सभी समस्याओ के समाधान माँ बगलामुखी के मंत्र, तंत्र, अनुष्ठान, जप, हवन द्वारा किया जाता है हमारे यहाँ सभी प्रकार की समस्याओं के निवारण हेतु अनुष्ठान किये जाते है
किसी शुभ रविवार के दिन भोजपत्र अथवा शुद्ध सादा कागज पर हल्दी के रस (घोल) की स्याही से अनार की कलम से इस यंत्र को तैयार कर पूजा-अर्चना करें। यंत्र के पीछे (दूसरी ओर) अपनी समस्या लिखें। यंत्र लिखित भोजपत्र को शुद्ध रुई में रखकर उसको बत्ती की तरह लपेट कर उसे जलायें। जब यंत्र की वह बत्ती जलने लगे तब उसे किसी चीज के सहारे टिका दें और निम्नलिखित मंत्र का हल्दी की माला (१०८ मनके) से ११ माला का जप करें यह प्रक्रिया लगातार सात रविवार तक करना लाभप्रद रहता है। मन्त्रः- “ॐ ह्रीं हंसः”
यदि किसी बच्चे या बड़े व्यक्ति को नींद में डर लगता हो या बेचेनी और घबराहट होति हो तो इस यंत्र का उपयोग लाभदायक रहता है। यंत्र को मंगलवार या पुष्य नक्षत्र के दिन चौकोर भोजपत्र के ऊपर चमेली की कलम से अष्टगंधा की स्याही को प्रयुक्त करते हुए तैयार करें। कुल १०९ यंत्र बनावें जिसमें से १०८ यंत्रों को धूप-दीप से पूजाकर किसी बहती नदी या कुएं में विसर्जित कर दें। शेष बचे हुए एक यंत्र को पूजा स्थल पर रखें। अपनी लम्बाई का कच्चा सूत या मोली लेकर उसको पाँच बार मोड़कर बत्ती बनावें। दीपक में तिल का तेल भरकर इस बत्ती को रखें तथा यंत्र के सामने प्रज्जवलित करें। १०८ बार हनुमान अष्टक का पाठ करें तदुपरान्त भोजपत्र पर बने हुए यंत्र को तांबे के ताबीज में रखकर गले में धारण करें।
दीपावली यानी धन और समृद्धि का त्यौहार. इस त्यौहार में गणेश और माता लक्ष्मी के साथ ही साथ धनाधिपति भगवान कुबेर, सरस्वती और काली माता की भी पूजा की जाती है. सरस्वती और काली भी माता लक्ष्मी के ही सात्विक और तामसिक रूप हैं. जब सरस्वती, लक्ष्मी और काली एक होती हैं तब महालक्ष्मी बन जाती हैं.
दिपावली की रात गणेश जी की पूजा से सद्बुद्धि और ज्ञान मिलता है जिससे व्यक्ति में धन कमाने की प्रेरणा आती है. व्यक्ति में इस बात की भी समझ बढ़ती है कि धन का सदुपयोग किस प्रकार करना चाहिए. माता लक्ष्मी अपनी पूजा से प्रसन्न होकर धन का वरदान देती हैं और धनधपति कुबेर धन संग्रह में सहायक होते हैं. इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही दीपावली की रात गणेश लक्ष्मी के साथ कुबेर की भी पूजा की जाती है.
पूजन सामग्री - कलावा, रोली, सिंदूर, १ नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, 5 सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत ( दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी , अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली. कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन.
पर्वोपचार पूजन शुरू करने से पूर्व चौकी को धोकर उस पर रंगोली बनाएं. चौकी के चारों कोने पर चार दीपक जलाएं. जिस स्थान पर गणेश एवं लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करनी हो वहां कुछ चावल रखें. इस स्थान पर क्रमश: गणेश और लक्ष्मी की मूर्ति को रखें. अगर कुबेर, सरस्वती एवं काली माता की मूर्ति हो तो उसे भी रखें. लक्ष्मी माता की पूर्ण प्रसन्नता हेतु भगवान विष्णु की मूर्ति लक्ष्मी माता के बायीं ओर रखकर पूजा करनी चाहिए.
आसन बिछाकर गणपति एवं लक्ष्मी की मूर्ति के सम्मुख बैठ जाएं. इसके बाद अपने आपको तथा आसन को इस मंत्र से शुद्धि करें
दीपावली पूजन हेतु संकल्प पंचोपचार करने बाद संकल्प करना चाहिए. संकल्प में पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें :
ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणो ऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : २०७० , पराभव नाम संवत्सरे दक्षिणायने हेमन्त ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस तिथौ रवि वासरे स्वाति नक्षत्रे आयुष्मान योग नाग करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया– श्रुतिस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तर्थं— निमित्त महागणपति नवग्रहप्रणव सहितं कुलदेवतानां पूजनसहितं स्थिर लक्ष्मी महालक्ष्मी देवी पूजन निमित्तं एतत्सर्वं शुभ-पूजोपचारविधि सम्पादयिष्ये.
गणपति पूजन किसी भी पूजा में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है. इसलिए आपको भी सबसे पहले गणेश जी की ही पूजा करनी चाहिए. हाथ में पुष्प लेकर गणपति का ध्यान करें.
गणेश जी को वस्त्र पहनाएं. इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि.
पूजन के बाद गणेश जी को प्रसाद अर्पित करें:
इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:.
मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र: इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:
प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें. इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:
इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें: इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:.
अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:
इसी प्रकार से अन्य सभी देवताओं की पूजा करें. जिस देवता की पूजा करनी हो गणेश के स्थान पर उस देवता का नाम लें.
कलश पूजन घड़े या लोटे पर मोली बांधकर कलश के ऊपर आम का पल्लव रखें. कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा, अक्षत, मुद्रा रखें. कलश के गले में मोली लपेटें. नारियल पर वस्त्र लपेट कर कलश पर रखें. हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरूण देवता का कलश में आह्वान करें.
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