सोमवार, 19 अगस्त 2013

क्या कारण है?

आचार्य चाणक्य के नगर अफगानिस्तान से हिंदू मिट गया ?

काबुल जो भगवान राम के पुत्र कुश का बनाया शहर था आज वहाँ एक भी मंदिर नही बचा
गंधार जिसका विवरण महाभारत मे है जो चाणक्य के अखंड भारत की सीमा हुआ करता था 

जहां की रानी गांधारी थी आज उसका नाम कंधार हो चूका है और वहाँ आज एक भी हिंदू नही 

बचा
कम्बोडिया जहां राजा सूर्य देव बर्मन ने दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर अंकोरवाट बनाया आज 

वहा भी हिंदू नही है

बाली द्वीप मे २० साल पहले तक ९०% हिंदू थे आज सिर्फ २०% बचे

कश्मीर घाटी मे सिर्फ २० साल पहले ५०% हिंदू थे , आज एक भी हिंदू नही बचा
नोर्थ ईस्ट जैसे सिक्किम, नागालैंड , आसाम आदि मे हिंदू हर रोज मारे या भगाएजाते है या 

उनका धर्मपरिवर्तन हो रहा है
1569 तक ईरान का नाम पारस या पर्शिया होता था और वहाँ एक भी मुस्लिम नही था सिर्फ 

पारसी रहते थे .. जब पारस पर मुस्लिमो का आक्रमणहोता था तब पारसी बूढ़े बुजुर्ग अपने 

नौजवान को यही सिखाते थे की हमे कोई मिटा नही सकता . लेकिन ईरान से सारे के सारे 

पारसी मिटा दिये गए .. धीरे धीरे उनका कत्लेआम और धर्मपरिवर्तन होता रहा ..

एक नाव मे बैठकर २१ पारसी किसी तरह गुजरात के नवसारी जिले के उद्वावाडा गांव मे पहुचे 

और आज पारसी सिर्फ भारत मे ही गिनती की संख्या मे बचे है


अफनिस्तान मेँ हिन्दू खत्म हो गया पाकिस्तान बाँग्लादेश मेँ हिन्दू खत्म होने की कगार पर है 

और भारत मेँ भी हिन्दु घट ही रहा है इसके कारण क्या है????
क्या कारण है कि किसी मुस्लिम बस्ति मेँ अकेले घुसने मेँ हमेँ डर लगने लगता है ??
क्या कारण है कि हमने कभी किसी भी देश पर आक्रमण नहीँ किया फिर भी लोगोँ ने हमारी 

सीमाओँ हमारी संस्कृति को तहस नहस किया
क्या कारण है कि आज कोई भी नेता खुल कर मुस्लिमोँ के लिये हज सब्सिडी आरक्षण बालिका 

विद्या धन जैसी योजनायेँ लागूकरके धर्मनिरपेक्ष बन जाता है और विरोधकरने वाला 

सामप्रदायिक

क्या कारण है कि कुछ उलेमा हाजी काजी 15 मिनट मेँ भारत तोड़ने की बात तक कर जाते हैँ 

और हम कुछ नहीँ कर पाते
कुछ तो कारण होँगे ,,,,,,,,,,,,???

"कारण है ! कारण है हिंदुत्व के नाम पर हो रही राजनीति, कारण है आश्रमों, मंदिरों में दुबके 

धर्म के कम्बल में छुपे कायर साधू-सन्यासी और धर्मभीरु भक्त, कारण है धर्म के नाम पर लूट 

रहे पाखंडी पण्डे-पुरोहित, कारण है भूखे और लाचार को रोटी के बजाय नाम जप और संकीर्तन 

देना, कारण है कर्म-काण्ड, आडम्बर और दिखावे में उलझे पाखंडी अवतारी और उनके भक्त | 

कारण है ग्रामीणों और आदिवासियों की छीन रही स्त्रियों और भूमि पर आँख मूँद लेना | कारण 

है जाति-पाति में हिन्दुओं का बंटा होना | कारण है जब कोई एक हिन्दू मुसीबत में होता है तो 

बाकी हिन्दू शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सर गाड़ लेते हैं या धर्म के कम्बल में दुबक जाते हैं.


