रविवार, 18 अप्रैल 2021

श्री गुरुदेव दत्तात्रेय मन्त्र पुष्पांजलि

 श्री गुरुदेव दत्त अवधूत मारग सिद्ध चौरासी तपस्या करें ।

श्री भेशकीयो शम्भु टेक कारण गुरुजी शिखर पर जप करें ।।

श्री गुरुदत्तात्रेय गिरनार पर जप करें अलखजी माहोरगढ राज करें ।

श्री शिवशंकर कैलाष में ध्यान करें ।।धृ.।। हरिः ॐ गुरुजी ।।

बिछी है जाजम लगा है तकिया नाम निरंजन स्वामी वे जपें ।

श्री भेशकीयो शम्भु टेक कारण गुरुजी शिखर पर जप करें ।।

श्री गुरुदत्तात्रेय गिरनार पर जप करें अलखजी माहोरगढ राज करें ।

श्री शिवशंकर कैलाष में ध्यान करें ।।1।। हरिः ॐ गुरुजी ।।

पीर होकर गद्दी जो बैठे तजि तुरंगाहस्ति वे चढें ।

श्री भेशकीयो शम्भु टेक कारण गुरुजी शिखर पर जप करें ।।

श्री गुरुदत्तात्रेय गिरनार पर जप करें अलखजी माहोरगढ राज करें ।

श्री शिवशंकर कैलाष में ध्यान करें ।।2।। हरिः ॐ गुरुजी ।।

पंडित होकर वेद जो बांचे धन्धा उपाधि से न्यारा रहे ।

श्री भेशकीयो शम्भु टेक कारण गुरुजी शिखर पर जप करें ।।

श्री गुरुदत्तात्रेय गिरनार पर जप करें अलखजी माहोरगढ राज करें ।

श्री शिवशंकर कैलाष में ध्यान करें ।।3।। हरिः ॐ गुरुजी ।।

ऋशि जो मुनि गुरु दूधा जो धारी उर्ध्व बाहू तपस्या करें ।

श्री भेशकीयो शम्भु टेक कारण गुरुजी शिखर पर जप करें ।।

श्री गुरुदत्तात्रेय गिरनार पर जप करें अलखजी माहोरगढ राज करें ।

श्री शिवशंकर कैलाष में ध्यान करें ।।4।। हरिः ॐ गुरुजी ।।

रुखड़ सुखड़ धूप जो खेवे नागा सन्यासि तपस्या करें ।

श्री भेशकीयो शम्भु टेक कारण गुरुजी शिखर पर जप करें ।।

श्री गुरुदत्तात्रेय गिरनार पर जप करें अलखजी माहोरगढ राज करें ।

श्री शिवशंकर कैलाष में ध्यान करें ।।5।। हरिः ॐ गुरुजी ।।

कोई है लाखी गुरु कोई है खाकी बनखंडी वन में तपस्या करें ।

श्री भेशकीयो शम्भु टेक कारण गुरुजी शिखर पर जप करें ।।

श्री गुरुदत्तात्रेय गिरनार पर जप करें अलखजी माहोरगढ राज करें ।

श्री शिवषंकर कैलाष में ध्यान करें ।।6।। हरिः ॐ गुरुजी ।।

आबू जी गढ गिरनार वासा महोरगढ भिक्षा करें ।

श्री भेशकीयो शम्भु टेक कारण गुरुजी शिखर पर जप करें ।।

श्री गुरुदत्तात्रेय गिरनार पर जप करें अलखजी माहोरगढ राज करें ।

श्री शिवशंकर कैलाष में ध्यान करें ।।7।। हरिः ॐ गुरुजी ।।

जपत ब्रम्हा गुरु रटत विश्णु आदि देव महेष्वरम ।

श्री भेशकीयो शम्भु टेक कारण गुरुजी शिखर पर जप करें ।।

श्री गुरुदत्तात्रेय गिरनार पर जप करें अलखजी माहोरगढ राज करें ।

श्री शिवशंकर कैलाष में ध्यान करें ।।8।। हरिः ॐ गुरुजी ।।

दशनाम भेष गुरु जीवन सन्यासि सर्वदेव रक्षा करें ।

श्री भेशकीयो शम्भु टेक कारण गुरुजी शिखर पर जप करें ।।

श्री गुरुदत्तात्रेय गिरनार पर जप करें अलखजी माहोरगढ राज करें ।

श्री शिवशंकर कैलाष में ध्यान करें ।।9।। हरिः ॐ गुरुजी ।।

