रविवार, 4 मई 2014

॥वैभव प्रदाता श्री सूक्त॥

॥वैभव प्रदाता श्री सूक्त॥
हरिः ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥१॥
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥२॥
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम् ।
श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ॥३॥
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥४॥
प्रभासां यशसा लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ॥५॥
आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसानुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥६॥
उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ॥७॥
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद गृहात् ॥८॥
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरींग् सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥९॥
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ॥१०॥
कर्दमेन प्रजाभूता सम्भव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ॥११॥
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस गृहे ।
नि च देवी मातरं श्रियं वासय कुले ॥१२॥
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥१३॥
आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥१४॥
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पूरुषानहम् ॥१५॥
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।
सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ॥१६॥
पद्मानने पद्म ऊरु पद्माक्षी पद्मासम्भवे ।
त्वं मां भजस्व पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यहम् ॥१७॥
अश्वदायि गोदायि धनदायि महाधने ।
धनं मे जुषताम् देवी सर्वकामांश्च देहि मे ॥१८॥
पुत्रपौत्र धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवे रथम् ।
प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु माम् ॥१९॥
धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः ।
धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणं धनमश्नुते ॥२०॥
वैनतेय सोमं पिब सोमं पिबतु वृत्रहा ।
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु ॥२१॥
न क्रोधो न च मात्सर्य न लोभो नाशुभा मतिः ।
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां श्रीसूक्तं जपेत्सदा ॥२२॥
वर्षन्तु ते विभावरि दिवो अभ्रस्य विद्युतः ।
रोहन्तु सर्वबीजान्यव ब्रह्म द्विषो जहि ॥२३॥
पद्मप्रिये पद्म पद्महस्ते पद्मालये पद्मदलायताक्षि ।
विश्वप्रिये विष्णु मनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सन्निधत्स्व ॥२४॥
या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी ।
गम्भीरा वर्तनाभिः स्तनभर नमिता शुभ्र वस्त्रोत्तरीया ॥२५॥
लक्ष्मीर्दिव्यैर्गजेन्द्रैर्मणिगणखचितैस्स्नापिता हेमकुम्भैः ।
नित्यं सा पद्महस्ता मम वसतु गृहे सर्वमाङ्गल्ययुक्ता ॥२६॥
लक्ष्मीं क्षीरसमुद्र राजतनयां श्रीरङ्गधामेश्वरीम् ।
दासीभूतसमस्त देव वनितां लोकैक दीपांकुराम् ॥२७॥
श्रीमन्मन्दकटाक्षलब्ध विभव ब्रह्मेन्द्रगङ्गाधराम् ।
त्वां त्रैलोक्य कुटुम्बिनीं सरसिजां वन्दे मुकुन्दप्रियाम् ॥२८॥
सिद्धलक्ष्मीर्मोक्षलक्ष्मीर्जयलक्ष्मीस्सरस्वती ।
श्रीलक्ष्मीर्वरलक्ष्मीश्च प्रसन्ना मम सर्वदा ॥२९॥
वरांकुशौ पाशमभीतिमुद्रां करैर्वहन्तीं कमलासनस्थाम् ।
बालार्क कोटि प्रतिभां त्रिणेत्रां भजेहमाद्यां जगदीस्वरीं त्वाम् ॥३०॥
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥३१॥
सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुक गन्धमाल्यशोभे ।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम् ॥३२॥
विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम् ।
विष्णोः प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम् ॥३३॥
महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नीं च धीमहि ।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॥३४॥
श्रीवर्चस्यमायुष्यमारोग्यमाविधात् पवमानं महियते ।
धनं धान्यं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसंवत्सरं दीर्घमायुः ॥३५॥
ऋणरोगादिदारिद्र्यपापक्षुदपमृत्यवः ।
भयशोकमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा ॥३६॥
य एवं वेद ॐ महादेव्यै च विष्णुपत्नीं च धीमहि ।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥३७॥

