तेल अथवा इत्र से मोहन
क॰ “ॐ मोहना रानी-मोहना रानी चली सैर को, सिर पर धर तेल की दोहनी। जल मोहूँ थल मोहूँ, मोहूँ सब संसार। मोहना रानी पलँग चढ़ बैठी, मोह रहा दरबार। मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति। दुहाई गौरा-पार्वती की, दुहाई बजरंग बली की।
ख॰ “ॐ नमो मोहना रानी पलँग चढ़ बैठी, मोह रहा दरबार। मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति। दुहाई लोना चमारी की, दुहाई गौरा-पार्वती की। दुहाई बजरंग बली की।”
विधिः- ‘दीपावली’ की रात में स्नानादिक कर पहले से स्वच्छ कमरे में ‘दीपक’ जलाए। सुगन्धबाला तेल या इत्र तैयार रखे। लोबान की धूनी दे। दीपक के पास पुष्प, मिठाई, इत्र इत्यादि रखकर दोनों में से किसी भी एक मन्त्र का २२ माला ‘जप’ करे। फिर लोबान की ७ आहुतियाँ मन्त्रोचार-सहित दे। इस प्रकार मन्त्र सिद्ध होगा तथा तेल या इत्र प्रभावशाली बन जाएगा। बाद में जब आवश्यकता हो, तब तेल या इत्र को ७ बार उक्त मन्त्र से अभीमन्त्रित कर स्वयं लगाए। ऐसा कर साधक जहाँ भी जाता है, वहाँ लोग उससे मोहित होते हैं। साधक को सूझ-बूझ से व्यवहार करना चाहिए। मन चाहे कार्य अवश्य पूरे होंगे।
रविवार, 16 नवंबर 2014
मोहन
मोहन
दृष्टि द्वारा मोहन करने का मन्त्र
ॐ नमो भगवति, पुर-पुर वेशनि, सर्व-जगत-भयंकरि ह्रीं ह्रैं, ॐ रां रां रां क्लीं वालौ सः चव काम-बाण, सर्व-श्री समस्त नर-नारीणां मम वश्यं आनय आनय स्वाहा।”
विधिः- किसी भी सिद्ध योग में उक्त मन्त्र का १०००० जप करे। बाद में साधक अपने मुहँ पर हाथ फेरते हुए उक्त मन्त्र को १५
बार जपे। इससे साधक को सभी लोग मान-सम्मान से देखेंगे।
दृष्टि द्वारा मोहन करने का मन्त्र
ॐ नमो भगवति, पुर-पुर वेशनि, सर्व-जगत-भयंकरि ह्रीं ह्रैं, ॐ रां रां रां क्लीं वालौ सः चव काम-बाण, सर्व-श्री समस्त नर-नारीणां मम वश्यं आनय आनय स्वाहा।”
विधिः- किसी भी सिद्ध योग में उक्त मन्त्र का १०००० जप करे। बाद में साधक अपने मुहँ पर हाथ फेरते हुए उक्त मन्त्र को १५
बार जपे। इससे साधक को सभी लोग मान-सम्मान से देखेंगे।
रविवार, 9 नवंबर 2014
पीलिया झारने का मंत्र
पीलिया को ही शहरों में जॉन्डिस और हेपटाइटिस के नाम से जाना जाता है । इसकी एलोपैथी में चिकित्सा नहीं हो पाती है और अगर कोई करता भी है तो लाखो रुपये खर्च करने पर भी पूर्ण आराम नहीं हो पाता है ।
मैं जो निम्न मंत्र बता रहा हु सर्व प्रथम इसकी सिद्धि करे । ततपश्चात पीलिया के रोगी को सामने बैठा कर कांसे की कटोरी में तेल डाल कर रोगी के सर पर रखे और कुशा से हिलाते हुए इक्कीस बार मंत्र बोले । ऐसा
करने पर यदि कटोरे का तेल पीला हो जाये तो समझें चाहिए की मंत्र सिद्ध हो गया है और रोगी रोग मुक्त हो रहा है । इसी विधि को तीन दिन करने से रोगी पूर्णतः रोग मुक्त हो जाता है ।
मंत्र :- ओम नमो विखेताल असराल नारसिंह देव तुषादि पीलिया कूँ भिदाती कौरे झौरे पीलिया रहे न नेक निशान जो कहीं रह जाय तो हनुमंत की आन मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा ।
विधि :- होली, रामनवमी या दिवाली की रात्रि से यह मंत्र आरम्भ कर देना चाहिए और नित्य एक हजार मंत्रो का जाप करके इक्कीस दिन में इक्कीस हजार जप करके मंत्र को सिद्ध कर लेना चाहिए ।
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