दरिद्रता निवारण का चमत्कारी मंत्र
ॐ नमो नारायणाय नमः।
यह मंत्र सौभाग्य, सम्पदा, मोक्ष एवं सभी प्रकार की उन्नति के लिए अत्यन्त ही अनुकूल है, यह अत्यन्त
सरल और महत्वपूर्ण है उन लोगों के लिए जो गृहस्थ है और ज्यादा विधि विधान नही कर सकते है। दस लाख
बार जपने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। स्त्रियों के लिए यह मंत्र विशेष उपयोगी माना गया है , इससे गृहस्थ
जीवन सुखमय रहता है तथा मृत्यु के बाद निश्चय ही विष्णु लोक को जाता है। पूजन कक्ष में प्राण प्रतिष्ठित
लक्ष्मी यन्त्र के सामने यह प्रयोग अधिक श्रेष्ठ रहता है। यन्त्र और स्वयं को इत्र लगाकर साधना करने से
निश्चित सफलता मिलती है।
शुक्रवार, 19 जून 2015
रुठी हुई स्त्री का वशीकरण
रुठी हुई स्त्री का वशीकरण
“मोहिनी माता, भूत पिता, भूत सिर वेताल। उड़ ऐं काली ‘नागिन’ को जा लाग। ऐसी जा के लाग कि ‘नागिन’
को लग जावै हमारी मुहब्बत की आग। न खड़े सुख, न लेटे सुख, न सोते सुख। सिन्दूर चढ़ाऊँ मंगलवार, कभी
न छोड़े हमारा ख्याल। जब तक न देखे हमारा मुख, काया तड़प तड़प मर जाए। चलो मन्त्र, फुरो वाचा।
दिखाओ रे शब्द, अपने गुरु के इल्म का तमाशा।”
विधि- मन्त्र में ‘नागिन’ शब्द के स्थान पर स्त्री का नाम जोड़े। शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से ८ दिन पहले साधना
प्रारम्भ करे। एक शान्त एकान्त कमरे में रात्रि मे १० बजे शुद्ध वस्त्र धारण कर कम्बल के आसन पर बैठे।
अपने पास जल भरा एक पात्र रखे तथा ‘दीपक’ व धूपबत्ती आदि से कमरे को सुवासित कर मन्त्र का जप करे।
‘जप के समय अपना मुँह स्त्री के रहने की स्थान / दिशा की ओर रखे। एकाग्र होकर घड़ी देखकर ठीक दो घण्टे
तक जप करे। जिस समय मन्त्र का जप करे, उस समय स्त्री का स्मरण करता रहे। स्त्री का चित्र हो, तो कार्य
अधिक सुगमता से होगा। साथ ही, मन्त्र को कण्ठस्थ कर जपने से ध्यान केन्द्रित होगा। इस प्रयोग में मन्त्र
जप की गिनती आवश्यक नहीं है। उत्साह-पूर्वक पूर्ण संकल्प के साथ जप करे।
अनुभुत सिद्ध अष्टलक्ष्मी साधना
अनुभुत सिद्ध अष्टलक्ष्मी साधना
मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी समस्या हैं निर्धनता.धन के अभाव में मनुष्य मान सन्मान प्रतिष्ठा से भी
वंचित रहेता..
साधना को शुरू करने से पहले पञ्च देवता पूजन और गुरु पूजन के साथ साथ सदगुरुदेव प्रदुत्त मंत्र जाप
(गुरुमंत्र) जाप जरूर कर लें ....संकल्प करना ना भूले..
चाहे वह कितना भी बड़ा ज्ञानी क्यों ना हो..कही मैंने सुना था की पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी
नहीं..आज के युग में यह बात शत प्रतिशत मुझे योग्य लगती हैं...जिनके जीवन में धन का अभाव
हैं...जिनका व्यापार अच्छे से नहीं चल रहा हैं जो कर्जे के चक्र्व्ह्यु में फस गए हैं...जो लोग धन के अभाव के
कारण बार बार अच्छे मोके गवा देते हैं स्वयं भी दुखी होते हैं और परिवार भी दुखी रहेता हैं ..यह साधना उन
सब को तो समर्पित तो हैं ही साथमे हमारे प्रिय साधक भाई यो को भी समर्पित हैं क्यूंकि धन के अभाव में
साधन उपलब्ध नहीं होता और बिना साधन,साधना नहीं होती...अब आगे मैं क्या कहू पर आप स्वयं यह
साधना करे फिर आपका हृदय स्वयं बोलेगा....
