दिनांक २१ सितबंर २०१७ से नवरात्री का शुभागमन हो रहा है माता रानी हमारे घर पधारे और हम सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखें यही हम सब की कामना होती है।
हम सब तरह -तरह से माँ की प्रार्थना अर्चना करते हैं इस स्त्रोत का उच्च स्वर से पाठ करना बहुत ही फलदायी होता है,
हम सब तरह -तरह से माँ की प्रार्थना अर्चना करते हैं इस स्त्रोत का उच्च स्वर से पाठ करना बहुत ही फलदायी होता है,
भगवती स्तोत्रम्
जय भगवती देवी नमो वरदे
जय पापविनाशिनी बहु फलदे ॥
जय शुम्भ निशुम्भ कपाल धरे
प्रणमामि तु देवि नरार्ति-हरे ॥१॥
जय भगवती देवी नमो वरदे
जय पापविनाशिनी बहु फलदे ॥
जय शुम्भ निशुम्भ कपाल धरे
प्रणमामि तु देवि नरार्ति-हरे ॥१॥
जय चन्द्र्दिवाकर नेत्र धरे
जय पावक-भूषित-वक्त्र-वरे ॥
जय भैरव-देह-निलीन-परे
जय अन्धक-दैत्य-विशोष-करे ॥२॥
जय पावक-भूषित-वक्त्र-वरे ॥
जय भैरव-देह-निलीन-परे
जय अन्धक-दैत्य-विशोष-करे ॥२॥
जय महिष-विमर्दिनि शूल-करे
जय लोक-समस्तक-पाप-हरे।
जय देवि पितामह-विष्णुनते
जय लोक-समस्तक-पाप-हरे।
जय देवि पितामह-विष्णुनते
जय भास्कर-शक्र-शिरोवनते ॥३॥
जय षण्मुख-सायुध-ईशनुते
जय सागर-गामिनि शम्भु-नुते।
जय दु:ख-दरिद्र-विनाश-करे
जय पुत्र-कलत्र-विवृद्धि-करे ॥४॥
जय सागर-गामिनि शम्भु-नुते।
जय दु:ख-दरिद्र-विनाश-करे
जय पुत्र-कलत्र-विवृद्धि-करे ॥४॥
जय देवि समस्त-शरीर-धरे
जय नाक-विदर्शिनि दु:ख-हरे।
जय व्याधि-विनाशिनि मोक्ष करे
जय वांछित-दायिनि सिद्धि-करे ॥५॥
जय नाक-विदर्शिनि दु:ख-हरे।
जय व्याधि-विनाशिनि मोक्ष करे
जय वांछित-दायिनि सिद्धि-करे ॥५॥
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Thanks for sharing भगवती स्तोत्रम्
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