बुधवार, 17 जुलाई 2013

स्वास्थ्य के लिये टोटके

1) अगर परिवार में कोई परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तथा लगातार औषधि सेवन के पश्चात् भी 

स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तो किसी भी रविवार से आरम्भ करके लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का 

पेड़ा तथा एक लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उबार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को 

खिला दें। अवश्य ही इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति स्वस्थ महसूस करने लगेगा। अगर टोटके की अवधि में 

रोगी ठीक हो जाता है, तो भी प्रयोग को पूरा करना है, बीच में रोकना नहीं चाहिए।

2) अमावस्या को प्रात: मेंहदी का दीपक पानी मिला कर बनाएं। तेल का चौमुंहा दीपक बना कर 7 उड़द के 

दाने, कुछ सिन्दूर, 2 बूंद दही डाल कर 1 नींबू की दो फांकें शिवजी या भैरों जी के चित्र का पूजन कर, जला 

दें। महामृत्युजंय मंत्र की एक माला या बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ कर रोग-शोक दूर करने की भगवान से 

प्रार्थना कर, घर के दक्षिण की ओर दूर सूखे कुएं में नींबू सहित डाल दें। पीछे मुड़कर नहीं देखें। उस दिन 

एक ब्राह्मण -ब्राह्मणी को भोजन करा कर वस्त्रादि का दान भी कर दें। कुछ दिन तक पक्षियों, पशुओं और

 रोगियों की सेवा तथा दान-पुण्य भी करते रहें। इससे घर की बीमारी, भूत बाधा, मानसिक अशांति 

निश्चय ही दूर होती है।

3) अगर बीमार व्यक्ति ज्यादा गम्भीर हो, तो जौ का 125 पाव (सवा पाव) आटा लें। उसमें साबुत काले 

तिल मिला कर रोटी बनाएं। अच्छी तरह सेंके, जिससे वे कच्ची न रहें। फिर उस पर थोड़ा सा तिल्ली का 

तेल और गुड़ डाल कर पेड़ा बनाएं और एक तरफ लगा दें। फिर उस रोटी को बीमार व्यक्ति के ऊपर से 7 

बार वार कर किसी भैंसे को खिला दें। पीछे मुड़ कर न देखें और न कोई आवाज लगाए। भैंसा कहाँ मिलेगा, 

इसका पता पहले ही मालूम कर के रखें। भैंस को रोटी नहीं खिलानी है, केवल भैंसे को ही श्रेष्ठ रहती है। 

शनि और मंगलवार को ही यह कार्य करें।

4) पीपल के वृक्ष को प्रात: 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। ऐसा किसी भी वार से शुरू करके 7 दिन तक करें। बीमार व्यक्ति को आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा।

5) घर से बीमारी जाने का नाम न ले रही हो, किसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र ले 

कर उसे हांडी में पिरो कर रोगी के पलंग के पाये पर बांधने से आश्चर्यजनक परिणाम मिलता है। उस दिन

 से रोग समाप्त होना शुरू हो जाता है।

6) यदि आपका बच्चा बहुत जल्दी-जल्दी बीमार पड़ रहा हो और आप को लग रहा कि दवा काम नहीं कर 

रही है, डाक्टर बीमारी खोज नहीं पा रहे है। तो यह उपाय शुक्ल पक्ष की अष्टमी को करना चाहिये। आठ 

गोतमी चक्र ले और अपने पूजा स्थान में मां दुर्गा के श्रीविग्रह के सामने लाल रेशमी वस्त्र पर स्थान दें। मां 

भगवती का ध्यान करते हुये कुंकुम से गोमती चक्र पर तिलक करें। धूपबत्ती और दीपक प्रावलित करें।

धूपबत्ती की भभूत से भी गोमती चक्र को तिलक करें। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे की 11 माला जाप 

करें। जाप के उपरांत लाल कपड़े में 3 गोमती चक्र बांधकर ताबीज का रूप देकर धूप, दीप दिखाकर बच्चे के

 गले में डाल दें। शेष पांच गोमती चक्र पीले वस्त्र में बांधकर बच्चे के ऊपर से 11 बार उसार कर के किसी 

विराने स्थान में गड्डा खोदकर दबा दें। आपका बच्चा हमेशा सुखी रहेगा।

7) यदि आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है तो ---आश्विन मास की त्रयोदशी को नित्य कर्म से निपट कर 

सात्विक भाव से कुशासन पर बैठकर गोघृत का दीपक जलाकर नीचे लिखे मन्त्र का 128000 बार जाप 

करें-अच्युताय नमः अनन्ताय नमः गोविन्दाय नमः। यदि एक दिन में मन्त्र पूर्ण न हो तो दूसरे दिन 

निराहार रहकर मात्र गाय का दूध पीकर पूरा करें। इससे मन्त्र सिद्ध हो जाएगा और दशांश का इस मन्त्र से 

हवन करें। बाद में रोगी व्यक्ति के शरीर का स्पर्श करते हुए इस मन्त्र का जाप करेंगे तो रोगी व्यक्ति को 

स्वास्थ्य लाभ होगा। भगवान्‌ धन्वन्तरि का कथन है कि अच्युतानन्त गोविन्द नामोच्चारण-भेषजात्‌। 

नश्यन्ति सकला रोगाः सत्यं सत्यं वदाम्यहम्‌। अर्थात्‌ अच्युत, अनन्त और गोविन्द के नामों का मन में 

जाप करने से सम्पूर्ण रोगों का नाश हो जाता है, इसमें सन्देह नहीं है।

तुलसी एक 'दिव्य पौधा'

भारतीय संस्कृति में तुलसी के पौधे का बहुत महत्व है और इस पौधे को बहुत पवित्र 

माना जाता है। ऎसा माना जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा नहीं होता उस घर 

