बुधवार, 25 दिसंबर 2013

पति-स्तवनम्नमः

पति-स्तवनम्नमः

कान्ताय सद्-भर्त्रे, शिरशछत्र-स्वरुपिणे।

नमो यावत् सौख्यदाय, सर्व-सेव-मयाय च।।

नमो ब्रह्म-स्वरुपाय, सती-सत्योद्-भवाय च।

नमस्याय प्रपूज्याय, हृदाधाराय ते नमः।।

सती-प्राण-स्वरुपाय, सौभाग्य-श्री-प्रदाय च।

पत्नीनां परनानन्द-स्वरुपिणे च ते नमः।।

पतिर्ब्रह्मा पतिर्विष्णुः, पतिरेव महेश्वरः।

पतिर्वंश-धरो देवो, ब्रह्मात्मने च ते नमः।।

क्षमस्व भगवन् दोषान्, ज्ञानाज्ञान-विधापितान्।

पत्नी-बन्धो, दया-सिन्धो दासी-दोषान् क्षमस्व वै।।

।।फल-श्रुति।।

स्तोत्रमिदं महालक्ष्मि, सर्वेप्सित-फल-प्रदम्।

पतिव्रतानां सर्वासाण, स्तोत्रमेतच्छुभावहम्।।

नरो नारी श्रृणुयाच्चेल्लभते सर्व-वाञ्छितम्।

अपुत्रा लभते पुत्रं, निर्धना लभते ध्रुवम्।।

रोगिणी रोग-मुक्ता स्यात्, पति-हीना पतिं लभेत्।

पतिव्रता पतिं स्तुत्वा, तीर्थ-स्नान-फलं लभेत्।।

विधिः-

१॰ पतिव्रता नारी प्रातः-काल उठकर, रात्रि के वस्त्रों को त्याग कर, प्रसन्नता-पूर्वक उक्त स्तोत्र का पाठ करे। फिर घर के सभी कामों से निबट कर, स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर, भक्ति-पूर्वक पति को सुगन्धित जल से स्नान करा कर शुक्ल वस्त्र पहनावे। फिर आसन पर उन्हें बिठाकर मस्तक पर चन्दन का तिलक लगाए, सर्वांग में गन्ध का लेप कर, कण्ठ में पुष्पों की माला पहनाए। तब धूप-दीप अर्पित कर, भोजन कराकर, ताम्बूल अर्पित कर, पति को श्रीकृष्ण या श्रीशिव-स्वरुप मानकर स्तोत्र का पाठ करे।

२॰ कुमारियाँ श्रीकृष्ण, श्रीविष्णु, श्रीशिव या अन्य किन्हीं इष्ट-देवता का पूजन कर उक्त स्तोत्र के नियमित पाठ द्वारा मनो-वाञ्छित पति पा सकती है।

३॰ प्रणय सम्बन्धों में माता-पिता या अन्य लोगों द्वारा बाधा डालने की स्थिति में उक्त स्तोत्र पाठ कर कोई भी दुखी स्त्री अपनी कामना पूर्ण कर सकती है।

४॰ उक्त स्तोत्र का पाठ केवल स्त्रियों को करना चाहिए। पुरुषों को 'विरह-ज्वर-विनाशक, ब्रह्म-शक्ति-स्तोत्र' का पाठ करना चाहिए, जिससे पत्नी का सुख प्राप्त हो सकेगा।

प्राणेश्वर श्रीकृष्ण

मंत्र- "ॐ ऐं श्रीं क्लीं प्राण-वल्लभाय सौः सौभाग्यदाय श्रीकृष्णाय स्वाहा।" (22)

विनियोगः- ॐ अस्य श्रीप्राणेश्वर-श्रीकृष्ण-मंन्त्रस्य भगवान् श्रीवेदव्यास ऋषिः, गायत्री छंदः, श्रीकृष्ण-परमात्मा देवता, क्लीं बीजं, श्रीं शक्तिः, ऐं कीलकं, ॐ व्यापकः, मम समस्त-क्लेश-परिहार्थं, चतुर्वर्ग-प्राप्तये, सौभाग्य-वृद्धयर्थं च जपे विनियोगः।

ऋष्यादि-न्यासः- श्रीवेदव्यास ऋषये नमः शिरसि, गायत्री छंदसे नमः मुखे, श्रीकृष्ण-परमात्मा देवतायै नमः हृदि, क्लीं बीजाय नमः गुह्ये, श्रीं शक्तये नमः नाभौ, ऐं कीलकाय नमः पादयो, ॐ व्यापकाय नमः सर्वाङ्गे, मम समस्त-क्लेश-परिहार्थं, चतुर्वर्ग-प्राप्तये, सौभाग्य-वृद्धयर्थं च जपे विनियोगाय नमः अंजलौ।

कर-न्यासः- ॐ ऐं श्रीं क्लीं अंगुष्ठाभ्यां नमः, प्राण-वल्लभाय तर्जनीभ्यां स्वाहा, सौः मध्यमाभ्यां वषट्, सौभाग्यदाय अनामिकाभ्यां हुं श्रीकृष्णाय कनिष्ठिकाभ्यां वौषट्, स्वाहा करतलकरपृष्ठाभ्यां फट्।