सोमवार, 24 मार्च 2014

चूना जो आप पान में खाते है वो कई बीमारी ठीक कर देता है ।

 चूना जो आप पान में खाते है वो कई बीमारी ठीक कर देता है ।
****ध्यान रहे पथरी के रोगीयो के लिए चूना वर्जित है****
चूना जो आप पान में खाते है वो कई बीमारी ठीक कर देता है ।
जैसे किसी को पीलिया जो जाये माने जोंडिस उसकी सबसे अच्छी दवा है चूना ; गेहूँ के दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी पीलिया ठीक कर देता है । और येही चूना नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है - अगर किसी के शुक्राणु नही बनता उसको अगर गन्ने के रस के साथ चूना पिलाया जाये तो साल देड साल में भरपूर शुक्राणु बन्ने लगेंगे; और जिन माताओं के शरीर में अन्डे नही बनते उनकी बहुत अच्छी दवा है ये चूना । बिद्यार्थीओ के लिए चूना बहुत अच्छी है जो लम्बाई बढाती है - गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिलाके खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिलाके खाओ, दाल नही है तो पानी में मिलाके पियो - इससे लम्बाई बढने के साथ साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छा होता है । जिन बछोकी बुद्धि कम काम करती है मतिमंद बच्चे उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना, जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करते है, देर में सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन सभी बच्चे को चूना खिलाने से अछे हो जायेंगे ।
बहनों को अपने मासिक धर्म के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसका सबसे अच्छी दवा है चूना । और हमारे घर में जो माताएं है जिनकी उम्र पचास वर्ष हो गयी और उनका मासिक धर्म बंध हुआ उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना; गेहूँ के दाने के बराबर चूना हरदिन खाना दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में घोल के पीना ।
जब कोई माँ गर्भावस्था में है तो चूना रोज खाना चाहिए किउंकि गर्भवती माँ को सबसे जादा काल्सियम की जरुरत होती है और चूना कैल्सियम का सब्से बड़ा भंडार है । गर्भवती माँ को चूना खिलाना चाहिए अनार के रस में - अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाके रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फाईदे होंगे - पहला फाईदा होगा के माँ को बच्चे के जनम के समय कोई तकलीफ नही होगी और नोर्मल डेलीभरी होगा, दूसरा बछा जो पैदा होगा वो बहुत हस्टपुष्ट और तंदरुस्त होगा , तीसरा फ़ायदा वो बछा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चूना खाया , और चौथा सबसे बड़ा लाभ है वो बछा बहुत होसियार होता है बहुत Intelligent और Brilliant होता है उसका IQ बहुत अच्छा होता है ।
चूना घुटने का दर्द ठीक करता है , कमर का दर्द ठीक करता है , कंधे का दर्द ठीक करता है, एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis वो चुने से ठीक होता है । कई बार हमारे रीड़ की हड्डी में जो मनके होते है उसमे दुरी बड़ जाती है Gap आ जाता है - ये चूना ही ठीक करता है उसको; रीड़ की हड्डी की सब बीमारिया चुने से ठीक होता है । अगर आपकी हड्डी टूट जाये तो टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे जादा चुने में है । चूना खाइए सुबह को खाली पेट ।
अगर मुह में ठंडा गरम पानी लगता है तो चूना खाओ बिलकुल ठीक हो जाता है , मुह में अगर छाले हो गए है तो चुने का पानी पियो तुरन्त ठीक हो जाता है । शारीर में जब खून कम हो जाये तो चूना जरुर लेना चाहिए , अनीमिया है खून की कमी है उसकी सबसे अच्छी दवा है ये चूना , चूना पीते रहो गन्ने के रस में , या संतरे के रस में नही तो सबसे अच्छा है अनार के रस में - अनार के रस में चूना पिए खून बहुत बढता है , बहुत जल्दी खून बनता है - एक कप अनार का रस गेहूँ के दाने के बराबर चूना सुबह खाली पेट ।
भारत के जो लोग चुने से पान खाते है, बहुत होसियार लोग है पर तम्बाकू नही खाना, तम्बाकू ज़हर है और चूना अमृत है .. तो चूना खाइए तम्बाकू मत खाइए और पान खाइए चुने का उसमे कत्था मत लगाइए, कत्था कन्सर करता है, पान में सुपारी मत डालिए सोंट डालिए उसमे , इलाइची डालिए , लोंग डालिए. केशर डालिए ; ये सब डालिए पान में चूना लगाके पर तम्बाकू नही , सुपारी नही और कत्था नही ।
अगर आपके घुटने में घिसाव आ गया और डॉक्टर कहे के घुटना बदल दो तो भी जरुरत नही चूना खाते रहिये और हाड़सिंगार के पत्ते का काड़ा खाइए घुटने बहुत अछे काम करेंगे । राजीव भाई कहते है चूना खाइए पर चूना लगाइए मत किसको भी ..ये चूना लगाने के लिए नही है खाने के लिए है ; आजकल हमारे देश में चूना लगाने वाले बहुत है पर ये भगवान ने खाने के लिए दिया है ।