में भगवान भी रहना पसंद नहीं करते। माना जाता है कि घर के आंगन में तुलसी का 

पौधा लगा कलह और दरिद्रता दूर करता है। इसे घर के आंगन में स्थापित कर सारा 

परिवार सुबह-सवेरे इसकी पूजा-अर्चना करता है। यह मन और तन दोनों को स्वच्छ 

करती है। इसके गुणों के कारण इसे पूजनीय मानकर उसे देवी का दर्जा दिया जाता है। 

तुलसी केवल हमारी आस्था का प्रतीक भर नहीं है। इस पौधे में पाए जाने वाले 

औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में भी तुलसी को महत्वपूर्ण माना गया है। भारत में 

सदियों से तुलसी का इस्तेमाल होता चला आ रहा है।

1. लिवर (यकृत) संबंधी समस्या: तुलसी की 10-12 पत्तियों को गर्म पानी से धोकर 

रोज सुबह खाएं। लिवर की समस्याओं में यह बहुत फायदेमंद है।

2. पेटदर्द होना: एक चम्मच तुलसी की पिसी हुई पत्तियों को पानी के साथ मिलाकर 

गाढा पेस्ट बना लें। पेटदर्द होने पर इस लेप को नाभि और पेट के आस-पास लगाने से 

आराम मिलता है।

3. पाचन संबंधी समस्या : पाचन संबंधी समस्याओं जैसे दस्त लगना, पेट में गैस 

बनना आदि होने पर एक ग्लास पानी में 10-15 तुलसी की पत्तियां डालकर उबालें 

और काढा बना लें। इसमें चुटकी भर सेंधा नमक डालकर पीएं।

4. बुखार आने पर : दो कप पानी में एक चम्मच तुलसी की पत्तियों का पाउडर और 

एक चम्मच इलायची पाउडर मिलाकर उबालें और काढा बना लें। दिन में दो से तीन 

बार यह काढा पीएं। स्वाद के लिए चाहें तो इसमें दूध और चीनी भी मिला सकते हैं।

5. खांसी-जुकाम : करीब सभी कफ सीरप को बनाने में तुलसी का इस्तेमाल किया 

जाता है। तुलसी की पत्तियां कफ साफ करने में मदद करती हैं। तुलसी की कोमल 

पत्तियों को थोडी- थोडी देर पर अदरक के साथ चबाने से खांसी-जुकाम से राहत 

मिलती है। चाय की पत्तियों को उबालकर पीने से गले की खराश दूर हो जाती है। इस 

पानी को आप गरारा करने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

6. सर्दी से बचाव : बारिश या ठंड के मौसम में सर्दी से बचाव के लिए तुलसी की 

लगभग 10-12 पत्तियों को एक कप दूध में उबालकर पीएं। सर्दी की दवा के साथ-

साथ यह एक न्यूट्रिटिव ड्रिंक के रूप में भी काम करता है। सर्दी जुकाम होने पर तुलसी की पत्तियों को चाय में उबालकर पीने से राहत मिलती है। तुलसी का अर्क तेज बुखार को कम करने में भी कारगर साबित होता है।

7. श्वास की समस्या : श्वास संबंधी समस्याओं का उपचार करने में तुलसी खासी 

उपयोगी साबित होती है। शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा 

पीने से ब्रोंकाइटिस, दमा, कफ और सर्दी में राहत मिलती है। नमक, लौंग और तुलसी 

के पत्तों से बनाया गया काढ़ा इंफ्लुएंजा (एक तरह का बुखार) में फौरन राहत देता है।

8. गुर्दे की पथरी : तुलसी गुर्दे को मजबूत बनाती है। यदि किसी के गुर्दे में पथरी हो 

गई  तो उसे शहद में मिलाकर तुलसी के अर्क का नियमित सेवन करना चाहिए। छह 

महीने में फर्क दिखेगा।

9. हृदय रोग : तुलसी खून में कोलेस्ट्राल के स्तर को घटाती है। ऐसे में हृदय रोगियों 

के लिए यह खासी कारगर साबित होती है।
10. तनाव : तुलसी की पत्तियों में तनाव रोधीगुण भी पाए जाते हैं। तनाव को खुद से दूर रखने के लिए कोई भी व्यक्ति तुलसी के 12 पत्तों का रोज दो बार सेवन कर सकता है।

11. मुंह का संक्रमण : अल्सर और मुंह के अन्य संक्रमण में तुलसी की पत्तियां 

फायदेमंद साबित होती हैं। रोजाना तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का 

संक्रमण दूर हो जाता है।

12. त्वचा रोग : दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में तुलसी के अर्क को 

प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है। नैचुरोपैथों द्वारा 

ल्यूकोडर्मा का इलाज करने में तुलसी के पत्तों को सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया 

गया है। तुलसी की ताजा पत्तियों को संक्रमित त्वचा पर रगडे। इससे इंफेक्शन ज्यादा नहीं फैल पाता।

13 . सांसों की दुर्गध : तुलसी की सूखी पत्तियों को सरसों के तेल में मिलाकर दांत 

साफ करने से सांसों की दुर्गध चली जाती है। पायरिया जैसी समस्या में भी यह खासा 

कारगर साबित होती है।

14. सिर का दर्द : सिर के दर्द में तुलसी एक बढि़या दवा के तौर पर काम करती है। 

तुलसी का काढ़ा पीने से सिर के दर्द में आराम मिलता है।

15. आंखों की समस्या : आंखों की जलन में तुलसी का अर्क बहुत कारगर साबित 

होता है। रात में रोजाना श्यामा तुलसी के अर्क को दो बूंद आंखों में डालना चाहिए।

16. कान में दर्द : तुलसी के पत्तों को सरसों के तेल में भून लें और लहसुन का रस 

मिलाकर कान में डाल लें। दर्द में आराम मिलेगा।

17. ब्लड-प्रेशर को सामान्य रखने के लिए तुलसी के पत्तों का सेवन करना चाहिए।

18. तुलसी के पांच पत्ते और दो काली मिर्च मिलाकर खाने से वात रोग दूर हो जाता 

है।

19. कैंसर रोग में तुलसी के पत्ते चबाकर ऊपर से पानी पीने से काफी लाभ मिलता है।

20. तुलसी तथा पान के पत्तों का रस बराबर मात्रा में मिलाकर देने से बच्चों के पेट 

फूलने का रोग समाप्त हो जाता है।

21. तुलसी का तेल विटामिन सी, कैल्शियम और फास्फोरस से भरपूर होता है।

22. तुलसी का तेल मक्खी- मच्छरों को भी दूर रखता है।

23. बदलते मौसम में चाय बनाते हुए हमेशा तुलसी की कुछ पत्तियां डाल दें। वायरल 

से बचाव रहेगा।

24. शहद में तुलसी की पत्तियों के रस को मिलाकर चाटने से चक्कर आना बंद हो 

जाता है।

25. तुलसी के बीज का चूर्ण दही के साथ लेने से खूनी बवासीर में खून आना बंद हो 

जाता है।

26. तुलसी के बीजों का चूर्ण दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-

