प्रयोग :-
यह प्रयोग ४२ दिन का है ! पुरुष व् स्त्री अथार्त लड़का या लड़की जिसका भी विवाह नही हो रहा हो यह प्रयोग कर सकते है ! इस प्रयोग के लिए घर में तुलसी का पौधा होना आवश्यक है ! मिटटी के दीपक बाजार से खरीद कर ले आए ! रुई की बत्तिया बना कर घी से भिगो कर रख दे ! प्रयोग किसी माह के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि से आरम्भ करे ! सायंकाल के समय हाथ -पांव -मुह धोकर शुद्ध वस्त्र पहन ले शुद्ध वस्त्र से मेरा तातपर्य है जिन वस्त्रो के पहने रहे पेशाब -शौच आदि न किया हुआ हो ! एक फुलबत्ती जो घी से भिगोकर रखी है ! मिटटी के दिए में रख जला दे व् तुलसी की एक परिक्रमा कर दे तथा हाथ जोड़कर गरुड़वाहिनी माता लक्ष्मी व् विष्णु से अपनी मनोकामना प्रकट के दे ! दूसरे दिन दो दीपक जलाये व् दो परिक्रमा करे ! तीसरे दिन तीन दीपक जलाये व् तीन परिक्रमा करे इस प्रकार संख्या बढ़ाते हुए 21 वे दिन 21 दीपक जलाये व् 21 परिक्रमा करे ! इसी प्रकार अगले दिन से अर्थात 22 वे दिन से 1 -1 दीपक कम करते रहे अर्थात 20 -19 -18 -17 इस प्रकार एक दीपक तक पहुंचे ! उतनी ही परिक्रम भी करते रहे व् रोजाना मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करे ! कन्या जब रजस्वला हो उस समय कन्या पांच दिन तक वे दीपक नही जलायेगी न ही परिक्रमा करेगी ! इन पांच दिनों में कन्या की माता संतान के लिए यह प्रयोग करे व् प्रार्थना करे ! यह अचूक व् अनुभूत प्रयोग है ! यदि किसी कारण यह प्रयोग खंडित हो जाये तो पुनः प्रथम दिन से प्रयोग आरम्भ करना होगा ! ध्यान रहे मिटटी के सभी दीपक नये ले ! एक बार प्रयोग किया दिया पुनः काम में न ले ,
सोमवार, 1 दिसंबर 2014
मंगलवार, 25 नवंबर 2014
महर्षि कालाग्नि रूद्र प्रणीत "महाकाल बटुक भैरव" साधना
इस साधना की विशेषता है की ये भगवान् महाकाल भैरव के तीक्ष्ण स्वरुप के बटुक रूप की साधना है जो तीव्रता के साथ साधक को सौम्यता का भी अनुभव कराती है और जीवन के सभी अभाव,प्रकट वा गुप्त शत्रुओं का समूल निवारण करती है.विपन्नता,गुप्त शत्रु,ऋण,मनोकामना पूर्ती और भगवान् भैरव की कृपा प्राप्ति,इस १ दिवसीय साधना प्रयोग से संभव है. बहुधा हम प्रयोग की तीव्रता को तब तक नहीं समझ पाते हैं जब तक की स्वयं उसे संपन्न ना कर लें,इस प्रयोग को आप करिए और परिणाम बताइयेगा.
ये प्रयोग रविवार की मध्य रात्रि को संपन्न करना होता है.स्नान आदि कृत्य से निवृत्त्य होकर पीले वस्त्र धारण कर दक्षिण मुख होकर बैठ जाएँ. गुरुदेव और भगवान् गणपति का पंचोपचार पूजन और मंत्र का सामर्थ्यानुसार जप कर लें तत्पश्चात सामने बाजोट पर पीला वस्त्र बिछा लें,जिस के ऊपर काजल और कुमकुम मिश्रित कर ऊपर चित्र में दिया यन्त्र बनाना है और यन्त्र के मध्य में काले तिलों की ढेरी बनाकर चौमुहा दीपक प्रज्वलित कर उसका पंचोपचार पूजन करना है,पूजन में नैवेद्य उड़द के बड़े और दही का अर्पित करना है .पुष्प गेंदे के या रक्त वर्णीय हो तो बेहतर है.अब अपनी मनोकामना पूर्ती का संकल्प लें.और उसके बाद विनियोग करें.
अस्य महाकाल वटुक भैरव मंत्रस्य कालाग्नि रूद्र ऋषिः अनुष्टुप छंद आपदुद्धारक देव बटुकेश्वर देवता ह्रीं बीजं भैरवी वल्लभ शक्तिः दण्डपाणि कीलक सर्वाभीष्ट प्राप्तयर्थे समस्तापन्निवाराणार्थे जपे विनियोगः
इसके बाद न्यास क्रम को संपन्न करें.
ऋष्यादिन्यास –
कालाग्नि रूद्र ऋषये नमः शिरसि
अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे
आपदुद्धारक देव बटुकेश्वर देवताये नमः हृदये
ह्रीं बीजाय नमः गुह्ये
भैरवी वल्लभ शक्तये नमः पादयो
सर्वाभीष्ट प्राप्तयर्थे समस्तापन्निवाराणार्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे
ह्रीं बीजाय नमः गुह्ये
भैरवी वल्लभ शक्तये नमः पादयो
सर्वाभीष्ट प्राप्तयर्थे समस्तापन्निवाराणार्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे
करन्यास -
ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः
ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः
ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः
ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः
ह्रौं कनिष्टकाभ्यां नमः
ह्रः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः
ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः
ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः
ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः
ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः
ह्रौं कनिष्टकाभ्यां नमः
ह्रः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः
अङ्गन्यास-
ह्रां हृदयाय नमः
ह्रीं शिरसे स्वाहा
ह्रूं शिखायै वषट्
ह्रैं कवचाय हूम
ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्
ह्रः अस्त्राय फट्
ह्रां हृदयाय नमः
ह्रीं शिरसे स्वाहा
ह्रूं शिखायै वषट्
ह्रैं कवचाय हूम
ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्
ह्रः अस्त्राय फट्
अब हाथ में कुमकुम मिश्रित अक्षत लेकर निम्न मंत्र का ११ बार उच्चारण करते हुए ध्यान करें और उन अक्षतों को दीप के समक्ष अर्पित कर दें.
