कांजी भाई और pk कोर्ट में हाजिर हुए >>
•
वकील : हाँ तो आप दोनों का कहना है कि इन्सान
डर के कारण मंदिर जाता है और मूर्ति पूजा गलत है।
कांजी भाई : जी बिलकुल। ईश्वर तो सभी जगह है
उसको मंदिर में ढूँढने की क्या आवश्यकता है।
वकील : आप का मतलब है कि मंदिर में नहीं है।
कांजी भाई : वहां भी है।
वकील : तो फिर आप लोगो को मंदिर जाना क्यों
पाखंड लगता है?
कांजी भाई : हमारा मतलब है मंदिर ही क्यों
जाना मूर्ति में ही क्यों?? जब सभी जगह है तो
जरूरत ही क्या है पूजा करने की बस मन में ही पूजा
कर लो।
वकील-'हा हा हा हा '
कांजी भाई- इसमें हंसने की क्या बात है??
वकील दोनो को घूरते हुए आगे बड़ा और पुछा- एक
बात बताइए आप पानी केसे पीते है?
'पानी कैसे पीते है?
ये कैसा पागलो जासा सवाल है जज साहब?कांजी
बोला'
वकील लगभग चिल्लाते हुए - मैं पूछता हूँ आप पानी
कैसे पीते है ?
कांजी भाई हडबडाते हुए - ज ज ज जी ग्लास से।
पॉइंट टू बी नोटेड मी लार्ड कांजी भाई ग्लास से
पानी पीते है
और ये pk तो इस ग्रह का आदमी नहीं है फिर भी पूछ
लेते है।
क्यों भाई तुम पानी कैसे पीते हो?
pk- जी मैं भी ग्लास से पीता हूँ।
वकील कांजी भाई की और मुड़ते हुए - कांजी भाई
एक बात बताइए जब पानी हाइड्रोजन और
आक्सीजन के रूप में इस हवा में भी मोजूद है तो आप
हवा में से सूंघकर पानी क्यों नहीं पी लेते?
और ऐसा कहकर वकील ने हवा में लगभग नाक को
तीन बार अलग अलग घुसेड़ते हुए बताया मानो हवा से
नाक से पानी पी रहा हो।
कांजी भाई झुंझलाकर बोला - जज साहब वकील
साहब कैसी बाते कर रहे है?भला इस प्रकार हवा से
सूंघकर पानी कैसे पिया जा सकता है ?पानी पीने के
लिए किसी ग्लास की जरूरत तो पड़ेगी ही।
और वकील जेसे कांजी पर टूट पड़ा हो- इसी प्रकार
कांजी भाई जैसे आप यह जानते हुए भी कि पानी
सभी जगह मोजूद है आप को पानी पीने के लिए
ग्लास की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार यह
जानते हुए भी कि ईश्वर सभी जगह मोजूद है उसके
बावजूद हमें मूर्ति ,मंदिर या तीर्थस्थल की
आवश्यकता होती है ताकि हम ईश्वर की सरलता से
ध्यान लगाकर आराधना कर सके ।
•
कांजी भाई चुप।
और अब pk को भी बात समझ में आ चुकि थी कि
आदमी मंदिर क्यों जाता है
बुधवार, 17 जून 2015
शनिवार, 6 जून 2015
स्वप्न वाराही सिद्धी
स्वप्न वाराही सिद्धी.
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यह एक अनोखी साधना है जिसमे सफलता पाना आसान है परंतु इस साधना का उपयोग तभी करना चाहिये जब आप किसी कठिन समस्या मे फसे हुए हो और समस्या से बाहर निकलने का रास्ता ना मिले.
कभी भी इस साधना का गलत प्रयोग ना करे जैसे सट्टा या लौटरी का नंबर स्वप्न मे देखना.
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यह एक अनोखी साधना है जिसमे सफलता पाना आसान है परंतु इस साधना का उपयोग तभी करना चाहिये जब आप किसी कठिन समस्या मे फसे हुए हो और समस्या से बाहर निकलने का रास्ता ना मिले.
कभी भी इस साधना का गलत प्रयोग ना करे जैसे सट्टा या लौटरी का नंबर स्वप्न मे देखना.
साधना विधि:-
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सोने से पूर्व जहा आप सोते है वहा के आस पास का जगहा साफ करके रखे और चद्दर भी साफ सुधरी होनी चाहिये.
सोने से पहिले 3 माला जाप 21 दिनो तक करना है.इससे आपको इस साधना मे सफलता मिलती है.जब किसी सवाल का जवाब प्राप्त करना हो तब 'स्वप्न वाराही" से प्रार्थना करके अपना सवाल बताये और 11 बार मंत्र का जाप करके निद्रा ले,इस विधान से आपको समस्या के निवारण हेतु जवाब स्वप्न मे मिल जायेगा.
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सोने से पूर्व जहा आप सोते है वहा के आस पास का जगहा साफ करके रखे और चद्दर भी साफ सुधरी होनी चाहिये.
सोने से पहिले 3 माला जाप 21 दिनो तक करना है.इससे आपको इस साधना मे सफलता मिलती है.जब किसी सवाल का जवाब प्राप्त करना हो तब 'स्वप्न वाराही" से प्रार्थना करके अपना सवाल बताये और 11 बार मंत्र का जाप करके निद्रा ले,इस विधान से आपको समस्या के निवारण हेतु जवाब स्वप्न मे मिल जायेगा.