शक्ति में वृध्दि होती है।

27. रोज सुबह तुलसी की पत्तियों के रस को एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीने 

से स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है। तुलसी की केवल पत्तियां ही लाभकारी नहीं होती। 

तुलसी के पौधे पर लगने वाले फल जिन्हें अमतौर पर मंजर कहते हैं, पत्तियों की 

तुलना में कहीं अघिक फायदेमंद होता है। विभिन्न रोगों में दवा और काढे के रूप में 

तुलसी की पत्तियों की जगह मंजर का उपयोग भी किया जा सकता है। इससे कफ 

द्वारा पैदा होने वाले रोगों से बचाने वाला और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने 

वाला माना गया है। किंतु जब भी तुलसी के पत्ते मुंह में रखें, उन्हें दांतों से न चबाकर 

सीधे ही निगल लें। इसके पीछे का विज्ञान यह है कि तुलसी के पत्तों में पारा धातु के 

अंश होते हैं। जो चबाने पर बाहर निकलकर दांतों की सुरक्षा परत को नुकसान पहुंचाते 

हैं। जिससे दंत और मुख रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।

28. तुलसी का पौधा मलेरिया के कीटाणु नष्ट करता है। नई खोज से पता चला है 

इसमें कीनोल, एस्कार्बिक एसिड, केरोटिन और एल्केलाइड होते हैं। तुलसी पत्र मिला 

हुआ पानी पीने से कई रोग दूर हो जाते हैं। इसीलिए चरणामृत में तुलसी का पत्ता 

डाला जाता है। तुलसी के स्पर्श से भी रोग दूर होते हैं। तुलसी पर किए गए प्रयोगों से 

सिद्ध हुआ है कि रक्तचाप और पाचनतंत्र के नियमन में तथा मानसिक रोगों में यह 

लाभकारी है। इससे रक्तकणों की वृद्धि होती है। तुलसी ब्र्म्ह्चर्य की रक्षा करने एवं यह 

