शनिवार, 28 सितंबर 2013

.... यमदेव ने दे दिया अपना इस्तीफा ....

एक दिन यमदेव ने दे दिया अपना इस्तीफा। मच गया हाहाकार बिगड़ गया सब संतुलन, करने के लिए स्थिति का आकलन, इन्द्र देव ने देवताओं की आपात सभा बुलाई और फिर यमराज को कॉल लगाई।

'डायल किया गया नंबर कृपया जाँच लें' कि आवाज तब सुनाई। नये-नये ऑफ़र देखकर नम्बर बदलने की यमराज की इस आदत पर इन्द्रदेव को खुन्दक आई, पर मामले की नाजुकता को देखकर, मन की बात उन्होने मन में ही दबाई।

किसी तरह यमराज का नया नंबर मिला, फिर से फोन लगाया गया तो 'तुझसे है मेरा नाता पुराना कोई' का मोबाईल ने कॉलर टयून सुनाया। सुन-सुन कर ये सब बोर हो गये ऐसा लगा शायद यमराज जी सो गये।

तहकीकात करने पर पता लगा, यमदेव पृथ्वीलोक में रोमिंग पे हैं, शायद इसलिए,नहीं दे रहे हैं हमारी कॉल पे ध्यान, क्योंकि बिल भरने में निकल जाती है उनकी भी जान।

अन्त में किसी तरह यमराज हुये इन्द्र के दरबार में पेश, इन्द्रदेव ने तब पूछा-यम क्या है ये इस्तीफे का केस? यमराज जी तब मुँह खोले और बोले- हे इंद्रदेव। 'मल्टीप्लैक्स' मेंजब भी जाता हूँ,'भैंसे' की पार्किंग न होने की वजह से बिन फिल्म देखे,ही लौट के आता हूँ।

'बरिस्ता' और 'मैकडोन्लड' वाले तो देखते ही देखते इज्जत उतार देते हैं और सबके सामने ही ढ़ाबे में जाकर खाने-की सलाह दे देते हैं। मौत के अपने काम पर जब पृथ्वीलोक जाता हूँ 'भैंसे' पर मुझे देखकर पृथ्वीवासी भी हँसते हैं और कार न होने के ताने कसते हैं।

भैंसे पर बैठे-बैठे झटके बड़े रहे हैं वायुमार्ग में भी अब ट्रैफिक बढ़ रहे हैं। रफ्तार की इस दुनिया का मैं भैंसे से कैसे करूँगा पीछा। आप कुछ समझ रहे हो या कुछ और दूँ शिक्षा। और तो और, देखो रम्भा के पास है 'टोयटा' और उर्वशी को है आपने 'एसेन्ट' दिया, फिर मेरे साथ ये अन्याय क्यों किया?

हे इन्द्रदेव।मेरे इस दु:ख को समझो और चार पहिए की जगह चार पैरों वाला दिया है कह कर अब मुझे न बहलाओ, और जल्दी से 'मर्सिडीज़' मुझे दिलाओ।

वरना मेरा इस्तीफा अपने साथ ही लेकर जाओ। और मौत का ये काम अब किसी और से करवाओ.....
 

गुरुवार, 26 सितंबर 2013

प्रजातंत्र

एक सज्जन बनारस पहुँचे।
स्टेशन पर उतरे ही थे कि एक लड़का दौड़ता आया,
‘‘मामाजी! मामाजी!’’
लड़के ने लपक कर चरण छूए।
वे पहचाने नहीं।

बोले — ‘‘तुम कौन?’’
‘‘मैं मुन्ना। आप पहचाने नहीं मुझे?’’
‘‘मुन्ना?’’ वे सोचने लगे।
‘‘हाँ, मुन्ना। भूल गये आप मामाजी!
खैर, कोई बात नहीं, इतने साल भी तो हो गये।
मैं आजकल यहीं हूँ।’’

‘‘अच्छा।’’
‘‘हां।’’

मामाजी अपने भानजे के साथ बनारस घूमने
लगे।
चलो, कोई साथ तो मिला।
कभी इस मंदिर, कभी उस मंदिर।

फिर पहुँचे गंगाघाट। बोले कि "सोच रहा हूँ,
नहा लूँ!"

