सोमवार, 10 अक्टूबर 2016

हनुमान सिद्धि शाबर मन्त्र !

हनुमान सिद्धि शाबर मन्त्र !

अजरंग पहनू ! बजरंग पहनू ! सब रंग रखु पास ! दाये चले भीमसेन ! बाये हनुमंत ! आगे चले काजी साहब !! पीछे कुल बलारद ! आतर चौकी कच्छ कुरान ! आगे पीछे तुं रहमान ! धड़ खुदा, सिर राखे सुलेमान !! लोहे का कोट, ताम्बे का ताला !! करला हंसा बीरा ! करतल बसे समुंदर तीर ! हांक चले हनुमान कि ! निर्मल रहे शरीर !!
विधि - किसी शुभ मंगलवार से हनुमान जी के सभी नियम मानते हुए ! ११ माला प्रतिदिन जपे ! ११ दिन पुरे होने पर ! हनुमान जी के नाम पर हवन करे ! गरीब बच्चो और कन्याओ को दान-दक्षिणा दे कर, आशीर्वाद प्राप्त करे ! हनुमान जी के स्वप्न में दर्शन होगे ! बाद में भी प्रतिदिन १ माला जपते रहे ! हनुमान जी कि कृपया बनी रहेगी !
नोट- यदि ११ दिन से पहले ही हनुमान जी का आशीर्वाद मिल जाये तो भी ११ दिन अवश्य पुरे करे ! जाप बीच में न छोड़े ! जितना विश्वास और श्रध्दा होगी ! उतनी जल्दी बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होगा !

गायत्री संध्या ब्राह्मणों के लिए क्यों ?

ब्राह्मणों को ही गायत्री संध्या अनिवार्य क्यों है ?

इसलिए क्योंकि ब्रह्म गायत्री की संध्या त्रिकाल करने से ब्राह्मणों के सभी कष्ट निवारण होते है । उनकी सभी मनोकामनाये भी गायत्री मंत्र के प्रभाव से पूर्ण हो जाती हैं । गायत्री मंत्र ब्राह्मण को आसानी से अपना प्रभाव देने लगता है और सिद्ध हो जाता है । अतः सभी ब्राह्मण बंधू इस कामधेनु रूपी ब्रह्म गायत्री की त्रिकाल संध्या अवश्य करे । अगर त्रिकाल न कर सके तो द्विकाल अर्थात दो समय तो अवश्य करे और चमत्कार देखे । 

विशेष :- गायत्री मंत्र को पद विभाजन करके ही जपना चाहिए जो पद विभाजन नहीं करते उन्हें दोष लगता है । शापविमोचन,  विनियोग, पूर्ण न्यास, प्राणायाम ,ध्यान, मुद्रा प्रदर्शन सहित ही गायत्री जपने से सम्पूर्ण प्रभाव पता चलने लगेगा । ये अनुभूत है । 

नोट :- ब्रह्म गायत्री अन्य वर्णो के लिए दुष्कर है अतः व्यर्थ श्रम न करके वे अन्य देवताओ के मंत्रो का प्रयोग करे । ये भी अनुभूत है । 

हनुमान जी के चमत्कारिक मंत्र

हनुमान जी के चमत्कारिक मंत्र
१- “ॐ नमो हनुमते पाहि पाहि एहि एहि सर्वभूतानां डाकिनी शाकिनीनां सर्वविषयान आकर्षय आकर्षय मर्दय मर्दय छेदय छेदय अपमृत्यु प्रभूतमृत्यु शोषय शोषय ज्वल प्रज्वल भूतमंडलपिशाचमंडल निरसनाय भूतज्वर प्रेतज्वर चातुर्थिकज्वर माहेशऽवरज्वर छिंधि छिंधि भिन्दि भिन्दि अक्षि शूल कक्षि शूल शिरोभ्यंतर शूल गुल्म शूल पित्त शूल ब्रह्मराक्षस शूल प्रबल नागकुलविषंनिर्विषं कुरु कुरु स्वाहा ।”
२- ” ॐ ह्रौं हस्फ्रें ख्फ्रें हस्त्रौं हस्ख्फें हसौं हनुमते नमः ।”
इस मंत्र को २१ दिनों तक बारह हजार जप प्रतिदिन करें फिर दही, दूध और घी मिलाते हुए धान का दशांश आहुति दें । यह मंत्र सिद्ध होकर पूर्ण सफलता देता है ।
३- “ॐ दक्षिणमुखाय पञ्चमुखहनुमते कराल वदनाय नरसिंहाय, ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रै ह्रौं ह्रः सकल भूत-प्रेतदमनाय स्वाहा ।”
(जप संख्या दस हजार, हवन अष्टगंध से)
४- “ॐ हरिमर्कट वामकरे परिमुञ्चति मुञ्चति श्रृंखलिकाम् ।”
इस मन्त्र को दाँये हाथ पर बाँये हाथ से लिखकर मिटा दे और १०८ बार इसका जप करें प्रतिदिन २१ दिन तक । लाभ – बन्धन-मुक्ति ।
५- “ॐ यो यो हनुमन्त फलफलित धग्धगिति आयुराष परुडाह ।”
प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखकर इस मंत्र का २५ माला जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है । इस मंत्र के द्वारा पीलिया रोग को झाड़ा जा सकता है ।
६- “ॐ ऐं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्स्फ्रें ख्फ्रें ह्स्त्रौं ह्स्ख्फ्रें ह्सौं ।”
यह ११ अक्षरों वाला  मंत्र सिद्ध होकर पूर्ण सफलता देता है ।