मंत्र-
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ll ओम ह्रीं नमो वाराहि अघौरे स्वप्न दर्शय दर्शय ठ: ठ: स्वाहा ll
ll om hreem namo vaarahi aghoure swapn darshay darshay thaa thaa swaahaa ll
3 माला रोज 21 दिनो तक जाप करना है.
दिशा,वस्त्र,माला का कोई विधान नही है इसलिये चिंतित ना हो.
दिशा,वस्त्र,माला का कोई विधान नही है इसलिये चिंतित ना हो.
शनिवार, 18 अप्रैल 2015
परीक्षा में सफलता हेतु सरल प्रयोग
परीक्षा में सफलता हेतु सरल प्रयोग
मित्रों,
अक्सर बहुत सारे बच्चे, छात्र, परीक्षार्थी और उनके माता पिता, व्यक्तिगत रूप से मेसेज बॉक्स में या फिर बहुत सारे ग्रुप्स में परीक्षा में सफलता के लिए इसी बारे में पूछते हैं कि
अक्सर बहुत सारे बच्चे, छात्र, परीक्षार्थी और उनके माता पिता, व्यक्तिगत रूप से मेसेज बॉक्स में या फिर बहुत सारे ग्रुप्स में परीक्षा में सफलता के लिए इसी बारे में पूछते हैं कि
हाईस्कूल या इंटर की परीक्षा में सफल होने के लिए या अच्छे अंक पाने के लिए कोई प्रयोग बताएं।
प्रतियोगी परीक्षा में या सरकारी नौकरी के लिए कुछ बताएं।
प्रतियोगी परीक्षा में या सरकारी नौकरी के लिए कुछ बताएं।
आज आपको इसी विषय में एक अनुभूत प्रयोग बताने जा रहा हूँ जिसका मैंने बहुत बार प्रयोग किया है और आशातीत परिणाम पाया है। आज गुरु पुष्य नक्षत्र में जब मैंने ये कुछ लोगों के लिए बनाये तो विचार आया की ये प्रयोग सार्वजानिक कर दूँ ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्र इसका लाभ ले सकें।
ये प्रयोग आप
गणेश चतुर्थी के दिन कर सकते हैं फिर बसंत पंचमी के अवसर पर भी। अथवा गुरु पुष्य नक्षत्र में |
सर्वप्रथम भूमि को साफ कर उस पर रोली या सिंदूर से एक स्वस्तिक का चिन्ह बनायें इस पर एक लकड़ी का पाटा या चौकी स्थापित करें। इस चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर एक ताम्बे या स्टील की थाली रखें। थाली में केसर या हल्दी से अष्टदल बनायें , इस पर पीले या लाल फूल बिछाकर भगवन गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
अब दायें हाथ में जल अक्षत और पुष्प लेकर संकल्प करें की आप (अपना नाम) पुत्र श्री (पिता का नाम) गोत्र माघ मास चतुर्थी तिथि कृष्ण पक्ष दिन रविवार _____स्थान में _______ परीक्षा में सफलता के लिए ये प्रयोग कर रहे हैं और सफल होने पर उनके निमित्त ________ करेंगे।
तत्पश्चात भोजपत्र पर अनार की कलम से अष्टगंध या केसर की स्याही से नीचे दिए चित्र अनुसार पंद्रह का यन्त्र बनायें और यंत्र के नीचे विद्यार्थी का नाम पिता का नाम और गोत्र लिखें।
इस भोजपत्र को प्रतिमा के चरणों में रख दें। साथ में यदि उपलब्ध हो तो सिद्ध श्वेतार्क मूल भी इसके साथ रख दें।
इस भोजपत्र को प्रतिमा के चरणों में रख दें। साथ में यदि उपलब्ध हो तो सिद्ध श्वेतार्क मूल भी इसके साथ रख दें।
अब भगवन की और यंत्र की पंचोपचार पूजा करें, 108 दूर्वादल और 108 हरी इलायची चढ़ाएं और निम्न मंत्र से उनका ध्यान करे
ं
एक दंतम चतुर्हस्तं पाशमंकुश धारिणम।
रदम च वरदं हस्तैर्विभ्राणम मूषकध्वजम।।
लम्बोदरम शूपकर्णकम रक्तवाससम।
रक्तगंधानुलिप्तंगम रक्तपुषपैसुपुजितम।।
भक्तानुकंपिनं देवं जगत्कारणमुच्यतम।
एवं ध्यायन्ति यो नित्यं सः योगी: योगिनाम वर:।।
ं
एक दंतम चतुर्हस्तं पाशमंकुश धारिणम।
रदम च वरदं हस्तैर्विभ्राणम मूषकध्वजम।।
लम्बोदरम शूपकर्णकम रक्तवाससम।
रक्तगंधानुलिप्तंगम रक्तपुषपैसुपुजितम।।
भक्तानुकंपिनं देवं जगत्कारणमुच्यतम।
एवं ध्यायन्ति यो नित्यं सः योगी: योगिनाम वर:।।
तत्पश्चात निम्न मंत्र का 11 माला जप करें। जप रुद्राक्ष स्फटिक श्वेत या रक्त चन्दन अथवा हल्दी माला से कर सकते हैं। तुलसी माला का प्रयोग वर्जित है।