आओ हम संकल्प ले की हम सब जाति पाती  के मतभेद भुलाकर एक हो जाएंगे  और हिन्द 

देश के निवासी सभी अपने को एकमात्र हिन्दू कहलायेंगे । और हिन्दुओ पर हो रहे अत्याचार 

का एक हो कर विरोध करेंगे । चाहे हमें कोई सांप्रदायिक कहे हम किसी भी हिन्दू बहन बेटी पर 

अत्याचार होता नहीं देखेंगे और अपनी पूरी शक्ति से उसका विरोध करेंगे । किसी भी हिन्दू 

भाई पर किसी भी प्रकार का संकट आये तो हम उसकी मदद करेंगे और एक हो कर रहेंगे । 

रविवार, 18 अगस्त 2013

एक निवेदन

सभी संत महंतो को प्रणाम ,

मै आप सभी से एक निवेदन करना चाहता हूँ की अभी हाल में ही ०९ अगस्त २०१३ को ईद के दिन मुसलमानों ने ईद की नमाज के बाद सुनियोजित ढंग से जम्मू कश्मीर के किश्तवार क्षेत्र में हिन्दुओ पर हमला कर दिया । हिन्दुओ की दुकानों को लूटा गया । हिन्दुओ को मारा काटा गया हिन्दू बहनों की इज्जत लूटी गई । और वहां की पुलिस खड़ी खड़ी देखती रही ।  यह सब सुनियोजित ढंग से इसलिए किया गया की वहां के हिन्दू डर जाएँ और डर कर कश्मीरी पडितो की तरह कश्मीर से पलायन कर जाएँ । 
 अतः सभी हिन्दू भाई बहनों से निवेदन की आपस के सभी मतभेद भुला कर हम सब एक हो जाएँ और एक मत से हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए नरेन्द्र मोदी को प्रधान मंत्री बनवाने में सहयोग करे ।  अन्यथा जो घटना किश्तवार में हुई है वो आने वाले समय में पुरे देश में घटेगी ।  और हिन्दुओ का हिंदुस्तान में ही रहना दुश्वार हो जायेगा 

शनिवार, 17 अगस्त 2013

वीर सावरकर

वीर सावरकर को काला पानी की सजा के दौरान भयानक सैल्यूलर जेल मैं रखा गया। उन्हें दूसरी मंजिल की कोठी नंबर २३४ मैं रखा गया और उनके कपड़ो पर भयानक कैदी लिखा गया। कोठरी मैं सोने और खड़े होने पर दीवार छू जाती थी। उन्हें नारियल की रस्सी बनाने और ३० पौंड तेल प्रतिदिन निकलने के लिए बैल की तरह कोल्हू मैं जोता जाता था। इतना कष्ट सहने के बावजूद भी वह रात को दीवार पर कविता लिखते, उसे याद करते और मिटा देते। १३ ...मार्च १९१० से लेकर १० मई १९३७ तक २७ वर्षो की अमानवीय पीडा भोग कर उच्च मनोबल, ज्ञान और शक्ति साथ वह जेल से बाहर निकले जैसे अँधेरा चीर कर सूर्य निकलता है।

आजादी के बाद भी पंडित जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस ने उनसे न्याय नहीं किया। देश का हिन्दू कहीं उन्हें अपना नेता न मान बैठे इसलिए उन पर महात्मा गाँधी की हत्या का आरोप लगा कर लाल किले मैं बंद कर दिया गया। बाद मे. न्यायालय ने उन्हें ससम्मान रिहा कर दिया। पूर्वाग्रह से ग्रसित कांग्रेसी नेताओं ने उन्हें इतिहास मैं यथोचित स्थान नहीं दिया। स्वाधीनता संग्राम में केवल गाँधी और गांधीवादी नेताओं की भूमिका का बढा-चढ़ाकर उल्लेख किया गया।

वीर सावरकर की मृत्यु के बाद भी कांग्रेस ने उन्हें नहीं छोडा। सन २००३ मैं वीर सावरकर का चित्र संसद के केंद्रीय कक्ष मैं लगाने पर कांग्रेस ने विवाद खडा कर दिया था। २००७ मैं कांग्रेसी नेता मणि शंकर अय्यर ने अंडमान के कीर्ति स्तम्भ से वीर सावरकर के नाम का शिलालेख हटाकर महात्मा गाँधी के नाम का पत्थर लगा दिया। जिन कांग्रेसी नेताओ ने राष्ट्र को झूठे आश्वासन दिए, देश का विभाजन स्वीकार किया, जिन्होंने शेख से मिलकर कश्मीर का सौदा किया, वो भले ही आज पूजे जाये पर क्या वीर सावरकर को याद रखना इस राष्ट्र का कर्तव्य नहीं है?