मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

जानिए क्या होता है खरमास, मलमास,कब होता है आरम्भ

जानिए क्या होता है मलमास,कब होता है आरम्भ
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सूर्य के बृहस्पति की धनुराशि में गोचर करने से खरमास, मलमास शुरू होता है । यह स्थिति मकरसंक्रान्ति तक रहती है। इस कारण मांगलिक कार्य नहीं होते है। जैसे ही सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है तभी से मलमास आरम्भ हो जाता है और इसी के साथ शादी विवाह एवं अन्य मांगलिक कार्य निषेध हो जाते है।
मलमास में सूर्य धनु राशि का होता है। ऐसे में सूर्य का बल वर को प्राप्त नहीं होता। इस वर्ष १६ दिसंबर २०१८ से १४ जनवरी २०१८ तक मलमास रहेगा। वर को सूर्य का बल और वधू को बृहस्पति का बल होने के साथ ही दोनों को चंद्रमा का बल होने से ही विवाह के योग बनते हैं। इस पर ही विवाह की तिथि निर्धारित होती है।
मलमास शुरू हो जाने से विवाह संस्कारों पर एक माह के लिए रोक लग जाएगी। साथ ही अनेक शुभ संस्कार जैसे जनेऊ संस्कार, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश भी नहीं किया जाएगा। हमारे भारतीय पंचांग के अनुसार सभी शुभ कार्य रोक दिए जाएंगे। मलमास को कई लोग अधिक मास भी कहते हैं। अधिक मास कई नामों से विख्यात है। इस महीने को अधिमास, मलमास, और पुरुषोत्तममास के नाम से पुकारा जाता है। शास्त्रों में मलमास शब्द की यह व्युत्पत्ति निम्न प्रकार से बताई गई हैः
‘मली सन् म्लोचति गच्छतीति मलिम्लुचः’
अर्थात् ‘मलिन (गंदा) होने पर यह आगे बढ़ जाता है।’
हिन्दू धर्म ग्रंथों में इस पूरे महीने मल मास में किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही है।जब गुरु की राशि में सूर्य आते हैं तब मलमास का योग बनता है। वर्ष में दो मलमास पहला धनुर्मास और दूसरा मीन मास आता है। सूर्य के गुरु की राशि में प्रवेश करने से विवाह संस्कार आदि कार्य निषेध माने जाते हैं। विवाह और शुभ कार्यों से जुड़ा यह नियम मुख्य रूप से उत्तर भारत में लागू होता है जबकि दक्षिण भारत में इस नियम का प्रभाव शून्य रहता है। मद्रास, चेन्नई, बेंगलुरू में इस दोष से विवाह आदि कार्य मुक्त होते हैं।
गीता सार !!
मलमास में व्रत का महत्व
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जो व्यक्ति मलमास में पूरे माह व्रत का पालन करते हैं उन्हें पूरे माह भूमि पर ही सोना चाहिए. एक समय केवल सादा तथा सात्विक भोजन करना चाहिए. इस मास में व्रत रखते हुए भगवान पुरुषोत्तम अर्थात विष्णु जी का श्रद्धापूर्वक पूजन करना चाहिए तथा मंत्र जाप करना चाहिए. श्रीपुरुषोत्तम महात्म्य की कथा का पठन अथवा श्रवण करना चाहिए. श्री रामायण का पाठ या रुद्राभिषेक का पाठ करना चाहिए. साथ ही श्रीविष्णु स्तोत्र का पाठ करना शुभ होता है.
मल मास के आरम्भ के दिन श्रद्धा भक्ति से व्रत तथा उपवास रखना चाहिए. इस दिन पूजा – पाठ का अत्यधिक महात्म्य माना गया है. मलमास मे प्रारंभ के दिन दानादि शुभ कर्म करने का फल अत्यधिक मिलता है. जो व्यक्ति इस दिन व्रत तथा पूजा आदि कर्म करता है वह सीधा गोलोक में पहुंचता है और भगवान कृष्ण के चरणों में स्थान पाता है.
मल मास की समाप्ति पर स्नान, दान तथा जप आदि का अत्यधिक महत्व होता है. इस मास की समाप्ति पर व्रत का उद्यापन करके ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और अपनी श्रद्धानुसार दानादि करना चाहिए. इसके अतिरिक्त एक महत्वपूर्ण बात यह है कि मलमास माहात्म्य की कथा का पाठ श्रद्धापूर्वक प्रात: एक सुनिश्चित समय पर करना चाहिए.
इस मास में रामायण, गीता तथा अन्य धार्मिक व पौराणिक ग्रंथों के दान आदि का भी महत्व माना गया है. वस्त्रदान, अन्नदान, गुड़ और घी से बनी वस्तुओं का दान करना अत्यधिक शुभ माना गया है।

गायत्री गुप्त मन्त्र और सम्पुट

गायत्री गुप्त मन्त्र और सम्पुट

गायत्री मन्त्र के साथ कौन सा सम्पुट लगाने पर क्या फल मिलता है!!

