मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

गायत्री गुप्त मन्त्र और सम्पुट

गायत्री गुप्त मन्त्र और सम्पुट

गायत्री मन्त्र के साथ कौन सा सम्पुट लगाने पर क्या फल मिलता है!!

ॐ भूर्भुव: स्व : ॐ ह्रीं तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ
श्रीं भर्गो देवस्य धीमहि ॐ क्लीं धियो यो न: प्रचोदयात ॐ नम:! ॐ भूर्भुव: स्व : ॐ ह्रीं तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ श्रीं भर्गो देवस्य धीमहि ॐ क्लीं धियो यो न: प्रचोदयात ॐ नम:! ॐ भूर्भुव: स्व : ॐ ऐं तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ क्लीं भर्गो देवस्य
धीमहि ॐ सौ: धियो यो न: प्रचोदयात
ॐ नम:! ॐ श्रीं ह्रीं ॐ भूर्भुव:
स्व: ॐ ऐं ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ क्लीं ॐ भर्गोदेवस्य धीमहि ॐ सौ: ॐ धियो यो न: प्रचोदयात ॐ ह्रीं श्रीं ॐ !!

गायत्री जपने का अधिकार जिसे नहीं है वे निचे लिखे मन्त्र का जप करें!

ह्रीं यो देव: सविताSस्माकं मन: प्राणेन्द्रियक्रिया:!
प्रचोदयति तदभर्गं वरेण्यं समुपास्महे !!

सम्पुट प्रयोग

गायत्री मन्त्र के आसपास कुछ बीज मन्त्रों का सम्पुट लगाने का भी विधान है जिनसे विशिष्ट कार्यों की सिद्धि होती है ! बीज मन्त्र इस प्रकार हैं----

१- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं --- का सम्पुट लगाने से
लक्ष्मी की प्राप्ति होती है!

२- ॐ ऐं क्लीं सौ:-- का सम्पुट लगाने से
विद्या प्राप्ति होती है!

३-- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं --
का सम्पुट लगाने से संतान प्राप्ति, वशीकरण और मोहन होता है!

४-- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं -- का सम्पुट के
प्रयोग से शत्रु उपद्रव, समस्त विघ्न बाधाएं और संकट दूर होकर भाग्योदय होता है!

५-- ॐ ह्रीं --- इस सम्पुट के प्रयोग से रोग नाश होकर सब प्रकार के ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है!

६-- ॐ आँ ह्रीं क्लीं -- इस सम्पुट के प्रयोग से पास के द्रव्य की रक्षा होकर
उसकी वृद्धि होती है तथा इच्छित वस्तु की प्राप्ति होती है! इसी प्रकार किसी भी मन्त्र की सिद्धि और विशिष्ट कार्य की शीघ्र सिद्धि के लिए भी दुर्गा सप्तशती के मन्त्रों के साथ सम्पुट देने का भी विधान है! गायत्री मन्त्र समस्त मन्त्रों का मूल है तथा यह आध्यात्मिक शान्ति देने वाले हैं!!

गायत्री शताक्षरी मन्त्र

" ॐ भूर्भुव: स्व : तत्सवितुर्वरेण्यं, भर्गो देवस्य धीमहि! धियो यो न: प्रचोदयात! ॐ जातवेदसे सुनवाम सोममराती यतो निदहाति वेद:! स न: पर्षदतिदुर्गाणि विश्वानावेव सिंधु दुरितात्यग्नि:!
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम! उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात !!"

शास्त्र में कहा गया है कि गायत्री मन्त्र जपने से पहले गायत्री शताक्षरी मन्त्र
की एक माला अवश्य कर लेनी चाहीये! माला करने पर मन्त्र में चेतना आ जाती है!!

गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

परविद्या छेदन मंत्र

परविद्या छेदन मंत्र
आज कल के समय मे लोग परविद्या अर्थात किये कराये से ज्यादा परेशान हैं एक पुरानी घटना इसका निवारण हमें दे सकती है जब सुग्रीव जी और बाली मे युद्ध चलता था तब सुग्रीव पर्वत पर रहते थे और सिद्धि करते थे उस समय श्री सुग्रीव जी को अनेक सिद्धियाँ भी प्राप्त हुईं और जब श्री राम ने लंका पर चढ़ाई की तब भी सुग्रीव जी ने इन सिद्धियों के बल पर अपनी सेना की काफी सहायता की रावण के सैनिक राक्षस थे और परविद्या मे निपुण थे ऐसे मे श्री सुग्रीव जी और हनुमान जी अपनी शक्तियों से अपनी सेना की रक्षा करते थे ऐसा ही एक मंत्र आज भी बहुत प्रचलित और उपयोग है जिसका नाम है परविद्या नाशक सुग्रीव मंत्र
अगर आप किसी भी ऐसी समस्या मे घिरे हैं जैसे धन की समस्या, काम का ना चलना, व्यापार मे हानि कोर्ट केस इत्यादि जिससे निकलने के स्थान पर उसमे और फंसते जा रहे हों तो आप समझ लीजिए कि पर विद्या है ऐसे मे
एक मुट्ठी चावल लेकर
ll ॐ सुग्रीवाय जने वह ताराय स्वाहा डाकिनी दिशा बंध पुत्र रक्षा च प्रवश्य प्रवश्य ll
मंत्र को १०८ बार पढ़कर अक्षत अपने ईष्ट और कुलदेवी का ध्यान करते हुए दक्षिण दिशा की और उछाल दें
यह परविद्या की समाप्ति का बड़ा ही बेहतर और शक्तिशाली उपाय है