ॐ एकदंत महाबुद्धिः सर्वसौभाग्य दायकः।
सर्व सिद्धि करो देव गौरी पुत्रो विनायकः।।
सर्व सिद्धि करो देव गौरी पुत्रो विनायकः।।
भगवन को तिल के लड्डुओं का भोग लगायें।
इसके बाद उक्त यन्त्र को चाँदी या ताबीज में भरकर श्वेतार्क मूल के साथ लाल वस्त्र में सिलकर गले में धारण कर लें। फिर प्रतिदिन इस मंत्र की एक माला जप करें। परीक्षा के दिन में जब समय कम होता है तब भी कम से कम 21 जप अवश्य करें।
इसके बाद उक्त यन्त्र को चाँदी या ताबीज में भरकर श्वेतार्क मूल के साथ लाल वस्त्र में सिलकर गले में धारण कर लें। फिर प्रतिदिन इस मंत्र की एक माला जप करें। परीक्षा के दिन में जब समय कम होता है तब भी कम से कम 21 जप अवश्य करें।
इलायची निकलकर बाकि पूजन सामग्री वस्त्र समेत प्रवाहित कर दें। एक इलायची प्रतिदिन खाएं ये आपकी बुद्धि और ग्रहण क्षमता तीव्र करेगी।
यदि श्वेतार्क मूल का ताबीज या सिद्ध मूल न हो तो सिर्फ यन्त्र भी बहुत प्रभावशाली है।
जो बच्चे ये प्रयोग न कर सकें उनके मातापिता ये कर सकते हैं, संकल्प में प्रार्थना करें की आप ये अपने बच्चे के लिए कर रहे हैं और इसका फल उसे मिले।
बहुत से बच्चे पढने में कमजोर होते हैं।
बहुतों का मन पढाई में कम या नहीं लगता है।
कुछ याद अच्छा कर लेते हैं पर परीक्षा में भूल जाते हैं।
कुछ लिखते अच्छा हैं पर याद नहीं कर पाते। कुछ मेहनत बहुत करते हैं पर फिर भी अछे नम्बर नहीं आते।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं और नौकरी हेतु परीक्षाओं की तयारी करने वाले छात्र ।
बहुतों का मन पढाई में कम या नहीं लगता है।
कुछ याद अच्छा कर लेते हैं पर परीक्षा में भूल जाते हैं।
कुछ लिखते अच्छा हैं पर याद नहीं कर पाते। कुछ मेहनत बहुत करते हैं पर फिर भी अछे नम्बर नहीं आते।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं और नौकरी हेतु परीक्षाओं की तयारी करने वाले छात्र ।
ये सभी उपरोक्त लघु साधना का प्रयोग कर अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते है।
बुधवार, 8 अप्रैल 2015
जगमोहन मन्त्र
ॐ वश्य मुखी राज मुखी स्वाहा।।
इस मंत्र को 21 माला जाप करके सिद्ध कर ले कोई विधान नहीं है
बस किसी भी अमावश्या या पूर्णिमा को सिद्ध करके माला खत्म होने के बाद 3 फूंक पानी पे मारकर पानी पि ले जिससे ये सिद्ध हो जायेगा।।
इसके बाद 21 बार पानी पे फूंक मार कर मुँह धोने से जग मोहन होता है /
इस मंत्र को 21 माला जाप करके सिद्ध कर ले कोई विधान नहीं है
बस किसी भी अमावश्या या पूर्णिमा को सिद्ध करके माला खत्म होने के बाद 3 फूंक पानी पे मारकर पानी पि ले जिससे ये सिद्ध हो जायेगा।।
इसके बाद 21 बार पानी पे फूंक मार कर मुँह धोने से जग मोहन होता है /
ह्रदय रोग के बारे में
यहाँ में आपको ह्रदय रोग के बारे में बता रहा हूँ जो की आम बात हो गई है ह्रदय घात
इस रोग में अथवा रोग होने की आशंका में आप नियमित रूप से श्री आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करे साथ ही लाल धागे में सूर्य यन्त्र पहने जो की पूर्ण तरह से प्रतिष्ठ हो और 3 माला रोजाना सूर्य मंत्र का जाप करे।।
आप पञ्च मुखी रुद्राक्ष भी धारण करे इससे भी लाभ मिलेगा
रुद्राक्ष इतने बड़े धागे में धारण करे की आपके ह्रदय पे आये ताँबे के पात्र में रात को रुद्राक्ष डालकर भीगने दे और प्रातः खाली पेट उस जल का सेवन करे।।यह भी लाभ देता है।। इसके अलावा आप 43 दिन तक नियमित रूप से ताँबे का चोकोर टुकड़ा बहते जल में बहाये प्रभाहित करे प्रत्येक रविवार गाय को गुड़ व् गेहू खाने को दे।।
2 ताँबे के 2 छोटे पात्र लेकर एक में सहद व् एक में गाय का घी रखे दोनों में एक एक ताँबे की सामान्य अंगूठी डाल कर सूर्योदय में सूर्य की किरणों में रखे 3 घंटे बाद आप घी के पात्र की अंगूठी सूर्य की और मुख करके धारण करेई व् सहद का सेवन कर ले सहद का सेवन नियमित रूप से ठीक होने तक करे।।।
