कांजी भाई और pk कोर्ट में हाजिर हुए >>
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वकील : हाँ तो आप दोनों का कहना है कि इन्सान
डर के कारण मंदिर जाता है और मूर्ति पूजा गलत है।
कांजी भाई : जी बिलकुल। ईश्वर तो सभी जगह है
उसको मंदिर में ढूँढने की क्या आवश्यकता है।
वकील : आप का मतलब है कि मंदिर में नहीं है।
कांजी भाई : वहां भी है।
वकील : तो फिर आप लोगो को मंदिर जाना क्यों
पाखंड लगता है?
कांजी भाई : हमारा मतलब है मंदिर ही क्यों
जाना मूर्ति में ही क्यों?? जब सभी जगह है तो
जरूरत ही क्या है पूजा करने की बस मन में ही पूजा
कर लो।
वकील-'हा हा हा हा '
कांजी भाई- इसमें हंसने की क्या बात है??
वकील दोनो को घूरते हुए आगे बड़ा और पुछा- एक
बात बताइए आप पानी केसे पीते है?
'पानी कैसे पीते है?
ये कैसा पागलो जासा सवाल है जज साहब?कांजी
बोला'
वकील लगभग चिल्लाते हुए - मैं पूछता हूँ आप पानी
कैसे पीते है ?
कांजी भाई हडबडाते हुए - ज ज ज जी ग्लास से।
पॉइंट टू बी नोटेड मी लार्ड कांजी भाई ग्लास से
पानी पीते है
और ये pk तो इस ग्रह का आदमी नहीं है फिर भी पूछ
लेते है।
क्यों भाई तुम पानी कैसे पीते हो?
pk- जी मैं भी ग्लास से पीता हूँ।
वकील कांजी भाई की और मुड़ते हुए - कांजी भाई
एक बात बताइए जब पानी हाइड्रोजन और
आक्सीजन के रूप में इस हवा में भी मोजूद है तो आप
हवा में से सूंघकर पानी क्यों नहीं पी लेते?
और ऐसा कहकर वकील ने हवा में लगभग नाक को
तीन बार अलग अलग घुसेड़ते हुए बताया मानो हवा से
नाक से पानी पी रहा हो।
कांजी भाई झुंझलाकर बोला - जज साहब वकील
साहब कैसी बाते कर रहे है?भला इस प्रकार हवा से
सूंघकर पानी कैसे पिया जा सकता है ?पानी पीने के
लिए किसी ग्लास की जरूरत तो पड़ेगी ही।
और वकील जेसे कांजी पर टूट पड़ा हो- इसी प्रकार
कांजी भाई जैसे आप यह जानते हुए भी कि पानी
सभी जगह मोजूद है आप को पानी पीने के लिए
ग्लास की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार यह
जानते हुए भी कि ईश्वर सभी जगह मोजूद है उसके
बावजूद हमें मूर्ति ,मंदिर या तीर्थस्थल की
आवश्यकता होती है ताकि हम ईश्वर की सरलता से
ध्यान लगाकर आराधना कर सके ।
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कांजी भाई चुप।
और अब pk को भी बात समझ में आ चुकि थी कि
आदमी मंदिर क्यों जाता है
बुधवार, 17 जून 2015
शनिवार, 6 जून 2015
स्वप्न वाराही सिद्धी
स्वप्न वाराही सिद्धी.
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यह एक अनोखी साधना है जिसमे सफलता पाना आसान है परंतु इस साधना का उपयोग तभी करना चाहिये जब आप किसी कठिन समस्या मे फसे हुए हो और समस्या से बाहर निकलने का रास्ता ना मिले.
कभी भी इस साधना का गलत प्रयोग ना करे जैसे सट्टा या लौटरी का नंबर स्वप्न मे देखना.
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यह एक अनोखी साधना है जिसमे सफलता पाना आसान है परंतु इस साधना का उपयोग तभी करना चाहिये जब आप किसी कठिन समस्या मे फसे हुए हो और समस्या से बाहर निकलने का रास्ता ना मिले.
कभी भी इस साधना का गलत प्रयोग ना करे जैसे सट्टा या लौटरी का नंबर स्वप्न मे देखना.
साधना विधि:-
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सोने से पूर्व जहा आप सोते है वहा के आस पास का जगहा साफ करके रखे और चद्दर भी साफ सुधरी होनी चाहिये.
