बुधवार, 8 जनवरी 2014

तुझमे और मुझमे क्या फर्क ?



एक राजा जंगल में शिकार खेलने जाया करता था ! उसी रास्ते में सड़क किनारे एक फकीर की कुटिया भी थी ! तो राजा जब भी उधर से निकलता तब उसकी फकीर से दुआ सलाम होने लग गई ! और धीरे २ राजा की उस फकीर में श्रद्धा हो गई ! अब राजा जब भी उधर से निकलता , वो फकीर को प्रणाम करता और थोड़ी देर वहाँ रुक कर फकीर की बातें सुनता ! राजा को इससे बड़ी शान्ति मिलती !
राजा को फकीर बड़ा दिव्य और पहुँचा हुवा मालुम पड़ने लगा ! अब राजा जब भी फकीर से मिलता वो हमेशा फकीर से आग्रह करता की आप राज महल चलिए ! फकीर मुस्करा कर टाल देता ! अब ज्यूँ २ फकीर मना करता गया त्यों २ राजा का आग्रह बढ़ता गया ! फ़िर एक दिन बहुत आग्रह पर फकीर राजमहल जाने को तैयार हो गया ! अब राजा का तो जी इतना प्रशन्न हो गया की पूछो मत ! राजा ने फकीर के राजमहल पहुँचने पर इतना स्वागत सत्कार किया की जैसे साक्षात ईश्वर ही उसके राजमहल में पधार गए हों ! राजा ने फकीर के स्वागत में पलक पांवडे बिछा दिए ! और फकीर को राजमहल के सबसे सुंदर कमरे में ठहराया गया ! और राजा अपना दैनिक कर्म करने से जो भी समय बचता वो फकीर के पास बैठ कर उससे ज्ञानोपदेश लेने में बिताता ! राजा परम संतुष्ट था ! और फकीर भी मौज में !
समय बीतता गया ! अब राजा ने नोटिस करना शुरू किया की फकीर की हरकते बड़ी उलटी सीधी हो गई हैं ! राजा ने देखा - फकीर जो कड़क जमीन पर सोया करता था कुटिया में , अब नर्म गद्दों पर शयन करता है ! वहाँ रुखा सुखा खा लिया करता था , अब हलवा पूडी से भी मना नही करता ! शुरू में तो राजा, रानियाँ और राजकुमार श्रद्धा पूर्वक फकीर के चरण दबाया करते थे अब वो मना ही नही करता , चाहे सारी रात दबाए जाओ ! और कभी २ तो दासियों को चरण दबाने को कहता है ! उसको जो भी काजू बादाम खाने को दो , मना ही नही करता ! और ऐसा आचरण तो फकीर को नही ही करना चाहिए !