नील जीमूत संकाशो जटिलो रक्त लोचनः
दंष्ट्रा कराल वदन: सर्प यज्ञोपवीतवान |
दंष्ट्रायुधालंकृतश्च कपाल स्रग विभूषितः
हस्त न्यस्त किरीटीको भस्म भूषित विग्रह: ||
दंष्ट्रा कराल वदन: सर्प यज्ञोपवीतवान |
दंष्ट्रायुधालंकृतश्च कपाल स्रग विभूषितः
हस्त न्यस्त किरीटीको भस्म भूषित विग्रह: ||
इसके बाद निम्न मूल मंत्र की रुद्राक्ष,मूंगा या काले हकीक माला से ११ माला जप करें
ॐ ह्रीं वटुकाय क्ष्रौं क्ष्रौं आपदुद्धारणाय कुरु कुरु वटुकाय ह्रीं वटुकाय स्वाहा ||
Om hreeng vatukaay kshroum kshroum aapduddhaarnaay kuru kuru vatukaay hreeng vatukaay swaha ||
प्रयोग समाप्त होने पर दूसरे दिन आप नैवेद्य,पीला कपडा और दीपक को किसी सुनसान जगह पर रख दें और उसके चारो और लोटे से पानी का गोल घेरा बनाकर और प्रणाम कर वापस लौट जाएँ तथा मुड़कर ना देखें.
ये प्रयोग अनुभूत है,आपको क्या अनुभव होंगे ये आप खुद बताइयेगा,मैंने उसे यहाँ नहीं लिखा है. तत्व विशेष के कारण हर व्यक्ति का अनुभव दूसरे से प्रथक होता है. सदगुरुदेव आपको सफलता दें और आप इन प्रयोगों की महत्ता समझ कर गिडगिडाहट भरा जीवन छोड़कर अपना सर्वस्व पायें यही कामना मैं करत हूँ.
सोमवार, 24 नवंबर 2014
हनुमत माला का निर्माण
साधना में माला का अपना ही महत्व होता है.उसी प्रकार साधक हनुमान साधनाओं में भी पृथक पृथक मालाओ का प्रयोग करते है.आज हम आपको यह बताने जा रहे है की,किस प्रकार जाप माला में श्री हनुमानजी को स्थापित करे,इस क्रिया को माला पर संपन्न करने के बाद माला बजरंग माला में परिवर्तित हो जाती है.साधक जब भी हनुमान साधना करे तो इसी माला से करे.क्युकी इस माला में हनुमान जी की ऊर्जा निवास करती है.और उनकी साधना उनकी ही ऊर्जा से निर्मित माला से की जाये तो सोने पर सुहागा हो जाता है.
इसके लिए आप किसी भी मंगलवार के दिन कोई भी माला ले लीजिये,मूंगा अथवा रुद्राक्ष माला श्रेष्ठ है.माला को जल से धोकर लाल वस्त्र पर रख दीजिये।अब साधक थोड़ी सी हल्दी शुद्ध जल में घोल ले.और निम्न मन्त्र को एक बार पड़े और एक मनके पर बिंदी लगा दे.इस प्रकार १०८ मनको पर लगाये।सुमेरु पर नहीं लगाना है.
ॐ फ्रौं नमः ( Om Froum Namah )
इस क्रिया के पश्चात अब निम्न मंत्र को २१ बार पड़े और सुमेरु पर २१ बिंदी लगाये
ॐ ह्रौं रूद्राय नमः ( Om Hroum Rudraay Namah )
इस क्रिया के पश्चात निम्न मंत्र को पड़ते हुए पुनः एक एक मनके पर बिंदी लगाये,इस मंत्र के द्वारा सुमेरु पर भी बिंदी लगाना है.
ॐ फ्रौं वायु पुत्राय नमः ( Om Froum Vaayu Putraay Namah )
इसके पश्चात निम्न मंत्र को १०८ बार पड़कर थोड़ा जल माला पर छिट दे.
ॐ हनु हनु हनु हनुमंताय फट ( Om Hanu Hanu Hanu Hanumantaay Phat )
तत्पश्चात २१ बिंदी सुमेरु पर लगाये निम्न मंत्र के द्वारा।
ॐ ह्रौं फ्रौं रूद्रस्वरुप हनुमंताय नमः ( Om Hroum Froum Rudraswaroop Hanumantaay Namah )
लीजिये हो गया हनुमत माला का निर्माण,अब आप जब भी हनुमान साधना करे,ईसि माला से करे.जिससे हनुमत कृपा आप पर बरसेगी और सफलता के अवसर बड़ जायेंगे। जिसे बार बार नज़र दोष लग जाते हो,या भय लगता हो,तो उस व्यक्ति को भी यह माला धारण करवाई जा सकती है.कोई गृह यदि कष्ट दे रहा हो तो माला का निर्माण करे और हनुमानजी से समबन्धित गृह की अनुकूलता हेतु प्रार्थना करके इसे धारण कर ले.समस्या का अंत हो जायेगा
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