त्रिदोषनाशक है।

शनिवार, 13 जुलाई 2013

धर्मनिरपेक्षता है एक राक्षसी भावना

धर्म की बड़ी विस्तृत परिभाषा है। इसके विभिन्न स्वरूप हैं। संसार की सबसे प्यारी चीज का नाम है-धर्म। आप सड़क पर चले जा रहे हैं, किसी की अचानक दुर्घटना हो जाती है, आप रूकते हैं, और अपने आप ही उधर सहायता के लिए दौड़ पड़ते है। सहायता के लिए आपके हृदय में करूणा उमड़ी-इस प्रकार आपकी करूणा का यह भाव उस समय आपका धर्म बन गया। जिसने भीतर की जाति, पंथ, सम्प्रदाय की कई दीवारों को गिराया और करूणा की नौका पर तैरती आ रही आपकी मानवता किसी के प्राणों की रक्षक बन गयी। कहीं यह आपका धर्म किसी के प्रति संवेदना व्यक्त करने में प्रकट होता है, कहीं सहानुभूति व्यक्त करने में प्रकट होता है। कहीं कोई कसाई मुर्गा, बकरा या किसी अन्य पशु को काट रहा होता है तो वहां आप दयाभाव से भर जाते हैं, तब आपका धर्म आपका दयाभाव बनकर आता है। कहीं आप किसी पर कृपालु हो जाते हैं तो आपकी कृपालुता वहां आपका धर्म बन जाती है।af उत्तेजना के क्षणों में आपका धर्म आपके लिए संयम, मोह के क्षणों में समभाव, घृणा के क्षणों में सदभाव, अकर्त्तव्य में कर्त्तव्यनिष्ठा, द्वेष में सम्मैत्री, शोक में उत्साह, रोग में जयवीविषा, अज्ञान में जिज्ञासा, आपत्ति में धैर्य, संबंधों की कटुता में सरसता, निंदा चुगली में वाचिक तप, बड़प्पन मिलने पर अहंकार शून्यता, स्वास्थ्य के लिए शरीर साधना, भवपार पाने के लिए ईश्वर की आराधना, आपके कार्यालय में अनुशासन का भाव इत्यादि बन जाता है। ये सभी धर्म के विभिन्न स्वरूप हैं। ये सारे भाव हमारी मानवता को ही बलवती करते हेँ उसे मुखरित करते हैं, और अंतत: उसी में विलीन हो जाते हैं। यह स्वचालित व्यवस्था है जो सारे विश्व को संचालित कर रही है। इन और इन जैसे जीवन प्रद भावों को अपनाकर चलना प्रत्येक मनुष्य के लिए उत्तम है। यही मेधा की उपासना है। क्योंकि संसार के प्रत्येक झंझावात में हमारी मेधा ही हमारा मार्गदर्शन करती है। ऐसे दिव्य भावों को अपनाकर चलना ही धर्म सापेक्षता कहलाती है। इन उच्च और जीवनप्रद भावों को न अपनाना ही धर्म निरपेक्षता है। इस प्रकार धर्मनिरपेक्षता एक राक्षसी भावना है जो व्यक्ति को संयम के स्थान पर उत्तेजित करना, समभाव के स्थान पर मोह में फंसना, कर्त्तव्यनिष्ठा के स्थान पर अकर्त्तव्य इत्यादि धर्म के विपरीत आचरण करना सिखाती है। इस प्रकार स्पष्टï हो जाता है कि धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा कितनी खोखली है और मानवता के लिए कितनी हानिकारक है? वास्तव में यह धर्मनिरपेक्षता मजहबी पूर्वाग्रहों को बढ़ावा देती है। भारत के वेद, उपनिषद इत्यादि धर्म ग्रंथ अथवा आर्षग्रंथ धर्म के विभिन्न स्वरूपों को जीवन साधना का एक संगीत बनाकर प्रस्तुत करते हैं। मानो ये सबके सब हर प्रकार से धर्म को बलवती कर रहे हैं। आज इसी साधना को सरल ढंग से ‘हिंदुत्व’ प्रस्तुत कर रहा है। इसीलिए हिंदुत्व को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एक जीवन पद्घति माना है, यह कोई सम्प्रदाय नही माना गया है। हिंदुत्व उच्च मानवीय जीवन के सारे मूल्यों को समाहित करके चलता है और वह मानवता का विकास चाहता है, उसके किसी अंग या भाग का नही। इसलिए हिंदुत्व को इस देश का प्राणतत्व घोषित करने की आवश्यकता है क्योंकि हिंदुत्व का लक्ष्य किसी को सताना नही है, अपितु सबका सब प्रकार से विकास करना और विकास के अवसर उपलब्ध कराना उसका लक्ष्य है। हमारा धर्म हमें संकीर्णताओं से मुक्त हर हमारे व्यक्तित्व को विस्तार देता है। जबकि मजहब हमें संकीर्णताओं में जकड़ता है। धर्म हमें विस्तार देता है और कहता है कि हाथों को खोल दो, फेेला दो, सबके प्रति सम्मैत्री के लिए, प्रेम के लिए, सहृदयता के लिए, सहानुभूति के लिए। एक व्यवस्था स्थापित कर दो संपूर्ण संसार में। जिससे सबके मध्य ऐसा प्रेमपूर्ण संबंध स्थापित हो जाए कि सारी मानवता एक परिवार बन जाए। अपने धर्म को शांति और व्यवस्था का पर्याय बना दो और इनके बीच ऐसा सामंजस्य स्थापित कर दो कि टूटे से भी ना टूट पाए। वेद ने हमें इस विषय में बड़े प्यार और रसभरे शब्दों में समझाया है। वेद ने जब हमसे कहा कि तू धर्म पर चल तो उस धर्म के लिए वेद ने शांतिपाठ की रचना की। क्योंकि धर्म और शांति का अन्योन्याश्रित संबंध है। उपद्रव, उत्पात, उन्माद और प्रत्येक प्रकार का उग्रवाद शांति में ही शामिल होता है। हमारे भीतरी जगत में यदि ये सारे विकार हैं तो बाहरी संसार शांतिमयी हो ही नही सकता। इसलिए हमारी आराधना, हमारी प्रार्थना, हमारी याचना और हमारी कामना अंन्तर्मुखी होनी चाहिए। पहले अंतर्मन पवित्र होना चाहिए। तब बाहर शांति होगी, इसलिए धर्म हमारी अंतर्मुखी प्रवृत्ति का नाम है। वह हमारे भीतरी जगत को शांत, पवित्र और निर्मल बनाता है, उसे सहज, सरल और उत्तम बनाता है। जबकि मजहब हमारे भीतरी जगत में व्याप्त उपद्रव, उत्पात, उन्माद और उग्रवाद की बारूद के ढेर में आग लगाता है। इसलिए मजहबी उन्माद से ग्रस्त व्यक्ति ‘फिदायीन’ बन जाता है। आज के विश्व की समस्या ही ये है कि हर व्यक्ति एक ‘फिदायीन’ बना घूम रहा है। भीतरी जगत में जातपात पंथ, सम्प्रदाय, भाषा, प्रांत, क्षेत्र, गांव, परिवार आदि की बड़ी बडी दीवारें खड़ी हैं। संकीर्णताओं के घेरे में आत्मा रूपी पंछी तड़प रहा है। आईए!वेद की शांति के आदर्श का रसास्वादन लेते हैं। ओउम् द्यौ: शन्तिरन्तरिक्षं शान्ति: पृथिवी शान्तिराप: शांति रोषधय: शांन्ति। वनस्पतय: शांन्तिर्विश्वे देवा: शांनितर्ब्रहम् शांति: सर्व शान्ति: शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्ति रेधि। (यजु. 26/16)
