बुधवार, 8 अप्रैल 2015

जगमोहन मन्त्र

ॐ वश्य मुखी राज मुखी स्वाहा।।

इस मंत्र को 21 माला जाप करके सिद्ध कर ले कोई विधान नहीं है
बस किसी भी अमावश्या या पूर्णिमा को सिद्ध करके माला खत्म होने के बाद 3 फूंक पानी पे मारकर पानी पि ले जिससे ये सिद्ध हो जायेगा।।
इसके बाद 21 बार पानी पे फूंक मार कर मुँह धोने से जग मोहन होता है /

ह्रदय रोग के बारे में

यहाँ में आपको ह्रदय रोग के बारे में बता रहा हूँ जो की आम बात हो गई है ह्रदय घात 
इस रोग में अथवा रोग होने की आशंका में आप नियमित रूप से श्री आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करे साथ ही लाल धागे में सूर्य यन्त्र पहने जो की पूर्ण तरह से प्रतिष्ठ हो और 3 माला रोजाना सूर्य मंत्र का जाप करे।।
आप पञ्च मुखी रुद्राक्ष भी धारण करे इससे भी लाभ मिलेगा
रुद्राक्ष इतने बड़े धागे में धारण करे की आपके ह्रदय पे आये ताँबे के पात्र में रात को रुद्राक्ष डालकर भीगने दे और प्रातः खाली पेट उस जल का सेवन करे।।यह भी लाभ देता है।। इसके अलावा आप 43 दिन तक नियमित रूप से ताँबे का चोकोर टुकड़ा बहते जल में बहाये प्रभाहित करे प्रत्येक रविवार गाय को गुड़ व् गेहू खाने को दे।।
2 ताँबे के 2 छोटे पात्र लेकर एक में सहद व् एक में गाय का घी रखे दोनों में एक एक ताँबे की सामान्य अंगूठी डाल कर सूर्योदय में सूर्य की किरणों में रखे 3 घंटे बाद आप घी के पात्र की अंगूठी सूर्य की और मुख करके धारण करेई व् सहद का सेवन कर ले सहद का सेवन नियमित रूप से ठीक होने तक करे।।।

सोमवार, 9 मार्च 2015

बगलामुखी चतुरक्षर मन्त्र



बगलामुखी चतुरक्षर मन्त्र

●ॐ आं ह्लीं क्रों ●
(सांख्यायन तन्त्र)

❄विनियोगः-ॐ अस्य चतुरक्षर बगला मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छन्दः, बगलामुखी देवता, ह्लीं बीजं, आं शक्तिः क्रों कीलकं, सर्वार्थ सिद्धयर्थे जपे विनियोगः ।

❄ऋष्यादि-न्यास❄
ब्रह्मा ऋषये नमः शिरसि,
गायत्री छन्दसे नमः मुखे,
बगलामुखी देवतायै नमः हृदि,
ह्लीं बीजाय नमः गुह्ये,
आं शक्तये नमः पादयो,
क्रों कीलकाय नमः नाभौ,
सर्वार्थ सिद्धयर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे ।

❄षडङ्ग-न्यास कर-न्यास
अंग-न्यास
ॐह्लां अंगुष्ठाभ्यां नमःहृदयाय नमः
ॐह्लीं तर्जनीभ्यां नमःशिरसे स्वाहा
ॐह्लूं मध्यमाभ्यां नमःशिखायै वषट्
ॐह्लैं अनामिकाभ्यां नमःकवचाय हुं
ॐह्लौं कनिष्ठिकाभ्यां नमःनेत्र-त्रयाय वौषट्
ॐह्लःकरतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमःअस्त्राय फट्

❄ध्यान❄
हाथ में पीले फूल, पीले अक्षत और जल लेकर ‘ध्यान’ करे -
●कुटिलालक-संयुक्तां मदाघूर्णित-लोचनां,
मदिरामोद-वदनां प्रवाल-सदृशाधराम् ।
सुवर्ण-कलश-प्रख्य-कठिन-स्तन-मण्डलां,
आवर्त्त-विलसन्नाभिं सूक्ष्म-मध्यम-संयुताम् ।
रम्भोरु-पाद-पद्मां तां पीत-वस्त्र-समावृताम् ।।

इस मंत्र के जप से माई की कृपा प्राप्त होती है, और सारे मनोरथ पूर्ण होते है।