अंग-न्यासः- ॐ ऐं श्रीं क्लीं हृदयाय नमः, प्राण-वल्लभाय शिरसे स्वाहा, सौः शिखायै वषट्, सौभाग्यदाय शिखायै कवचाय हुं, श्रीकृष्णाय नेत्र-त्रयाय वौषट्, स्वाहा अस्त्राय फट्।

ध्यानः-
"कृष्णं जगन्मपहन-रुप-वर्णं, विलोक्य लज्जाऽऽकुलितां स्मराढ्याम्।
मधूक-माला-युत-कृष्ण-देहं, विलोक्य चालिंग्य हरिं स्मरन्तीम्।।"
अर्थात् संसार को मुग्ध करने वाले भगवान् कृष्ण के रुप-रंग को देखकर प्रेम-पूर्ण होकर गोपियाँ लज्जापूर्वक व्याकुल होती हैं और मन-ही-मन हरि को स्मरण करती हुई भगवान् कृष्ण की मधूक-पुष्पों की माला से विभुषित देह का आलिंगन करती हैं।
पुरश्चरण- १०,०००० जप।

रविवार, 15 दिसंबर 2013

श्याम्कौर मोहिनी साधना


श्याम्कौर मोहिनी का नाम सुनते ही बड़े बड़े साधक कांप जातें है । इस सिद्धि की मदद से आप घर बैठे बैठे
किसी की भी खबर माँगा सकते हैं । किसी का भी वशीकरण कर सकते हैं । इस प्रकार का प्रयोग अधिकतर
नाथ संप्रदाय में परचलित है । 

 विधि 

इस मंत्र को घर से बहार किसी नदी के किनारे सिद्ध करें । वस्त्र कोई भी पहन सकते हैं । किसी भी प्रकार के आसन का इस्तेमाल कर सकते हैं । दिशा का भी कोई बंधन नहीं । अपने साथ दो लड्डू, दो मीठे पान, सात पतासे और मीठे चावल, एक शराब की बोतल, एक दीपक और सरसों का तेल साथ ले जायें । सबसे पहले चावल नदी में प्रवाहित कर दें और सात बार नीचे दिये गए मंत्र का जाप करें ।
मंत्र :- खवाजा खिजर जिन्दा पीर, पंजे पीर तेरे मदद्गिर सिद्धा नाथा दा सरदार कचिया पाकिया कडाहिया तेरे नाम ॥

मंत्र जाप के बाद खवाजा खिजर से आज्ञा ले और आसन पर बैठने से पहले अपने चारोँ तरफ एक गोला खींचे । गोला खींचते समय नीचे दिये गए मंत्र का 11 बार जाप करें ॥
मंत्र :- आस किलूँ पास किलूँ किलूँ अपनी काया जगदा मसान किलूँ बैठी किलूँ छाया इसर का कोट वर्मा 

क़ि थाली मेरे घाट पिंड का हनुमान वीर रखवाला ॥

इसके बाद गुरु पूजन गणेश पूजन करें और उनसे आज्ञा लें । फिर कोई भी रक्षा मंत्र जप लें । फिर रुद्राक्ष
क़ि माला से एक माला शिवमंत्र क़ि जपें और शिव से आज्ञा ले । फिर दो लड्डू, पान, पतासे किसी कागज़
के टुकड़े पर रखिएँ और तेल का दीपक जलाएं । शराब से उसके चारोँ तरफ एक गोला बनाएं और बची हुई शराब की बोतल पास में रख दें और 11 माला इस मंत्र क़ि जपें ॥
मंत्र :- आई रे श्याम्कौर कहाँ से, आई बागड़ देश से, आई उड़न खटोला उडदी आई, लाल परांदा उडदी आई हंकारी, आई पश्कारी जाई, मेरा कारज न करें तैनू तेरे गुरु दी आन! ॥

ये ही क्रिया आपको 41 दिन करनी है ।

अंतिम दिन माता को 16 सिंगार चढ़ाएं । लगभग 15 दिन बाद ही आपको ऐसा नज़र आने लगेगा क़ि
मोर पर सवार एक बहोत सुंदर स्त्री आसमान से निचे उतर रही है ।  जाप पूरा होने से पहले किसी भी हालत में गोले से बहार न आये । कई बार कुछ डरावने अनुभव होते हैं । जब अंतिम दिन देवी प्रत्यक्ष हों उनसे सदेव माता रूप में साथ रहने का बचन ले ले । जब कोई विशेष काम हो तो एक माला मंत्र की जपें देवी प्रकट हो जाएगी । अगर इस मंत्र का जाप किसी क़ि तस्वीर के आगे रात में किया जाये तो वोह नींद में चलकर आपके पास आ जायेगा । यदि कोई घर से भाग जाये तो उसके कपड़ों पर इस मंत्र का जाप करें 24 घंटे में वोह घर की तरफ वापस लौट आयेगा । मंत्र से अभिमंत्रित सिंदूर मस्तक पर लगाने से देखने वाला मोहित हो जाता है । पर वशिकरण हेतु इसका दुरुपयोग न करें । यह दृष्टी मात्र से
वशिकरण करती हैं । अगर इस मंत्र को जाप कर किसी को देख लिया जाये तो भी वशिकरण होता है । यह
देवी सिद्ध होने के बाद सभी कर्मों में सहायता करती है और हर समय साधक के साथ रहती हैं । पर कमज़ोर दिल वाले लोग इस प्रयोग को कभी न करें ॥