मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014

दीपावली कैसे मनाएं.... पूर्ण पूजन विधान -


दीपावली केवल दीप प्रज्ज्वलित करने का ही त्यौहार नहीं है, अपितु सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्त करने हेतु गणपति, लक्ष्मी एवं कुबेर पूजन का भी विशेष अवसर है. यह शास्त्र सम्मत है कि इस समय यदि भली प्रकार से इनका पूजन कार्य संपन्न कर लिया जाये, तो पूरे वर्ष भर इन देवी-देवताओं कि कृपा प्राप्ति निश्चित रूप से होती है | सामान्य जन के लाभार्थ एक सरल पूजन विधि यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ जो अपने आप में पूर्ण फलदायक है, मुझे उम्मीद है कि आपको इससे बहुत लाभ होगा |
मुहूर्त- दीपावली महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त वह होना चाहिए जो स्थिर लग्न हो, प्रदोष काल हो, तिथि अमावस्या हो | स्थिर लग्न में पूजन इसलिए होता है जिससे कि लक्ष्मी हमारे घर में स्थायी निवास कर सके | इस बार दीपावली २३ अक्टूबर को है, पूजन मुहूर्त – 7:30pm – 8:35pm का श्रेष्ठ है |
महालक्ष्मी पूजन इस प्रकार से किया जाता है-
आत्म-शोधन, संकल्प, शान्ति-मंगल-पाठ, कलश-स्थापन, गणपति पूजन, नव-ग्रह-पूजन, षोडश-मात्रिका पूजन, गणेश-लक्ष्मी-पूजन, लेखनी-दावात में काली पूजन, बही-खाते में सरस्वती पूजन, तिजोरी बक्से पर कुबेर पूजन, दीप मालिका पूजन, क्षमा-प्रार्थना, विसर्जन |
सर्वप्रथम गुरु पूजन कर लें और संक्षिप्त में गणपति पूजन करें, इनका विग्रह अथवा चित्र सामने रखकर इसपर पूजन का सामान चढ़ाएं |
इसके पश्चात लक्ष्मी पूजन के लिए सामने कोई श्री यन्त्र, या कनकधारा यन्त्र या लक्ष्मी विग्रह स्थापित करें और षोडशोपचार या पंचोपचार विधि से पूजन संपन्न करें -
ध्यान देने योग्य बातें -
लक्ष्मी को गुलाब के पुष्प अत्यधिक प्रिय हैं, इसलिए कोशिश करके उसी से पूजन करें | घी के दीपक में कुछ बूँद इत्र डाल देनी चाहिए, स्त्रियाँ पूर्ण सज-धज कर पूजन करे, और पुरुष भी राजसिक वस्त्र धारण करे यानी पीले रंग कि रेशम कि धोती, पीला आसन इत्यादि. दिशा पूर्व या फिर उत्तर रहे.
इसके पश्चात आप श्री-सूक्त में दिए हुए ध्यान, संकल्प आदि कर सकते हैं और फिर श्री-सूक्त का पाठ कर सकते हैं | फिर लक्ष्मी मंत्र का जप आप किसी भी माला से (रूद्राक्ष माला के आलावा किसी भी माला से) यथा संभव ११, २१ या १०१ माला करें | यह भी ध्यान रखें कि दीपक पोरी रात्रि-काल जलता रहे | इसमें पूजन स्थान पर आभूषण रखकर उसका भी पूजन किया जाता है, जिसे आप दूसरे दिन से ही धारण कर सकते हैं |
इस प्रकार से विधि-विधान पूर्वक लक्ष्मी पूजन करने से निश्चय ही धन-धान्य वृद्धि और निश्चित सफलता प्राप्त होती है |

शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014

¤कृष्ण ही कृष्ण¤.

कृष्ण उठत कृष्ण चलत कृष्ण शाम भोर है ..
कृष्ण बुद्धि कृष्ण चित्त कृष्ण मन विभोर है। ..
कृष्ण रात्रि कृष्ण दिवस कृष्ण स्वप्न शयन है ..
कृष्ण काल कृष्ण कला कृष्ण मास अयन है। ..
कृष्ण शब्द कृष्ण अर्थ कृष्ण ही परमार्थ है ..
कृष्ण कर्म कृष्ण भाग्य कृष्णहि पुरुषार्थ है। ..
कृष्ण स्नेह कृष्ण राग कृष्णहि अनुराग है ..
कृष्ण कली कृष्ण कुसुम कृष्ण ही पराग है। ..
कृष्ण भोग कृष्ण त्याग कृष्ण तत्व ज्ञान है ..
कृष्ण भक्ति कृष्ण प्रेम कृष्णहि विज्ञान है। ..
कृष्ण स्वर्ग कृष्ण मोक्ष कृष्ण परम साध्य है ..
कृष्ण जीव कृष्ण ब्रह्म कृष्णहि आराध्य 
 है .

कर्म का कर्ता

 भाई 

पहले यह जान ले की " मै  कर्म का कर्ता हूँ " इस भाव को केंद्र में रखकर कर्म करने से सुख दुःख रूपी फल की प्राप्ति होगी ही । इसे कोई रोक नहीं सकता । और साथ ही साथ यश अपयश, हानि-लाभ, जन्म-मृत्यु, भी प्राप्त होते हैं । 

इससे बचने का एक रास्ता यह भी है की हम अनंत परमात्मा की शरण ग्रहण करें । और यह माने की "जो कर्म हम कर रहे है उसको करने की प्रेरणा वह परमात्मा ही हमें दे रहा है और उसी के अनुरूप सभी साधन उपलब्ध करवा दे रहा है " यश-अपयश भी उसी परमात्मा की प्रेरणा से मिल रहा है " तो आपको ऐसा महसूस होने लगेगा की जब सब कुछ परमात्मा बलात अपनी माया प्रकृति के द्वारा हमारे माध्यम से करवा रहा है तो हम कही भी न तो दोषी है न ही कर्म फल के अधिकारी है अतः यश अपयश भी उसी की प्रेरणा से मिल रहा है तो सब कुछ उसका प्रशाद मानकर प्रेम से ग्रहण करे । 

तभी सुख प्रपात होगा अन्यथा ब्रह्मा भी किसी का दुःख दूर करने में समर्थ नहीं है 

ओम तत सत