रविवार, 9 नवंबर 2014

पीलिया झारने का मंत्र

पीलिया को ही शहरों में जॉन्डिस और हेपटाइटिस के नाम से जाना जाता है । इसकी एलोपैथी में चिकित्सा नहीं हो पाती है और अगर कोई करता भी है तो लाखो रुपये खर्च करने पर भी पूर्ण आराम नहीं हो पाता है । 

मैं जो निम्न मंत्र बता रहा हु सर्व प्रथम इसकी सिद्धि करे । ततपश्चात पीलिया के रोगी को सामने बैठा कर कांसे की कटोरी में तेल डाल कर रोगी के सर पर रखे और कुशा से हिलाते हुए इक्कीस बार मंत्र बोले । ऐसा 

करने पर यदि कटोरे का तेल पीला हो जाये तो समझें चाहिए की मंत्र सिद्ध हो गया है और रोगी रोग मुक्त हो रहा है । इसी विधि को तीन दिन करने से रोगी पूर्णतः रोग मुक्त हो जाता है । 

मंत्र :- ओम नमो विखेताल असराल नारसिंह देव तुषादि पीलिया कूँ भिदाती कौरे झौरे पीलिया रहे न नेक निशान जो कहीं रह जाय तो हनुमंत की आन मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा । 

विधि :- होली, रामनवमी या दिवाली की रात्रि से यह मंत्र आरम्भ कर देना चाहिए और नित्य एक हजार मंत्रो का जाप करके इक्कीस दिन में इक्कीस हजार जप करके मंत्र को सिद्ध कर लेना चाहिए । 

ओलो का स्तम्भन (शाबर मंत्र प्रयोग)

कई बार यह देखा जाता है की ओलो और तूफान से कृषि को अत्यधिक हानि पहुचती है अनेक बार तो ओला वृष्टि से खेतो की फैसले तो नष्ट होती ही है जान की भी  हानि पहुचती है  अतः इसी को ध्यान में रखकर निम्न प्रयोग दिया जा रहा है । इस मंत्र के प्रयोग से ओलो को बराया (भगाया)  जाता है  

मंत्र :- समुद्र समुद्र में द्धीप द्धीप में कूप कूप में कुई जहाँ ते चले हरि हर परे ओले चारो तरफ बरावत चला हनुमंत बरावत चला भीम ईश्वर भांजि मठ में जाय गौरा बैठी द्वारे नहाईं ठक्कनै उद्परै न बोला राजा इंद्र की दुहाई मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा । 

मंत्र सिद्ध करने की विधि :- आषाढ़ की पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा) से श्रावण की पूर्णिमा तक एक माह तक गांव के बाहर बने हनुमान मंदिर पर पूजन आदि संपन्न कर नित्य एक माला जपने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है । मंत्र जप के समय गुग्गल की धुप देते रहे । 

प्रयोग विधि :- सिद्धि के पश्चात  स्वतः उगी सरसों एकत्र करके नवरात्रों में उस पर नित्य एक माला का जप करे । इस प्रकार सिद्ध की गई सरसो को ओले बरसते समय गाँव के बाहर जाकर  मंत्र पढ़ते हुए कुछ कुछ दाने  चारो दिशाओ में कुछ कुछ दाने ऐसी दिशा में फेंके जहां खेत न हो । बरसते हुए उसी दिशा में गिराने लगेंगे और फसल सुरक्षित हो जाएगी । 

तांत्रिक प्रयोग निवारण प्रयोग

यदि किसी भी प्रकार के तांत्रिक प्रयोग किये जाने के कारन कोई ब्यक्ति बार बार बीमार पर जाता हो और लगातार परेशान रहता हो तो उसके निवारण हेतु प्रयोग  प्रस्तुत कर रहा हु जिसका प्रयोग कोई भी श्रधा के साथ कर सकता है :-
सामग्री :- 01 कैथा का फल ।
आसन- कोई भी
वस्त्र - कोई भी
समय - दोपहर या अर्द्ध रात्रि में
मन्त्र- न्री  नरसिंघा ये प्रचंड रुपाये सर्व बाधा नाशय नाशय !!
विधि :- कैथा के फल को सामने रखकर उपरोक्त मन्त्र का एक माला जप कर कैथा के फल पर एक बार फुक मारे । इस प्रकार कुल 08 माला उपरोक्त मन्त्र का जप कर 08 बार कैथा के फल पर फुक मरने के बाद उस फल से उसी समय पीड़ित व्यक्ति का 7 बार उतारा  करे और उस कैथा के फल को किसी चौराहे पर जाकर पटककर फोर दे तथा वापस घर चले आये । रास्ते में पीछे मुरकर नहीं देखे ।
यदि कैथा का फल उपलब्ध नहीं हो तो बेल का फल उपयोग में लाया जा सकता है