वेद ने कहा कि द्यौ, अंतरिक्ष, पृथ्वी, जल, औषधियां, वनस्पतियां, संपूर्ण विश्व, विश्व का रचयिता ब्रह्म और स्वयं शान्ति की भावना ये सब अपने आप में शांत हैं, व्यवस्थित हैं, पूरी तरह सिस्टेमेटिक है, कहीं कोई उपद्रव नही, उत्पात नही, किसी प्रकार का कोई उग्रवाद नही। सारे के सारे अपने मर्यादा पथ में रहकर या अपनी अपनी साधना में लगे रहकर शान्ति का संगीत निकाल रहे हैं। हे, अशान्त मना मानव ! तू शांति के इस संगीत का, मधुरस का दीवाना बन और फिर बड़ी मस्ती से उस दीनदयालु ईश्वर से कह कि ‘शांन्ति: सा मा’ अर्थात जिस व्यवस्था से द्यौलोक से लेकर वनस्पतियां तक व्यवस्थित हैं, शांति में झूम रही हंै, वही शांति हे जगन्नियन्ता तू मुझे भी दे। सारा संसार आज अव्यवस्थित है। इसके शांति के गीत में भी अव्यवस्था है, असंतुलन है, संकीर्णता है, और कुटिलता है। लीग ऑफ नेशन्स की स्थापना इसने शांति के लिए की, लेकिन विभिन्न देशों से करोड़ों डालर खर्च कराके बनी वह शानदार बिल्डिंग विश्व में शांति का मंदिर नही बन पायी। क्योंकि वहां जितने भर भी पुजारी बैठे थे वे सब के सब स्वयंभू पुजारी थे। किसी की भी पूजा के पीछे साधना की शक्ति नही थी, भक्ति नही थी। सबके सब एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए स्वयं अव्यवस्थित असंतुलित और कुटिल होकर बैठे थे। परिणाम स्वरूप विश्व और भी अधिक तनाव की ओर बढ़ने लगा और द्वितीय विश्व युद्घ की विनाशकारी विभीषिकाओं में जाकर भारी विनाश का साक्षी बना। कारण था कि धर्म को व्यवस्था का और शांति का पर्यायवाची नही माना गया। बल्कि धर्म को (मजहब को) परस्पर ईर्ष्याभाव, द्वेषभाव व घ़णा के भावों का पर्याय बना दिया गया ये समझा ही नही गया कि शांति कहते किसे हैं, और इसकी मूल परिकल्पना का आधार क्या है? द्यौ से लेकर वनस्पतियों को किसी सृष्टïा की बेतरतीब चीजें समझा गया और माना गया कि इन सबमें उत्तम तो मानव है। इसलिए उसे किसी के धर्म को समझने की और उसका अनुकरण करने की आवश्यकता नही है। धर्म तो हम बनाएंगे, हम स्थापित करेंगे और अपने अपने धर्म में सारी मानवता को रंगने के लिए तलवारों का सहारा लेंगे। भौतिक धर्म नैसर्गिक धर्म पर हावी हो गया, फलस्वरूप सारा संसार अव्यवस्था और अशांति का शिकार हो गया। दुर्भाग्य है इस मानवता का कि आज भी इस विश्व में व्यवस्था के कथित पैरोकार भौतिक धर्मों की शरण में जाकर ही विश्वशांति की तलाश कर रहे हैं। नैसर्गिक और वास्तविक धर्म कहीं विस्मृत कर दिया गया।
हमारे ऋषि पूर्वजों को वेद ने बताया था-
ओउम! यां मेधां देवगणा: पितरश्चोपासते।
तया मामद्य मेधयाग्ने मेधाविनं कुरू:।।
अर्थात शांति और व्यवस्था की स्थापना के लिए जिस मेधा की उपासना हमारे ऋषि पूर्वज देवगण करते आए हैं, आज बुद्घि प्रदाता दयानिधे…! वही मेधा तू मुझे भी दे। ऐसी मेधा जो संकीर्णताओं से मुक्त हो, जो मेरे व्यक्तित्व को विस्तार दे जो मुझे सबका और सबको मेरा बनाने में सहायता करे, मुझे दो। मैं सारे जगत में व्याप्त धर्म की व्यवस्था के मदमस्त संगीत का रसिया बनूं, और उस संगीत से झरने वाले अमृत रस को सारे संसार में बिखेरता घूमूं, जिससे कि विश्व में सर्वत्र ज्योतिर्लिंग स्थापित हो जाए। शांति की ऐसी प्रार्थना कहीं पर भी नही है। इसीलिए आज शांति के कहीं दर्शन नही हैं। विश्व को धर्म के नाम पर भ्रमित किया जा रहा है। जो धर्म है उसकी चर्चा नही होती और जो धर्म नही है उसे पूजा जा रहा है। उसी के नाम पर विश्व में खेमे बंदियां बढ़ रही हैं, उग्रवाद, आतंकवाद, उन्माद, उत्पात इत्यादि फैल रहे हैं। इन सबके बीच में शांति खोजी जा रही है। मरने पर शांति के द्वीप जलाए जाते हैं, मजारों पर रोशनी की जाती है, और जीते जी द्वीपों को बुझाया जाता है अंधेरा फैलाया जाता है। इस दोरंगी चालों के बीच शांति या तो शमशान में मिल रही है या फिर आतंकी घटनाओं के बाद फैली लाशों के पास दीखती है। यह अलग बात है कि आप उसे शांति की संज्ञा ना दें। परंतु आज के विश्व का सच यही है। धर्मनिरपेक्षता धर्म से निरपेक्ष भावों को बताती है। बात स्पष्टï है कि जीवनप्रद मूल्यों के विपरीत आचरण करना ही धर्मनिरपेक्षता है, जबकि मनुष्य के लिए धर्म से निरपेक्ष रह पाना संभव नही है। यदि मनुष्य ऐसी सोच बनाता है तो निश्चित रूप से यह उसके विनाश का रास्ता है। आवश्यकता धर्म के विषय में भ्रमित होने की नही है, अपितु धर्म के वास्तविक स्वरूप को समझकर आत्मसात करने की है।

