शुक्रवार, 19 जून 2015

सिद्ध वशीकरण मन्त्र

सिद्ध वशीकरण मन्त्र

१॰ “बारा राखौ, बरैनी, मूँह म राखौं कालिका। चण्डी म राखौं मोहिनी, भुजा म राखौं जोहनी। आगू म राखौं 

सिलेमान, पाछे म राखौं जमादार। जाँघे म राखौं लोहा के झार, पिण्डरी म राखौं सोखन वीर। उल्टन काया, 

पुल्टन वीर, हाँक देत हनुमन्ता छुटे। राजा राम के परे दोहाई, हनुमान के पीड़ा चौकी। कीर करे बीट बिरा करे, 

मोहिनी-जोहिनी सातों बहिनी। मोह देबे जोह देबे, चलत म परिहारिन मोहों। मोहों बन के हाथी, बत्तीस 

मन्दिर के दरबार मोहों। हाँक परे भिरहा मोहिनी के जाय, चेत सम्हार के। सत गुरु साहेब।”

विधि- उक्त मन्त्र स्वयं सिद्ध है तथा एक सज्जन के द्वारा अनुभूत बतलाया गया है। फिर भी शुभ समय में 

१०८ बार जपने से विशेष फलदायी होता है। नारियल, नींबू, अगर-बत्ती, सिन्दूर और गुड़ का भोग लगाकर 

१०८ बार मन्त्र जपे।
मन्त्र का प्रयोग कोर्ट-कचहरी, मुकदमा-विवाद, आपसी कलह, शत्रु-वशीकरण, नौकरी-इण्टरव्यू, उच्च 

अधीकारियों से सम्पर्क करते समय करे। उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए इस प्रकार जाँए कि मन्त्र की समाप्ति ठीक 

इच्छित व्यक्ति के सामने हो।

दरिद्रता निवारण का चमत्कारी मंत्र

दरिद्रता निवारण का चमत्कारी मंत्र


ॐ नमो नारायणाय नमः। 

यह मंत्र सौभाग्य, सम्पदा, मोक्ष एवं सभी प्रकार की उन्नति के लिए अत्यन्त ही अनुकूल है, यह अत्यन्त 

सरल और महत्वपूर्ण है उन लोगों के लिए जो गृहस्थ है और ज्यादा विधि विधान नही कर सकते है। दस लाख 

बार जपने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। स्त्रियों के लिए यह मंत्र विशेष उपयोगी माना गया है , इससे गृहस्थ 

जीवन सुखमय रहता है तथा मृत्यु के बाद निश्चय ही विष्णु लोक को जाता है। पूजन कक्ष में प्राण प्रतिष्ठित 

लक्ष्मी यन्त्र के सामने यह प्रयोग अधिक श्रेष्ठ रहता है। यन्त्र और स्वयं को इत्र लगाकर साधना करने से 

निश्चित सफलता मिलती है।

रुठी हुई स्त्री का वशीकरण

रुठी हुई स्त्री का वशीकरण
“मोहिनी माता, भूत पिता, भूत सिर वेताल। उड़ ऐं काली ‘नागिन’ को जा लाग। ऐसी जा के लाग कि ‘नागिन’ 
को लग जावै हमारी मुहब्बत की आग। न खड़े सुख, न लेटे सुख, न सोते सुख। सिन्दूर चढ़ाऊँ मंगलवार, कभी 
न छोड़े हमारा ख्याल। जब तक न देखे हमारा मुख, काया तड़प तड़प मर जाए। चलो मन्त्र, फुरो वाचा। 
दिखाओ रे शब्द, अपने गुरु के इल्म का तमाशा।”
विधि- मन्त्र में ‘नागिन’ शब्द के स्थान पर स्त्री का नाम जोड़े। शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से ८ दिन पहले साधना 
प्रारम्भ करे। एक शान्त एकान्त कमरे में रात्रि मे १० बजे शुद्ध वस्त्र धारण कर कम्बल के आसन पर बैठे। 
अपने पास जल भरा एक पात्र रखे तथा ‘दीपक’ व धूपबत्ती आदि से कमरे को सुवासित कर मन्त्र का जप करे। 
‘जप के समय अपना मुँह स्त्री के रहने की स्थान / दिशा की ओर रखे। एकाग्र होकर घड़ी देखकर ठीक दो घण्टे 
तक जप करे। जिस समय मन्त्र का जप करे, उस समय स्त्री का स्मरण करता रहे। स्त्री का चित्र हो, तो कार्य 
अधिक सुगमता से होगा। साथ ही, मन्त्र को कण्ठस्थ कर जपने से ध्यान केन्द्रित होगा। इस प्रयोग में मन्त्र 
जप की गिनती आवश्यक नहीं है। उत्साह-पूर्वक पूर्ण संकल्प के साथ जप करे।