मंगलवार, 6 मई 2014

श्रीललिता चिन्तामणिमाला स्तोत्र

श्रीललिता चिन्तामणिमाला स्तोत्र

ॐ अस्य श्रीललिता चिन्तामणिमाला स्तोत्र महामन्त्रस्य दक्षिणामूर्तिर्भगवान् ऋषिः अनुष्टुप् छन्दः श्रीचिन्तामणि महाविद्येश्वरी ललिता महाभट्टारिका देवता ऐं बीजं क्लीं शक्तिः सौः कीलकं श्रीललिताम्बिका प्रसादसिद्धर्थे जपे विनियोगः || 
ध्यानम् 
बालार्कमण्डलाभासां चतुर्बाहुं त्रिलोचनाम् |
पाशाङ्कुशधनुर्बाणान् धारयन्तीं शिवां भजे ||

ऐं ह्रीं श्रीं
ॐ श्रीमाता श्रीमहाराज्ञी श्रीमत्सिंहासनेश्वरी |
चिदग्निकुण्डसम्भूता देवकार्यसमुद्यता ||
उद्यद्भानुसहस्राभा चतुर्बाहुसमन्विता |
रागस्वरूपपाशाढ्या क्रोधाकाराङ्कुशोज्ज्वला ||
मनोरूपेक्षुकोदण्डा पञ्चतन्मात्रसायका |
निजारुणप्रभापूरमज्जद्ब्रह्माण्डमण्डला ||
चम्पकाशोकपुन्नागसौगन्धिकलसत्कचा |
कुरुविन्दमणिश्रेणीकनत्कोटीरमण्डिता ||
अष्टमीचन्द्रविभ्राजदलिकस्थलशोभिता |
मुखचन्द्रकलङ्काभमृगनाभिविशेषका ||
वदनस्मरमाङ्गल्यगृहतोरणचिल्लिका |
वक्त्रलक्ष्मीपरीवाहचलन्मीनाभलोचना ||
नवचम्पकपुष्पाभनासादण्डविराजिता |
ताराकान्तितिरस्कारिनासाभरणभासुरा ||
कदम्बमञ्जरीकॢप्तकर्णपूरमनोहरा |
ताटङ्कयुगलीभूततपनोडुपमण्डला ||
पद्मरागशिलादर्शपरिभाविकपोलभूः |
नवविद्रुमबिम्बश्रीन्यक्कारिरदनच्छदा ||
शुद्धविद्याङ्कुराकारद्विजपङ्क्तिद्वयोज्ज्वला |
कर्पूरवीटिकामोदसमाकर्षद्दिगन्तरा || १०||
निजसल्लापमाधुर्यविनिर्भर्त्सितकच्छपी |
मन्दस्मितप्रभापूरमज्जत्कामेशमानसा ||
अनाकलितसादृश्यचिबुकश्रीविराजिता |
कामेशबद्धमाङ्गल्यसूत्रशोभितकन्धरा ||
कनकाङ्गदकेयूरकमनीयभुजान्विता |
रत्नग्रैवेयचिन्ताकलोलमुक्ताफलान्विता ||
कामेश्वरप्रेमरत्नमणिप्रतिपणस्तनी |
नाभ्यालवालरोमालिलताफलकुचद्वयी ||
लक्ष्यरोमलताधारतासमुन्नेयमध्यमा |
स्तनभारदलन्मध्यपट्टबन्धवलित्रया ||
अरुणारुणकौसुम्भवस्त्रभास्वत्कटीतटी |
रत्नकिङ्किणिकारम्यरशनादामभूषिता ||
कामेशज्ञातसौभाग्यमार्दवोरुद्वयान्विता |
माणिक्यमुकुटाकारजानुद्वयविराजिता ||
इन्द्रगोपपरिक्षिप्तस्मरतूणाभजङ्घिका |
गूढगुल्फा कूर्मपृष्ठजयिष्णुप्रपदान्विता ||
नखदीधितिसंछन्ननमज्जनतमोगुणा |
पदद्वयप्रभाजालपराकृतसरोरुहा ||
शिञ्जानमणिमञ्जीरमण्डितश्रीपदाम्बुजा |
मरालीमन्दगमना महालावण्यशेवधिः ||
सर्वारुणाऽनवद्याङ्गी सर्वाभरणभूषिता |
शिवकामेश्वराङ्कस्था शिवा स्वाधीनवल्लभा ||
सुमेरुमध्यशृङ्गस्था श्रीमन्नगरनायिका |
चिन्तामणिगृहान्तस्था पञ्चब्रह्मासनस्थिता ||
महापद्माटवीसंस्था कदम्बवनवासिनी |
सुधासागरमध्यस्था कामाक्षी कामदायिनी ||
देवर्षिगणसंघातस्तूयमानात्मवैभवा |
भण्डासुरवधोद्युक्तशक्तिसेनासमन्विता ||
सम्पत्करीसमारूढसिन्धुरव्रजसेविता |
अश्वारूढाधिष्ठिताश्वकोटिकोटिभिरावृता ||
चक्रराजरथारूढसर्वायुधपरिष्कृता |
गेयचक्ररथारूढमन्त्रिणीपरिसेविता ||
किरिचक्ररथारूढदण्डनाथापुरस्कृता |
ज्वालामालिनिकाक्षिप्तवह्निप्राकारमध्यगा ||
भण्डसैन्यवधोद्युक्तशक्तिविक्रमहर्षिता |
नित्यापराक्रमाटोपनिरीक्षणसमुत्सुका ||
भण्डपुत्रवधोद्युक्तबालाविक्रमनन्दिता |
मन्त्रिण्यम्बाविरचितविषङ्गवधतोषिता ||
विशुक्रप्राणहरणवाराहीवीर्यनन्दिता |
कामेश्वरमुखालोककल्पितश्रीगणेश्वरा ||
महागणेशनिर्भिन्नविघ्नयन्त्रप्रहर्षिता |
भण्डासुरेन्द्रनिर्मुक्तशस्त्रप्रत्यस्त्रवर्षिणी ||
कराङ्गुलिनखोत्पन्ननारायणदशाकृतिः |
महापाशुपतास्त्राग्निनिर्दग्धासुरसैनिका ||
कामेश्वरास्त्रनिर्दग्धसभण्डासुरशून्यका |
ब्रह्मोपेन्द्रमहेन्द्रादिदेवसंस्तुतवैभवा ||
हरनेत्राग्निसंदग्धकामसञ्जीवनौषधिः |
श्रीमद्वाग्भवकूटैकस्वरूपमुखपङ्कजा ||
कण्ठाधःकटिपर्यन्तमध्यकूटस्वरूपिणी |
शक्तिकूटैकतापन्नकट्यधोभागधारिणी ||
मूलमन्त्रात्मिका मूलकूटत्रयकलेबरा |
कुलामृतैकरसिका कुलसंकेतपालिनी ||
कुलाङ्गना कुलान्तस्था कौलिनी कुलयोगिनी |
अकुला समयान्तस्था समयाचारतत्परा ||
मूलाधारैकनिलया ब्रह्मग्रन्थिविभेदिनी |
मणिपूरान्तरुदिता विष्णुग्रन्थिविभेदिनी ||
आज्ञाचक्रान्तरालस्था रुद्रग्रन्थिविभेदिनी |
सहस्राराम्बुजारूढा सुधासाराभिवर्षिणी ||
तटिल्लतासमरुचिः षट्चक्रोपरिसंस्थिता |
महासक्तिः कुण्डलिनी बिसतन्तुतनीयसी |
श्रीशिवा शिवशक्त्यैक्यरूपिणी ललिताम्बिका ||

