गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

दुःस्वप्न नाशक प्रयोग

ॐ णमो अरहंताणं दीवोत्ताणं,


सरणगइपइट्ठाणं, अप्पडिदयवर, नाणदंसण, धराणं, विअट्टछउम्माणं ऐँ 

स्वाहा।



प्रतिदिन एक माला का जप करेँ तो बुरे स्वप्न कभी नहीँ आतेँ। सम्मान 

बढ़ेगा।कहीँ जाना हो तो मंत्र का 3 बार उच्चारण करके जाएं।तो मार्ग के 

सभी भय समाप्त हो जातेँ है कार्य सफल हो जाता है।


अनुभूत प्रर्योग़ है।

दुश्मनी कराने का इस्लामी अमल



व ज़न्ना अन्नहुल फ़िराकु वल तफ़फ़तिस्साकु बिस्साक़ी इला रब्बिका 

यव मइज़िन निल मसाकु अल्लाहुम्मा फ़र्रिक़ बयनाहुमा कमा फ़र्रक़ता 

बयनस्समाई वल अर्ज़ि व कमा फ़र्रक़ता बयना आदमा व इबलीसा व 

कमा फ़र्रक़ता बयना ईब्राहिमा व नमरुदा व फ़र्रक़ता बयना मूसा व 

फ़िरऔना व कमा फ़र्रक़ता बयना मुहम्मदिन सल्ललाहु अलयहि 

वसल्लमा व अबू जहलिन

शनिवार के दिन दोपहर के समय धूप मेँ बैठकर 11-11 बार 11 दिनोँ 


क उपरोक्त आयत पढेँ।जिन दो जनो के बीच द्वेष कराना हो उनका 

ध्यान करेँ। तो दोनो मे झगडा हो जावेगा।

आयत के शब्दो का उच्चारण सहीँ सही होना चाहिए। परिक्षित प्रयोग है। 

संकट से रक्षा का हनुमान शाबर मन्त्र

मन्त्रः-  “हनुमान हठीला लौंग की काट, बजरंग का टीला ! लावो सुपारी । 

सवा सौ मनका भोगरा, उठाए बड़ा पहलवान । आस कीलूँ – पास कीलूँ, 

कीलूँ अपनी काया ।जागता मसान कीलूँ, बैठूँ जिसकी छाया । जो मुझ 

पर चोट-चपट करें, तू उस पर बरंग सिला चला । ना चलावे, तो 

अञ्जनी मा की चीर फाड़ लंगोट करें, दूध पिया हराम करें । माता सीता 

की दूहाई, भगवान् राम की दुहाई । मेरे गुरु की दुहाई ।”



विधिः-हनुमान् जी के प्रति समर्पण व श्रद्धा का भाव रखते हुए शुभ 

मंगलवार से उक्त मन्त्र का नित्य एक माला जप ९० दिन तक करे । 

पञ्चोपचारों से हनुमान् जी की पूजा करे । इससे मन्त्र में वर्णित कार्यों 

की सिद्धि होगी एवं शत्रुओं का नाश होगा