श्री शिवाष्टक

जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,

जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे,

जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,

जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,

निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥


जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,


मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,


त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,


काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,


नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।


पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,


किस मुख से हे गुणातीत प्रभु तव अपार गुण वर्णन हो,


जय भवकारक , तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,


दीन दुःख हर सर्व सु:खकर, प्रेम सुधाकर की जय हो ,


पार लगा दो भव सागर से, बनकर कर्णाधार हरे।


पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥


जय मन भावन, जय अति पावन, शोक नशावन शिव शम्भो ,


विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,


सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,


मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,


विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।


पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥


भोलानाथ कृपालु दयामय, औढरदानी शिव योगी,


सरल हृदय,अतिकरुणा सागर, अकथ-कहानी शिव योगी,

निमिष में देते हैं,नवनिधि मन मानी शिव योगी,

भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी,

स्वयम्‌ अकिंचन,जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

आशुतोष! इस मोह-मयी निद्रा से मुझे जगा देना,


विषम-वेदना, से विषयों की मायाधीश छड़ा देना,


रूप सुधा की एक बूँद से जीवन मुक्त बना देना,


दिव्य-ज्ञान- भंडार-युगल-चरणों को लगन लगा देना,


एक बार इस मन मंदिर में कीजे पद-संचार हरे।


पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥


दानी हो, दो भिक्षा में अपनी अनपायनि भक्ति प्रभो,


शक्तिमान हो, दो अविचल निष्काम प्रेम की शक्ति प्रभो,


त्यागी हो, दो इस असार-संसार से पूर्ण विरक्ति प्रभो,


परमपिता हो, दो तुम अपने चरणों में अनुरक्ति प्रभो,


स्वामी हो निज सेवक की सुन लेना करुणा पुकार हरे।


पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥


तुम बिन व्याकुल हूँ प्राणेश्वर, आ जाओ भगवन्त हरे,


चरण शरण की बाँह गहो, हे उमारमण प्रियकन्त हरे,


विरह व्यथित हूँ दीन दुःखी हूँ दीन दयालु अनन्त हरे,


आओ तुम मेरे हो जाओ, आ जाओ श्रीमंत हरे,


मेरी इस दयनीय दशा पर कुछ तो करो विचार हरे।


पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥


॥ इति श्री शिवाष्टक स्तोत्रं संपूर्णम्‌ ॥

कैसे करे भैरवनाथ को प्रसन्न

कैसे करे भैरवनाथ को प्रसन्न :-
भैरवनाथ को काले वस्त्र और नारियल का भोग लगाना चाहिए .
कुत्तों को भोजन अवश्य खिलाना चाहिए,
काले रंग के कुते को पालने से भैरव प्रसन्न होते हैं 

भैरव जी के प्रमुख दो रूप :- 1:-बटुक भैरव, 2:-काल भैरव
बटुक भैरव : 'बटुकाख्यस्य देवस्य भैरवस्य महात्मन:। ब्रह्मा विष्णु, महेशाधैर्वन्दित दयानिधे।।'- अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महेशादि देवों द्वारा वंदित बटुक नाम से प्रसिद्ध इन भैरव देव की उपासना कल्पवृक्ष के समान फलदायी है। बटुक भैरव भगवान का बाल रूप है। इन्हें आनंद भैरव भी कहते हैं। उक्त सौम्य स्वरूप की आराधना शीघ्र फलदायी है। यह कार्य में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। उक्त आराधना के लिए मंत्र है- ।।ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाचतु य कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ।।
काल भैरव : यह भगवान का साहसिक युवा रूप है। उक्त रूप की आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय की प्राप्ति होती है। व्यक्ति में साहस का संचार होता है। सभी तरह के भय से मुक्ति मिलती है। काल भैरव को शंकर का रुद्रावतार माना जाता है। काल भैरव की आराधना के लिए मंत्र है- ।।ॐ भैरवाय नम:।।
प्रसिद्ध भैरव मंत्र :-
ॐ भं भैरवाय नमः ,
ॐ काल भैरवाय नमः ,
ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।

प्रसिद्ध भैरव मंदिर :
1:-काशी का काल भैरव मंदिर सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर से भैरव मंदिर कोई डेढ़-दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
2:-नई दिल्ली के विनय मार्ग पर नेहरू पार्क में बटुक भैरव का पांडवकालीन मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध है।
3:-उज्जैन के काल भैरव की प्रसिद्धि का कारण भी ऐतिहासिक और तांत्रिक है।
4:-नैनीताल के समीप घोड़ा खाड़ का बटुकभैरव मंदिर भी अत्यंत प्रसिद्ध है। यहाँ गोलू देवता के नाम से भैरव की प्रसिद्धि है।

लाभकारी उपाय

दांपत्य सुख हेतु उपाय
माताएँ बहने रोज स्नान करने के बाद पार्वती माता का स्मरण करते-करते उत्तर दिशा की ओर मुख करके तिलक करें और पार्वती माता को इस मंत्र से वंदन करें – ॐ ह्रीं गौर्यै नमः। इससे बहनों के सौभाग्य की खूब रक्षा होगी तथा घर में सुख शान्ति और समृद्धि बढ़ेगी। घर के ईशान कोण में तुलसी रखना शुभ होता है। द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा और रविवार को तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए। बाकी के दिनों में तोड़ें तो || ॐ सुप्रभायै नमः, ॐ सुभद्रायै नमः। बोलते हुए तोड़ें, इससे तुलसीपत्र दैवी औषधि का काम करेगा। तुलसी के पौधे को जल देते समय यह मंत्र बोलें-|| महाप्रसादजननी सर्वसौभाग्यवर्द्धिनी। आधिव्याधिहरा नित्यं तुलसी त्वं नमोऽस्तु ते।।
यदि पति से झगड़ा होता है तो शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को पत्नी अशोक वृक्ष की जड़ में घी का दीपक और चंदन की अगरबत्ती जलाए, नैवेद्य चढ़ाए। पेड़ को जल अर्पित करते समय उससे अपनी कामना करनी चाहिए। फिर वृक्ष से सात पत्तो तोड़कर घर लाएं, श्रध्दा से उनकी पूजा करें व घर के मंदिर में रख दे। अगले सोमवार फिर से यह उपासना करे तथा सूखे पत्तां को बहते जल में प्रवाहित कर दें।

सुख-समृद्धि हेतु उपाय
घर में समृद्धि लाने हेतु घर के उत्तरपश्चिम के कोण (वायव्य कोण) में सुन्दर से मिट्टी के बर्तन में कुछ सोने-चांदी के सिक्के, लाल कपड़े में बांध कर रखें। फिर बर्तन को गेहूं या चावल से भर दें। ऐसा करने से घर में धन का अभाव नहीं रहेगा।
प्रत्येक मंगलवार को 11 पीपल के पत्ते लें। उनको गंगाजल से अच्छी तरह धोकर लाल चन्दन से हर पत्ते पर 7 बार राम लिखें। इसके बाद हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएं तथा वहां प्रसाद बाटें और इस मंत्र का जाप जितना कर सकते हो करें। `जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करो गुरू देव की नांई´ 7 मंगलवार लगातार जप करें। प्रयोग गोपनीय रखें। अवश्य लाभ होगा।
कलह, अशांति व ज्यादा खर्च शनि तंत्र: एक सफेद कागज एक ओर काले काजल से रंग दीजिये, सफेद तरफ लिखिये-- ऊँ नीला जल समाभाषम रवि पुत्रः यमाग्रजम छाया मार्तण्ड जय भूतम्तम नमामि शनिश्चरम ||पीपल के वृक्ष के नीचे सूर्यास्त के १५ मिनिट बाद पश्चिम दिशा की ओर मुँह करके दीपक सरसों के तेल की ७ बूँदे डालकर जला दें | कागज को जमीन पर बिछाकर (मंत्र वाली तरफ से ऊपर रखना है) | "धनम देहि" ७ बार ७ दाने उङद के उस कागज पर डालने हैं | कागज के ७ टुकड़े करके सातों पर अलग अलग नंबर लिख लें १,२,३,४,५,६,७, उनमें से ३ कागज की गोली उठा लीजिये, यह अंक शुभ होंगे | यह लगातार ७ शनिवार करना है |