और एक रोज तो हद्द ही हो गई जब वो किसी राज पुरूष द्वारा दी गई मदिरा का सेवन भी बिना किसी ना-नुकुर के करने लग गया ! अब राजा ने सोचा हद्द हो गई ! ये कैसा फकीर ? जो मैं करता हूँ वो ही ये करता है ! इसमे मुझमे क्या फर्क ? मेरे जैसे ही गद्दों पर सोता है, मदिरा सेवन करता है , दासियों से पाँव दबवाता है ! चाहे जो खाता है ! राजा को बड़ी मुश्किल हो गई ! उसकी सारी श्रद्धा जो फकीर के प्रति थी वो ख़त्म होती जा रही थी ! क्या करे ? जिस फकीर को वह परमात्मा समझ कर लाया था ठीक उससे उलटा काम हो गया ! सही है अगर हमको सही में परमात्मा भी मिल जाए तो हम ऐसा ही करेंगे ! इंसान को जब तक जो वस्तु नही मिले तब तक ही उसकी क़द्र करता है ! वो तो अच्छा है की भगवान समझदार हैं जो आदमी को मिलते नही हैं वरना आदमी तो उनकी भी मिट्टी ख़राब करदे !
वो कहते हैं ना की समझदार आदमी को राजा, साँप और साधू से दोस्ती नही करनी चाहिए पर यहाँ तो सिर्फ़ साँप की कमी थी ! राजा जब पूरी तरह उकता गया तो उसने फकीर से पूछ ही लिया की - बाबा आपमे और मुझमे क्या फर्क रह गया है ! अब आप फकीर कैसे ? फकीर चुप रह गया ! अगले दिन सुबह २ फकीर ने कहा- राजन अब हम प्रस्थान करेंगे ! 
राजा उपरी तौर पर नाटक करता हुवा बोला- बाबाजी थोड़े दिन और ठहरते ! पर मन ही मन प्रशन्न था की चलो इस आफत से पीछा छूटा ! फकीर ने अपना कमंडल जो साथ लाया था वो उठाया और चलने लगा ! राजा बोला- आपका यहाँ का सामान भी लेते जाइए ! और आपमे मुझमे क्या फर्क है इसका जवाब भी दे दीजिये ! फकीर मुस्कराया और बोला - राजन , जवाब अवश्य देंगे ! चलिए थोडी दूर हमारे साथ , हमको विदा करने थोड़ी दूर तो चलिए ! रास्ते में जवाब भी दे देंगे ! इस सारे वार्तालाप में राजा चलता रहा फकीर के साथ साथ ! और इसी तरह बातें करते २ नगर की सीमा तक आ गए !
अब राजा बोला - अब मेरी बात का जवाब मिल जाए तो मैं लौट जाऊं ? 
फकीर कहता - बस राजन थोड़ी दूर और ! फ़िर देता हूँ आपकी बात का जवाब ! 
इस तरह करते २ राजा उस फकीर के साथ काफी दूर निकल आया ! 
राजा जवाब मांगता और फकीर कहता थोड़ी दूर और ! 
अब इस तरह शाम होने को आ गई ! राजा का सब्र जवाब दे गया ! अब राजा झल्लाकर बोला - महाराज , शाम होने को आगई ! मेरे आज के सारे राज-काज बाक़ी रह गए , राजमहल है, इतनी बड़ी राज-सत्ता है , इस तरह मेरा अनुपस्थित रहना ठीक नही है ! पीछे से कहीं कोई हमला वमला करदे ! तो क्या होगा ? अब मैं और आपके साथ नही चल सकता !आपको जवाब देना हो तो दो नही तो मुझे नही चाहिए ! क्यूँकी आपके पास कोई जवाब है ही नही !
फकीर बोला - बस थोड़ी दूर और चलो ! फ़िर देता हूँ जवाब !
अब आख़िर राजा था इतनी बेअदबी थोड़ी बर्दाश्त करता ! बोला - बस अब बहुत हो गया ! 
वैसे ही फकीर बोला - बस यही तो है जवाब ! राजन तुम्हारी मजबूरी है राजमहल लौटना हमारी नही ! तुम राज-महल के यानी संसार के बंधन में हो ! उसको छोड़ना मुश्किल ! और हमारी कोई मजबूरी नही कोई बंधन नही ! जितने दिन राजमहल के सुख थे उनका मजा लिया ! आज राजमहल नही है तो छोड़ने की पीडा भी नही है ! अब आज पेड़ के निचे अपना राज-महल बनेगा ! वहाँ के सुख का आनंद उठाएंगे ! यही है तुझमे और मुझमे फर्क ! हम जहाँ जाते हैं वहीं राजमहल है और तुम्हारे लिए ये मिट्टी गारे के राजमहल में लौटना ही राजमहल है ! फर्क इसी बंधन का है ! 
तुम्हारे को इतनी आजादी नही है की अपनी मर्जी से राजमहल छोड़ दो ! तुमको लौटना मजबूरी है ! हम अपनी मर्जी से राज महल गए थे और अपनी मर्जी से आज छोड़ दिया ! हमको लौटना कोई मजबूरी नही है !

मंगलवार, 7 जनवरी 2014

व्यापार वृद्धि प्रयोग - 2


-: मंत्र :-
॥ धां धीं धूं धूर्जटे पत्नीं वां वीं वुं वागधीश्वरी
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देव्ये शां शीं शुं में शुभम कुरु ॥

विधी :- उपरोक्त मन्त्र सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में से हैं । कुछ शुद्ध गुलाब में से बनी अगरबत्ती लेकर उपरोक्त मन्त्र 108 बार जप
कर अगरबत्ती अभिमंत्रित कर लीजिए । उसके बाद उन अगरबत्ती में से 5 अगरबत्ती लेकर प्रज्वलित करे । उसके बाद अपने पुरे व्यवसाय स्थल में एंटी क्लोक वाइस (घडी की उलटी दिशा में) घुमाले और एक जगह लगादे और फिर देखे आपका व्यापार कैसे नहीं चलता । यह प्रयोग पूर्ण प्रामाणिक एवं कई बार परिक्षीत हैं । माँ भगवती ने चाहा तो आप व्यापार को लेकर जल्द ही चिंता मुक्त हो जायेंगे ॥