देव भारत देव लीला दोउ कर जोडे स्तुति करें ।

श्री भेशकीयो शम्भु टेक कारण गुरुजी शिखर पर जप करें ।।

श्री गुरुदत्तात्रेय गिरनार पर जप करें अलखजी माहोरगढ राज करें ।

श्री शिवशंकर कैलाष में ध्यान करें ।।10।। हरिः ॐ गुरुजी ।।

चन्दा जो सूरज नौ लख तारे गुरुजी तुम्हारी परिक्रमा करें ।

श्री भेषकीयो शम्भु टेक कारण गुरुजी शिखर पर जप करें ।।

श्री गुरुदत्तात्रेय गिरनार पर जप करें अलखजी माहोरगढ राज करें ।

श्री शिवशंकर कैलाष में ध्यान करें ।।11।।

हरिः ॐ गुरुजी ।।

हरिः ॐ गुरुजी ।।

शनिवार, 10 अक्तूबर 2020

माँ बगलामुखी पञ्चास्त्र मंत्र प्रयोग से शत्रु समूह नष्ट हो जाता है

 बगलामुखी एकोन-पञ्चाशदक्षर मंत्र – 


|| ॐ श्रीं ह्रीं ऐं क्लीं श्रीबगलानने मम रिपून् नाशय नाशय ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवाञ्छितं कार्यं साधय साधय ह्रीं श्रीं स्वाहा 


|| उक्त मंत्र उभय एवं उर्ध्वाम्नाय के हैं । अतः ध्यान – ध्यानः- हाथ में पीले फूल, पीले अक्षत और जल लेकर ‘ध्यान’ करे – 

सौवर्णासन संस्थिता त्रिनयनां पीतांशुकोल्लासिनीम्, हेमाभांगरुचिं शशांक मुकुटां सच्चम्पक स्रग्युताम् । हस्तैर्मुद्गर पाश वज्र रसनाः संबिभ्रतीं भूषणै र्व्याप्तांगीं, बगलामुखीं त्रिजगतां संस्तम्भिनीं चिंतयेत् ।।

अथवा 

गंभीरा च मदोन्मत्तां तप्त-काञ्चन-सन्निभां, चतुर्भुजां त्रिनयनां कमलासन संस्थिताम् । मुद्गरं दक्षिणे पाशं वामे जिह्वां च वज्रकं, पीताम्बरधरां सान्द्र-वृत्त पीन-पयोधराम् ।। हेमकुण्डलभूषां च पीत चन्द्रार्द्ध शेखरां, पीतभूषणभूषां च स्वर्ण-सिंहासने स्थिताम् ।।

अथवा 

वन्दे स्वर्णाभवर्णा मणिगण विलसद्धेम सिंहासनस्थां, पीतं वासो वसानां वसुपद मुकुटोत्तंस हारांगदाढ्याम् । पाणिभ्यां वैरिजिह्वामध उपरिगदां विभ्रतीं तत्पराभ्यां, हस्ताभ्यां पाशमुच्चैरध उदितवरां वेदबाहुं भवानीम् ।। 


माँ बगलामुखी पञ्चास्त्र मंत्र 

वडवामुखी स्तम्भनकारक है | उल्कामुखी तीनो लोको का स्तम्भन करने में समर्थ है | ज्वालामुखी देवताओ और ऋषियों का स्तम्भन कर देती है | जातवेदमुखी ब्रह्मा-विष्णु-महेश का भी स्तम्भन करने में समर्थ है | सभी कमी प्रयोगो की सिद्धि के लिए बृहद्भानुमुखी मन्त्र का प्रयोग किया जाता है | 

ये माँ बगलामुखी के पञ्चास्त्र इतने तीव्र है की इनके प्रयोग से शत्रु समूह उसी प्रकार नष्ट हो जाता है जिस प्रकार जंगल की आग से सब कुछ नष्ट हो जाता है | 

केवल दीक्षित साधक को ही इनका प्रयोग करने का अधिकार है | शत्रुओं से पीड़ित व्यक्ति मुझसे संपर्क कर सकते हैं | 


बगलामुखी पञ्च-पञ्चाशदक्षर मंत्र – प्रथमास्त्र (वडवा-मुखी)


|| ॐ ह्लीं हूं ग्लौं वगलामुखि ह्लां ह्लीं ह्लूं सर्व-दुष्टानां ह्लैं ह्लौं ह्लः वाचं मुखं पदं स्तम्भय ह्लः ह्लौं ह्लैं जिह्वां कीलय ह्लूं ह्लीं ह्लां बुद्धिं विनाशय ग्लौं हूं ह्लीं हुं फट् || 


