रविवार, 28 सितंबर 2025

राम रटो रे भगत राम रटो

 काम्या वल्लभ कामिनी अरु लोभ्या वल्लभ दाम  | 

अमल्या वल्लभ अमल ज्यूँ यूँ साधा वल्लभ राम  || 
यूँ साधा वल्लभ राम, राम रट विरह जगावे | 
विरह जगावे प्रेम, प्रेम परकास करावे || 
परकास परस परमात्मा पाय रहे विश्राम | 
काम्या वल्लभ कामिनी अरु लोभ्या वल्लभ दाम || 

राम नाम कों  अहर्निश मुँह से रटने से भीतर विरह पैदा होगा और उस विरह से प्रभु में प्रेम पैदा होगा  और प्रेम भीतर प्रकाश कर देगा और परमात्मा से मिला करके विश्राम दे देगा | 

सुमरण सबके उपरे संतन काढ्यो सोध | 
रामप्रताप सुमरण किया मन के लगे प्रमोध || 
सुमरण सू मन लाय राम ही राम उचारो | 
दिवस रैण आठयाम नाम कू पल न बिसारो | 
तब सुध होव जीव पीव को परसे भाई | 
दर्से आनंद कंद बंध भय भोर नसाई || 
रामप्रताप एह रामजी सुमरया सारे काज | 
कलयुग माहि विशेष ये भव जल पार जहाज || 

रामचरण हम कहत हैं कह्या कबीरा नाम | 
सकल सास्तर सोधिया कलयुग केवल नाम || 
निसिदिन भजिये राम कू तजिये नहीं लगार | 
रामचरण आठो पहर पल पल बारम्बार || 

जान अजान परे पग पावक सो सत मान जरे ही जरेंगें | 
 जान अजान छुरी छिवे पारस मैल विकार हरे ही हरेंगे || 
जान अजान पीवे कोई अमृत जासु के शोक टरे ही टरेंगे | 
जान अजान रटे नित राम कू रामचरण तिरे ही तिरेंगे || 

   

गुरुवार, 18 सितंबर 2025

सर्व पितृ अमावस्या पर पितृ शांति के लिए किया जाने वाला प्रयोग

प्रिय मित्रो
सर्व पितृ अमावस्या आने वाली है,अतः यह पोस्ट पहले ही डाली जा रही है ताकि समय पर आप यह प्रयोग कर सके.
इस दिन किसी भी समय,स्टील के लोटे में, दूध ,पानी,काले तिल,सफ़ेद तिल,और जौ मिला ले,साथ ही सफ़ेद मिठाई एक नारियल और कुछ सिक्के,तथा एक जनेऊ लेकर पीपल वृक्ष के निचे जाये,
सर्व प्रथम पीपल में लोटे की समस्त सामग्री अर्पित कर दे,यह उसकी जड़ में अर्पित करना है.तथा इस मंत्र का जाप सतत करते जाना है.
ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः
इसके पश्चात पीपल पर जनेऊ अर्पित करे निम्न मंत्र को पड़ते हुए
ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः
इस क्रिया के बाद पीपल वृक्ष के निचे मिठाई,दक्षिणा तथा नारियल रख दे.और तीन परिक्रमा करे निम्न मंत्र को पड़ते हुए.
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
इस क्रिया के पश्चात भगवन नारायण से प्रार्थना करे.की मुझ पर और मेरे कुल पर आपकी तथा पित्रो की कृपा बानी रहे तथा में और मेरा परिवार धर्म का पालन करते हुए,निरंतर प्रगति करे.
इस क्रिया से पित्रो की किरपा प्राप्त होती है,कुपित हुए पितृ मान जाते है.तथा साधक के जीवन में प्रगति होती है.
अतः यह प्रयोग अवश्य करे.

