शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014

¤कृष्ण ही कृष्ण¤.

कृष्ण उठत कृष्ण चलत कृष्ण शाम भोर है ..
कृष्ण बुद्धि कृष्ण चित्त कृष्ण मन विभोर है। ..
कृष्ण रात्रि कृष्ण दिवस कृष्ण स्वप्न शयन है ..
कृष्ण काल कृष्ण कला कृष्ण मास अयन है। ..
कृष्ण शब्द कृष्ण अर्थ कृष्ण ही परमार्थ है ..
कृष्ण कर्म कृष्ण भाग्य कृष्णहि पुरुषार्थ है। ..
कृष्ण स्नेह कृष्ण राग कृष्णहि अनुराग है ..
कृष्ण कली कृष्ण कुसुम कृष्ण ही पराग है। ..
कृष्ण भोग कृष्ण त्याग कृष्ण तत्व ज्ञान है ..
कृष्ण भक्ति कृष्ण प्रेम कृष्णहि विज्ञान है। ..
कृष्ण स्वर्ग कृष्ण मोक्ष कृष्ण परम साध्य है ..
कृष्ण जीव कृष्ण ब्रह्म कृष्णहि आराध्य 
 है .

कर्म का कर्ता

 भाई 

पहले यह जान ले की " मै  कर्म का कर्ता हूँ " इस भाव को केंद्र में रखकर कर्म करने से सुख दुःख रूपी फल की प्राप्ति होगी ही । इसे कोई रोक नहीं सकता । और साथ ही साथ यश अपयश, हानि-लाभ, जन्म-मृत्यु, भी प्राप्त होते हैं । 

इससे बचने का एक रास्ता यह भी है की हम अनंत परमात्मा की शरण ग्रहण करें । और यह माने की "जो कर्म हम कर रहे है उसको करने की प्रेरणा वह परमात्मा ही हमें दे रहा है और उसी के अनुरूप सभी साधन उपलब्ध करवा दे रहा है " यश-अपयश भी उसी परमात्मा की प्रेरणा से मिल रहा है " तो आपको ऐसा महसूस होने लगेगा की जब सब कुछ परमात्मा बलात अपनी माया प्रकृति के द्वारा हमारे माध्यम से करवा रहा है तो हम कही भी न तो दोषी है न ही कर्म फल के अधिकारी है अतः यश अपयश भी उसी की प्रेरणा से मिल रहा है तो सब कुछ उसका प्रशाद मानकर प्रेम से ग्रहण करे । 

तभी सुख प्रपात होगा अन्यथा ब्रह्मा भी किसी का दुःख दूर करने में समर्थ नहीं है 

ओम तत सत 

शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2014

मंत्र प्रयोग

मंत्र प्रयोग
गृह रक्षा- गाय का गोबर या लाल रंग का घोल लेकर उक्त मंत्र से १०८बार पढ़कर अभिमंत्रित कर लें फिर इसी मंत्र को पढ़ते हुए घर के चारों ओर रेखा खींच दें।ऐसा कर देने से घर में भूत,पिशाच,चोर डाकू के घुसने का भय नहीं रहता।साथ ही हिंसक जंतु,अग्नि भय से भी सुरक्षित रहा जा सकता हैं।
मंत्र- ॐ ह्रीं चण्डे!चामुण्डे भ्रुकुटि अट्टा ट्टे,भीम दर्शने!रक्ष रक्ष चौरेभ्यःवज्रेभ्यःअग्निभ्यःश्वापदेभ्यःदुष्टजनेभ्यःसर्वेभ्यःसर्वौपद्रवेभ्यःगण्डीःह्रीं ह्रीं ठःठः।

टोना टोटका तंत्र बाधा निवारण मंत्र- आज यह भी देखने को मिलता है कि कुछ दुष्ट लोग किसी टोना करने वाले से कोई प्रयोग करा देते है और लोग भयानक कष्ट भोगने लगते है।
दवा करने पर भी लाभ नहीं मिलता है,तब इस मंत्र को ११ माला से सिद्ध कर प्रयोग करे।लोग जादू टोना से प्रभावित होकर विक्षिप्त भी हो जाते है।किसी शुभ मूर्हूत मे ईस मंत्र का प्रयोग करें।एक दीपक जलाकर किशमिश का भोग लगा कर मंत्र सिद्ध करे,फिर प्रयोग करते समय ७बार मंत्र पढ़ फूंक मारकर उतारा कर दें।ऐसा ७बार कर देने पर सभी जादू टोना नष्ट हो जाता हैं।बाद मे एक सफेद भोजपत्र पर अष्टगंध की स्याही से अनार के कलम से मंत्र लिख ताँबा या चाँदी की ताबीज मे यंत्र भरकर काला धागा लगाकर स्त्री हो तो बांया पुरूष हो तो दांये बांह मे ७बार मंत्र पढ़ बाँध ले।
शाबर मंत्र- ॐ नमो आदेश गुरू को।ॐ अपर केश विकट भेष।खम्भ प्रति पहलाद राखे,पाताल राखे पाँव।देवी जड़घा राखे,कालिका मस्तक रखें।महादेव जी कोई या पिण्ड प्राण को छोड़े,छेड़े तो देवक्षणा भूत प्रेत डाकिनी,शाकिनी गण्ड ताप तिजारी जूड़ी एक पहरूँ साँझ को सवाँरा को कीया को कराया को,उल्टा वाहि के पिण्ड पर पड़े।इस पिण्ड की रक्षा श्री नृसिंह जी करे।शब्द साँचा,पिण्ड काचा।फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।

गठिया रोग और वात वेदना-
गठिया या वात रोग से लोग बहुत प्रभावित होकर हमेशा दवा खाते रहते है,इस प्रयोग को करे,लाभ होगा।किसी पर्वकाल मे मंत्र को सिद्ध करे।बाद में सन्धि वात या गठिया,वात या कमर में बाई,वात बेदना वाले रोगी को मंगल या रवि को मोर पंख से २१ बार उक्त मंत्र पढ़कर झाड़े।११ माला जप कर मंत्र सिद्ध कर लें।
मंत्र- ॐ मूल नमःधुक्ष नमः।जाहि जाहि ध्वाक्ष तमःप्रर्कीण अड़्गा प्रस्तार प्रस्तार मु़ञ्च।