‘‘जरूर नहाइए मामाजी! बनारस आये हैं और
नहाएंगे नहीं, यह कैसे हो सकता है?’’

मामाजी ने गंगा में डुबकी लगाई। हर-हर
गंगे!
बाहर निकले तो सामान गायब, कपड़े
गायब!
लड़का... मुन्ना भी गायब!
‘‘मुन्ना... ए मुन्ना!’’

मगर मुन्ना वहां हो तो मिले।
वे तौलिया लपेट कर खड़े हैं।
‘‘क्यों भाई साहब, आपने मुन्ना को देखा है?’’
‘‘कौन मुन्ना?’’
‘‘वही जिसके हम मामा हैं।’’

लोग बोले, ‘‘मैं समझा नहीं।’’
‘‘अरे, हम जिसके मामा हैं वो मुन्ना।’’

वे तौलिया लपेटे यहां से वहां दौड़ते रहे।
मुन्ना नहीं मिला।

ठीक उसी प्रकार...
भारतीय नागरिक और भारतीय वोटर के
नाते हमारी यही स्थिति है!

चुनाव के मौसम में कोई आता है और हमारे
चरणों में गिर जाता है।
"मुझे नहीं पहचाना! मैं चुनाव का उम्मीदवार।
होने वाला एम.पी.।
मुझे नहीं पहचाना...?"

आप प्रजातंत्र की गंगा में डुबकी लगाते
हैं।
बाहर निकलने पर आप देखते हैं कि वह शख्स
जो कल आपके चरण छूता था, आपका वोट
लेकर गायब हो गया।
वोटों की पूरी पेटी लेकर भाग गया।

समस्याओं के घाट पर हम तौलिया लपेटे खड़े
हैं।
सबसे पूछ रहे हैं — "क्यों साहब, वह
कहीं आपको नज़र आया?
अरे वही, जिसके हम वोटर हैं। वही, जिसके हम मामा हैं।"

पांच साल इसी तरह तौलिया लपेटे, घाट
पर खड़े बीत जाते हैं।
आगामी चुनावी स्टेशन पर भांजे
आपका इंतजार मे....

अब तो मर जाता है रिश्ता ही बुरे वक्तो मे
पहले मर जाते थे रिश्तो को निभाने बाले

बुधवार, 25 सितंबर 2013

शीघ्र नौकरी पाने का सरल उपाए:

आज के समय में नौकरी प्राप्त करना किसी युद्ध में विजय होने से कम नहीं है, यदि व्यक्ति अशिक्षित हो और घर पर खाली बैठा हो तो एक बार को समझ में आ सकता है पर बड़ी बड़ी डिग्रियां हासिल करने के बाद भी हजारों युवा आज घर पर खाली हाथ बैठे हैं। अनपढ़ व्यक्ति तो मेहनत मजदूरी कर लेता है, रिक्शा चला लेता है पर पढ़ा लिखा डिग्री के दंभ में खाली रह जाता है।

बेरोजगारों की तादात आज इतनी है कि कहीं भी इंटरव्यू देने जाइये ५० आदमी आपसे पहले लाइन में खड़े होते हैं, अच्छी डिग्री होने के बावजूद मनपसंद नौकरी या आराम से बैठ कर की जाने वाली नौकरी या अच्छी कमाई वाली नौकरी तो बहुत दूर की बात है, अपना जेब खर्च चलाने लायक नौकरी भी नहीं मिल पाती, ऊपर से पास पड़ोस में रहने वालों के ताने, रिश्तेदारों के द्वारा बार बार पूछा जाना "अभी तक नौकरी नहीं लगी ? घर पे खाली बैठे हो?" सबसे बढ़कर चोट तब लगती है जब अपने ही माँ बाप कहने लगें की "घर पे बैठे बैठे रोटियां तोड़ता रहता है, चवन्नी भी कमाने लायक नहीं है, नाकारा" जी करता है की आत्महत्या कर लें या कहीं भाग जाएँ। नौकरी नहीं होती तो इज्ज़त भी मिलना बंद हो जाती है और शादी तो दूर का सपना होती है।

