शनिवार, 26 अक्टूबर 2013

कार्य सिद्धि यन्त्र


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नवरात्र, होली, दीपावली, ग्रहणकाल या पुष्य नक्षत्र वाले दिन शुभ एवं अनुकूल मुहूर्त में ताम्रपत्र पर बने हुए यंत्र को पंचामृत से स्नान करवाकर शुद्ध कर लें। तत्पश्चात् यंत्र को शिवलिंग की जलहरी के नीचे इस तरह रखें कि शिवलिंग पर जल एवं दूध चढ़ाने के दौरान चढा हुआ जल व दूध इस यंत्र के ऊपर गिरता रहे। शिवलिंग पर जल व दूध चढ़ाते रहें तथा “ॐ नमः शिवाय” मन्त्र को गहरी सांस से बोलते रहें। ऐसा प्रतिदिन १० मिनट तक करें। किसी महत्त्वपूर्ण कार्य पर प्रस्थान करते समय उक्त यंत्र को अपनी जेब में रखकर ले जावें। यह अत्यन्त प्रभावकारी क्रिया है अतः इसकी निरन्तरता बनाये रखने से शुभ परिणाम आते हैं।

सर्वदुःख निवारण यंत्र-मंत्र


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किसी शुभ रविवार के दिन भोजपत्र अथवा शुद्ध सादा कागज पर हल्दी के रस (घोल) की स्याही से अनार की कलम से इस यंत्र को तैयार कर पूजा-अर्चना करें। यंत्र के पीछे (दूसरी ओर) अपनी समस्या लिखें। यंत्र लिखित भोजपत्र को शुद्ध रुई में रखकर उसको बत्ती की तरह लपेट कर उसे जलायें। जब यंत्र की वह बत्ती जलने लगे तब उसे किसी चीज के सहारे टिका दें और निम्नलिखित मंत्र का हल्दी की माला (१०८ मनके) से ११ माला का जप करें यह प्रक्रिया लगातार सात रविवार तक करना लाभप्रद रहता है।
मन्त्रः- “ॐ ह्रीं हंसः”

नींद में भय एवं खराब स्वप्न निवारण यंत्र


यदि किसी बच्चे या बड़े व्यक्ति को नींद में डर लगता हो या बेचेनी और घबराहट होति हो तो इस यंत्र का उपयोग लाभदायक रहता है। dream-fear-nivaran
यंत्र को मंगलवार या पुष्य नक्षत्र के दिन चौकोर भोजपत्र के ऊपर चमेली की कलम से अष्टगंधा की स्याही को प्रयुक्त करते हुए तैयार करें। कुल १०९ यंत्र बनावें जिसमें से १०८ यंत्रों को धूप-दीप से पूजाकर किसी बहती नदी या कुएं में विसर्जित कर दें। शेष बचे हुए एक यंत्र को पूजा स्थल पर रखें। अपनी लम्बाई का कच्चा सूत या मोली लेकर उसको पाँच बार मोड़कर बत्ती बनावें। दीपक में तिल का तेल भरकर इस बत्ती को रखें तथा यंत्र के सामने प्रज्जवलित करें। १०८ बार हनुमान अष्टक का पाठ करें तदुपरान्त भोजपत्र पर बने हुए यंत्र को तांबे के ताबीज में रखकर गले में धारण करें।