रविवार, 4 जुलाई 2010

अमोघ शिव कवच प्रयोग

अमोघ शिव कवच प्रयोग
मै आज सर्व साधारण व समस्त आस्तिक भक्तो के लाभार्थ अति प्राचीन सिद्धीप्रद अमोघ शिव कवच प्रयोग दे रहा हूँ | इसके शुद्ध सत्य अनुष्ठान से भयंकर से भयंकर विपत्ति से छुटकारा मिल जाता है और भगवान आशुतोष की कृपा हो जाती है |

अथ विनियोग:
अस्य श्री शिव कवच स्त्रोत्र मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषि:, अनुष्टुप छंद:, श्री सदाशिव रुद्रो देवता, ह्रीं शक्ति:, रं कीलकम, श्रीं ह्रीं क्लीं बीजं, श्री सदाशिव प्रीत्यर्थे शिवकवच स्त्रोत्र जपे विनियोग: |

अथ न्यास: ( पहले सभी मंत्रो को बोलकर क्रम से करन्यास करे | तदुपरांत इन्ही मंत्रो से अंगन्यास करे| )

करन्यास
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
ह्रां सर्वशक्तिधाम्ने इशानात्मने अन्गुष्ठाभ्याम नम: |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
नं रिं नित्यतृप्तिधाम्ने तत्पुरुषातमने तर्जनीभ्याम नम: |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
मं रूं अनादिशक्तिधाम्ने अधोरात्मने मध्यमाभ्याम नम:|
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
शिं रैं स्वतंत्रशक्तिधाम्ने वामदेवात्मने अनामिकाभ्याम नम: |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
वां रौं अलुप्तशक्तिधाम्ने सद्योजातात्मने कनिष्ठिकाभ्याम नम: |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
यं र: अनादिशक्तिधाम्ने सर्वात्मने करतल करपृष्ठाभ्याम नम: |


अंगन्यास
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
ह्रां सर्वशक्तिधाम्ने इशानात्मने हृदयाय नम: |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
नं रिं नित्यतृप्तिधाम्ने तत्पुरुषातमने शिरसे स्वाहा |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
मं रूं अनादिशक्तिधाम्ने अधोरात्मने शिखायै वषट |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
शिं रैं स्वतंत्रशक्तिधाम्ने वामदेवात्मने नेत्रत्रयाय वौषट |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
वां रौं अलुप्तशक्तिधाम्ने सद्योजातात्मने कवचाय हुम |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
यं र: अनादिशक्तिधाम्ने सर्वात्मने अस्त्राय फट |

अथ दिग्बन्धन:

ॐ भूर्भुव: स्व: |

ध्यानम
कर्पुरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम |
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि ||

श्री शिव कवचम

ॐ नमो भगवते सदाशिवाय, सकलतत्वात्मकाय, सर्वमंत्रस्वरूपाय, सर्वमंत्राधिष्ठिताय, सर्वतंत्रस्वरूपाय, सर्वतत्वविदूराय, ब्रह्मरुद्रावतारिणे, नीलकंठाय, पार्वतीमनोहरप्रियाय, सोमसुर्याग्नीलोचनाय, भस्मोधूलितविग्रहाय, महामणिमुकुटधारणाय, माणिक्यभूषणाय, सृष्टिस्थितिप्रलयकालरौद्रावताराय, दक्षाध्वरध्वन्सकाय, महाकालभेदनाय, मुलाधारैकनिलयाय, तत्वातीताय, गंगाधराय, सर्वदेवाधिदेवाय, षडाश्रयाय, वेदांतसाराय, त्रिवर्गसाधनाया नेक्कोटीब्रहमांडनायकायानन्त्वासुकीतक्षककर्कोटकशंखकुलिकपद्ममहापद्मेत्यष्टनागकुलभूषणाय, प्रणवरूपाय, चिदाकाशायाकाशदिकस्वरूपाय, ग्रहनक्षत्रमालिने, सकलायकलंकरहिताय, सकललोकैककर्त्रे, सकललोकैकसंहर्त्रे, सकललोकैकगुरवे, सकललोकैकभर्त्रे, सकललोकैकसाक्षीणे, सकलनिगमगुह्याय, सकलवेदांतपारगाय, सकललोकैकवरप्रदाय, सकललोकैकशंकराय, शशांकशेखराय, शाश्वतनिजावासाय, निराभासाय, निरामयाय, निर्मलाय, निर्लोभाय, निर्मोहाय, निर्मदाय, निश्चिन्ताय, निर्हंकाराय, निराकुलाय, निष्कलन्काय, निर्गुणाय, निष्कामाय, निरुप्लवाय, नीवद्याय, निरन्तराय, निष्कारणाय, निरातंकाय, निष्प्रपंचाय, नि:संगाय, निर्द्वंदाय, निराधाराय, नीरोगाय, निष्क्रोधाय, निर्गमाय, निष्पापाय, निर्भयाय, निर्विकल्पाय, निर्भेदाय, निष्क्रियाय, निस्तुल्याय, निस्संशयाय, निरंजनाय, निरुपम विभवाय, नित्यशुद्धबुद्धपरिपूर्णसच्चिदानंदाद्वयाय, परमशांतस्वरूपाय, तेजोरूपाय, तेजोमयाय,
जयजय रूद्रमहारौद्र, भद्रावतार, महाभैरव, कालभैरव, कल्पान्तभैरव, कपाल मालाधर, खट्वांगखंगचर्मपाशांकुशडमरूकरत्रिशूल चापबाणगदाशक्तिभिन्दिपालतोमरमुसलमुदगरप्रासपरिघभुशुण्डीशतघ्नीचक्रद्यायुद्धभीषणकर, सहस्रमुख, दंष्ट्रा कराल वदन, विक्टाट हास विस्फारित ब्रहमांड मंडल, नागेन्द्र कुंडल, नागेन्द्रहार, नागेन्द्र वलय, नागेन्द्र चर्मधर, मृत्युंजय, त्रयम्बक, त्रिपुरान्तक, विश्वरूप, विरूपाक्ष, विश्वेश्वर, वृषवाहन, विश्वतोमुख सर्वतो रक्ष रक्ष माम |
ज्वल ज्वल महामृत्युअपमृत्युभयं नाशय नाशय चौर भयंमुत्सारयोत्सारय: विष सर्प भयं शमय शमय: चौरान मारय मारय: मम शत्रून उच्चाटयोच्चाटय: त्रिशुलेंन विदारय विदारय: कुठारेण भिन्धि भिन्धि: खंगेन छिन्धि छिन्धि: खट्वांगेन विपोथय विपोथय: मूसलेन निष्पेषय निष्पेषय: बाणे: संताडय संताडय: रक्षांसि भीषय भीषयाशेष्भूतानी विद्रावय विद्रावय: कुष्मांडवेतालमारीचब्रहमराक्षसगणान संत्रासय संत्रासय: माम अभयं कुरु कुरु: वित्रस्तं माम अश्वास्याश्वसय: नरक भयान माम उद्धरौद्धर: संजीवय संजीवय: क्षुत्रिडभ्यां माम आप्यापय आप्यापय: दु:खातुरं माम आनंदय आनंदय : शिव कवचे न माम आच्छादय आच्छादय: मृत्युंजय! त्रयम्बक! सदाशिव!!! नमस्ते नमस्ते ||


