अनुभुत सिद्ध अष्टलक्ष्मी साधना
मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी समस्या हैं निर्धनता.धन के अभाव में मनुष्य मान सन्मान प्रतिष्ठा से भी
वंचित रहेता..
साधना को शुरू करने से पहले पञ्च देवता पूजन और गुरु पूजन के साथ साथ सदगुरुदेव प्रदुत्त मंत्र जाप
(गुरुमंत्र) जाप जरूर कर लें ....संकल्प करना ना भूले..
चाहे वह कितना भी बड़ा ज्ञानी क्यों ना हो..कही मैंने सुना था की पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी
नहीं..आज के युग में यह बात शत प्रतिशत मुझे योग्य लगती हैं...जिनके जीवन में धन का अभाव
हैं...जिनका व्यापार अच्छे से नहीं चल रहा हैं जो कर्जे के चक्र्व्ह्यु में फस गए हैं...जो लोग धन के अभाव के
कारण बार बार अच्छे मोके गवा देते हैं स्वयं भी दुखी होते हैं और परिवार भी दुखी रहेता हैं ..यह साधना उन
सब को तो समर्पित तो हैं ही साथमे हमारे प्रिय साधक भाई यो को भी समर्पित हैं क्यूंकि धन के अभाव में
साधन उपलब्ध नहीं होता और बिना साधन,साधना नहीं होती...अब आगे मैं क्या कहू पर आप स्वयं यह
साधना करे फिर आपका हृदय स्वयं बोलेगा....
सामग्री
१.सिद्ध श्रीयंत्र , पाट ,पीला वस्त्र , ताम्बे की थाली, गाय के घी के ९(नौ) दीपक, गुलाब अगरबत्ती, लाल/पीले फूलो की माला, पीली बर्फी, शुद्ध,अस्ट्गंध,
२.माला :स्फटिक/कमलगट्टा. जप संख्या :१,२५०००
३.आसन :पीला,---- वस्त्र : पीले ; समय :शुक्रवार रात नौ बजे के बाद
४.दिशा :उत्तराभिमुख
मंत्र:
ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा ||
५.विधान :-पाट पर पिला वस्त्र बिछा कर उस पर सिद्ध श्री यन्त्र स्थापित करे,पीले वस्त्र धारण कर पीले
आसन पर बैठे श्री यन्त्र पर अस्ट्गंध का छीट्काव कर खुद अस्ट्गंध का तिलक करे उसके बाद ताम्बे की
थाली में गाय के घी से नौ दीपक जलाये,गुलाब अगरबत्ती लगाये,प्रस्साद में पीली बर्फी रखे श्री यन्त्र पर फूल
माला चढ़ाये उसके बाद मन्त्र जप करे.और माँ की कृपा को प्राप्त करे ...माँ भगवती आप सभी को सुख समृद्धि
से पूर्ण करे..
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