सोने से पहिले 3 माला जाप 21 दिनो तक करना है.इससे आपको इस साधना मे सफलता मिलती है.जब किसी सवाल का जवाब प्राप्त करना हो तब 'स्वप्न वाराही" से प्रार्थना करके अपना सवाल बताये और 11 बार मंत्र का जाप करके निद्रा ले,इस विधान से आपको समस्या के निवारण हेतु जवाब स्वप्न मे मिल जायेगा.
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सोने से पूर्व जहा आप सोते है वहा के आस पास का जगहा साफ करके रखे और चद्दर भी साफ सुधरी होनी चाहिये.
सोने से पहिले 3 माला जाप 21 दिनो तक करना है.इससे आपको इस साधना मे सफलता मिलती है.जब किसी सवाल का जवाब प्राप्त करना हो तब 'स्वप्न वाराही" से प्रार्थना करके अपना सवाल बताये और 11 बार मंत्र का जाप करके निद्रा ले,इस विधान से आपको समस्या के निवारण हेतु जवाब स्वप्न मे मिल जायेगा.
मंत्र-
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ll ओम ह्रीं नमो वाराहि अघौरे स्वप्न दर्शय दर्शय ठ: ठ: स्वाहा ll
ll om hreem namo vaarahi aghoure swapn darshay darshay thaa thaa swaahaa ll
3 माला रोज 21 दिनो तक जाप करना है.
दिशा,वस्त्र,माला का कोई विधान नही है इसलिये चिंतित ना हो.
दिशा,वस्त्र,माला का कोई विधान नही है इसलिये चिंतित ना हो.
शनिवार, 18 अप्रैल 2015
परीक्षा में सफलता हेतु सरल प्रयोग
परीक्षा में सफलता हेतु सरल प्रयोग
मित्रों,
अक्सर बहुत सारे बच्चे, छात्र, परीक्षार्थी और उनके माता पिता, व्यक्तिगत रूप से मेसेज बॉक्स में या फिर बहुत सारे ग्रुप्स में परीक्षा में सफलता के लिए इसी बारे में पूछते हैं कि
अक्सर बहुत सारे बच्चे, छात्र, परीक्षार्थी और उनके माता पिता, व्यक्तिगत रूप से मेसेज बॉक्स में या फिर बहुत सारे ग्रुप्स में परीक्षा में सफलता के लिए इसी बारे में पूछते हैं कि
हाईस्कूल या इंटर की परीक्षा में सफल होने के लिए या अच्छे अंक पाने के लिए कोई प्रयोग बताएं।
प्रतियोगी परीक्षा में या सरकारी नौकरी के लिए कुछ बताएं।
प्रतियोगी परीक्षा में या सरकारी नौकरी के लिए कुछ बताएं।
आज आपको इसी विषय में एक अनुभूत प्रयोग बताने जा रहा हूँ जिसका मैंने बहुत बार प्रयोग किया है और आशातीत परिणाम पाया है। आज गुरु पुष्य नक्षत्र में जब मैंने ये कुछ लोगों के लिए बनाये तो विचार आया की ये प्रयोग सार्वजानिक कर दूँ ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्र इसका लाभ ले सकें।
ये प्रयोग आप
गणेश चतुर्थी के दिन कर सकते हैं फिर बसंत पंचमी के अवसर पर भी। अथवा गुरु पुष्य नक्षत्र में |
सर्वप्रथम भूमि को साफ कर उस पर रोली या सिंदूर से एक स्वस्तिक का चिन्ह बनायें इस पर एक लकड़ी का पाटा या चौकी स्थापित करें। इस चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर एक ताम्बे या स्टील की थाली रखें। थाली में केसर या हल्दी से अष्टदल बनायें , इस पर पीले या लाल फूल बिछाकर भगवन गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
अब दायें हाथ में जल अक्षत और पुष्प लेकर संकल्प करें की आप (अपना नाम) पुत्र श्री (पिता का नाम) गोत्र माघ मास चतुर्थी तिथि कृष्ण पक्ष दिन रविवार _____स्थान में _______ परीक्षा में सफलता के लिए ये प्रयोग कर रहे हैं और सफल होने पर उनके निमित्त ________ करेंगे।