विशेष सूचना:- हमने अपने बहुत से भक्तो की अनेक भयानक से भयानक विपत्तियों का निराकरण इस शिव कवच के अनुष्ठान से कर दिया है | सी बी आई के केसों में फसे हुओ को भी हमने इस शिव कवच और माँ बगलामुखी के अनुष्ठान से सकुशल बचाया और उन केसों में विजय प्राप्ति करवाई है ||

17 comments:

bharat bhushan attri ने कहा…

please tell us how we do kar nyas ang nayas
because we do not know what is this

Pandit Parantap ने कहा…

इसका पूरा पूरश्चरण कारिका यदि उपलब्ध है तो कृपया अवगत कराए या इ-मेल करें । ppp.siddhpur@gmail.com or http://gudhharth.blogspot.com/

Unknown ने कहा…

Kirpya karkey iska kavach ka pura siddha kerney ki jaankaari dey

Unknown ने कहा…

Shiv kilkam strot uplabdh kraye kripya

Unknown ने कहा…

इसका हवन भी होता है क्या

Unknown ने कहा…

इसका हवन भी होता है क्या

Unknown ने कहा…

पंडित जी मुझे हर वक्त मृत्यु का भय सताता रहता है और मुझे ऐसा लगता है कि मुझे हार्ट अटैक आ जायेगा और मैं मर जाऊँगा तभी में अमोघ शिव कबच का पाठ करने लगता हूँ और पाठ समाप्त होने तक मेरा भय दूर हो जाता है यकीन मानिए सच्चे मन से जो कोई भी इस पवित्र अमोघ शिव कबच का पाठ करता है उसके मन से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है जय शिव शम्भु।ॐ नमः शिवाय

Unknown ने कहा…

Mrityu to sachaai h ...wohi to asli jivan h bhai...to dar kis baat ka h

Unknown ने कहा…

Amogh shiv kavach ko sharan karne ki baat kahi gai ha .ise dharan kause kiya
Jata ha kupya shighra uattar de

Unknown ने कहा…

Sorry sharan ko dharan padhe

Unknown ने कहा…

कवच से हवन नहीं किया जाता है भाई जी

Unknown ने कहा…

करन्यास और अंगन्यास क्या होता हे और इसे कैसे करते हे कृपया पण्डितजी हमारा मार्ग दर्शन करे

Unknown ने कहा…

Aconite 1 m lelo bas ek baar .homeopathic medicine hai

Unknown ने कहा…

Pandit ji
Iska path kese kare
Vidhi btaaiye

Unknown ने कहा…

Aap apna mobile no dale mujhe baglamukhi maa k bare m btaye aur kitna lagta hai wo v btaye

Unknown ने कहा…

जी आचार्य जी सादर प्रणाम क्या यह अभिचार कर्म होने पर अमोघ शिव कवच से राहत मिलता हैं
गुरूवर कृपया रिप्लाई करें।

Unknown ने कहा…

Amogh shiv kavach mantra siddi kitne din main ,, surjyanarayan sa,bdr

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