ॐ भूर्भुव: स्व : ॐ ह्रीं तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ
श्रीं भर्गो देवस्य धीमहि ॐ क्लीं धियो यो न: प्रचोदयात ॐ नम:! ॐ भूर्भुव: स्व : ॐ ह्रीं तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ श्रीं भर्गो देवस्य धीमहि ॐ क्लीं धियो यो न: प्रचोदयात ॐ नम:! ॐ भूर्भुव: स्व : ॐ ऐं तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ क्लीं भर्गो देवस्य
धीमहि ॐ सौ: धियो यो न: प्रचोदयात
ॐ नम:! ॐ श्रीं ह्रीं ॐ भूर्भुव:
स्व: ॐ ऐं ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ क्लीं ॐ भर्गोदेवस्य धीमहि ॐ सौ: ॐ धियो यो न: प्रचोदयात ॐ ह्रीं श्रीं ॐ !!

गायत्री जपने का अधिकार जिसे नहीं है वे निचे लिखे मन्त्र का जप करें!

ह्रीं यो देव: सविताSस्माकं मन: प्राणेन्द्रियक्रिया:!
प्रचोदयति तदभर्गं वरेण्यं समुपास्महे !!

सम्पुट प्रयोग

गायत्री मन्त्र के आसपास कुछ बीज मन्त्रों का सम्पुट लगाने का भी विधान है जिनसे विशिष्ट कार्यों की सिद्धि होती है ! बीज मन्त्र इस प्रकार हैं----

१- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं --- का सम्पुट लगाने से
लक्ष्मी की प्राप्ति होती है!

२- ॐ ऐं क्लीं सौ:-- का सम्पुट लगाने से
विद्या प्राप्ति होती है!

३-- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं --
का सम्पुट लगाने से संतान प्राप्ति, वशीकरण और मोहन होता है!

४-- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं -- का सम्पुट के
प्रयोग से शत्रु उपद्रव, समस्त विघ्न बाधाएं और संकट दूर होकर भाग्योदय होता है!

५-- ॐ ह्रीं --- इस सम्पुट के प्रयोग से रोग नाश होकर सब प्रकार के ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है!

६-- ॐ आँ ह्रीं क्लीं -- इस सम्पुट के प्रयोग से पास के द्रव्य की रक्षा होकर
उसकी वृद्धि होती है तथा इच्छित वस्तु की प्राप्ति होती है! इसी प्रकार किसी भी मन्त्र की सिद्धि और विशिष्ट कार्य की शीघ्र सिद्धि के लिए भी दुर्गा सप्तशती के मन्त्रों के साथ सम्पुट देने का भी विधान है! गायत्री मन्त्र समस्त मन्त्रों का मूल है तथा यह आध्यात्मिक शान्ति देने वाले हैं!!

गायत्री शताक्षरी मन्त्र

" ॐ भूर्भुव: स्व : तत्सवितुर्वरेण्यं, भर्गो देवस्य धीमहि! धियो यो न: प्रचोदयात! ॐ जातवेदसे सुनवाम सोममराती यतो निदहाति वेद:! स न: पर्षदतिदुर्गाणि विश्वानावेव सिंधु दुरितात्यग्नि:!
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम! उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात !!"

शास्त्र में कहा गया है कि गायत्री मन्त्र जपने से पहले गायत्री शताक्षरी मन्त्र
की एक माला अवश्य कर लेनी चाहीये! माला करने पर मन्त्र में चेतना आ जाती है!!

गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

परविद्या छेदन मंत्र

परविद्या छेदन मंत्र
आज कल के समय मे लोग परविद्या अर्थात किये कराये से ज्यादा परेशान हैं एक पुरानी घटना इसका निवारण हमें दे सकती है जब सुग्रीव जी और बाली मे युद्ध चलता था तब सुग्रीव पर्वत पर रहते थे और सिद्धि करते थे उस समय श्री सुग्रीव जी को अनेक सिद्धियाँ भी प्राप्त हुईं और जब श्री राम ने लंका पर चढ़ाई की तब भी सुग्रीव जी ने इन सिद्धियों के बल पर अपनी सेना की काफी सहायता की रावण के सैनिक राक्षस थे और परविद्या मे निपुण थे ऐसे मे श्री सुग्रीव जी और हनुमान जी अपनी शक्तियों से अपनी सेना की रक्षा करते थे ऐसा ही एक मंत्र आज भी बहुत प्रचलित और उपयोग है जिसका नाम है परविद्या नाशक सुग्रीव मंत्र
अगर आप किसी भी ऐसी समस्या मे घिरे हैं जैसे धन की समस्या, काम का ना चलना, व्यापार मे हानि कोर्ट केस इत्यादि जिससे निकलने के स्थान पर उसमे और फंसते जा रहे हों तो आप समझ लीजिए कि पर विद्या है ऐसे मे
एक मुट्ठी चावल लेकर
ll ॐ सुग्रीवाय जने वह ताराय स्वाहा डाकिनी दिशा बंध पुत्र रक्षा च प्रवश्य प्रवश्य ll
मंत्र को १०८ बार पढ़कर अक्षत अपने ईष्ट और कुलदेवी का ध्यान करते हुए दक्षिण दिशा की और उछाल दें
यह परविद्या की समाप्ति का बड़ा ही बेहतर और शक्तिशाली उपाय है