शनिवार, 5 अप्रैल 2025

बगलामुखी शाबर मंत्र

 माँ पिताम्बरा बगलामुखी के यह मत्रं अपने आप में चमत्कृत है। यदि किसी व्यक्ति विशेष के  शत्रु पग-पग पर कष्ट देते है उस पर हावी होते है, तथा हर प्रकार से नीचा दिखाने की चेष्टा करते हों, या षड्यंत्र करके पुलिस कोर्ट कचहरी में फसा देते है तब उसे बगलामुखी दिक्षा उपरांत शाबर मंत्र की साधना करनी चाहिए। यदि किसी के शत्रु अस्त्र आदि लेकर सामने आते हों और उसके सामने प्राण का संकट खड़ा हो जाता हो तथा कोई उसकी जीविका को व्यापार को तत्रं द्वारा नष्ट बंधन प्रयोग कर रहा है तब शत्रुओं को उनके बल प्रभाव नष्ट करना चाहिए ,जब कोई असहाय हो या सब तरफ से शत्रुओं में घिर जाए और उसे बचने का कोई उपाय न सूझे, तो ऐसी भयंकर विपत्ति में ही बगलामुखी साधना करनी चाहिए ।


बगलामुखी शाबर मंत्र – 1


ॐ मलयाचल बगला भगवती महाक्रूरी महाकराली राजमुख बन्धनं ग्राममुख बन्धनं ग्रामपुरुष बन्धनं कालमुख बन्धनं चौरमुख बन्धनं व्याघ्रमुख बन्धनं सर्वदुष्ट ग्रह बन्धनं सर्वजन बन्धनं वशीकुरु हुं फट् स्वाहा।


बगलामुखी शाबर मंत्र – 2


ॐ सौ सौ सुता समुन्दर टापू, टापू में थापा, सिंहासन पीला, सिंहासन पीले ऊपर कौन बैसे? सिंहासन पीला ऊपर बगलामुखी बैसे। बगलामुखी के कौन संगी, कौन साथी? कच्ची बच्ची काक कुतिआ स्वान चिड़िया। ॐ बगला बाला हाथ मुदगर मार, शत्रु-हृदय पर स्वार, तिसकी जिह्ना खिच्चै। बगलामुखी मरणी-करणी, उच्चाटन धरणी , अनन्त कोटि सिद्धों ने मानी। ॐ बगलामुखीरमे ब्रह्माणी भण्डे, चन्द्रसूर फिरे खण्डे-खण्डे, बाला बगलामुखी नमो नमस्कार।


बगलामुखी शाबर मत्रं-3


ॐ बगलामुखी महाक्रूरी शत्रू की जिह्वा को पकड़कर मुदगर से प्रहार कर , अंग प्रत्यंग स्तम्भ कर घर बाघं व्यापार बांध तिराहा बांध चौराहा बांध चार खूँट मरघट के बांध जादू टोना टोटका बांध दुष्ट दुष्ट्रनी कि बिध्या बांध छल कपट प्रपंचों को बांध सत्य नाम आदेश गुरू का।


साधना अष्टमी को एक दीपक में सरसों के तेल या मीठे तेल के साथ श्मशान में छोड़े हुए वस्त्र की बत्ती बनाकर जलाएं। विशेष दीपक को उड़द की दाल के ऊपर रखें। फिर पीला वस्त्र पहनकर और पीला तिलक लगा कर हल्दी से उसकी पूजा करें। पीले पुष्प चढ़ाएं और दीपक की लौ में भगवती का ध्यान कर बगलामुखी के मंत्र का एक हजार बार तीनों शाबर मत्रं से किसी भी एक का जप करें।तथा मद्य और मांस का भोग लगाएं।


 इस मंत्र के प्रयोग से बलवान से बलवान शत्रुओं का समूह उसी प्रकार नष्ट हो जाता है जैसे अग्नि से भूसी का ढेर। बगलामुखी मुखी शाबर तत्रं साघना के ये प्रमुख ये तीनों मत्रं भगवती की मंदिर में आकर साधना कर सिद्ध कर इनके प्रत्यक्ष प्रभाव को स्पष्ट देखा जा सकता है। यह प्रयोग शत्रुओं को नष्ट करने वाली प्रक्रिया है यह क्रिया गुरू दिक्षा के पश्चात करें व गुरू क्रम से करने पर ही विशेष फलदायी होती है।