का एक सिक्का रखें । ओर धूप - दीप जलाकर विघ्ननाशक ऋणहर्ता गणेश जी का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र की माला जपें - ऊँ गं ऋणहर्ताय नम:। समस्त गोमती चक्रों को उसी लाल कपड़े में पोटली बनाकर लाल डोरे से लपेट कर अपने व्यवसायिक स्थल या घर की तिजोरी अथवा धन रखने वाले स्थान पर रख दें। अब नित्य धूप देकर उक्त मंत्र की माला का जाप करें। थोड़े ही दिनों में कर्ज की नियमित किस्त चुकाने हेतु धन आगमन होने लगेगा। रोजगार में वृद्धि होगी तथा चिंता व तनाव दूर होकर समृद्धि के अवसर बनेंगे।