गुरुवार, 11 जुलाई 2013

तांत्रिक उपायः गोमती चक्र

1- धन लाभ के लिए 11 गोमती चक्र अपने पूजा स्थान में रखें। उनके सामने श्री नम: का जप करें। इससे आप जो भी कार्य या व्यवसाय करते हैं उसमें बरकत होगी और आमदनी बढऩे लगेगी।

2 - पेट संबंधी रोग होने पर 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल दें तथा सुबह उस पानी को पी लें। इससे पेट से संबंधित रोगों में लाभ मिलता है।

3- गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य धातु की डिब्बी में सिंदूर तथा चावल डालकर रखें तो ये शीघ्र शुभ फल देते हैं।

4- होली, दीवाली तथा नवरात्र आदि प्रमुख त्योहारों पर गोमती चक्र की विशेष पूजा की जाती है। अन्य विभिन्न मुहूर्तों के अवसर पर भी इनकी पूजा लाभदायक मानी जाती है। सर्वसिद्धि योग तथा रविपुष्य योग पर इनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।

5- यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव हो तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर घुमाकर आग में डाल दें तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है।

6- यदि घर में बीमारी हो या किसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर उसे चांदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर बांध दें। उसी दिन से रोगी को आराम मिलने लगता है।

7- प्रमोशन नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें और सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करें। निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जाएंगे।

8- व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उसे बांधकर ऊपर चौखट पर लटका दें और ग्राहक उसके नीचे से निकले तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है।

9- पति-पत्नी में मतभेद हो तो तीन गोमती चक्र लेकर घर के दक्षिण में हलूं बलजाद कहकर फेंद दें, मतभेद समाप्त हो जाएगा।

10- पुत्र प्राप्ति के लिए पांच गोमती चक्र लेकर किसी नदी या तालाब में हिलि हिलि मिलि मिलि चिलि चिलि हुक पांच बोलकर विसर्जित करें, पुत्र प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

11- यदि बार-बार गर्भ गिर रहा हो तो दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बांधकर कमर में बांध दें तो गर्भ गिरना बंद हो जाता है।

12- यदि कोई कचहरी जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखकर उस पर दाहिना पांव रखकर जाए तो उस दिन कोर्ट-कचहरी में सफलता प्राप्त होती है।

13- यदि शत्रु बढ़ गए हों तो जितने अक्षर का शत्रु का नाम है उतने गोमती चक्र लेकर उस पर शत्रु का नाम लिखकर उन्हें जमीन में गाड़ दें तो शत्रु परास्त हो जाएंगे।

बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

दिल्ली में मुख्यमंती शीला दीक्षित और बिजली कंपनियों द्वारा खुली लूट ! 
आइये हम सब एकजुट होकर इसका विरोध करें ।

दिल्ली सरकार और बिजली कंपनियों की साँठगाठ से बढे बिजली के दाम ।

बजली के दाम घटाने वाला आदेश दबा दिया गया ।

निम्लिखित तथ्यों  पर गौर करें :-

1.        दिल्ली में जब वितरण निजी कंपनियों को सौपा गया तब बिजली विभाग की करीब 2000 करोड़ रुपये    
           की सरकारी संपत्ति टाटा और रिलायंस की वितरण कंपनियों को मात्र  एक रुपया प्रति माह किराये पर 
           दे दी गयी ।

2.        ये कंपनिया भरी मुनाफा कमा रही है लेकिन इन्होने अपने खतों में धोखाधड़ी और फर्जीवाडा करके 
           घाटा दिखाते हुए साल 2010-2011 के लिए बिजली के दाम 50-70 प्रतिशत तक बढाने की मांग कर दी 

3.       दिल्ली बिजली नियामक आयोग (DERC) के तत्कालीन अध्यक्ष श्री बरजिंदर सिंह ने बिजली वितरण 
          कंपनियों के अकाउंट की जाँच कराइ और उसमे कई धांधलियाँ  पकड़ी ।

4.      बिजली के दाम बढाने की मांगो को ख़ारिज करते हुए श्री बरजिंदर सिंह ने उल्टा बिजली कंपनियों को 
         बिजली के दाम 23 प्रतिशत घटाने का आदेश तैयार किया । श्री बरजिंदर सिंह जी के हिसाब से पिछले 
         पांच सालो में भी दिल्ली में बिजली के दाम गलत बढ़ाये गए ।

5.     दोनों कंपनिया दौड़ी-दौड़ी  मुख्यमंती श्रीमती शीला दीक्षित के पास इस आदेश को रुकवाने के लिए पहुंची 

6.     श्रीमती शीला दीक्षित ने कंपनियों का पक्ष लिया और गैर कानूनी ढंग से श्री बरजिंदर सिंह को आदेश 
        पारित करने से रोका ।

7.     मामला कोर्ट में गया । दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और कंपनियों को  लताड़ा । हाईकोर्ट ने  DERC
        को एक नया आदेश तैयार करने को कहा ।  दुर्भाग्यवश तब तक DERC के अध्यक्ष श्री बरजिंदर सिंह 
        रिटायर हो गए ।

8.    DERC के नए अध्यक्ष श्री पी  सुधाकर ने एक नया आदेश तैयार किया और साल 2011-2012 के लिए 
       बिजली के दाम 100 प्रतिशत तक बढ़ने की मंजूरी दे दी । यह आदेश इस साल जुलाई से लागु हो चूका है ।
       क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है की श्री बरजिंदर सिंह जी के हिसाब से दिल्ली में बिजली के दाम 23 प्रतिशत 
       कम होने चाहिए थे और श्री सुधाकर के हिसाब से बिजली के दाम 100 प्रतिशत बढा दिए गए ?
       श्री सुधाकर जी ने ऐसा क्यों किया ???????????????????????????????

