सोमवार, 23 जुलाई 2018

श्री बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र


ब्रह्मास्त्ररुपिणी देवी माता श्रीबगलामुखी ।
चिच्छिक्तिर्ज्ञान-रुपा च ब्रह्मानन्द-प्रदायिनी ।। १ ।।
महाविद्या महालक्ष्मी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।
भुवनेशी जगन्माता पार्वती सर्वमंगला ।। २ ।।
ललिता भैरवी शान्ता अन्नपूर्णा कुलेश्वरी ।
वाराही छीन्नमस्ता च तारा काली सरस्वती ।। ३ ।।
जगत्पूज्या महामाया कामेशी भगमालिनी ।
दक्षपुत्री शिवांकस्था शिवरुपा शिवप्रिया ।। ४ ।।
सर्व-सम्पत्करी देवी सर्वलोक वशंकरी ।
विदविद्या महापूज्या भक्ताद्वेषी भयंकरी ।। ५ ।।
स्तम्भ-रुपा स्तम्भिनी च दुष्टस्तम्भनकारिणी ।
भक्तप्रिया महाभोगा श्रीविद्या ललिताम्बिका ।। ६ ।।
मैनापुत्री शिवानन्दा मातंगी भुवनेश्वरी ।
नारसिंही नरेन्द्रा च नृपाराध्या नरोत्तमा ।। ७ ।।
नागिनी नागपुत्री च नगराजसुता उमा ।
पीताम्बा पीतपुष्पा च पीतवस्त्रप्रिया शुभा ।। ८ ।।
पीतगन्धप्रिया रामा पीतरत्नार्चिता शिवा ।
अर्द्धचन्द्रधरी देवी गदामुद्गरधारिणी ।। ९ ।।
सावित्री त्रिपदा शुद्धा सद्योराग विवर्धिनी ।
विष्णुरुपा जगन्मोहा ब्रह्मरुपा हरिप्रिया ।। १० ।।
रुद्ररुपा रुद्रशक्तिश्चिन्मयी भक्तवत्सला ।
लोकमाता शिवा सन्ध्या शिवपूजनतत्परा ।। ११ ।।
धनाध्यक्षा धनेशी च नर्मदा धनदा धना ।
चण्डदर्पहरी देवी शुम्भासुरनिबर्हिणी ।। १२ ।।
राजराजेश्वरी देवी महिषासुरमर्दिनी ।
मधूकैटभहन्त्री देवी रक्तबीजविनाशिनी ।। १३ ।।
धूम्राक्षदैत्यहन्त्री च भण्डासुर विनाशिनी ।
रेणुपुत्री महामाया भ्रामरी भ्रमराम्बिका ।। १४ ।।
ज्वालामुखी भद्रकाली बगला शत्रुनाशिनी ।
इन्द्राणी इन्द्रपूज्या च गुहमाता गुणेश्वरी ।। १५ ।।
वज्रपाशधरा देवी ज्ह्वामुद्गरधारिणी ।
भक्तानन्दकरी देवी बगला परमेश्वरी ।। १६ ।।
अष्टोत्तरशतं नाम्नां बगलायास्तु यः पठेत् ।
रिपुबाधाविनिर्मुक्तः लक्ष्मीस्थैर्यमवाप्नुयात् ।। १७ ।।
भूतप्रेतपिशाचाश्च ग्रहपीड़ानिवारणम् ।
राजानो वशमायांति सर्वैश्वर्यं च विन्दति ।। १८ ।।
नानाविद्यां च लभते राज्यं प्राप्नोति निश्चितम् ।
भुक्तिमुक्तिमवाप्नोति साक्षात् शिवसमो भवेत् ।। १९ ।।
।। इति श्री रुद्रयामले सर्व-सिद्धि-प्रद बगलाऽष्टोत्तर-शतनाम-स्तोत्र ।।

मंगलवार, 19 जून 2018

।। ब्राह्मणत्व का हनन ।।

।। ब्राह्मणत्व का हनन ।।

मित्रों आज कल ब्राह्मणों पर हो रहे अत्याचारों अन्याय के लिए कौन जिम्मेदार है ? यह यक्ष प्रश्न आज हम लोगों के सामने समुपस्थित है, हजारों वर्ष तक मुसलमान शासकों और अन्य भी विविध विरोधी आक्रांताओं से सनातन धर्म की रक्षा करने वाला भूदेव आज स्वयं अपने को असहाय पा रहा है इसका क्या कारण है कभी सोचा है आपने । जिनके पूर्वज मृत्यु को भी वश में रखने वाले थे बड़े से बड़े तूफ़ान को भी निमिष मात्र में रोकने की क्षमता रखने वाले थे , स्वयं अखिल कोटि ब्रह्मांड नायक भी अवतार लेकर जिनकी पूजा करते हों आज उन्हीं के वंशज हम कितने असहाय हो गए सोचिये जरा इसका भी कारण ।

एक मात्र 5 वर्ष के ऋषि कुमार बालक श्रृंगी जो नदी के तट पर खेल रहे थे अचानक उन्हें ज्ञात हुआ कि उनके पिता शमीक ऋषि को राजा परीक्षित ने सर्प से डसवा के मार दिया इतना सुनते ही उस बालक ने कौशिकी नदी के जल में उतर कर राजा को शाप दे दिया कि आज से ठीक सातवें दिन तक्षक के डसे जाने से राजा की मृत्यु होगी । आगे की कथा सब जानते ही हैं अब जरा विचार करें कहाँ तो चक्रवर्ती सम्राट महाभागवत राजा परीक्षित जिन्होंने माँ के गर्भ में ही भगवान का दर्शन प्राप्त कर लिया और तो और भगवान की कृपा से अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र से भी जिनका बाल बाँका नहीं हुआ , कलि के ऊपर जिन्होंने विजय प्राप्त की और उसे सीमित स्थानों में बाँध दिया । और कहाँ छोटा सा ऋषि कुमार । लेकिन उस बालक के मुख से निकला वचन अमोघ हो गया आखिर क्या कारण रहा होगा ??
विश्वामित्र ने हजारों वर्षों तक तपस्या करके अनेकानेक अस्त्र शस्त्रों को प्राप्त कर के श्री वशिष्ठ जी के ऊपर आक्रमण किया और असफल हुए । अंतिम में बोल उठे
' धिक् बलं क्षत्रियबलं ब्रह्मतेजो बलं बलम् ।
एकेन ब्रह्मदण्डेन सर्वास्त्राणि हतानि मे ।।'
आखिर वो किस चीज का बल था कि ब्राह्मणों के आगे सब नतमस्तक हो जाते थे । और एक आज का समय है ब्राह्मण दूसरों के आगे अपने को असहाय महसूस करता है आखिर क्या है इसका कारण ? अगर ईमानदारी से सोचा जाए तो इसका जिम्मेदार स्वयं ब्राह्मण ही है क्यों कि ब्राह्मण ने अपना पतन स्वयं ही किया , सन्ध्या वंदन ,अग्निहोत्रादि को त्याग कर । भाइयों आपसे इतना ही कहना है कि आज भी आप चाहें तो दुनिया आपके चरणों में हो । नित्य त्रिकाल नहीं तो कम से कम द्विकाल संध्योपासन तो करिये कम से कम नियम पूर्वक प्रतिदिन 1000 गायत्री का जाप तो करिये , शिखा सूत्र तो धारण कीजिये , राजसी तामसी अन्न का त्याग पूर्वक सात्विक अन्न से विधि पूर्वक जीवन का निर्वहन तो करिये फिर देखिये क्या होता है । अगर जीवन में किसी वस्तु की कमी हो जाए तो कहियेगा । मात्र इतना करने से ही कुछ समय में आप स्वयं अपना तेज भगवत् कृपा का प्रत्यक्ष करने लगेगें । एक मात्र ब्राह्मण का त्यौहार श्रावणी(रक्षा बन्धन ) का अनुष्ठान सभी को यथा शक्ति करना ही चाहिए जिसके प्रभाव से स्वयं तो लाभान्वित होंगे ही और दूसरों को भी लाभान्वित कर सकेंगें ।
।। जय श्रीमन्नारायण ।।

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

श्री बगला पंजर न्यास कवच