सामग्री
१.सिद्ध श्रीयंत्र , पाट ,पीला वस्त्र , ताम्बे की थाली, गाय के घी के ९(नौ) दीपक, गुलाब अगरबत्ती, लाल/पीले फूलो की माला, पीली बर्फी, शुद्ध,अस्ट्गंध,
२.माला :स्फटिक/कमलगट्टा. जप संख्या :१,२५०००
३.आसन :पीला,---- वस्त्र : पीले ; समय :शुक्रवार रात नौ बजे के बाद
४.दिशा :उत्तराभिमुख
मंत्र:
ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा ||
५.विधान :-पाट पर पिला वस्त्र बिछा कर उस पर सिद्ध श्री यन्त्र स्थापित करे,पीले वस्त्र धारण कर पीले
आसन पर बैठे श्री यन्त्र पर अस्ट्गंध का छीट्काव कर खुद अस्ट्गंध का तिलक करे उसके बाद ताम्बे की
थाली में गाय के घी से नौ दीपक जलाये,गुलाब अगरबत्ती लगाये,प्रस्साद में पीली बर्फी रखे श्री यन्त्र पर फूल
माला चढ़ाये उसके बाद मन्त्र जप करे.और माँ की कृपा को प्राप्त करे ...माँ भगवती आप सभी को सुख समृद्धि
से पूर्ण करे..
मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी समस्या हैं निर्धनता.धन के अभाव में मनुष्य मान सन्मान प्रतिष्ठा से भी
वंचित रहेता..
साधना को शुरू करने से पहले पञ्च देवता पूजन और गुरु पूजन के साथ साथ सदगुरुदेव प्रदुत्त मंत्र जाप
(गुरुमंत्र) जाप जरूर कर लें ....संकल्प करना ना भूले..
चाहे वह कितना भी बड़ा ज्ञानी क्यों ना हो..कही मैंने सुना था की पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी
नहीं..आज के युग में यह बात शत प्रतिशत मुझे योग्य लगती हैं...जिनके जीवन में धन का अभाव
हैं...जिनका व्यापार अच्छे से नहीं चल रहा हैं जो कर्जे के चक्र्व्ह्यु में फस गए हैं...जो लोग धन के अभाव के
कारण बार बार अच्छे मोके गवा देते हैं स्वयं भी दुखी होते हैं और परिवार भी दुखी रहेता हैं ..यह साधना उन
सब को तो समर्पित तो हैं ही साथमे हमारे प्रिय साधक भाई यो को भी समर्पित हैं क्यूंकि धन के अभाव में
साधन उपलब्ध नहीं होता और बिना साधन,साधना नहीं होती...अब आगे मैं क्या कहू पर आप स्वयं यह
साधना करे फिर आपका हृदय स्वयं बोलेगा....
सामग्री
१.सिद्ध श्रीयंत्र , पाट ,पीला वस्त्र , ताम्बे की थाली, गाय के घी के ९(नौ) दीपक, गुलाब अगरबत्ती, लाल/पीले फूलो की माला, पीली बर्फी, शुद्ध,अस्ट्गंध,
२.माला :स्फटिक/कमलगट्टा. जप संख्या :१,२५०००
३.आसन :पीला,---- वस्त्र : पीले ; समय :शुक्रवार रात नौ बजे के बाद
४.दिशा :उत्तराभिमुख
मंत्र:
ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा ||
५.विधान :-पाट पर पिला वस्त्र बिछा कर उस पर सिद्ध श्री यन्त्र स्थापित करे,पीले वस्त्र धारण कर पीले
आसन पर बैठे श्री यन्त्र पर अस्ट्गंध का छीट्काव कर खुद अस्ट्गंध का तिलक करे उसके बाद ताम्बे की
थाली में गाय के घी से नौ दीपक जलाये,गुलाब अगरबत्ती लगाये,प्रस्साद में पीली बर्फी रखे श्री यन्त्र पर फूल
माला चढ़ाये उसके बाद मन्त्र जप करे.और माँ की कृपा को प्राप्त करे ...माँ भगवती आप सभी को सुख समृद्धि
से पूर्ण करे..
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