कुछ लोग जो उच्च वर्ण के है उन्हें जाति -पाती का पोषक कहा जाता है जबकि उन लोगो से बात की जाये तो वो कहते है की जाति -पाती की वजह से सरकारी नौकरियों, शिक्षण संस्थाओ में आरक्षण का बोलबाला है और इसी आरक्षण की वजह से हमारे बच्चों को उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों से वंचित रह जाना पड़ता है | ये लोग भी जाती-पाती को त्यागने को तैयार नहीं है |
दूसरा पक्ष उन लोगो का है जो अपने को जाति -पाती व्यवस्था से पिड़ित कहते है अपने को दलित कहते है वो कहते है की हमारी जाति को लेकर हमसे भेद-भाव किया जाता है ये जाति पाती का भेदभाव ख़त्म होना चाहिए | पर जहां कहीं भी जाति बताकर सरकारी लाभ लेने की बात हो चाहे वो शिक्षा मेँ हो या नौकरी में हो उसे लेने के लिए झट से अपनी जाति को आगे कर देते है वह वो ये बात भूल जाते है की वो ही जाती-पाती व्यवस्था को ख़त्म करने की बात करते है पर अपनी जाति के कारन मिलने वाले लाभों को नहीं छोड़ना चाहते | अगर सरकार या समाज आरक्षण ख़त्म करने को कहे तो यही लोग जो जाती व्यवस्था को समाज की खाज बताते है जाति गत आरक्षण के पोषक बन जाते है | और अपनी जाति को कायम रखना चाहते है |
अब पाठक ये स्वयं ही निर्णय करे की ये जो समाज के दो वर्ग उच्च वर्ग और निम्न वर्ग दोनों में जाती-पति को कौन ख़त्म करना चाहता है |
एक अन्य बात समाज हमेशा ही वर्गों में विभाजित रहा है चाहे वो विभाजन जाति -पाती का हो , चाहे धनि-निर्धन का हो या चाहे पढ़ें -अनपढ़ का हो | ये विभाजन कभी ख़त्म नहीं हो पाया है अब तक |
2 comments:
best mantra Mohini Vashikaran Mantra
good thing very nice blog
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