गुरुवार, 8 नवंबर 2018

दरिद्रता को समूल नष्ट करने के लिये......श्रीस्वर्णाकर्षण भैरव-साधना

जय जय माँ !
दरिद्रता को समूल नष्ट करने के लिये
श्रीस्वर्णाकर्षण भैरव-साधना
श्रीभैरव के अनेक रूप व साधनाओं का वर्णन तन्त्रों में वर्णित है। उनमें से एक श्रीस्वर्णाकर्षण भैरव साधना है जो साधक को दरिद्रता से मुक्ति दिलाती है। जैसा इनका नाम है वैसा ही इनके मन्त्र का प्रभाव है। अपने भक्तों की दरिद्रता को नष्ट कर उन्हें धन-धान्य सम्पन्न बनाने के कारण ही आपका नाम ' स्वर्णाकर्षण -भैरव ' के रूप में प्रसिद्ध है।

इनकी साधना विशेष रूप से रात्रि काल में कि जाती हैं। शान्ति-पुष्टि आदि सभी कर्मों में इनकी साधना अत्यन्त सफल सिद्ध होती है। इनके मन्त्र, स्तोत्र, कवच, सहस्रनाम व यन्त्र आदि का व्यापक वर्णन तन्त्रों में मिलता है। यहाँ पर सिर्फ मन्त्र-विधान दिया जा रहा है। ताकि जन -सामान्य लाभान्वित हो सके।
प्रारंभिक पूजा विधान पूर्ण करने के बाद --
#विनियोग-
ऊँ अस्य श्रीस्वर्णाकर्षण-भैरव मन्त्रस्य श्रीब्रह्मा ॠषिः, पंक्तिश्छन्दः, हरि-हर ब्रह्मात्मक श्रीस्वर्णाकर्षण-भैरवो देवता, ह्रीं बीजं, ह्रीं शक्तिः, ऊँ कीलकं, श्रीस्वर्णाकर्षण-भैरव प्रसन्नता प्राप्तये, स्वर्ण-राशि प्राप्तये श्रीस्वर्णाकर्षण-भैरव मन्त्र जपे विनियोगः।
#ॠष्यादिन्यास
ऊँ ब्रह्मा-ॠषये नमः-----शिरसि।
ऊँ पंक्तिश्छन्दसे नमः----मुखे।
ऊँ हरि-हर ब्रह्मात्मक स्वर्णाकर्षण-
भैरव देवतायै नमः ---ह्रदये।
ऊँ ह्रीं बीजाय नमः-------गुह्ये।
ऊँ ह्रीं शक्तये नमः--------पादयोः।
ऊँ ऊँ बीजाय नमः-------नाभौ।
ऊँ विनियोगाय नमः------सर्वाङ्गे।
#करन्यास-
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं ऐं श्रीं आपदुद्धारणाय----अंगुष्टाभ्यां नमः। ::
ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रूं अजामल-बद्धाय --------तर्जनीभ्यां नमः।
ऊँ लोकेश्वराय----------------------मध्यमाभ्यां नमः।
ऊँ स्वर्णाकर्षण-भैरवाय नमः--------अनामिकाभ्यां नमः।
ऊँ मम दारिद्र्य-विद्वेषणाय-----------कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
ऊँ महा-भैरवाय नमः श्रीं ह्रीं ऐं--------करतल-कर पृष्ठाभ्यां नमः।
#ह्रदयादिन्यासः-
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं ऐं श्रीं आपदुद्धारणाय----ह्रदयाय नमः।
ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रूं अजामल-बद्धाय---------शिरसे स्वाहा।
ऊँ लोकेश्वराय-----------------------शिखायै वषट्।
ऊँ स्वर्णाकर्षण-भैरवाय -------------कवचाय हुम्।
ऊँ मम दारिद्र्य-विद्वेषणाय----------नेत्र-त्रयाय वौषट्।
ऊँ महा-भैरवाय नमः श्रीं ह्रीं ऐं -------अस्त्राय फट्।
#ध्यान-
पारिजात-द्रु-कान्तारे ,स्थिते माणिक्य-मण्डपे।
सिंहासन-गतं ध्यायेद्, भैरवं स्वर्ण - दायिनं।।
गाङ्गेय-पात्रं डमरुं त्रिशूलं ,वरं करैः सन्दधतं त्रिनेत्रम्।
देव्या युतं तप्त-सुवर्ण-वर्णं, स्वर्णाकृतिं भैरवमाश्रयामि।।
ध्यान करने के बाद पञ्चोपचार पूजन करले ।
#मन्त्र-
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं ऐं श्रीं आपदुद्धारणा ह्रां ह्रीं ह्रूं अजामल-बद्धाय लोकेश्वराय स्वर्णाकर्षण-भैरवाय मम दारिद्र्य-विद्वेषणाय महा-भैरवाय नमः श्रीं ह्रीं ऐं।
जप संख्या व हवन - एक लाख जप करने से उपरोक्त मन्त्र का पुरश्चरण होता है और खीर से दशांश हवन करने तथा दशांश तर्पण और तर्पण का दशांश मार्जन व मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोजन करने से यह अनुष्ठान पूर्ण होता है।
पुरश्चरण के बाद तीन या पाँच माला प्रतिदिन करने से एक वर्ष में दरिद्रता का निवारण हो जाता है। साथ ही उचित कर्म भी आवश्यक है।

साधना करने से पूर्व किसी योग्य विद्वान से परामर्श जरूर प्राप्त करले।