रविवार, 5 जनवरी 2014

वीर शिवाजी और महाराणा प्रताप कि तरह हिन्दू धर्म कि रक्षा करनी है

 जो हिंदू इस घमंड मे जी रहे है कि अरबो सालो से सनातन धर्म है और इसे कोई नही मिटा सकता, मै उन्हें मुर्ख और बेवकूफ ही समझता हूँ.. आखिर अफगानीस्तान से हिंदू क्यों मिट गया? काबुल जो भगवान राम के पुत्र कुश का बनाया शहर था, आज वहाँ एक
भी मंदिर नही बचा ! गांधार जिसका विवरण महाभारत मे है, जहां की रानी गांधारी थी, आज उसका नाम कंधार हो चूका है, और वहाँ आज एक भी हिंदू नही बचा ! कम्बोडिया जहां राजा सूर्य देव बर्मन ने दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर अंकोरवाट बनाया, आज वहाँ भी हिंदू नही है ! बाली द्वीप मे 20 साल पहले तक 90% हिंदू थे, आज सिर्फ 20% बचे है ! कश्मीर घाटी मे सिर्फ 20 साल पहले 50%
हिंदू थे, आज एक भी हिंदू नही बचा ! केरल मे 10 साल पहले तक 60% जनसंख्या हिन्दुओ की थी, आज सिर्फ 10% हिंदू केरल मे है ! नोर्थ ईस्ट जैसे सिक्किम, नागालैंड, आसाम आदि मे हिंदू हर रोज मारे या भगाए जाते है, या उनका धर्मपरिवर्तन हो रहा है ! मित्रों, 1569 तक ईरान का नाम पारस या पर्शिया होता था और वहाँ एक भी मुस्लिम नही था, सिर्फ पारसी रहते थे.. जब पारस पर मुस्लिमो का आक्रमण होता था, तब पारसी बूढ़े-बुजुर्ग अपने नौजवान को यही सिखाते थे की हमे कोई मिटा नही सकता, लेकिन ईरान से
सारे के सारे पारसी मिटा दिये गए. धीरे-धीरे उनका कत्लेआम और धर्म- परिवर्तन होता रहा. एक नाव मे बैठकर 21 पारसी किसी तरह गुजरात के नवसारी जिले के उद्वावाडा गांव मे पहुचे और आज पारसी सिर्फ भारत मे ही गिनती की संख्या मे बचे है. हमेशा शांति की भीख मांगने वाले हिन्दुओं... आजतक के इतिहास का सबसे बड़ा संकट हिन्दुओं पर आने वाला है, ईसाईयों के 80 देश और मुस्लिमो के 56 देश है, और हिन्दुओं का एकमात्र देश भारत ही अब हिन्दुओं के लिए सुरक्षित नहीं रहा. भारत को एक फ़ोकट
की धर्मशाला बना दिया गया है, जहाँ इसके मेजबान हिन्दू ही बहुत जल्दी मुस्लिम सेना तैयार करने वाली संस्था PFI द्वारा शुरू होने वाले गृहयुद्ध में कश्मीर की तरह पुरे भारत में हिन्दुओं के हाथ-पैर काट दिए जायेंगे, आंखे निकाल ली जाएँगी, और कश्मीर की ही तरह उनकी सुरक्षा के लिए कही पर भी सरकार नाम की संस्था कोई भी सेना नहीं भेजेगीे, हिन्दू खुद तो ख़तम हो रहा है और समस्त विश्व के कल्याण की बकवास करता फिरता है, जबकि समूचा विश्व उसको पूरी तरह निगल लेने की पूरी तैयारी कर चूका है... आज तक हिन्दू जितनी अधिक उदारता और सज्जनता दिखलाता रहा है, उसको उतना ही कायर और मुर्ख मानकर उस पर अन्याय और हर तरह का धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक विश्वासघात किया जाता रहा है.. ...और हिन्दू है कि आंख बंद करके बस कहावतों में जिंदा रहकर बस भगवान के शांति स्वरूपं की पूजा करते-करते सच में नपुंसक बन चूका है.. जबकि हमारे किसी भी देवी देवता का स्वरुप अश्त्र-शस्त्र के बिना नहीं है, हमारे धर्म में धर्म की परिभाषा के 10 लक्षणों में अहिंसा नाम का कोई शब्द ही नहीं है, रक्षा धर्म ही हम हिन्दुओ की रक्षा कर सकता है... इसके बाद भी अति भाग्यवादी, अवतारवादी हिन्दुओं ने आज तक अपनी दुर्दशा के इतिहास से कोई सबक न लेकर आज भी सेकुलार्ता का नशा लेकर मुर्छित होकर जी रहा है, और अपने ही शुभचिंतक भाइयों को सांप्रदायिक
कहकर उनसे नपुंसक बनने की सीख देता फिरता है..!!