।
इस रोग में अथवा रोग होने की आशंका में आप नियमित रूप से श्री आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करे साथ ही लाल धागे में सूर्य यन्त्र पहने जो की पूर्ण तरह से प्रतिष्ठ हो और 3 माला रोजाना सूर्य मंत्र का जाप करे।।
आप पञ्च मुखी रुद्राक्ष भी धारण करे इससे भी लाभ मिलेगा
रुद्राक्ष इतने बड़े धागे में धारण करे की आपके ह्रदय पे आये ताँबे के पात्र में रात को रुद्राक्ष डालकर भीगने दे और प्रातः खाली पेट उस जल का सेवन करे।।यह भी लाभ देता है।। इसके अलावा आप 43 दिन तक नियमित रूप से ताँबे का चोकोर टुकड़ा बहते जल में बहाये प्रभाहित करे प्रत्येक रविवार गाय को गुड़ व् गेहू खाने को दे।।
2 ताँबे के 2 छोटे पात्र लेकर एक में सहद व् एक में गाय का घी रखे दोनों में एक एक ताँबे की सामान्य अंगूठी डाल कर सूर्योदय में सूर्य की किरणों में रखे 3 घंटे बाद आप घी के पात्र की अंगूठी सूर्य की और मुख करके धारण करेई व् सहद का सेवन कर ले सहद का सेवन नियमित रूप से ठीक होने तक करे।।।
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सोमवार, 9 मार्च 2015
बगलामुखी चतुरक्षर मन्त्र
बगलामुखी चतुरक्षर मन्त्र
●ॐ आं ह्लीं क्रों ●
(सांख्यायन तन्त्र)
❄विनियोगः-ॐ अस्य चतुरक्षर बगला मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छन्दः, बगलामुखी देवता, ह्लीं बीजं, आं शक्तिः क्रों कीलकं, सर्वार्थ सिद्धयर्थे जपे विनियोगः ।
❄ऋष्यादि-न्यास❄
ब्रह्मा ऋषये नमः शिरसि,
गायत्री छन्दसे नमः मुखे,
बगलामुखी देवतायै नमः हृदि,
ह्लीं बीजाय नमः गुह्ये,
आं शक्तये नमः पादयो,
क्रों कीलकाय नमः नाभौ,
सर्वार्थ सिद्धयर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे ।
❄षडङ्ग-न्यास कर-न्यास❄
अंग-न्यास
ॐह्लां अंगुष्ठाभ्यां नमःहृदयाय नमः
ॐह्लीं तर्जनीभ्यां नमःशिरसे स्वाहा
ॐह्लूं मध्यमाभ्यां नमःशिखायै वषट्
ॐह्लैं अनामिकाभ्यां नमःकवचाय हुं
ॐह्लौं कनिष्ठिकाभ्यां नमःनेत्र-त्रयाय वौषट्
ॐह्लःकरतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमःअस्त्राय फट्
❄ध्यान❄
हाथ में पीले फूल, पीले अक्षत और जल लेकर ‘ध्यान’ करे -
●कुटिलालक-संयुक्तां मदाघूर्णित-लोचनां,
मदिरामोद-वदनां प्रवाल-सदृशाधराम् ।
सुवर्ण-कलश-प्रख्य-कठिन-स्तन-मण्डलां,
आवर्त्त-विलसन्नाभिं सूक्ष्म-मध्यम-संयुताम् ।
रम्भोरु-पाद-पद्मां तां पीत-वस्त्र-समावृताम् ।।
इस मंत्र के जप से माई की कृपा प्राप्त होती है, और सारे मनोरथ पूर्ण होते है।
शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015
ऋण मुक्ति भैरव साधना
ऋण मुक्ति भैरव साधना-
हर व्यक्ति के जीवन में ऋण एक अभिशाप है !एक वार व्यक्ति इस में
फस गया तो धस्ता चला जाता है ! सूत की चिंता धीरे धीरे मष्तश पे
हावी होती चली जाती है जिस का असर स्वस्थ पे होना भी स्वाभिक है !
प्रत्येक व्क्यती पे छ किस्म का ऋण होता है जिस में पित्र ऋण मार्त ऋण
भूमि ऋण गुरु ऋण और भ्राता ऋण और ऋण जिसे ग्रह
ऋण भी कहते है !संसारी ऋण (कर्ज )व्यक्ति की कमर
तोड़ देता है मगर हजार परयत्न के बाद
भी व्यक्ति छुटकारा नहीं पाता तो मेयूस हो के
ख़ुदकुशी तक सोच लेता है !मैं जहां एक बहुत ही सरल
अनुभूत साधना प्रयोग दे रहा हु आप निहचिंत हो कर
करे बहुत जल्द आप इस अभिशाप से मुक्ति पा लेंगे !
विधि – शुभ दिन जिस दिन रवि पुष्य योग
हो जा रवि वार हस्त नक्षत्र हो शूकल पक्ष हो तो इस
साधना को शुरू करे
वस्त्र --- लाल रंग की धोती पहन सकते है !
माला – काले हकीक की ले !
दिशा –दक्षिण !
सामग्री – भैरव यन्त्र जा चित्र और हकीक
माला काले रंग की !
मंत्र संख्या – 12 माला 21 दिन करना है !