बगलामुखी अष्ट-पञ्चाशदक्षर मंत्र – (उल्कामुख्यास्त्र) 

|| ॐ ह्लीं ग्लौं वगलामुखि ॐ ह्लीं ग्लौं सर्व-दुष्टानां ॐ ह्लीं ग्लौं वाचं मुखं पदं ॐ ह्लीं ग्लौं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्लीं ग्लौं जिह्वां कीलय ॐ ह्लीं ग्लौं बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ ग्लौं ह्लीं ॐ स्वाहा ||

बगलामुखि एकोन-षष्ट्यक्षर उपसंहार विद्या – 

|| ग्लौं हूम ऐं ह्रीं ह्रीं श्रीं कालि कालि महा-कालि एहि एहि काल-रात्रि आवेशय आवेशय महा-मोहे महा-मोहे स्फुर स्फुर प्रस्फुर प्रस्फुर स्तम्भनास्त्र-शमनि हुं फट् स्वाहा || 


बगलामुखी षष्ट्यक्षर जात-वेद मुख्यस्त्र – 


|| ॐ ह्लीं ह्सौं ह्लीं ॐ वगलामुखि सर्व-दुष्टानां ॐ ह्लीं ह्सौं ह्लीं ॐ वाचं मुखं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्लीं ह्सौं ह्लीं ॐ जिह्वां कीलय ॐ ह्लीं ह्सौं ह्लीं ॐ बुद्धिं नाशय नाशय ॐ ह्लीं ह्सौं ह्लीं ॐ स्वाहा ||


बगलामुखी षडुत्तर-शताक्षर वृहद्भानु-मुख्यस्त्र – 


|| ॐ ह्ल्रां ह्ल्रीं ह्ल्रूं ह्ल्रैं ह्ल्रौं ह्ल्रः ह्ल्रां ह्ल्रीं ह्ल्रूं ह्ल्रैं ह्ल्रौं ह्ल्रः ॐ वगलामुखि ॐ ह्ल्रां ह्ल्रीं ह्ल्रूं ह्ल्रैं ह्ल्रौं ह्ल्रः ह्ल्रां ह्ल्रीं ह्ल्रूं ह्ल्रैं ह्ल्रौं ह्ल्रः सर्व-दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्ल्रां ह्ल्रीं ह्ल्रूं ह्ल्रैं ह्ल्रौं ह्ल्रः ह्ल्रां ह्ल्रीं ह्ल्रूं ह्ल्रैं ह्ल्रौं ह्ल्रः जिह्वां कीलय ॐ ह्ल्रां ह्ल्रीं ह्ल्रूं ह्ल्रैं ह्ल्रौं ह्ल्रः ह्ल्रां ह्ल्रीं ह्ल्रूं ह्ल्रैं ह्ल्रौं ह्ल्रः बुद्धिं नाशय ॐ ह्ल्रां ह्ल्रीं ह्ल्रूं ह्ल्रैं ह्ल्रौं ह्ल्रः ह्ल्रां ह्ल्रीं ह्ल्रूं ह्ल्रैं ह्ल्रौं ह्ल्रः ॐ स्वाहा ||

बगलामुखी अशीत्यक्षर हृदय मंत्र – 

|| आं ह्लीं क्रों ग्लौं हूं ऐं क्लीं श्रीं ह्रीं वगलामुखि आवेशय आवेशय आं ह्लीं क्रों ब्रह्मास्त्ररुपिणि एहि एहि आं ह्लीं क्रों मम हृदये आवाहय आवाहय सान्निध्यं कुरु कुरु आं ह्लीं क्रों ममैव हृदये चिरं तिष्ठ तिष्ठ आं ह्लीं क्रों हुं फट् स्वाहा ||

बगलामुखी शताक्षर मंत्र – 

|| ह्लीं ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ग्लौं ह्लीं वगलामुखि स्फुर स्फुर सर्व-दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय प्रस्फुर प्रस्फुर विकटांगि घोररुपि जिह्वां कीलय महाभ्मरि बुद्धिं नाशय विराण्मयि सर्व-प्रज्ञा-मयी प्रज्ञां नाशय, उन्मादं कुरु कुरु, मनो-पहारिणि ह्लीं ग्लौं श्रीं क्लीं ह्रीं ऐं ह्लीं स्वाहा ||





शनिवार, 26 सितंबर 2020

भगवान श्री राम स्तुति

 जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।


गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता।।


पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई।

जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई।।
जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा।
अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा।।
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगतमोह मुनिबृंदा।
निसि बासर ध्यावहिं गुन गन गावहिं जयति सच्चिदानंदा।।
जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा।
सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा।।
जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन बिपति बरूथा।
मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी सरन सकल सुर जूथा।।
सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुँ कोउ नहि जाना।
जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवउ सो श्रीभगवाना।।
भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा।
मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा।।