शनिवार, 16 सितंबर 2017

भगवती स्तोत्रम्


दिनांक २१ सितबंर २०१७ से नवरात्री का शुभागमन हो रहा है माता रानी हमारे घर पधारे और हम सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखें यही हम सब की कामना होती है।
 हम सब तरह -तरह से माँ की प्रार्थना अर्चना करते हैं  इस स्त्रोत का उच्च स्वर से पाठ करना बहुत ही फलदायी होता है,

भगवती स्तोत्रम्
जय भगवती देवी नमो वरदे
जय पापविनाशिनी बहु फलदे ॥
जय शुम्भ निशुम्भ कपाल धरे
प्रणमामि तु देवि नरार्ति-हरे ॥१॥
जय चन्द्र्दिवाकर नेत्र धरे
जय पावक-भूषित-वक्त्र-वरे ॥
जय भैरव-देह-निलीन-परे
जय अन्धक-दैत्य-विशोष-करे ॥२॥
जय महिष-विमर्दिनि शूल-करे
जय लोक-समस्तक-पाप-हरे।
जय देवि पितामह-विष्णुनते 
जय भास्कर-शक्र-शिरोवनते ॥३॥
जय षण्मुख-सायुध-ईशनुते
जय सागर-गामिनि शम्भु-नुते।
जय दु:ख-दरिद्र-विनाश-करे
जय पुत्र-कलत्र-विवृद्धि-करे ॥४॥
जय देवि समस्त-शरीर-धरे
जय नाक-विदर्शिनि दु:ख-हरे।
जय व्याधि-विनाशिनि मोक्ष करे
जय वांछित-दायिनि सिद्धि-करे ॥५॥

शनिवार, 27 मई 2017

ज्वलंत समस्या जाति -पाती |

ज्वलंत समस्या जाति -पाती | 

कुछ लोग जो उच्च वर्ण के है उन्हें जाति -पाती का पोषक कहा जाता है जबकि उन लोगो से बात की जाये तो वो कहते है की जाति -पाती  की वजह से सरकारी नौकरियों, शिक्षण संस्थाओ में आरक्षण का बोलबाला है और इसी आरक्षण की वजह से हमारे बच्चों को उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों से वंचित रह जाना पड़ता है | ये लोग भी जाती-पाती  को त्यागने को तैयार नहीं है | 

दूसरा पक्ष उन लोगो का है जो अपने को जाति -पाती व्यवस्था से पिड़ित कहते है अपने को दलित कहते है वो कहते है की हमारी जाति को लेकर हमसे भेद-भाव किया जाता है ये जाति पाती का भेदभाव ख़त्म होना चाहिए  | पर जहां कहीं भी जाति बताकर सरकारी लाभ लेने की बात हो चाहे वो  शिक्षा मेँ हो या नौकरी में  हो उसे लेने के लिए झट से अपनी जाति को आगे कर देते है वह वो ये बात भूल जाते है की वो ही जाती-पाती व्यवस्था को ख़त्म करने की बात करते है पर अपनी जाति के कारन मिलने वाले लाभों को नहीं छोड़ना चाहते | अगर सरकार या समाज आरक्षण ख़त्म करने को कहे तो यही लोग जो जाती व्यवस्था को समाज की खाज बताते है जाति गत आरक्षण के पोषक बन जाते है | और अपनी जाति को कायम रखना चाहते है | 


अब पाठक ये स्वयं ही निर्णय करे की ये जो समाज के दो वर्ग उच्च वर्ग और निम्न वर्ग दोनों में जाती-पति को कौन ख़त्म करना चाहता है | 

एक अन्य बात समाज हमेशा ही वर्गों में विभाजित रहा है चाहे वो विभाजन जाति -पाती का हो , चाहे धनि-निर्धन का हो  या चाहे पढ़ें -अनपढ़ का हो | ये विभाजन कभी ख़त्म नहीं हो पाया है अब तक | 


शनिवार, 6 मई 2017

भारतीय रेल का एक कड़वा सच जिसे भोग सब रहे हैं, बोल कोई नहीं रहा | The La...