पहले गुरु पूजन कर आज्ञा ले और फिर श्री गणेश
जी का पंचौपचार पूजन करे तद पहश्चांत संकल्प ले !
अपने जीवन में स्मस्थ ऋण मुक्ति के लिए यह साधना कर
रहा हु हे भैरव देव मुझे ऋण मुक्ति दे !जमीन पे थोरा रेत
विशा के उस उपर कुक्म से तिकोण बनाए उस में एक पलेट
में स्वास्तिक लिख कर उस पे लाल रंग का फूल रखे उस पे
भैरव यन्त्र की स्थापना करे उस यन्त्र का जा चित्र
का पंचौपचार से पूजन करे तेल का दिया लगाए और
भोग के लिए गुड रखे जा लड्डू भी रख सकते है ! मन
को स्थिर रखते हुये मन ही मन ऋण मुक्ति के लिए
पार्थना करे और जप शुरू करे 12 माला जप रोज करे इस
प्रकार 21 दिन करे साधना के बाद
स्मगरी माला यन्त्र और जो पूजन किया है वोह समान
जल प्रवाह कर दे साधना के दोरान रवि वार जा मंगल
वार को छोटे बच्चो को मीठा भोजन आदि जरूर
कराये ! शीघ्र ही कर्ज से मुक्ति मिलेगी और कारोबार
में प्रगति भी होगी !
मंत्र—ॐ ऐं क्लीम ह्रीं भम भैरवाये मम ऋणविमोचनाये
महां महा धन प्रदाय क्लीम स्वाहा !!
हर व्यक्ति के जीवन में ऋण एक अभिशाप है !एक वार व्यक्ति इस में
फस गया तो धस्ता चला जाता है ! सूत की चिंता धीरे धीरे मष्तश पे
हावी होती चली जाती है जिस का असर स्वस्थ पे होना भी स्वाभिक है !
प्रत्येक व्क्यती पे छ किस्म का ऋण होता है जिस में पित्र ऋण मार्त ऋण
भूमि ऋण गुरु ऋण और भ्राता ऋण और ऋण जिसे ग्रह
ऋण भी कहते है !संसारी ऋण (कर्ज )व्यक्ति की कमर
तोड़ देता है मगर हजार परयत्न के बाद
भी व्यक्ति छुटकारा नहीं पाता तो मेयूस हो के
ख़ुदकुशी तक सोच लेता है !मैं जहां एक बहुत ही सरल
अनुभूत साधना प्रयोग दे रहा हु आप निहचिंत हो कर
करे बहुत जल्द आप इस अभिशाप से मुक्ति पा लेंगे !
विधि – शुभ दिन जिस दिन रवि पुष्य योग
हो जा रवि वार हस्त नक्षत्र हो शूकल पक्ष हो तो इस
साधना को शुरू करे
वस्त्र --- लाल रंग की धोती पहन सकते है !
माला – काले हकीक की ले !
दिशा –दक्षिण !
सामग्री – भैरव यन्त्र जा चित्र और हकीक
माला काले रंग की !
मंत्र संख्या – 12 माला 21 दिन करना है !
पहले गुरु पूजन कर आज्ञा ले और फिर श्री गणेश
जी का पंचौपचार पूजन करे तद पहश्चांत संकल्प ले !
अपने जीवन में स्मस्थ ऋण मुक्ति के लिए यह साधना कर
रहा हु हे भैरव देव मुझे ऋण मुक्ति दे !जमीन पे थोरा रेत
विशा के उस उपर कुक्म से तिकोण बनाए उस में एक पलेट
में स्वास्तिक लिख कर उस पे लाल रंग का फूल रखे उस पे
भैरव यन्त्र की स्थापना करे उस यन्त्र का जा चित्र
का पंचौपचार से पूजन करे तेल का दिया लगाए और
भोग के लिए गुड रखे जा लड्डू भी रख सकते है ! मन
को स्थिर रखते हुये मन ही मन ऋण मुक्ति के लिए
पार्थना करे और जप शुरू करे 12 माला जप रोज करे इस
प्रकार 21 दिन करे साधना के बाद
स्मगरी माला यन्त्र और जो पूजन किया है वोह समान
जल प्रवाह कर दे साधना के दोरान रवि वार जा मंगल
वार को छोटे बच्चो को मीठा भोजन आदि जरूर
कराये ! शीघ्र ही कर्ज से मुक्ति मिलेगी और कारोबार
में प्रगति भी होगी !
मंत्र—ॐ ऐं क्लीम ह्रीं भम भैरवाये मम ऋणविमोचनाये
महां महा धन प्रदाय क्लीम स्वाहा !!