आज आपको एक ऐसा सरल उपाए बताने जा रहा हूँ जिसके प्रयोग से आजीविका का साधन सरलता से प्राप्त हो जाता है।

इसके लिए सबसे पहले किसी ज्योतिषी या विद्वान पंडित जी से मिलकर अपनी जन्म कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति का पताकर लेना चाहिए क्यूंकि ये उपाए उन लोगों को अति शीघ्र लाभ पहुंचाएगा यानि रोजगार दिलवाएगा जिनका चन्द्रमा बली हो और शुभ फल दे रहा हो या शुभ फल देने में सक्षम हो। यदि आपकी जन्म कुंडली में चन्द्रमा बली है और शुभफलप्रद है तो सबसे पहले किसी ऐसे पीपल के पेड़ की खोज करें जिस पर बाँदा उगा हुआ हो अर्थात ऐसा पीपल का पेड़ जिसके ऊपर कोई अन्य पेड़ उगा हो, जो की बहुत ही सामान्य है और आपको पीपल पर बरगद, पाकड़ या जामुन जैसे वृक्ष आसानी से उगे हुए मिल जायेंगे।
जब कोई ऐसा बाँदा युक्त या बाँदा धारी पीपल का पेड़ आपको मिल जाये तो स्वयं पंचांग की मदद से या पंडित जी से पूछ कर शुक्ल पक्ष के किसी ऐसे शनिवार के दिन का चयन करें जिस दिन चतुर्थी, नवमी या चतुर्दशी तिथि पड़ रही रही हो। जब दिन का चयन कर लें तो उक्त तिथि से एक दिन पूर्व यानि शुक्रवार की सायंकाल उक्त पीपल के बांदे को विधि पूर्वक निमंत्रण दे आयें (जिसकी विधि आप मेरीपुरानी पोस्ट 'रत्न जड़ी धारण विधि') से प्राप्त कर सकते हैं और फिर शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान अदि कर स्वच्छ हो पुनः पूजन कर उक्त बन्दे को अपने घर ले आयें।

फिर उसी दिन प्रातः काल में या यदि उस दिन संभव न हो तो किसी अन्य शनिवार को जब फिर दिन और तिथि का यही योग बन रहा हो तो पीपल के इस बांदे को देवता की प्रतिमा मानकर इसे गंगाजल से स्नान कराएँ, इसकी पंचोपचार पूजा करें धुप दीप करें और निम्न मंत्र की रक्त चन्दन या रुद्राक्ष की माला से पञ्च माला जप करें:

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रीँ महाल्क्ष्मये सर्व सौभाग्य दायिनी नमोस्तुते।

तत् पश्चात् रुद्राक्ष की माला से निम्न मंत्र की तीन माला जप करें

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्नैश्चराये नमः।

और फिर उक्त बांदे के टुकड़े को किसी चाँदी के ताबीज़ में भरकर फिर उसे लाल कपडे में सिलकर गले या दाहिनी भुजा में धारण करें।

ईश्वर की कृपा से उक्त प्रयोग करके आपको अतिशीघ्र नौकरी प्राप्त होगी, मैंने अब तक जिन जिन लोगों को ये बना कर दिया श्री राम जी की कृपा से उन सब को इसे धारण करने के ७ सप्ताह के भीतर ही रोजगार प्राप्त हो गया। एक और बात की जब कोई नौकरी आये तो उसे स्वीकार कर लें चाहे वेतन कम ही हो बाकि अच्छे वेतन वाली नौकरी हेतु प्रयासरत रहें। ताबीज़ पहने रहें, माता महालक्ष्मी जी की कृपा से आगे के मार्ग स्वयं प्रशस्त होते रहेंगे।

जिन लोगों का चन्द्रमा बली न हो अथवा उच्च या नीच का हो और शुभ फल न दे रहा हो, वे किसी अच्छे ज्योतिषी या पंडित जी से मिलकर उसका उपचार करें और तत् पश्चात उक्त प्रयोग करें।

धन्यवाद्

।।जय श्री राम।।