रविवार, 4 मई 2014

अष्ट लक्ष्मी स्त्रोत्रम

अष्ट लक्ष्मी स्त्रोत्रम 

आदिलक्ष्मि
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायनि, मञ्जुल भाषिणि वेदनुते ।
पङ्कजवासिनि देव सुपूजित, सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, आदिलक्ष्मि परिपालय माम् ॥ 1 ॥

धान्यलक्ष्मि
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि, वैदिक रूपिणि वेदमये
क्षीर समुद्भव मङ्गल रूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धान्यलक्ष्मि परिपालय माम् ॥ 2 ॥

धैर्यलक्ष्मि
जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि, मन्त्र स्वरूपिणि मन्त्रमये
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद, ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते ।
भवभयहारिणि पापविमोचनि, साधु जनाश्रित पादयुते
जय जयहे मधु सूधन कामिनि, धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 3 ॥

गजलक्ष्मि
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये
रधगज तुरगपदाति समावृत, परिजन मण्डित लोकनुते ।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, ताप निवारिणि पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम् ॥ 4 ॥

सन्तानलक्ष्मि
अयिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये
गुणगणवारधि लोकहितैषिणि, सप्तस्वर भूषित गाननुते ।
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर, मानव वन्दित पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, सन्तानलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 5 ॥

विजयलक्ष्मि
जय कमलासिनि सद्गति दायिनि, ज्ञानविकासिनि गानमये
अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर, भूषित वासित वाद्यनुते ।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शङ्करदेशिक मान्यपदे
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, विजयलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 6 ॥

विद्यालक्ष्मि
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये
मणिमय भूषित कर्णविभूषण, शान्ति समावृत हास्यमुखे ।
नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम् ॥ 7 ॥

धनलक्ष्मि
धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि-दिन्धिमि, दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम, शङ्ख निनाद सुवाद्यनुते ।
वेद पूराणेतिहास सुपूजित, वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धनलक्ष्मि रूपेणा पालय माम् ॥ 8 ॥

फलशृति
श्लो॥ अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विष्णुवक्षः स्थला रूढे भक्त मोक्ष प्रदायिनि ॥

श्लो॥ शङ्ख चक्रगदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः ।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलं शुभ मङ्गलम् ॥

शिव तांडव स्त्रोत्रम

 श्री शिव तांडव स्त्रोत्रम 

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥ 1 ॥
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी-
-विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥ 2 ॥
धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥ 3 ॥
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥ 4 ॥
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥ 5 ॥
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा-
-निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥ 6 ॥
करालफालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनञ्जयाधरीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक-
-प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥ 7 ॥
नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्-
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबन्धुकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरन्धरः ॥ 8 ॥
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा-
-विलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदान्धकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥ 9 ॥
अगर्वसर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥ 10 ॥
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस-
-द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालफालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥ 11 ॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्-
-गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृष्णारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥ 12 ॥
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमञ्जलिं वहन् ।
विमुक्तलोललोचनो ललाटफाललग्नकः
शिवेति मन्त्रमुच्चरन् सदा सुखी भवाम्यहम् ॥ 13 ॥
इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसन्ततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिन्तनम् ॥ 14 ॥
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः
शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥ 15 ॥