कुछ अति लाभकारी उपाय
यदि आप का कोई कार्य नहीं बन रहा हो तो शुक्ल पक्ष के आज पहले
शुक्रवार को नयी झाडू खरीद कर मंदिर में 2 शुक्रवार को मंदिर में दान
कर दे।और अपनी समस्या को मंदिर में बोल कर चले आये।आप की
समस्या हल होगी।झाड़ू को घर में छिपा कर रखे और झाड़ू को कही
पटकना नहीं चाहिए।
पानी द्वारा कष्ट निवारण:--
रात को सोते समय अपने पलंग के नीचे एक बर्तन में थोड़ा सा पानी रख
लें, सुबह वह पानी घर के बाहर डाल दें इससे रोग, वाद-विवाद, बेइज्जती,
मिथ्या लांछन आदि से सदैव बचाव होता रहेगा । जाे लाेग पलंग पर
शयन न करते हाे वे जल काे अपने सिरहाने जमीन पर रख सकते है
पानी घर के बाहर मेन गेटपर डालना चाहिये।
नाैकरी मे आ रही परेशानी काे दूर करे:--
आप रविवार काे गाैमाता काे गेहूं व गुङ खिलाये। एेसा आप हर रविवार
करे ताे ठीक नही ताे ४ रविवार अवश्य करे इस उपाय काे करने से नाैकरी
मे आपकी किसी भी प्रकार का संकट नही आयेगा।
******** जय श्री राम *******************
मानसिक कष्ट दूर करें:--
यदि आपकाे किसी काम काे करने मे घबराहट हाेती है सिर दर्द हाेता है
बैचेनी लगती है किसी भी प्रकार का मानसिक कष्ट रहता है आैर ङिप्रेशन
का किसी हद तक शिकार हाे रहे है ताे करे ये आसान उपाय:-
आप राेज स्नान के जल मे कुछ कच्चा दूध व केसर काे मिलाकर स्नान
के जल मे मिलाकर स्नान करे कुछ ही दिनाे मे आपकाे लाभ दृष्टिगाेचर
हाेगा।इस प्रयाेग काे कम से कम 15 दिन अवश्य करें। आैर आप
नियमीत करें ताे काेई हानी नही है।
******** जय श्री राम*******************
विवाह बाधा दूर करें:--
शुक्ल पक्ष के साेमवार के दिन अविवाहित कन्या एक रूद्राक्ष आैर पांच
बिल्व पत्र लेकर भगवान शिव के मंदिर जाएे आैर बिल्व पत्र के साथ
रूद्राक्ष शिवजी काे चढाकर कर अपने विवाह की अङचनाे काे दूर करने का
भगवान शिव से निवेदन करे ताे उसकी विवाह की अङचने भगवान शिव
की कृपा से दूर हाेती है।
नाेट:- यह प्रयाेग कन्या २ या ३ साेमवार करे ताे शीघ्र लाभ हाेगा।
******** जय श्री राम*********************
गृह निर्माण व क्रय की समस्या निवारण प्रयाेग:--
* राेज सुबह स्नान कर गणेशजी काे एक लाल फूल चढाऐ २१ दिन तक
मंदिर या घर पर गणेश जी काे आैर समस्या निवारण हेतु गणेश जी से
प्राथना करें।
* 5 मंगलवार गणेश मंदिर मे गणेशजी काे गेहूं गुङ चढाएे।
* किसी भी मंदिर मे एक नीम की लकङी का घर निर्मित करवाकर दान
करें।
* मंगलवार गाैमाता काे मसुर की दाल व गुङ अवश्य खिलाऐ।
***** जय श्री राम*******************
कार्य सफलता:--
घर से बाहर किसी महत्वपूर्ण कार्य में जाते समय मुख्य द्वार पर काली
मिर्च डालकर उस पर अपना दाहिना पैर रखकर घर से बाहर निकले
कार्यों में सफलता मिलेगी ।
******* जय श्री राम*********
शुक्रवार को नयी झाडू खरीद कर मंदिर में 2 शुक्रवार को मंदिर में दान
कर दे।और अपनी समस्या को मंदिर में बोल कर चले आये।आप की
समस्या हल होगी।झाड़ू को घर में छिपा कर रखे और झाड़ू को कही
पटकना नहीं चाहिए।
पानी द्वारा कष्ट निवारण:--
रात को सोते समय अपने पलंग के नीचे एक बर्तन में थोड़ा सा पानी रख
लें, सुबह वह पानी घर के बाहर डाल दें इससे रोग, वाद-विवाद, बेइज्जती,
मिथ्या लांछन आदि से सदैव बचाव होता रहेगा । जाे लाेग पलंग पर
शयन न करते हाे वे जल काे अपने सिरहाने जमीन पर रख सकते है
पानी घर के बाहर मेन गेटपर डालना चाहिये।
नाैकरी मे आ रही परेशानी काे दूर करे:--
आप रविवार काे गाैमाता काे गेहूं व गुङ खिलाये। एेसा आप हर रविवार
करे ताे ठीक नही ताे ४ रविवार अवश्य करे इस उपाय काे करने से नाैकरी
मे आपकी किसी भी प्रकार का संकट नही आयेगा।
******** जय श्री राम *******************
मानसिक कष्ट दूर करें:--
यदि आपकाे किसी काम काे करने मे घबराहट हाेती है सिर दर्द हाेता है
बैचेनी लगती है किसी भी प्रकार का मानसिक कष्ट रहता है आैर ङिप्रेशन
का किसी हद तक शिकार हाे रहे है ताे करे ये आसान उपाय:-
आप राेज स्नान के जल मे कुछ कच्चा दूध व केसर काे मिलाकर स्नान
के जल मे मिलाकर स्नान करे कुछ ही दिनाे मे आपकाे लाभ दृष्टिगाेचर
हाेगा।इस प्रयाेग काे कम से कम 15 दिन अवश्य करें। आैर आप
नियमीत करें ताे काेई हानी नही है।
******** जय श्री राम*******************
विवाह बाधा दूर करें:--
शुक्ल पक्ष के साेमवार के दिन अविवाहित कन्या एक रूद्राक्ष आैर पांच
बिल्व पत्र लेकर भगवान शिव के मंदिर जाएे आैर बिल्व पत्र के साथ
रूद्राक्ष शिवजी काे चढाकर कर अपने विवाह की अङचनाे काे दूर करने का
भगवान शिव से निवेदन करे ताे उसकी विवाह की अङचने भगवान शिव
की कृपा से दूर हाेती है।
नाेट:- यह प्रयाेग कन्या २ या ३ साेमवार करे ताे शीघ्र लाभ हाेगा।
******** जय श्री राम*********************
गृह निर्माण व क्रय की समस्या निवारण प्रयाेग:--
* राेज सुबह स्नान कर गणेशजी काे एक लाल फूल चढाऐ २१ दिन तक
