सोमवार, 1 दिसंबर 2014

कमर दर्द और मासपेशियों के दर्द के लिए लाल तेल

कमर दर्द और मासपेशियों के दर्द के लिए लाल
तेल
सामग्री--- तिल का तेल 300 ml , तारपीन
का तैल 100 ml , लहसुन छिले 60 ग्राम ,
रतनजोत पाउडर 20 ग्राम , पुदीना सत्त्व 15
ग्राम , अजवाइन सत्व 15 ग्राम , देशी कपूर 20
ग्राम हल्दी पाउडर 5 ग्राम
विधि- सर्वप्रथम पुदीना सत्त्व , अजवाइन सत्व
व कपुर इन तीनों को एक साफ कांच की शशी में
डालकर हिलाकर रख दें। 2-3 घटें में तीनों वस्तुए
आपस में मिलकर लिक्विड हो जाएगी। इसे ‘‘ अमृत
धारा ‘‘ कहते है। इसे व तारपीन के तैल को अलग
रख दें. अब कढाही में तिल का तैल गर्म करें और
इसमें लहसुन की कलियां कुचल कर डाल दें। इसे
इतना भूनें की लहसुन काला पड़ जाए। अब आंच बंद
कर इस गरम तेल में ही रतनजोत और
हल्दी पाउडर डाल दें तथा कलछी से धीरे धीरे
हिलाएं . ठण्डा होने पर इसे मसल कर कपड़े से तेल
छान लें। अब इस तेल में अमृत धारा और तारपीन
का तैल मिला दें। मालिश के लिए तैल तैयार है।
सावधानी- तैल बनाते समय ध्यान रखें कि अमृत
धारा व तारपीन तैल अन्त में तैल छानने के बाद व
ठण्डा होने पर मिलाना है।

व्यापार या नौकरी में मंदी

1. अगर आपके व्यापार या नौकरी में मंदी आ गयी है तो किसी साफ़ शीशी में सरसों का तेल भरकर उस शीशी को किसी तालाब या बहती नदी के जल में डाल दें और ईश्वर से अपनी सफलता के लिए प्रार्थना करें । आपके व्यापार / नौकरी में जान आ जाएगी।

2. शनिचर के दिन अपनी दुकान बंद करते समय कुछ काले उडद के साबुत दाने दुकान के अंदर बिखेर देना.रविवार सुबह दुकान खोलने बाद झाडु लगाकर उडद के दाने और ईकट्टा हुआ सब कचरा कागज मेे बांधकर एक तरफ दुकान मे रखना .दुकान बंद करने के बाद ओ नदी मेे डाल कर आणा.अजमाया हुआ टोटका है.

विवाह बाधा निवारक प्रयोग

प्रयोग :-
यह प्रयोग ४२ दिन का है ! पुरुष व् स्त्री अथार्त लड़का या लड़की जिसका भी विवाह नही हो रहा हो यह प्रयोग कर सकते है ! इस प्रयोग के लिए घर में तुलसी का पौधा होना आवश्यक है ! मिटटी के दीपक बाजार से खरीद कर ले आए ! रुई की बत्तिया बना कर घी से भिगो कर रख दे ! प्रयोग किसी माह के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि से आरम्भ करे ! सायंकाल के समय हाथ -पांव -मुह धोकर शुद्ध वस्त्र पहन ले शुद्ध वस्त्र से मेरा तातपर्य है जिन वस्त्रो के पहने रहे पेशाब -शौच आदि न किया हुआ हो ! एक फुलबत्ती जो घी से भिगोकर रखी है ! मिटटी के दिए में रख जला दे व् तुलसी की एक परिक्रमा कर दे तथा हाथ जोड़कर गरुड़वाहिनी माता लक्ष्मी व् विष्णु से अपनी मनोकामना प्रकट के दे ! दूसरे दिन दो दीपक जलाये व् दो परिक्रमा करे ! तीसरे दिन तीन दीपक जलाये व् तीन परिक्रमा करे इस प्रकार संख्या बढ़ाते हुए 21 वे दिन 21 दीपक जलाये व् 21 परिक्रमा करे ! इसी प्रकार अगले दिन से अर्थात 22 वे दिन से 1 -1 दीपक कम करते रहे अर्थात 20 -19 -18 -17 इस प्रकार एक दीपक तक पहुंचे ! उतनी ही परिक्रम भी करते रहे व् रोजाना मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करे ! कन्या जब रजस्वला हो उस समय कन्या पांच दिन तक वे दीपक नही जलायेगी न ही परिक्रमा करेगी ! इन पांच दिनों में कन्या की माता संतान के लिए यह प्रयोग करे व् प्रार्थना करे ! यह अचूक व् अनुभूत प्रयोग है ! यदि किसी कारण यह प्रयोग खंडित हो जाये तो पुनः प्रथम दिन से प्रयोग आरम्भ करना होगा ! ध्यान रहे मिटटी के सभी दीपक नये ले ! एक बार प्रयोग किया दिया पुनः काम में न ले ,