सोमवार, 10 अक्तूबर 2016

साधना मे रक्षा हेतु हनुमान शाबर मंत्र

साधना मे रक्षा हेतु हनुमान शाबर मंत्र
इस शाबर मंत्र को किसी शुभ दिन जैसे ग्रहण, होली, रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग मे 1008 बार जप कर
सिद्ध कर ले । माला लाल मुंगे या तुलसी जो प्राण प्रतिष्ठीत हो । वस्त्र लाल, दिशा उत्तर या पुर्व, आसन ऊन का । इस मंत्र का जाप आप हनुमान मंदिर मे करेंगे तो ज्यादा उचित है । नही तो घर पर भी कर सक्ते है । हनुमान जी का विधी विधान से पुजन करके 11 लड्डुओ का तुलसी दल रख कर भोग लगा कर जप शुरू कर दे । जप समाप्त होने पर हनुमान जी को प्रणाम करे बस आपका मंत्र सिद्ध हो गया ।
प्रयोग :- जब भी आप कोई साधना करे तो मात्र 7 बार इस मंत्र का जाप करके रक्षा घेरा बनाने से स्वयं
हनुमान जी रक्षा करते है । इस मंत्र का 7 बार जप कर के ताली बजा देने से भी पूर्ण तरह से रक्षा होती है । और इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद रोज इस मंत्र की 1 माला जाप करने पर टोना जादु साधक पर असर नही करते ।
मंत्र :-
॥ ओम नमो हनुमान वज्र का कोठा, जिसमे पिंण्ड हमारा पैठा,
ईश्वर कुंजी ब्रम्हा ताला, मेरे आठो याम का यति हनुमंत रखवाला ।

हनुमान सिद्धि शाबर मन्त्र !

हनुमान सिद्धि शाबर मन्त्र !

अजरंग पहनू ! बजरंग पहनू ! सब रंग रखु पास ! दाये चले भीमसेन ! बाये हनुमंत ! आगे चले काजी साहब !! पीछे कुल बलारद ! आतर चौकी कच्छ कुरान ! आगे पीछे तुं रहमान ! धड़ खुदा, सिर राखे सुलेमान !! लोहे का कोट, ताम्बे का ताला !! करला हंसा बीरा ! करतल बसे समुंदर तीर ! हांक चले हनुमान कि ! निर्मल रहे शरीर !!
विधि - किसी शुभ मंगलवार से हनुमान जी के सभी नियम मानते हुए ! ११ माला प्रतिदिन जपे ! ११ दिन पुरे होने पर ! हनुमान जी के नाम पर हवन करे ! गरीब बच्चो और कन्याओ को दान-दक्षिणा दे कर, आशीर्वाद प्राप्त करे ! हनुमान जी के स्वप्न में दर्शन होगे ! बाद में भी प्रतिदिन १ माला जपते रहे ! हनुमान जी कि कृपया बनी रहेगी !
नोट- यदि ११ दिन से पहले ही हनुमान जी का आशीर्वाद मिल जाये तो भी ११ दिन अवश्य पुरे करे ! जाप बीच में न छोड़े ! जितना विश्वास और श्रध्दा होगी ! उतनी जल्दी बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होगा !

गायत्री संध्या ब्राह्मणों के लिए क्यों ?

ब्राह्मणों को ही गायत्री संध्या अनिवार्य क्यों है ?

इसलिए क्योंकि ब्रह्म गायत्री की संध्या त्रिकाल करने से ब्राह्मणों के सभी कष्ट निवारण होते है । उनकी सभी मनोकामनाये भी गायत्री मंत्र के प्रभाव से पूर्ण हो जाती हैं । गायत्री मंत्र ब्राह्मण को आसानी से अपना प्रभाव देने लगता है और सिद्ध हो जाता है । अतः सभी ब्राह्मण बंधू इस कामधेनु रूपी ब्रह्म गायत्री की त्रिकाल संध्या अवश्य करे । अगर त्रिकाल न कर सके तो द्विकाल अर्थात दो समय तो अवश्य करे और चमत्कार देखे । 

विशेष :- गायत्री मंत्र को पद विभाजन करके ही जपना चाहिए जो पद विभाजन नहीं करते उन्हें दोष लगता है । शापविमोचन,  विनियोग, पूर्ण न्यास, प्राणायाम ,ध्यान, मुद्रा प्रदर्शन सहित ही गायत्री जपने से सम्पूर्ण प्रभाव पता चलने लगेगा । ये अनुभूत है । 

नोट :- ब्रह्म गायत्री अन्य वर्णो के लिए दुष्कर है अतः व्यर्थ श्रम न करके वे अन्य देवताओ के मंत्रो का प्रयोग करे । ये भी अनुभूत है ।