मंदिर या घर पर गणेश जी काे आैर समस्या निवारण हेतु गणेश जी से
प्राथना करें।
* 5 मंगलवार गणेश मंदिर मे गणेशजी काे गेहूं गुङ चढाएे।
* किसी भी मंदिर मे एक नीम की लकङी का घर निर्मित करवाकर दान
करें।
* मंगलवार गाैमाता काे मसुर की दाल व गुङ अवश्य खिलाऐ।
***** जय श्री राम*******************
कार्य सफलता:--
घर से बाहर किसी महत्वपूर्ण कार्य में जाते समय मुख्य द्वार पर काली
मिर्च डालकर उस पर अपना दाहिना पैर रखकर घर से बाहर निकले
कार्यों में सफलता मिलेगी ।
******* जय श्री राम*********
रूद्राक्ष के २१ प्रकार
रूद्राक्ष के २१ प्रकार
======================================
1. एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव का रूप माना जाता है। इस एकमुखी
रुद्राक्ष द्वारा सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है. तथा भगवान
आदित्य का आशिर्वाद भी प्राप्त होता है।
2. दो मुखी रुद्राक्ष या द्विमुखी रुद्राक्ष शिव और शक्ति का स्वरुप माना
जाता है। इसमें अर्धनारीश्व का स्वरूप समाहित है तथा चंद्रमा की
शीतलता प्राप्त होती है।
3. तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव तथा त्रिदेवों का स्वरुप माना गया है।
तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा पापों
का शमन होता है।
4. चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म स्वरुप होता है। इसे धारण करने से नर हत्या
जैसा जघन्य पाप समाप्त होता है। चतुर्मुखी रुद्राक्ष धर्म, अर्थ काम एवं
मोक्ष को प्रदान करता है।
5. पांच मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र का स्वरूप माना जाता है। यह पंच
ब्रह्म एवं पंच तत्वों का प्रतीक भी है। पंचमुखी को धारण करने से
अभक्ष्याभक्ष्य एवं स्त्रीगमन जैसे पापों से मुक्ति मिलती है. तथा सुखों को
प्राप्ति होती है।
6. छह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। इसे
शत्रुंजय रुद्राक्ष भी कहा जाता है यह ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति तथा
एवं संतान देने वाला होता है।
7. सात मुखी रुद्राक्ष या सप्तमुखी रुद्राक्ष दरिद्रता को दूर करने वाला होता
है। इस सप्तमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त
होती है।
8. आठ मुखी रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरूप माना जाता है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष राहु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाता है तथा पापों का
क्षय करके मोक्ष देता है।
9. नौ मुखी रुद्राक्ष को भैरव का स्वरूप माना जाता है। इसे बाईं भुजा में
धारण करने से गर्भहत्या जेसे पाप से मुक्ति मिलती है। नौमुखी रुद्राक्ष
को यम का रूप भी कहते हैं। यह केतु के अशुभ प्रभावों को दूर करता है।
10. दस मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप कहा जाता है। दस
मुखी रुद्राक्ष शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है। इसे धारण करने
से समस्त भय समाप्त हो जाते हैं।
11. एकादश मुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का रूप माना जाता है।
एकादश मुखी रुद्राक्ष को भगवान हनुमान जी का प्रतीक माना गया है।
इसे धारण करने से ज्ञान एवं भक्ति की प्राप्ति होती है।
12. द्वादश मुख वाला रुद्राक्ष बारह आदित्यों का आशीर्वाद प्रदान करता
है। इस बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान यह
फल प्रदान करता है।
13. तेरह मुखी रुद्राक्ष को इंद्र देव का प्रतीक माना गया है। इसे धारण
करने पर व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
14. चौदह मुखी रुद्राक्ष भगवान हनुमान का स्वरूप है। इसे सिर पर
धारण करने से व्यक्ति परमपद को पाता है।
15. पंद्रह मुखी रुद्राक्ष पशुपतिनाथ का स्वरूप माना गया है। यह संपूर्ण
पापों को नष्ट करने वाला होता है।
16. सोलह मुखी रुद्राक्ष विष्णु तथा शिव का स्वरूप माना गया है। यह
रोगों से मुक्ति एवं भय को समाप्त करता है।
17. सत्रह मुखी रुद्राक्ष राम-सीता का स्वरूप माना गया है। यह रुद्राक्ष
विश्वकर्माजी का प्रतीक भी है। इसे धारण करने से व्यक्ति को भूमि का
सुख एवं कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने का मार्ग प्राप्त होता है।
18. अठारह मुखी रुद्राक्ष को भैरव एवं माता पृथ्वी का स्वरूप माना गया
है। इसे धारण करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है|
19. उन्नीस मुखी रुद्राक्ष नारायण भगवान का स्वरूप माना गया है यह
सुख एवं समृद्धि दायक होता है।
20. बीस मुखी रुद्राक्ष को जनार्दन स्वरूप माना गया है। इस बीस मुखी
रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को भूत-प्रेत आदि का भय नहीं
सताता।
21. इक्कीस मुखी रुद्राक्ष रुद्र स्वरूप है तथा इसमें सभी देवताओं का वास