9.    बिजली कंपनिया कैसे रिश्वत देती है ये भी सामने आ गया है ।  श्री वी  के सूद 2004 तक  DERC  के 
       अध्यक्ष थे । और श्री सूद के रिटायर होने के तुरंत बाद रिलायंस कंपनी ने उन्हें उड़ीसा में अपनी दो 
       कंपनियों का CEO और एक कंपनी में डारेक्टर बना दिया । क्या यह सीधे-सीधे  रिश्वतखोरी नहीं है ।

10. श्री बरजिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखा था की कानून बनाया जाये की चेयरमैन या मेम्बर रिटायर होने 
      बाद किसी प्राइवेट कंपनी में नोकरी न कर सके ।  परन्तु श्रीमती शीला दीक्षित ने ऐसा करने से साफ 
      मना कर दिया ।  श्री पी सुधाकर को भी बिजली कंपनी वाले रिटायरमेंट के बाद बढ़िया नोकरी दे देंगे ।

11. भाजपा  ने श्री बरजिंदर सिंह के आदेश की कापी RTI के माध्यम से निकलवाकर बहुत पहले से रखी  हुई 
      है । पर उन्होंने इस मामले में आजतक कुछ नहीं किया । भाजपा चुप क्यों है ? क्या वो भी बिजली 
      कंपनियों से मिली हुई है ?

12. दिल्ली के कुछ भागो में पानी सप्लाई विदेशी कंपनियों को दे दी गयी है धीरे धीरे पूरी दिल्ली की पानी 
      सप्लाई विदेशी कंपनियों को दे दी जाएगी । इन कंपनियों को फायदा पहुचने के लिए पानी के दाम भी 
      बिजली की तरह ही अनाप शनाप बढ़ा  दिए गए है।

हमारी मांग है की बिजली के दाम बढ़ने के आदेश वापस लिए जाएँ और बिजली कंपनियों की CAG से आडिट जाँच कराइ जाये । इसी तरह पानी के दाम बढ़ने के भी आदेश वापस लिए जाएँ ।

दिल्ली के लोग अब इकट्ठे हो रहे है  बिजली और पानी के बिल दने बंद कर रहे है। आपसे निवेदन है की आप भी बिजली और पानी के बिल दने बंद कर दे ।

आप पूंछेंगे की बिजली विभाग के लोग बिजली काटने आयें तो ? डरें नहीं । साडी दिल्ली के लोग संगठित हो रहे है । यदि आपकी बिजली काटने आते है तो आप  = 09718500606 = पर तुरंत समपर्क करें, दिल्ली के कई लोग तुरंत आपका साथ देने के लिए आपके पास पहुँच जायेंगे । सब मिलकर आपकी बिजली दोबारा जोड़ेंगे ।
सुचना मिलने पर अरविन्द केजरीवाल एवं अन्य साथी भी जल्द से जल्द मौके पर पहुचने की कोशिश करेंगे 

यदि आपके घर की बिजली कटती है या आप आन्दोलन से जुड़ना चाहते है तो निम्न फोन नम्बरों पर संपर्क करें।

सुरेंदर - 0921600451, श्याम सुन्दर - 09313629129, बन्दना कुमारी - 09310504236, 
जयदेव सिंह - 09212216538, उज्जवल - 09868114014, अशोक के यादव- 09811353033.


रविवार, 5 जून 2011

सभी देशवासियों से एक अपील

सभी देशवासियों से एक अपील:-

दिल्ली के रामलीला मैदान में आधी रात को जो जुल्म पुलिस ने शासन के आदेश से सोये हुए लोगो पर ढाए है वो कतई सहन करने लायक नहीं है| इस घटना की जितनी निंदा की जाये उतनी कम है| 
ये सरकार लोगो को  बाबा रामदेव के समर्थन में भ्रष्टाचार के खिलाफ शांति पूर्ण विरोध प्रदर्शन भी नहीं करने दे रही है | मैंने तो ये पुस्तकों में ही पढ़ा था की गाँधी जी के शांतिपूर्ण आन्दोलनों को अंग्रेज सरकार बड़ी बर्बरता से कुचलती  थी | ऐसा ही कुछ आज टी वी चैनलो में देखने को मिला वो इस सरकार की सच्चाई कुछ इस तरह बयां कर रहे है की ये सरकार भ्रष्टाचारियो के समर्थन में खडी दीख रही है  और भ्रष्टाचार विरोधियों का दमन करा रही है
मेरा केवल यही निवेदन है की हम सब भ्रष्टाचार के खिलाफ इकट्ठे खड़े हो और आने वाले चुनाव में जो दल काले धन को विदेशो से वापस  लाने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जन जाग्रति और सख्त कानून बनाने पर सहमत हो उसे सहयोग करे | हम सब भ्रष्टाचार विरोधी मुहीम में बाबा रामदेव और अन्ना  हजारे जी के साथ हो | (वर्तमान सरकार भ्रष्टाचारियो का संगठन है इसीलिए ये भ्रष्टाचर विरोध का  दमन कर रही है | इसके कार्यकाल में भ्रष्टाचार चरम पर है )

गुरुवार, 10 मार्च 2011

मनोकामना पूरक श्री बगलामुखी मंत्र

 मनोकामना पूरक श्री बगलामुखी मंत्र

ॐ ह्ल्रीम बगलामुखी जगत वशं करी माँ पिताम्बरे प्रसीद-प्रसीद मम सर्व मनोरथान पूरय- पूरय हल्रीम ॐ