शुक्रवार, 19 जून 2015

धन लक्ष्मी के आगमन का मार्ग

श्वेत बबूल के पुष्प, अरण्डी के पुष्प एवं मेंहदी के पुष्प-तीनों को प्राप्त करके चांदी की डिब्बी में बंद करके घर 
में रखने से धन का आगमन होने लगता हैं।
दान करने से धन घटता नहीं, बल्कि जितना देते हैं उसका दस गुना र्इश्वर हमें दे देता है।
इनमें से किसी भी एक मंत्र का चयन करके सुबह, दोपहर और रात को सोते समय पांच-पांच बार नियम से 
उसका स्मरण करें। मातेश्वरी लक्ष्मीजी आप पर परम कृपालु बनी रहेंगी।
दुकानदार दुकान खोलें, तब महादेव का थड़ा अर्थात दुकान की गद्दी पर बैठकर इस मंत्र की प्रथम माला जप लें।
श्री शुक्ले महाशुक्ले कमल दल निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नम:। लक्ष्मी मार्इ सबकी सवाइर््र आवो चेतो करो 
भलार्इ न करो तो सात समुद्रों की दुहार्इ, ऋद्धि-सिद्धि न करे तो नौ नाथ चौरासीसिद्धोंकी दुहार्इ।
आप जब भी बैंक में रुपये जमा करने जाएं तो प्रयास करें कि पश्चिममुखी होकर ही कार्य करें तथा मानसिक 
रूप से मां लक्ष्मी के किसी भी मंत्र का जप करते रहें। यदि मां लक्ष्मी का कोर्इ मंत्र याद न हो तो निम्न मंत्र का 
जप करें। इससे आपका धन सदैव बढ़ता रहेगा। मंत्र इस प्रकार है-
ऊँ श्रीं श्रीं श्रीं।
पीपल के पत्त्ो पर ‘राम’ लिखकर तथा कुछ मीठा रखकर हनुमान मंदिर में चढ़ा आएं। इससे अवश्य ही धन 
लाभ होगा। इसके अतिरिक्त नित्य प्रात:काल लक्ष्मी को लाल पुष्प अर्पित करके दूध निर्मित मिष्ठान का 
भोग लगाने से भी धन का लाभ होगा।
शनिवार के दिन पीपल का एक अखंडित पत्ता तोड़कर उसे गंगाजल से धोकर उसके ऊपर हल्दी तथा दही के 
घोल से दाएं हाथ की अनामिका उंगली द्वारा एक वर्ग के भीतर ‘हृी’ लिखें। तत्पश्चात धूप-दीप दिखाकर यह 
पत्ता मोड़कर अपने बटुए मे रख लें। प्रत्येक शनिवार को पूजा के साथ वह पत्ता बदलते रहें। आपका बटुआ 
धन से कभी खाली नही रहेंगा। पुराना पत्ता घर से बाहर किसी पवित्र स्थान पर ड़ाल दें।
अचानक धन प्राप्ति के लिए अपनी मनोकामना कहते हुए बरगद की जटा में गांठ लगा दें। जब धन लाभ हो 
जाए तो उसे खोल दें।
काली हल्दी को सिंदूर और धूप देकर लाल वस्त्र में लपेटकर एक-दो मुद्राओं सहित तिजोरी में रखें। इससे धन
लक्ष्मी  की वृद्धि होती रहेगी।
यदि धन का लाभ नही हो रहा हो तो शुक्रवार के दिन से नित्य गोधूलि वेला में श्री महालक्ष्मी या तुलसी के पौधे  
के समक्ष गौ घृत का दीपक जलाएं।
यदि किसी भी धर्म स्थल में आपको कोर्इ सिक्का या धन मुद्रा मिले तो आप उसे बिना किसी झिझक के उठा 
लें और उसको धन रखने के स्थान पर लाल अथवा पीले रेशमी वस्त्र में बांधकर रख दें। इससे धन में वृद्धि 
होगी।
शुक्रवार के दिन किसी सुहागिन स्त्री को लाल वस्त्र या सुहाग सामग्री दान करने से धन लक्ष्मी के आगमन का 
मार्ग प्रशस्त होता है। यदि शुक्रवार के दिन कोर्इ विवाहित स्त्री आपको चाय-पानी पर आमंत्रित करे तो उसके 
आग्रह को न ठुकराएं-चाहे आप कितने ही अधिक व्यस्त क्यों न हों। यह धन के आगमन का द्योतक है।

सिद्ध वशीकरण मन्त्र

सिद्ध वशीकरण मन्त्र

१॰ “बारा राखौ, बरैनी, मूँह म राखौं कालिका। चण्डी म राखौं मोहिनी, भुजा म राखौं जोहनी। आगू म राखौं 

सिलेमान, पाछे म राखौं जमादार। जाँघे म राखौं लोहा के झार, पिण्डरी म राखौं सोखन वीर। उल्टन काया, 

पुल्टन वीर, हाँक देत हनुमन्ता छुटे। राजा राम के परे दोहाई, हनुमान के पीड़ा चौकी। कीर करे बीट बिरा करे, 

मोहिनी-जोहिनी सातों बहिनी। मोह देबे जोह देबे, चलत म परिहारिन मोहों। मोहों बन के हाथी, बत्तीस 

मन्दिर के दरबार मोहों। हाँक परे भिरहा मोहिनी के जाय, चेत सम्हार के। सत गुरु साहेब।”

विधि- उक्त मन्त्र स्वयं सिद्ध है तथा एक सज्जन के द्वारा अनुभूत बतलाया गया है। फिर भी शुभ समय में 

१०८ बार जपने से विशेष फलदायी होता है। नारियल, नींबू, अगर-बत्ती, सिन्दूर और गुड़ का भोग लगाकर 

१०८ बार मन्त्र जपे।
मन्त्र का प्रयोग कोर्ट-कचहरी, मुकदमा-विवाद, आपसी कलह, शत्रु-वशीकरण, नौकरी-इण्टरव्यू, उच्च 

अधीकारियों से सम्पर्क करते समय करे। उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए इस प्रकार जाँए कि मन्त्र की समाप्ति ठीक 

इच्छित व्यक्ति के सामने हो।

दरिद्रता निवारण का चमत्कारी मंत्र

दरिद्रता निवारण का चमत्कारी मंत्र


ॐ नमो नारायणाय नमः। 

यह मंत्र सौभाग्य, सम्पदा, मोक्ष एवं सभी प्रकार की उन्नति के लिए अत्यन्त ही अनुकूल है, यह अत्यन्त 

सरल और महत्वपूर्ण है उन लोगों के लिए जो गृहस्थ है और ज्यादा विधि विधान नही कर सकते है। दस लाख 

बार जपने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। स्त्रियों के लिए यह मंत्र विशेष उपयोगी माना गया है , इससे गृहस्थ 

जीवन सुखमय रहता है तथा मृत्यु के बाद निश्चय ही विष्णु लोक को जाता है। पूजन कक्ष में प्राण प्रतिष्ठित 

लक्ष्मी यन्त्र के सामने यह प्रयोग अधिक श्रेष्ठ रहता है। यन्त्र और स्वयं को इत्र लगाकर साधना करने से 

निश्चित सफलता मिलती है।