गुरुवार, 20 मार्च 2014

टिकट का खेल, बीजेपी होगी फेल!

जगदम्बिका पाल, राम कृपाल यादव, मनोज तिवारी.. आप जानते हैं इन तीनों में कॉमन क्या है? ये तीनों ही बीजेपी की धुर विरोधी रही पार्टियों के सदस्य थे और मनोज तिवारी को छोड़ दिया जाए, तो बाकी दो तो अपनी-अपनी पार्टियों के प्रमुख नेताओं में शामिल थे। इन्होंने आज पार्टी छोड़ी, अगली दो-चार रातों में पुरानी विचारधारा से पीछा छुड़ाया, और तुरंत ही भगवा विचारधारा में रंग गए। है न कमाल की बात! और इससे भी ज्यादा कमाल तो बीजेपी के थिंक टैंक ने दिखाया। इन साहब लोगों को तुरंत ही अपने उन कार्यकर्ताओं पर तरजीह देते हुए लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट थमा दिया, जो सालों से पार्टी की विचारधारा अपने कंधों पर ढोते रहे हैं।

जगदम्बिका पाल का तो व्यापक विरोध हुआ था। बीजेपी कार्यकर्ता साफ कह रहे थे कि अगर पाल को टिकट दिया गया, तो वे पार्टी ही छोड़ देंगे। फिर भी इन सारे विरोधों को दरकिनार करते हुए बीजेपी की संसदीय बोर्ड ने पाल को टिकट दे दिया। अब आप ही बताइए, उन कार्यकर्ताओं के दिलों पर क्या गुजरेगी जिन्होंने सालों अपने खून-पसीने से पार्टी की विचारधारा को सींचा। जिन कार्यकर्ताओं को इन्हीं जगदम्बिका पाल ने न जाने कितने ही मौकों पर गरियाया होगा, उन्हीं कार्यकर्ताओं से आप इनके पक्ष में जय-जयकार करवाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति ऐसा नहीं करेगा। दशकों तक कांग्रेसी विचारधारा के झंडाबरदार रहे पाल भी एकाएक चंद दिनों में भगवा विचारधारा में कैसे रंग गए, यह भी सोचने वाली बात है। इतनी तेजी से तो गिरगिट भी अपना रंग नहीं बदलता होगा।

रामकृपाल यादव भी लालू प्रसाद यादव के पुराने साथी रहे हैं। उन्होंने भी टिकट न मिलने से नाराज होकर पार्टी छोड़ी, बीजेपी में शामिल हुए, और बीजेपी ने भी अपने समर्पित कार्यकर्ताओं की छाती पर मूंग दलते हुए उन्हें पार्टी का टिकट थमा दिया। जो रामकृपाल सालों तक राजनाथ, जोशी और मोदी को गालियां देते रहे, उन्हें पार्टी में शामिल कर टिकट दे दिया गया, और जो कार्यकर्ता इन्हीं नेताओं की जय-जयकार करते रहे, उन्हें बस जयकारा लगाने लायक ही समझा गया। क्या त्याग, सेवा और समर्पण की बीजेपी में कोई कीमत नहीं? क्या इसी के दम पर बीजेपी बार-बार खुद को पार्टी विद डिफरेंस कहती है?

नेता पहले भी अपनी पार्टी बदलते रहे हैं, इससे मुझे क्या किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन चुनाव के मौसम में, जब पार्टी भी मान रही हो कि बीजेपी की लहर है, जनता कांग्रेसनीत सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए बेचैन है, तो इन दलबदलुओं को अपने कार्यकर्ताओं के उपर लाद देना कहीं न कहीं ये दिखा देता है कि आप कमजोर हैं। यह कौन सी लहर है जो आपको अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं की क्षमता पर भी विश्वास नहीं करने देती कि वे भी चुनाव जीत सकते हैं। इन नेताओं को यदि पार्टी की विचारधारा में इतना ही भरोसा था, तो अभी क्यों आए? पाल अगर साल-दो साल पहले कांग्रेस छोड़कर आते, कहते कि सरकार के घोटालों और जनता के प्रति सरकार की उपेक्षा देखकर वे बीजेपी में आए, तो उनका सेवाभाव समझ में आता। पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन पाल के ही शब्दों में कांग्रेस ने उन्हें उनका हक नहीं दिया, उनसे जूनियर लोगों को मंत्री बनाया गया, इसकी तकलीफ उनको थी और इसीलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी। और बीजेपी ने भी उनको हाथों-हाथ लिया और टिकट थमा दिया, कमाल है न!

हरियाणा, पंजाब, यूपी और बिहार.. इन सारे राज्यों में इतने पैराट्रूपर्स को बीजेपी ने टिकट दिया है, कि आम जनता और कार्यकर्ता समझ ही नहीं पा रहे हैं कि अब क्या करें। इन्हीं के अत्याचार और उपेक्षा से तो तंग होकर उन्होंने कांग्रसनीत सरकार को उखाड़ फेंकने का निश्चय किया था, अब फिर यही लोग, उस पार्टी की तरफ से आ गए हैं, जिसे जनता विकल्प समझ रही थी। निश्चित रूप से बीजेपी की लहर देश में थी, अभी भी है। बीजेपी के नेता जैसा कि दावा करते रहे हैं, यह लहर सुनामी तो बनेगी जरूर, पर इसमें बीजेपी डूबेगी या कांग्रेस, अब यह देखने वाली बात होगी। और जहां तक मेरी बात है, मुझे तो लग रहा है कि मोदी के अश्वमेघ के घोड़े को उन्हीं की पार्टी के कुछ नेता रोकन में लगे हैं। फिलहाल आप इस चुनावी सीजन का मजा लीजिए, और वोट जरूर दीजिएगा, क्योंकि वही आपकी असली ताकत है।

