शनिवार, 18 जनवरी 2014

साधना मे रक्षा हेतु हनुमान शाबर मंत्र

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साधना मे रक्षा हेतु हनुमान शाबर मंत्र 

इस शाबर मंत्र को किसी शुभ दिन जैसे ग्रहण, होली, रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग मे 1008 बार जप कर
सिद्ध कर ले । माला लाल मुंगे या तुलसी जो प्राण प्रतिष्ठीत हो । वस्त्र लाल, दिशा उत्तर या पुर्व, आसन ऊन का । इस मंत्र का जाप आप हनुमान मंदिर मे करेंगे तो ज्यादा उचित है । नही तो घर पर भी कर सक्ते है । हनुमान जी का विधी विधान से पुजन करके 11 लड्डुओ का तुलसी दल रख कर भोग लगा कर जप शुरू कर दे । जप समाप्त होने पर हनुमान जी को प्रणाम करे बस आपका मंत्र सिद्ध हो गया ।
प्रयोग :- जब भी आप कोई साधना करे तो मात्र 7 बार इस मंत्र का जाप करके रक्षा घेरा बनाने से स्वयं
हनुमान जी रक्षा करते है । इस मंत्र का 7 बार जप कर के ताली बजा देने से भी पूर्ण तरह से रक्षा होती है । और इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद रोज इस मंत्र की 1 माला जाप करने पर टोना जादु साधक पर असर नही करते ।
मंत्र :-
॥ ओम नमो हनुमान  वज्र का कोठा, जिसमे पिंण्ड हमारा पैठा,


ईश्वर कुंजी ब्रम्हा ताला, मेरे आठो याम का यति हनुमंत रखवाला ।

हिडिम्बा साधना

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हिडिम्बा साधना .....

हिडिम्बा देवी महाभारत काल के भीम की पत्नी थी । पूरे हिमाचल प्रदेश मे हिडिम्बा को फूल देवी माना

जाता है । वहा इनकी पूजा होती है । हिमाचल प्रदेश मे हिडिम्बा देवी की पूजा और साधना उसी प्रकार से

होती है जिस प्रकार से हम जगदम्बा जी, शिव या विष्णु जी की करते है । हिडिम्बा साधना जीवन


की जरूरी साधना है । इस  साधना को करने से निश्चय 4 लाभ होते है । 


1. शत्रु पर पूरी विजय प्राप्त होती है ।

2. अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है ।


3. मुक़दमे मे सफलता प्राप्त होती है ।


4. जीवन मे सर्वत्र विजय और चतुर्दिक सफलता प्राप्त होती है ।


माँ के चित्र को फ्रेम कराकर अपने सामने रखे और पंचोपचार पूजन करे और तेल का दीप लगाकर इस मंत्र


का सिर्फ 15 मिनट जप कर ही घर से बहार कार्य हेतु जाए । नित्य सोने से पूर्व इस मंत्र का सिर्फ 11 बार