गुरुवार, 20 मार्च 2014

टिकट का खेल, बीजेपी होगी फेल!

जगदम्बिका पाल, राम कृपाल यादव, मनोज तिवारी.. आप जानते हैं इन तीनों में कॉमन क्या है? ये तीनों ही बीजेपी की धुर विरोधी रही पार्टियों के सदस्य थे और मनोज तिवारी को छोड़ दिया जाए, तो बाकी दो तो अपनी-अपनी पार्टियों के प्रमुख नेताओं में शामिल थे। इन्होंने आज पार्टी छोड़ी, अगली दो-चार रातों में पुरानी विचारधारा से पीछा छुड़ाया, और तुरंत ही भगवा विचारधारा में रंग गए। है न कमाल की बात! और इससे भी ज्यादा कमाल तो बीजेपी के थिंक टैंक ने दिखाया। इन साहब लोगों को तुरंत ही अपने उन कार्यकर्ताओं पर तरजीह देते हुए लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट थमा दिया, जो सालों से पार्टी की विचारधारा अपने कंधों पर ढोते रहे हैं।

जगदम्बिका पाल का तो व्यापक विरोध हुआ था। बीजेपी कार्यकर्ता साफ कह रहे थे कि अगर पाल को टिकट दिया गया, तो वे पार्टी ही छोड़ देंगे। फिर भी इन सारे विरोधों को दरकिनार करते हुए बीजेपी की संसदीय बोर्ड ने पाल को टिकट दे दिया। अब आप ही बताइए, उन कार्यकर्ताओं के दिलों पर क्या गुजरेगी जिन्होंने सालों अपने खून-पसीने से पार्टी की विचारधारा को सींचा। जिन कार्यकर्ताओं को इन्हीं जगदम्बिका पाल ने न जाने कितने ही मौकों पर गरियाया होगा, उन्हीं कार्यकर्ताओं से आप इनके पक्ष में जय-जयकार करवाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति ऐसा नहीं करेगा। दशकों तक कांग्रेसी विचारधारा के झंडाबरदार रहे पाल भी एकाएक चंद दिनों में भगवा विचारधारा में कैसे रंग गए, यह भी सोचने वाली बात है। इतनी तेजी से तो गिरगिट भी अपना रंग नहीं बदलता होगा।

