ओम ह्रीं रक्तचामुण्डे अमुकम मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा
दुर्गा देवी का सामान्य पूजन करके इस मंत्र का दो लाख जप करे,रुद्राक्ष की माला से । जप समय देवी रक्त चामुंडा का ध्यान करे । रक्त चामुंडा का स्वरुप दुर्गा सप्तशती में बताया गया है । जप का दशांश हवन तद्दशांश तर्पण तद्दशांश मार्जन तद्दशांश कन्या भोजन कराने पर मंत्र सिद्ध हो जाता है
सिद्धि के पश्चात प्रयोग करते समय साध्य का नाम अमुक के स्थान पर लेने से खान-पान में प्रयोग करने से अचूक काम करता है
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें