शनिवार, 28 मार्च 2020

माँ बगलामुखी का माला मंत्र

संकट की इस घड़ी में जब चारो ओर कोरोना नामक महामारी का प्रकोप फैला हुआ है तो केवल माँ की ही शरण ग्रहण करे | वो ही इन संकटो से रक्षा करने वाली है | माँ के भक्तो के लिए प्रस्तुत है  माँ बगलामुखी जी का माला मंत्र |   
इस मंत्र का 108 बार पाठ करने से सभी प्रकार के संकटो से रक्षा होती है और माँ की कृपा प्राप्त होती है जिसका साधक को स्वयं अनुभव होगा |
साधक का दीक्षित होना आवश्यक है अन्यथा किसी भी प्रकार की हानि के लिए मै उत्तरदायी नहीं हूँ |      

--:माँ बगलामुखी का माला मंत्र :--

ॐ नमो भगवति ॐ नमो वीरप्रतापविजयभगवति बगलामुखि मम सर्वनिन्दकानां सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय-स्तम्भय ब्राह्मी मुद्रय मुद्रय,  बुद्धिं विनाशय विनाशय, अपरबुद्धिं कुरु कुरु आत्माविरोधिनां शत्रुणां शिरो- ललाटं- मुखं- नेत्र- कर्ण- नासिकोरु- पद- अणुरेणु- दन्तोष्ठ -जिह्वा- तालु- गुह्य- गुद- कटि- जानू- सर्वांगेषु केशादिपादपर्यन्तं पादादिकेशपर्यन्तं स्तम्भय स्तम्भय, खें खीं मारय मारय, परमन्त्र- परयन्त्र- परतन्त्राणि छेदय छेदय, आत्ममन्त्रतन्त्राणि रक्ष रक्ष, ग्रहं निवारय निवारय, व्याधिं विनाशय विनाशय, दुःखं हर हर, दारिद्रयं निवारय- निवारय,सर्वमन्त्रस्वरूपिणी, सर्वतन्त्रस्वरूपिणी, सर्वशिल्पप्रयोगस्वरूपिणी, सर्वतत्वस्वरूपिणी, दुष्टग्रह भूतग्रह आकाशग्रह पाषाणग्रह सर्व चाण्डालग्रह यक्षकिन्नरकिम्पुरुषग्रह भूतप्रेतपिशाचानां शाकिनी डाकिनीग्रहाणां पूर्वदिशां बन्धय बन्धय, वार्तालि मां रक्ष रक्ष, दक्षिणदिशां बन्धय बन्धय, किरातवार्तालि मां रक्ष रक्ष, पश्चिमदिशां बन्धय बन्धय , स्वप्नवार्तालि मां रक्ष रक्ष,  उत्तरदिशां बन्धय बन्धय, काली  मां रक्ष रक्ष, ऊर्ध्वदिशं  बन्धय-बन्धय, उग्रकालि मां रक्ष रक्ष, पातालदिशं  बन्धय बन्धय , बगलापरमेश्वरि मां रक्ष रक्ष, सकलरोगान् विनाशय विनाशय, शत्रू पलायनाय  पञ्चयोजनमध्ये राजजनस्त्रीवशतां   कुरु कुरु , शत्रून् दह दह, पच पच, स्तम्भय स्तम्भय, मोहय मोहय, आकर्षय आकर्षय, मम शत्रून् उच्चाटय उच्चाटय, हुम्  फट् स्वाहा |श्रीं श्रीं ||





बुधवार, 25 मार्च 2020

कोरोना वायरस नामक महामारी से मुक्ति कब तक 

विक्रम संवत  प्रमादी नाम 2077  संवत्सर के प्रारम्भ के साथ ही आज चैत्र नवरात्र का शुभारंभ आज हुआ है चैत्र नवरात्र में वैष्णव जन  रामायण का परायण करे और शैव व् शाक्त दुर्गा परायण करे | मेरे जैसे दक्षिण और वाम दोनों मार्गो में दीक्षित जन अपने गुरु निर्देशित अनुष्ठानो को पूर्ण करे | और अपने इष्ट की कृपा प्राप्त करे | संवत्सर प्रारम्भ को भी संध्या काल कहा जाता है इसलिए नवरात्र की विशेष महिमा शास्त्रों में कही गई है | नवरात्र शुभारम्भ से ही हम माई से प्रार्थना करे कि भारत में कोरोना वायरस से उत्पन्न महामारी के पर रोक लगा दे | ये संभवतः 15 जून तक पुरे भारत से खत्म हो जायेगा ऐसा गुरु का आदेश है | 

