बुधवार, 29 अक्तूबर 2014

दुः स्वप्न नाश मंत्र

मित्रो हम आपको बुरे स्वप्न से मुक्ति का प्रयोग बता रहे है.यह क्रिया आपको किसी भी मंगलवार से आरम्भ कर अगले मंगलवार तक करनी है.प्रातः दैनिक पूजन के समय अपने सीधे हाथ में एक निम्बू रखिये और निम्न मंत्र का १५ मिनट तक बिना किसी माला के जाप करे.
दसो दिसन का रखवाला राम भगत तू मतवाला, तुम राम जपो हम सो जाये निद्रा में राम चरण पाए ,आओ हनुमंत रक्षा करो राम नाम मन में धरो दुहाई माता अंजनी की.
इसके बाद निम्बू को उस व्यक्ति के सर पर से ७ बार वारकर दो हिस्से में काटकर घर से बहार फेक दे,जिसे बुरे सपने आते हो.
यह क्रिया ८ दिन करे समस्या का अंत हो जायेगा।जिन लोगो को अनिद्रा की समस्या है वह भी यह प्रयोग कर सकते है अवश्य लाभ होगा।

माता बगलामुखी अष्टोत्तरशत नाम स्तोत्र

माता बगलामुखी अष्टोत्तरशत नाम स्तोत्र
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ब्रह्मास्त्ररुपिणी देवी माता श्रीबगलामुखी ।
चिच्छिक्तिर्ज्ञान-रुपा च ब्रह्मानन्द-प्र
दायिनी ।। १ ।।
महाविद्या महालक्ष्मी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।
भुवनेशी जगन्माता पार्वती सर्वमंगला ।। २ ।।
ललिता भैरवी शान्ता अन्नपूर्णा कुलेश्वरी ।
वाराही छीन्नमस्ता च तारा काली सरस्वती ।।
३ ।।
जगत्पूज्या महामाया कामेशी भगमालिनी ।
दक्षपुत्री शिवांकस्था शिवरुपा शिवप्रिया ।। ४
।।
सर्व-सम्पत्करी देवी सर्वलोक वशंकरी ।
विदविद्या महापूज्या भक्ताद्वेषी भयंकरी ।। ५
।।
स्तम्भ-रुपा स्तम्भिनी च दुष्टस्तम्भनकारिणी ।
भक्तप्रिया महाभोगा श्रीविद्या ललिताम्बिका ।।
६ ।।
मैनापुत्री शिवानन्दा मातंगी भुवनेश्वरी ।
नारसिंही नरेन्द्रा च नृपाराध्या नरोत्तमा ।। ७
।।
नागिनी नागपुत्री च नगराजसुता उमा ।
पीताम्बा पीतपुष्पा च पीतवस्त्रप्रिया शुभा ।।
८ ।।
पीतगन्धप्रिया रामा पीतरत्नार्चिता शिवा ।
अर्द्धचन्द्रधरी देवी गदामुद्गरधारिणी ।। ९ ।।
सावित्री त्रिपदा शुद्धा सद्योराग विवर्धिनी ।
विष्णुरुपा जगन्मोहा ब्रह्मरुपा हरिप्रिया ।। १०
।।
रुद्ररुपा रुद्रशक्तिश्चिन्मयी भक्तवत्सला ।
लोकमाता शिवा सन्ध्या शिवपूजनतत्परा ।। ११
।।
धनाध्यक्षा धनेशी च नर्मदा धनदा धना ।
चण्डदर्पहरी देवी शुम्भासुरनिबर्हिणी ।। १२ ।।
राजराजेश्वरी देवी महिषासुरमर्दिनी ।
मधूकैटभहन्त्री देवी रक्तबीजविनाशिनी ।। १३ ।।
धूम्राक्षदैत्यहन्त्री च भण्डासुर विनाशिनी ।
रेणुपुत्री महामाया भ्रामरी भ्रमराम्बिका ।। १४
।।
ज्वालामुखी भद्रकाली बगला शत्रुनाशिनी ।
इन्द्राणी इन्द्रपूज्या च गुहमाता गुणेश्वरी ।। १५
।।
वज्रपाशधरा देवी ज्ह्वामुद्गरधारिणी ।
भक्तानन्दकरी देवी बगला परमेश्वरी ।। १६ ।।
अष्टोत्तरशतं नाम्नां बगलायास्तु यः पठेत् ।
रिपुबाधाविनिर्मुक्तः लक्ष्मीस्थैर्यमवाप्नुयात् ।।
१७ ।।
भूतप्रेतपिशाचाश्च ग्रहपीड़ानिवारणम् ।
राजानो वशमायांति सर्वैश्वर्यं च विन्दति ।। १८
।।
नानाविद्यां च लभते राज्यं प्राप्नोति निश्चितम्