जप करे । सवा माह तक ऐसा करे उपरोक्त लाभ मिलना शुरू हो जाएगे ।

मंत्र :- ॥ ॐ ह्लीं हिडिम्बाये नमः ॥

महाकाल भैरव महा मंत्र

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महाकाल भैरव महा मंत्र

साधक मित्रो मैं आज आपको एक ऐसा मन्त्र दे रहा हूँ ..जिसके सिद्ध करने के बाद असफल कुछ भी नहीं रहता ..साधक मित्रो ये एक ऐसा मंत्र है इसे सिद्ध करने के बाद कुछ भी नहीं शेष रहता ....बस आवशकता है तो कठिन अभ्यास और एकाग्रता और दृढ़ इच्छाशक्ति के साधना की ....इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए आप का दैनिक व्यवहार सात्विक न किसी को गलत बोलना न गलत सुन्ना .और विषय भोग का त्याग ..कुछ ही दिनों में आपको पता चल जायेगा क्या परिवर्तन हो रहा है ...! ये सर्व कार्य सिद्धि मंत्र है ..( ये देहात भाषा में साबर मंत्र है इसके व्याकरण को बदलने का प्रयास न करे ) ये मूल भाषा में ही मंत्र है ..!
महाकाल भैरव अमोघ मंत्र माला
मंत्र:-
ॐ गुरूजी काला भैरू कपिला केश ,काना मदरा भगवा भेस मार मार काली पुत्र बरह कोस की मार भूता हाथ कलेजी खुहां गेडिया जहाँ जाऊं भेरुं साथ ,बारह कोस की सिद्धि ल्यावो, चौबीस कोस की सिद्धि ल्यावो सूती होय तो जगाय ल्यावो बैठा होय तो उंय ल्यावो अनंत केसर की भारी ल्यावो गौरा पारवती की बिछिया ल्यावो गेल्यां किरस्तान मोह कुवे की पनिहारी मोह बैठा मनिया मोह घर की बैठी बनियानी मोह ,राजा की
रजवाड मोह ,महिला बैठी रानी मोह, डाकिनी को शाकिनी को भूतनी को पलितनी को ओपरी को पराई को, लाग कूं लापत कूं ,धूम कू, धक्का कूं, पलिया कूं, चौड कूं चौगट कूं, काचा कुण, कालवा कूं भूत कूं पालित कूं जिन कूं, राक्षस कूं ,बैरियो से बरी करदे ,नजरा जड़ दे ताला ..इत्ता भैरव नहीं करे तो ..पिता महादेव की जाता तोड़ तागड़ी करे माता पार्वती का चीर फाड़ लंगोट करे ..चल डाकिनी शाकिनी ..चौडूं मैला बकरा देस्युं मद की धार भरी सभा में द्यूं आने में कहाँ लगाईं बार ,खप्पर में खाय मसान में लोटे ऐसे काल भेरू की कुन पूजा मेंटे राजा मेंटे राज से जाय प्रजा मेंटे दूध पूत से जाये जोगी मेंटे ध्यान से जाये ..शब्द साँचा ब्रम्ह वाचा चलो मन्त्र इश्वरो वाचा ...!

विधि :- इस मन्त्र की साधना शुरू करने से पहले इकत्तीस दिन पहले ब्रम्ह चर्य का पालन और सात्विकता बरते फिर अनुष्टान का प्रारंभ करे ..इस साधना को घर में न करे ..ये साधना रात्रि कालीन साधना है ..इसे
कृष्ण पक्ष के शनिवार से आरंभ करनी है ..एक त्रिकोनी काला पत्थर ले कर उसे स्वच्छ पानी से धोकर उस पर सिन्दूर और तील के तेल से लेपन कर ले ..पश्चात् पान का बीड़ा, लेवे, सात लॉन्ग का जोड़ा धर. लोबान धुप और सरसों के तेल का दिया जल लेवे चमेली के फूल रख लेवे पूजा के समय ...फिर एक
श्रीफल की बलि देकर ...गुरुपूजन करके गणेश पूजन कर .बाबा महाकाल यानि ( महादेव से मंत्र सिद्धि के लिए आशीर्वाद मांगे ) और अनुष्ठान आरम्भ करे ..इकतालीस दिनों तक नित्य इकतालीस पाठ इस मंत्र की करे .....हर रॊज जप समाप्ति पर एक विशेष सामग्री से हवंन करले ये हवंन रोज मन्त्र समाप्ति के बाद करना है . .
( सामग्री है कपूर केशर लवंग )
प्रथम दिन और अंतिम दिन भोग के लिए ..उड़द के पकोड़े और बेसन के लड्डू भोग में रख लेवे ..दूध और थोडा सा गुड भी रख लेवे ..इनका प्रशाद गरीबो में बाट देवे ....सातवे दिन से ही आपको अनुभव होने लगेगा की आप के सामने कोई खड़ा है .....भैरवजी का रूप डरावना है इसलिए सावधान ..कम्जोर दिल वाले इस साधना को न करे ..अंतिम दिन भैरवजी प्रगट हो जायेंगे ...उनसे फिर आप मनचाहा .वर मांगले