सोमवार, 23 मार्च 2020

तुलसी का दिव्य पौधा

भारतीय संस्कृति में तुलसी के पौधे का बहुत महत्व है 

और इस पौधे को बहुत पवित्र माना जाता है। ऎसा माना जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा नहीं होता उस घर में भगवान भी रहना पसंद नहीं करते। माना जाता है कि घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगा कलह और दरिद्रता दूर करता है। इसे घर के आंगन में स्थापित कर सारा परिवार सुबह-सवेरे इसकी पूजा-अर्चना करता है। यह मन और तन दोनों को स्वच्छ करती है। इसके गुणों के कारण इसे पूजनीय मानकर उसे देवी का दर्जा दिया जाता है। तुलसी केवल हमारी आस्था का प्रतीक भर नहीं है। इस पौधे में पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में भी तुलसी को महत्वपूर्ण माना गया है। भारत में सदियों से तुलसी का इस्तेमाल होता चला आ रहा है।

1. लिवर (यकृत) संबंधी समस्या: तुलसी की 10-12 

पत्तियों को गर्म पानी से धोकर रोज सुबह खाएं। लिवर की समस्याओं में यह बहुत फायदेमंद है।

2. पेटदर्द होना: एक चम्मच तुलसी की पिसी हुई पत्तियों को पानी के साथ मिलाकर गाढा पेस्ट बना लें। पेटदर्द होने पर इस लेप को नाभि और पेट के आस-पास लगाने से आराम मिलता है।

3. पाचन संबंधी समस्या : पाचन संबंधी समस्याओं जैसे दस्त लगना, पेट में गैस बनना आदि होने पर एक ग्लास पानी में 10-15 तुलसी की पत्तियां डालकर उबालें और काढा बना लें। इसमें चुटकी भर सेंधा नमक डालकर पीएं।

4. बुखार आने पर : दो कप पानी में एक चम्मच तुलसी की पत्तियों का पाउडर और एक चम्मच इलायची पाउडर मिलाकर उबालें और काढा बना लें। दिन में दो से तीन बार यह काढा पीएं। स्वाद के लिए चाहें तो इसमें दूध और चीनी भी मिला सकते हैं।

5. खांसी-जुकाम : करीब सभी कफ सीरप को बनाने में 

तुलसी का इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी की पत्तियां कफ साफ करने में मदद करती हैं। तुलसी की कोमल पत्तियों को थोडी- थोडी देर पर अदरक के साथ चबाने से खांसी-जुकाम से राहत मिलती है। चाय की पत्तियों को उबालकर पीने से गले की खराश दूर हो जाती है। इस पानी को आप गरारा करने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

6. सर्दी से बचाव : बारिश या ठंड के मौसम में सर्दी से 

बचाव के लिए तुलसी की लगभग 10-12 पत्तियों को एक कप दूध में उबालकर पीएं। सर्दी की दवा के साथ-साथ यह एक न्यूट्रिटिव ड्रिंक के रूप में भी काम करता है। सर्दी जुकाम होने पर तुलसी की पत्तियों को चाय में उबालकर पीने से राहत मिलती है। तुलसी का अर्क तेज बुखार को कम करने में भी कारगर साबित होता है।

7. श्वास की समस्या : श्वास संबंधी समस्याओं का उपचार करने में तुलसी खासी उपयोगी साबित होती है। शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा पीने से ब्रोंकाइटिस, दमा, कफ और सर्दी में राहत मिलती है। नमक, लौंग और तुलसी के पत्तों से बनाया गया काढ़ा इंफ्लुएंजा (एक तरह का बुखार) में फौरन राहत देता है।

8. गुर्दे की पथरी : तुलसी गुर्दे को मजबूत बनाती है। 

यदि किसी के गुर्दे में पथरी हो गई  तो उसे शहद में मिलाकर तुलसी के अर्क का नियमित सेवन करना चाहिए। छह महीने में फर्क दिखेगा।

9. हृदय रोग : तुलसी खून में कोलेस्ट्राल के स्तर को घटाती है। ऐसे में हृदय रोगियों के लिए यह खासी कारगर साबित होती है।
10. तनाव : तुलसी की पत्तियों में तनाव रोधीगुण भी पाए जाते हैं। तनाव को खुद से दूर रखने के लिए कोई भी व्यक्ति तुलसी के 12 पत्तों का रोज दो बार सेवन कर सकता है।

11. मुंह का संक्रमण : अल्सर और मुंह के अन्य संक्रमण में तुलसी की पत्तियां फायदेमंद साबित होती हैं। रोजाना तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है।