है। इसे धारण करने से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्त हो जाता
है।
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....................................................................हर-हर महादेव
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1. एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव का रूप माना जाता है। इस एकमुखी
रुद्राक्ष द्वारा सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है. तथा भगवान
आदित्य का आशिर्वाद भी प्राप्त होता है।
2. दो मुखी रुद्राक्ष या द्विमुखी रुद्राक्ष शिव और शक्ति का स्वरुप माना
जाता है। इसमें अर्धनारीश्व का स्वरूप समाहित है तथा चंद्रमा की
शीतलता प्राप्त होती है।
3. तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव तथा त्रिदेवों का स्वरुप माना गया है।
तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा पापों
का शमन होता है।
4. चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म स्वरुप होता है। इसे धारण करने से नर हत्या
जैसा जघन्य पाप समाप्त होता है। चतुर्मुखी रुद्राक्ष धर्म, अर्थ काम एवं
मोक्ष को प्रदान करता है।
5. पांच मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र का स्वरूप माना जाता है। यह पंच
ब्रह्म एवं पंच तत्वों का प्रतीक भी है। पंचमुखी को धारण करने से
अभक्ष्याभक्ष्य एवं स्त्रीगमन जैसे पापों से मुक्ति मिलती है. तथा सुखों को
प्राप्ति होती है।
6. छह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। इसे
शत्रुंजय रुद्राक्ष भी कहा जाता है यह ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति तथा
एवं संतान देने वाला होता है।
7. सात मुखी रुद्राक्ष या सप्तमुखी रुद्राक्ष दरिद्रता को दूर करने वाला होता
है। इस सप्तमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त
होती है।
8. आठ मुखी रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरूप माना जाता है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष राहु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाता है तथा पापों का
क्षय करके मोक्ष देता है।
9. नौ मुखी रुद्राक्ष को भैरव का स्वरूप माना जाता है। इसे बाईं भुजा में
धारण करने से गर्भहत्या जेसे पाप से मुक्ति मिलती है। नौमुखी रुद्राक्ष
को यम का रूप भी कहते हैं। यह केतु के अशुभ प्रभावों को दूर करता है।
10. दस मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप कहा जाता है। दस
मुखी रुद्राक्ष शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है। इसे धारण करने
से समस्त भय समाप्त हो जाते हैं।
11. एकादश मुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का रूप माना जाता है।
एकादश मुखी रुद्राक्ष को भगवान हनुमान जी का प्रतीक माना गया है।
इसे धारण करने से ज्ञान एवं भक्ति की प्राप्ति होती है।
12. द्वादश मुख वाला रुद्राक्ष बारह आदित्यों का आशीर्वाद प्रदान करता
है। इस बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान यह
फल प्रदान करता है।
13. तेरह मुखी रुद्राक्ष को इंद्र देव का प्रतीक माना गया है। इसे धारण
करने पर व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
14. चौदह मुखी रुद्राक्ष भगवान हनुमान का स्वरूप है। इसे सिर पर
धारण करने से व्यक्ति परमपद को पाता है।
15. पंद्रह मुखी रुद्राक्ष पशुपतिनाथ का स्वरूप माना गया है। यह संपूर्ण
पापों को नष्ट करने वाला होता है।
16. सोलह मुखी रुद्राक्ष विष्णु तथा शिव का स्वरूप माना गया है। यह
रोगों से मुक्ति एवं भय को समाप्त करता है।
17. सत्रह मुखी रुद्राक्ष राम-सीता का स्वरूप माना गया है। यह रुद्राक्ष
विश्वकर्माजी का प्रतीक भी है। इसे धारण करने से व्यक्ति को भूमि का
सुख एवं कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने का मार्ग प्राप्त होता है।
18. अठारह मुखी रुद्राक्ष को भैरव एवं माता पृथ्वी का स्वरूप माना गया
है। इसे धारण करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है|
19. उन्नीस मुखी रुद्राक्ष नारायण भगवान का स्वरूप माना गया है यह
सुख एवं समृद्धि दायक होता है।
20. बीस मुखी रुद्राक्ष को जनार्दन स्वरूप माना गया है। इस बीस मुखी
रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को भूत-प्रेत आदि का भय नहीं
सताता।
21. इक्कीस मुखी रुद्राक्ष रुद्र स्वरूप है तथा इसमें सभी देवताओं का वास
है। इसे धारण करने से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्त हो जाता
है।
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....................................................................हर-हर महादेव
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