रविवार, 3 मई 2020

संतो की हत्या

आज संतो की हत्या इसलिए हो रही है की उनमे त्याग और तपस्या का अभाव है वो लोग केवल वस्त्र और बाहरी चिन्हो को धारण करके ही संत बने हुवे है | इन्होने न तो योग को सिद्ध किया है न ज्ञान को सिद्ध किया है न ही भक्ति में ही इतने दुबे की इष्ट इनकी रक्षा को तत्पर रहे | ऐसे लोग चाहे संतो की वेशभूषा धारण करके रहे चाहे गृहस्थ की वेशभूषा, इनकी पराजय होगी ही | श्री गीता जी में कहा गया है 
यत्र योगेश्वर: कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धर: । 
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ।।  
अर्थात जहाँ भगवान हैं वहाँ विजय और ऐश्वर्य रहता ही है 
उपरोक्त श्लोक से स्पष्ट है की उन संतो के ह्रदय में भगवन का वास नहीं था अगर होता तो उनकी पराजय नहीं होती | क्योंकि जहाँ  जहाँ भगवान हैं वहाँ विजय होती है पराजय नहीं | 
या तो योगी बनो नहीं तो कृष्ण को मन में बसाओ तभी विजय मिलेगी नहीं तो पराजय ही मिलेगी |   



ये घटनाये सबक है की संत केवल वेशभूषा से ही संत न रहे | भगवान को अपने में प्रकट करे तभी कल्याण होगा और तब मान सम्मान मांगना नहीं पड़ेगा | सभी लोग आपकी दया पाने को लालायित होंगे | 

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