

कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष माने जाते है,उनकी साधना मानवेत्तर प्राणियों ने और देवताओं ने भी की है,शास्त्रों के अनुसार दारिद्रयहीन,भाग्यदोष निवारण,आर्थिक उन्नति,और जीवन की विषमताओं को दूर करने के लिये कुबेर यन्त्र और मन्त्र आश्चर्यजनक रूप से फ़लदायी है। उनके यंत्र और मंत्र पर शक करना अपने को ठगाने के समान है।
अधिकतर यह महादुर्लभ यंत्र सही तरीके से कोई भी स्वार्थपरता के कारण नही देता है,मैं आप लोगों को इस यंत्र को वास्तविक रूप से दे रहा हूँ,आशा है आप सभी इस यंत्र का लाभ प्राप्त करेंगे।
सर्वेगुणाकांचनम आश्रयन्ति
यह यन्त्र मन्त्र वेदों से प्रमाणित है,यह आगे चलकर मुझे अध्ययन करने के बाद पता चला,और प्रत्येक सदगृहस्थ के लिये उपयोगी है,तामसी वृत्तियों वाले कृपया इसका अनुसरण नही करें,और न ही लोभ से इसे अपने जीवन में अपनायें,अन्यथा लाभ की जगह पर हानि होने की अधिक संभावना मानी जा सकती है। इसका अनुसरण प्रत्येक स्त्री या पुरुष कर सकता है,अगर कोई व्यक्ति कम पढा लिखा है तो वह किसी योग्य लोभ रहित ब्राह्मण से यंत्र का निर्माण करवाकर मंत्रों का जाप करवा सकता है। या हमारे से बनवाकर मंगवा लें |
विधान
घर के अन्दर स्वच्छ स्थान पर या पूजा स्थान में लक्ष्मी माता का चित्र स्थापित कर लेना चाहिये,उसी के साथ अपने द्वारा पूजे जाने वाले या माने जाने वाले इष्ट या गुरु का चित्र स्थापित कर लें,इसके बाद लक्ष्मी का सुगंधित द्रव्य लेकर षोडशोपचार से पूजा करके लक्ष्मी का विष्णु सहित आवहान करना चाहिये,इसके साथ ही कुबेर यंत्र की स्थापना कर लेनी चाहिये,यंत्र अधिक प्रभावशाली है,इसी लिये कहा भी गया है कि इस यंत्र को पिता अपने तामसी बेटे को भी न दे,अन्यथा उसके कुल का विनाश हो सकता है। प्राचीनकाल में इसका स्थापन ऋषि मुनि अपने आश्रम में किया करते थे,और इसी की सहायता से हजारों शिष्यों और अतिथिओ की सेवा सुश्रूषा किया करते थे।
यन्त्र का विधान
इस यंत्र को किसी सुपात्र या अच्छे व्यक्ति से गुरु पक्ष या रवि पक्ष अथवा नवरात्रि में अथवा दिवाली या विजयकाल में बनाना चाहिये,फ़िर उसका यथोचित प्रकार से स्थापन किसी चौकी पर करना चाहिये,और उसे द्र्श्य रखने के लिये चौकी के ऊपर किसी प्लास्टिक की पन्नी को पूरी तरह से लपेट कर रखना चाहिये,जिससे आगे के समय में चूहों या घर के सदस्यों या बच्चों के द्वारा उसे खराब नही किया जा सके,साथ ही ध्यान रखना चाहिये कि कभी पूजा करते वक्त स्थापना किये स्थान से उसे हटाना नही चाहिये,और न ही उस चौकी के अन्दर किसी प्रकार की धक्का मुक्की हो,जिससे वह बनाया हुआ मंडल खराब न हो जाये। साफ़ सफ़ाई करने के लिये मोर पंखी का स्तेमाल करना चाहिये और हल्के से मोरपंखी से उस पर जमी धूल आदि को साफ़ करते रहना चाहिये।
यंत्र का निर्माण
निर्माण के लिये सामान इस प्रकार से है:-
एक चौकी आम की
एक सफ़ेद कपडा जो चौकी पर समतल रूप से बिछाया जा सके और चौकी के नीचे उसे सूतली से बांधा भी जा सके,चौकी भी इतनी बडी हो कि उसके अन्दर १८x१८ के चौके बनाये जा सकें।