रामकृपाल यादव भी लालू प्रसाद यादव के पुराने साथी रहे हैं। उन्होंने भी टिकट न मिलने से नाराज होकर पार्टी छोड़ी, बीजेपी में शामिल हुए, और बीजेपी ने भी अपने समर्पित कार्यकर्ताओं की छाती पर मूंग दलते हुए उन्हें पार्टी का टिकट थमा दिया। जो रामकृपाल सालों तक राजनाथ, जोशी और मोदी को गालियां देते रहे, उन्हें पार्टी में शामिल कर टिकट दे दिया गया, और जो कार्यकर्ता इन्हीं नेताओं की जय-जयकार करते रहे, उन्हें बस जयकारा लगाने लायक ही समझा गया। क्या त्याग, सेवा और समर्पण की बीजेपी में कोई कीमत नहीं? क्या इसी के दम पर बीजेपी बार-बार खुद को पार्टी विद डिफरेंस कहती है?

नेता पहले भी अपनी पार्टी बदलते रहे हैं, इससे मुझे क्या किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन चुनाव के मौसम में, जब पार्टी भी मान रही हो कि बीजेपी की लहर है, जनता कांग्रेसनीत सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए बेचैन है, तो इन दलबदलुओं को अपने कार्यकर्ताओं के उपर लाद देना कहीं न कहीं ये दिखा देता है कि आप कमजोर हैं। यह कौन सी लहर है जो आपको अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं की क्षमता पर भी विश्वास नहीं करने देती कि वे भी चुनाव जीत सकते हैं। इन नेताओं को यदि पार्टी की विचारधारा में इतना ही भरोसा था, तो अभी क्यों आए? पाल अगर साल-दो साल पहले कांग्रेस छोड़कर आते, कहते कि सरकार के घोटालों और जनता के प्रति सरकार की उपेक्षा देखकर वे बीजेपी में आए, तो उनका सेवाभाव समझ में आता। पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन पाल के ही शब्दों में कांग्रेस ने उन्हें उनका हक नहीं दिया, उनसे जूनियर लोगों को मंत्री बनाया गया, इसकी तकलीफ उनको थी और इसीलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी। और बीजेपी ने भी उनको हाथों-हाथ लिया और टिकट थमा दिया, कमाल है न!

हरियाणा, पंजाब, यूपी और बिहार.. इन सारे राज्यों में इतने पैराट्रूपर्स को बीजेपी ने टिकट दिया है, कि आम जनता और कार्यकर्ता समझ ही नहीं पा रहे हैं कि अब क्या करें। इन्हीं के अत्याचार और उपेक्षा से तो तंग होकर उन्होंने कांग्रसनीत सरकार को उखाड़ फेंकने का निश्चय किया था, अब फिर यही लोग, उस पार्टी की तरफ से आ गए हैं, जिसे जनता विकल्प समझ रही थी। निश्चित रूप से बीजेपी की लहर देश में थी, अभी भी है। बीजेपी के नेता जैसा कि दावा करते रहे हैं, यह लहर सुनामी तो बनेगी जरूर, पर इसमें बीजेपी डूबेगी या कांग्रेस, अब यह देखने वाली बात होगी। और जहां तक मेरी बात है, मुझे तो लग रहा है कि मोदी के अश्वमेघ के घोड़े को उन्हीं की पार्टी के कुछ नेता रोकन में लगे हैं। फिलहाल आप इस चुनावी सीजन का मजा लीजिए, और वोट जरूर दीजिएगा, क्योंकि वही आपकी असली ताकत है।

PS: इस पार्टी के सबसे सीनियर नेता और फाउंडर मेंबर लालकृष्ण आडवाणी के साथ जिस तरह का व्यवहार हो रहा है, उसने भी निश्चित रूप से कई पुराने भाजपाइयों को ठेस पहुंचाई होगी। जब तक उन्होंने गांधीनगर से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई, किसी ने उन्हें कोई आश्वासन नहीं दिया, और जैसे ही वे भोपाल को गले लगाने को तैयार दिखने लगे, पार्टी ने उन्हें गांधीनगर का टिकट दे दिया। क्या गजब का खेल है, इस चुनाव में तो, सारे समीकरण फेल हैं।