भुक्तिमुक्तिमवाप्नोति साक्षात् शिवसमो भवेत् ।।

मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014

दीपावली कैसे मनाएं.... पूर्ण पूजन विधान -


दीपावली केवल दीप प्रज्ज्वलित करने का ही त्यौहार नहीं है, अपितु सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्त करने हेतु गणपति, लक्ष्मी एवं कुबेर पूजन का भी विशेष अवसर है. यह शास्त्र सम्मत है कि इस समय यदि भली प्रकार से इनका पूजन कार्य संपन्न कर लिया जाये, तो पूरे वर्ष भर इन देवी-देवताओं कि कृपा प्राप्ति निश्चित रूप से होती है | सामान्य जन के लाभार्थ एक सरल पूजन विधि यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ जो अपने आप में पूर्ण फलदायक है, मुझे उम्मीद है कि आपको इससे बहुत लाभ होगा |
मुहूर्त- दीपावली महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त वह होना चाहिए जो स्थिर लग्न हो, प्रदोष काल हो, तिथि अमावस्या हो | स्थिर लग्न में पूजन इसलिए होता है जिससे कि लक्ष्मी हमारे घर में स्थायी निवास कर सके | इस बार दीपावली २३ अक्टूबर को है, पूजन मुहूर्त – 7:30pm – 8:35pm का श्रेष्ठ है |
महालक्ष्मी पूजन इस प्रकार से किया जाता है-
आत्म-शोधन, संकल्प, शान्ति-मंगल-पाठ, कलश-स्थापन, गणपति पूजन, नव-ग्रह-पूजन, षोडश-मात्रिका पूजन, गणेश-लक्ष्मी-पूजन, लेखनी-दावात में काली पूजन, बही-खाते में सरस्वती पूजन, तिजोरी बक्से पर कुबेर पूजन, दीप मालिका पूजन, क्षमा-प्रार्थना, विसर्जन |
सर्वप्रथम गुरु पूजन कर लें और संक्षिप्त में गणपति पूजन करें, इनका विग्रह अथवा चित्र सामने रखकर इसपर पूजन का सामान चढ़ाएं |
इसके पश्चात लक्ष्मी पूजन के लिए सामने कोई श्री यन्त्र, या कनकधारा यन्त्र या लक्ष्मी विग्रह स्थापित करें और षोडशोपचार या पंचोपचार विधि से पूजन संपन्न करें -
ध्यान देने योग्य बातें -
लक्ष्मी को गुलाब के पुष्प अत्यधिक प्रिय हैं, इसलिए कोशिश करके उसी से पूजन करें | घी के दीपक में कुछ बूँद इत्र डाल देनी चाहिए, स्त्रियाँ पूर्ण सज-धज कर पूजन करे, और पुरुष भी राजसिक वस्त्र धारण करे यानी पीले रंग कि रेशम कि धोती, पीला आसन इत्यादि. दिशा पूर्व या फिर उत्तर रहे.
इसके पश्चात आप श्री-सूक्त में दिए हुए ध्यान, संकल्प आदि कर सकते हैं और फिर श्री-सूक्त का पाठ कर सकते हैं | फिर लक्ष्मी मंत्र का जप आप किसी भी माला से (रूद्राक्ष माला के आलावा किसी भी माला से) यथा संभव ११, २१ या १०१ माला करें | यह भी ध्यान रखें कि दीपक पोरी रात्रि-काल जलता रहे | इसमें पूजन स्थान पर आभूषण रखकर उसका भी पूजन किया जाता है, जिसे आप दूसरे दिन से ही धारण कर सकते हैं |
इस प्रकार से विधि-विधान पूर्वक लक्ष्मी पूजन करने से निश्चय ही धन-धान्य वृद्धि और निश्चित सफलता प्राप्त होती है |