काले रंग का धागा जिससे चौकी के ऊपर चौके बनाने की मार्किंग की जा सके।
सफ़ेद रंग के लिये चावल
हरे रंग के लिये मूंग
काले रंग के लिये काले उडद (माह)
लाल रंग के लिये मसूर की दाल
पीले रंग के लिये चने की दाल
दिये गये चित्र के अनुसार उसी रंग के अनाज को चौकी पर बने चौकों में भर दें।
इस को बनाने के बाद चौकी को जहां पर स्थाप्ति किया गया है,उसी चौकों के ऊपर उत्तर दिशा में सांप का आकार,पश्चिम में शंख का आकार,दक्षिण में गदा का आकार,और पूर्व में कमल के फ़ूल का आकार बना लेना चाहिये।
इस काम को करने के बाद इसे स्थापित करने का मंत्र आदि का पाठ करना चाहिये।
विनियोग
दाहिने हाथ में पुरुष और बायें हाथ में स्त्री जल लेकर इस मंत्र को पढे और मंत्र को पढने के बाद हाथ का पानी चौकी के चारों तरफ़ घडी की दिशा के अनुसार हाथ को घुमाकर छोड दे।
"ऊँ अस्य कुबेर मंत्रस्य विश्रवा ऋषि: बृहती छंद: शिवमित्र धनेश्वर देवता,दारिद्रय विनाशने पूर्णसमृद्धि सिद्धयर्थे जपे विनियोग:"।
ध्यान
विनियोग करने के बाद इस श्लोक को पढकर श्री कुबेर देवता का ध्यान करे-
"ऊँ मनुजबाहुविमान वरस्थितं गरुडरत्नाभिं निधिनायकम।
विवसखं मुकुटादिभूषितं वरगदे दधतं भज तुन्दिलम॥
अर्थ
मनुष्य की बाजुओं को विमान बनाकर उन के अन्दर यात्रा करने वाले,रत्नों से विभूषित गरुड को धारण करने वाले,संसार की सभी सम्पदाओं से युक्त विव के सखा,मुकुट आदि शुशोभित एक हाथ में गदा और और दूसरे से वर देने की मुद्रा के रूप में,धन के देने वाले तुन्दिल नाम कुबेर अन्तर्ज्ञान में रहें।
मन्त्र
ऊँ श्रीं ऊँ ह्रीं श्री ह्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम: स्वाहा।
दस हजार सुगन्धित ताजे फ़ूलों को लेकर इस मंत्र के जाप के साथ यंत्र को पुष्पांजलि देनी चाहिये,फ़िर इस मंत्र का सात लाख जाप सात दिन के समय में करना चाहिये,और आठवें दिन सात हजार बार घी,तिल,शहद,पंचमेवा,खीर,लौंग,जौ,सात अनाज मिलाकर आम की लकडी के साथ हवन करना चाहिये,इससे यह यंत्र सिद्ध हो जाता है।
कुबेर मंत्र
ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रणवाय धनधान्यादिपतये धनधान्यसमृद्धि में देहि देहि दापय दापय स्वाहा।
इस मंत्र का यंत्र के सामने उत्तराभिमुख बैठ कर रोजाना पांच माला का जाप करना चाहिये,खूब संपत्ति आजाये फ़िर भी इस मंत्र को नही छोडना चाहिये,आठवें दिन ३५० मंत्रों की घी की आहुति देनी चाहिये।
यह यंत्र और मंत्र जीवन की सभी श्रेष्ठता को देने वाला,ऐश्वर्य,लक्षमी,दिव्यता,पद प्राप्ति,सुख सौभाग्य,व्यवसाय वृद्धि अष्ट सिद्धि,नव निधि,आर्थिक विकास,सन्तान सुख उत्तम स्वास्थ्य,आयु वृद्धि,और समस्त भौतिक और पराशुख देने में समर्थ है। लेकिन तुलसीदास की इस कहावत को नही भूलना चाहिये,"सकल पदारथ है जग माहीं,भाग्यहीन नर पावत नाहीं",जिनके भाग्य में लक्षमी सुख नही है,वे इसे ढकोसला और न जाने क्या क्या कह कर दरकिनार कर सकते हैं।
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