तत्पश्चात भोजपत्र पर अनार की कलम से अष्टगंध या केसर की स्याही से नीचे दिए चित्र अनुसार पंद्रह का यन्त्र बनायें और यंत्र के नीचे विद्यार्थी का नाम पिता का नाम और गोत्र लिखें।
इस भोजपत्र को प्रतिमा के चरणों में रख दें। साथ में यदि उपलब्ध हो तो सिद्ध श्वेतार्क मूल भी इसके साथ रख दें।
इस भोजपत्र को प्रतिमा के चरणों में रख दें। साथ में यदि उपलब्ध हो तो सिद्ध श्वेतार्क मूल भी इसके साथ रख दें।
अब भगवन की और यंत्र की पंचोपचार पूजा करें, 108 दूर्वादल और 108 हरी इलायची चढ़ाएं और निम्न मंत्र से उनका ध्यान करे
ं
एक दंतम चतुर्हस्तं पाशमंकुश धारिणम।
रदम च वरदं हस्तैर्विभ्राणम मूषकध्वजम।।
लम्बोदरम शूपकर्णकम रक्तवाससम।
रक्तगंधानुलिप्तंगम रक्तपुषपैसुपुजितम।।
भक्तानुकंपिनं देवं जगत्कारणमुच्यतम।
एवं ध्यायन्ति यो नित्यं सः योगी: योगिनाम वर:।।
ं
एक दंतम चतुर्हस्तं पाशमंकुश धारिणम।
रदम च वरदं हस्तैर्विभ्राणम मूषकध्वजम।।
लम्बोदरम शूपकर्णकम रक्तवाससम।
रक्तगंधानुलिप्तंगम रक्तपुषपैसुपुजितम।।
भक्तानुकंपिनं देवं जगत्कारणमुच्यतम।
एवं ध्यायन्ति यो नित्यं सः योगी: योगिनाम वर:।।
तत्पश्चात निम्न मंत्र का 11 माला जप करें। जप रुद्राक्ष स्फटिक श्वेत या रक्त चन्दन अथवा हल्दी माला से कर सकते हैं। तुलसी माला का प्रयोग वर्जित है।
ॐ एकदंत महाबुद्धिः सर्वसौभाग्य दायकः।
सर्व सिद्धि करो देव गौरी पुत्रो विनायकः।।
सर्व सिद्धि करो देव गौरी पुत्रो विनायकः।।
भगवन को तिल के लड्डुओं का भोग लगायें।
इसके बाद उक्त यन्त्र को चाँदी या ताबीज में भरकर श्वेतार्क मूल के साथ लाल वस्त्र में सिलकर गले में धारण कर लें। फिर प्रतिदिन इस मंत्र की एक माला जप करें। परीक्षा के दिन में जब समय कम होता है तब भी कम से कम 21 जप अवश्य करें।
इसके बाद उक्त यन्त्र को चाँदी या ताबीज में भरकर श्वेतार्क मूल के साथ लाल वस्त्र में सिलकर गले में धारण कर लें। फिर प्रतिदिन इस मंत्र की एक माला जप करें। परीक्षा के दिन में जब समय कम होता है तब भी कम से कम 21 जप अवश्य करें।
इलायची निकलकर बाकि पूजन सामग्री वस्त्र समेत प्रवाहित कर दें। एक इलायची प्रतिदिन खाएं ये आपकी बुद्धि और ग्रहण क्षमता तीव्र करेगी।
यदि श्वेतार्क मूल का ताबीज या सिद्ध मूल न हो तो सिर्फ यन्त्र भी बहुत प्रभावशाली है।
जो बच्चे ये प्रयोग न कर सकें उनके मातापिता ये कर सकते हैं, संकल्प में प्रार्थना करें की आप ये अपने बच्चे के लिए कर रहे हैं और इसका फल उसे मिले।
बहुत से बच्चे पढने में कमजोर होते हैं।
बहुतों का मन पढाई में कम या नहीं लगता है।
कुछ याद अच्छा कर लेते हैं पर परीक्षा में भूल जाते हैं।
कुछ लिखते अच्छा हैं पर याद नहीं कर पाते। कुछ मेहनत बहुत करते हैं पर फिर भी अछे नम्बर नहीं आते।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं और नौकरी हेतु परीक्षाओं की तयारी करने वाले छात्र ।
बहुतों का मन पढाई में कम या नहीं लगता है।
कुछ याद अच्छा कर लेते हैं पर परीक्षा में भूल जाते हैं।
कुछ लिखते अच्छा हैं पर याद नहीं कर पाते। कुछ मेहनत बहुत करते हैं पर फिर भी अछे नम्बर नहीं आते।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं और नौकरी हेतु परीक्षाओं की तयारी करने वाले छात्र ।
ये सभी उपरोक्त लघु साधना का प्रयोग कर अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते है।
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