PS: इस पार्टी के सबसे सीनियर नेता और फाउंडर मेंबर लालकृष्ण आडवाणी के साथ जिस तरह का व्यवहार हो रहा है, उसने भी निश्चित रूप से कई पुराने भाजपाइयों को ठेस पहुंचाई होगी। जब तक उन्होंने गांधीनगर से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई, किसी ने उन्हें कोई आश्वासन नहीं दिया, और जैसे ही वे भोपाल को गले लगाने को तैयार दिखने लगे, पार्टी ने उन्हें गांधीनगर का टिकट दे दिया। क्या गजब का खेल है, इस चुनाव में तो, सारे समीकरण फेल हैं।

शनिवार, 15 मार्च 2014

न हम कुछ भूले है न ही किसी को भूलने देंगे ........


1-देस के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यको का होना चाहिए ----मनमोहन

2-बोफोर्स की ही तरह कोयला घोटाला  भी जनता भूल जायेगी –सुशील शिंद

3-हमारे सैनिकों को पाकिस्तान की सेना ने नहीं बल्कि उनकी वर्दियों में आतंकवादियों ने मारा है-एके एंटनी

4-पीने के लिए पानी नहीं है तो क्या बांधों में मूतकर के पानी ला दूं -अजित पवार

6-महंगाई ज्यादा सोना खरीदने की वजह से बढ़ रही है –पी चिदंबरम,

7-पैसे पेड़ पर नहीं लगते –मनमोहन सिंह

8-हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है जिससे महंगाई पर काबू किया जाये –मनमोहन सिंह

9-गायों को काटने से देश को कोई नुकसान नहीं अगर नहीं काटेंगे तो बूड्डी होकर देश पर आफत बनेगी -शरद पँवार

10-सोनिया जी कहे तो मैं झाडू पोछा भी लगाउँगा--चरणों वाला चरण दास !
11-ईस्ट इंडिया कंपनी 400 साल भारत को लूटने आई थी मैं आपको फिर निमंत्रण देने आया हूँ अगले 200 के लिए आप फिर भारत चले आयें !तेरे विल बे ह्यूज रिवॉर्ड फॉर यौ ! :--पी चिदम्बरम (1996 लंदन )

12- भारत माता डायन है--आजम खान

13- 5 रुपए मे लोग पेट भर खाना खा सकते हैं--राज बब्बर

14-अगर हम गाय की रक्षा करने लगे तो दुनिया कहेगी हम भारत को 15 वी शताब्दी मे ले जा रहे हैं :--
नेहरू 1952 ( मतलब गाय काटने से देश 21 वीं शताब्दी मे जाएगा )

16-महंगाई के लिए गरीब जिम्मेदार--मनमोहन सिंह !

17-इस देश को इस्लामिक नही बल्कि हिन्दू आतंकियों से ज्यादा खतरा है –राहुल गाँधी उर्फ़ पप्पू पेजर

18-वन्देमातरम नहीं बोलूँगा--हमीद अंसारी

19-बाटला हाउस में आतंकवादियों के मरने पर सोनिया जी बहुत रोयीं थीं -सलमान खुर्शीद

20-जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो आसपास की जमीन हिल जाती है (4500 सिख भाइयो के कत्लेआम के बाद ) :--राजीव गांधी,

21-लोग ज्यादा ज्यादा खाना खाते हे इसीलिए महंगाई ज्यादा बढती हे --चिदंबरम फाइनेंस मिनिस्टर ,

22 -देस में गरीव बल्कि कोई चीज नही हे, ये सब लोगोकी मानसिक बीमारी हे --राहुल गाँधी .
23--जब बीबी पुरानी हो जाती है तो वो मजा नही देती --कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जैसवाल

24--विमान के इकोनोमिक क्लास को कैटल क्लास कहना चाहिए क्योकि इकोनोमिक क्लास में सफर करने वाले गरीब जाहिल और जानवर होते है--शशि  थरूर

25--नरेंद्र मोदी मौत का सौदागर है --सोनिया गाँधी

26--मै जब चाहू तब सांसद बन सकता हूँ मेरे लिए ये छोटी बात है --राबर्ट बढेरा

27--यूपी वाले भिखारी है ये पंजाब और गुजरात में जाकर भीख मांगते है --राहुल गाँधी

28-पंजाबी लोग नशेड़ी होते है ---राहुल गाँधी . . .

29. इकोनोमी क्लास को सशी थरूर ने कैटल क्लास कहा था ----थरूर

30- सोनिया मेरी माँ आपकी माँ और देस की माँ है ----सलमान  खुर्शीद 

31-इशरत जहाँ बिहार की बेटी थी -----नितीश कुमार 

32-लोग सेना में तो मरने के लिए ही जाते है -----नरेन्द्र सिंह jdu नेता

33- रोबर्ट बढेरा एक छोटा मोटा किसान है -----हुड्डा 

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गुरुवार, 6 मार्च 2014

महत्वपूर्ण कार्य में बाधा निवारण के लिए सरल उपाय

महत्वपूर्ण कार्य में बाधा निवारण के लिए सरल उपाय 

यदि किसी महत्वपूर्ण कार्य में बाधा आ रही हो तो मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी के आगे देशी घी या तिल्ली के तेल के 8 चौमुखा दीपक जलाएं और वहीं बैठकर 8 पाठ संकटमोचन हनुमानाष्टक का करें। प्रत्येक पाठ के बाद 1 गुलाब का पुष्प हनुमान जी के श्रीचरणों में अर्पित करें। ऐसा करने से संपूर्ण बाधाओं का निवारण हो जाएगा !