12. त्वचा रोग : दाद, खुजली और त्वचा की अन्य 

समस्याओं में तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है। नैचुरोपैथों द्वारा ल्यूकोडर्मा का इलाज करने में तुलसी के पत्तों को सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया गया है। तुलसी की ताजा पत्तियों को संक्रमित त्वचा पर रगडे। इससे इंफेक्शन ज्यादा नहीं फैल पाता।

13 . सांसों की दुर्गध : तुलसी की सूखी पत्तियों को 

सरसों के तेल में मिलाकर दांत साफ करने से सांसों की दुर्गध चली जाती है। पायरिया जैसी समस्या में भी यह खासा कारगर साबित होती है।

14. सिर का दर्द : सिर के दर्द में तुलसी एक बढि़या 

दवा के तौर पर काम करती है। तुलसी का काढ़ा पीने से सिर के दर्द में आराम मिलता है।

15. आंखों की समस्या : आंखों की जलन में तुलसी का 

अर्क बहुत कारगर साबित होता है। रात में रोजाना श्यामा तुलसी के अर्क को दो बूंद आंखों में डालना चाहिए।

16. कान में दर्द : तुलसी के पत्तों को सरसों के तेल में 

भून लें और लहसुन का रस मिलाकर कान में डाल लें। दर्द में आराम मिलेगा।

17. ब्लड-प्रेशर को सामान्य रखने के लिए तुलसी के 


पत्तों का सेवन करना चाहिए।


18. तुलसी के पांच पत्ते और दो काली मिर्च मिलाकर 

खाने से वात रोग दूर हो जाता है।

19. कैंसर रोग में तुलसी के पत्ते चबाकर ऊपर से पानी 

पीने से काफी लाभ मिलता है।


20. तुलसी तथा पान के पत्तों का रस बराबर मात्रा में 

मिलाकर देने से बच्चों के पेट फूलने का रोग समाप्त हो जाता है।


21. तुलसी का तेल विटामिन सी, कैल्शियम और 

फास्फोरस से भरपूर होता है।


22. तुलसी का तेल मक्खी- मच्छरों को भी दूर रखता 

है।


23. बदलते मौसम में चाय बनाते हुए हमेशा तुलसी की 

कुछ पत्तियां डाल दें। वायरल से बचाव रहेगा।


24. शहद में तुलसी की पत्तियों के रस को मिलाकर 

चाटने से चक्कर आना बंद हो जाता है।


25. तुलसी के बीज का चूर्ण दही के साथ लेने से खूनी 

बवासीर में खून आना बंद हो जाता है।


26. तुलसी के बीजों का चूर्ण दूध के साथ लेने से 

नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में वृध्दि होती है।


27. रोज सुबह तुलसी की पत्तियों के रस को एक 

चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीने से स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है। तुलसी की केवल पत्तियां ही लाभकारी नहीं होती। तुलसी के पौधे पर लगने वाले फल जिन्हें अमतौर पर मंजर कहते हैं, पत्तियों की तुलना में कहीं अघिक फायदेमंद होता है। विभिन्न रोगों में दवा और काढे के रूप में तुलसी की पत्तियों की जगह मंजर का उपयोग भी किया जा सकता है। इससे कफ द्वारा पैदा होने वाले रोगों से बचाने वाला और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला माना गया है। किंतु जब भी तुलसी के पत्ते मुंह में रखें, उन्हें दांतों से न चबाकर सीधे ही निगल लें। इसके पीछे का विज्ञान यह है कि तुलसी के पत्तों में पारा धातु के अंश होते हैं। जो चबाने पर बाहर निकलकर दांतों की सुरक्षा परत को नुकसान पहुंचाते हैं। जिससे दंत और मुख रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।


28. तुलसी का पौधा मलेरिया के कीटाणु नष्ट करता है। 
नई खोज से पता चला है इसमें कीनोल, एस्कार्बिक एसिड, केरोटिन और एल्केलाइड होते हैं। तुलसी पत्र मिला हुआ पानी पीने से कई रोग दूर हो जाते हैं। इसीलिए चरणामृत में तुलसी का पत्ता डाला जाता है। तुलसी के स्पर्श से भी रोग दूर होते हैं। तुलसी पर किए गए प्रयोगों से सिद्ध हुआ है कि रक्तचाप और पाचनतंत्र के नियमन में तथा मानसिक रोगों में यह लाभकारी है। इससे रक्तकणों की वृद्धि होती है। तुलसी ब्र्म्ह्चर्य की रक्षा करने एवं यह त्रिदोषनाशक है।