बुधवार, 5 सितंबर 2018

पति एवं पत्नी प्राप्ति हेतु टोटके

पति एवं पत्नी प्राप्ति हेतु टोटके 
श्रेष्ठ वर की प्राप्ति हेतु उपाय : लड़की के माता-पिता आदि कन्या के विवाह के लिये सुयोग्य वर की प्राप्ति के निमित्त प्रयासरत रहते हैं और कभी-कभी अनेक प्रयास करने पर भी वर की तलाश नहीं कर पाते। यदि किसी कन्या के विवाह में किसी भी कारण से अनावश्यक विलंब हो रहा हो, बाधायें आ रही हों तो कन्या को स्वयम् 21 दिनों तक निम्न मंत्र का प्रतिदिन 108 बार पाठ करना चाहिये और पाठ के उपरांत मंत्र के अंत में ''स्वाहा'' शब्द लगाकर 11 आहुतियां (शुद्ध घी, शक्कर मिश्रित धूप से) देना चाहिये। यह दशांश हवन कहलाता है। 108 बार पाठ का दसवां हिस्सा यानि 10.8 = 11 (ग्यारह) आहुतियां भी प्रतिदिन देना है, इक्कीस दिनों तक। सिर्फ स्थान, समय और आसन निश्चित होना चाहिये। इसका अर्थ यह है कि यदि कोई कन्या प्रथम दिन प्रातः काल 9.00 बजे पाठ करती है तो 21 दिनों तक उसे प्रतिदिन 9.00 बजे ही पाठ आरंभ करना चाहिये। यदि प्रथम दिन घर की पूजा-स्थली में बैठकर पाठ शुरू किया है तो प्रतिदिन वहीं बैठकर पाठ करना चाहिये। वैसे ही प्रथम दिन जिस आसन पर बैठकर पाठ आरंभ किया गया हो, उसी आसन पर बैठकर 21 दिनों तक पाठ करना है। सार यह है कि मंत्र पाठ का समय, स्थान और आसन बदलना नहीं है और न ही लकड़ी के पटरे पर बैठकर पाठ करना है न ही पत्थर की शिला पर बैठकर। विधि : अपने समक्ष दुर्गा जी की मूर्ति या उनकी तस्बीर रखें। कात्यायनी देवी का यंत्र मूर्ति के समक्ष लाल रेशमी कपड़े पर स्थापित करें। यंत्र और मूर्ति का सामान्य पूजन रोली, पुष्प, गंध, नैवेद्य इत्यादि से करें। 5 अगरबत्ती और धूप दीप जलायें और मंत्र का 108 बार पाठ करें। पाठ के पूर्व कुलदेवी का स्मरण करना चाहिये।
मंत्र : कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। 
नंदगोप सुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नमः॥ 
पाठ समाप्त होने पर 
कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। 
नंदगोप सुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नमः स्वाहा'
इस मंत्र का उच्चारण करते हुये ग्यारह आहुतियां दें। पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ इस विधि का पालन करने वाली कन्या को दुर्गा देवी सुयोग्य वर प्रदान करती हैं। सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति हेतु उपाय उपाय -
दुर्गा सप्तशती की पुस्तक मे से नित्य ''अर्गला- स्तोत्र'' का एक पाठ (पूर्ण रूप में) करने से सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति संभव हो जाती है। यदि अर्गला-स्तोत्र का पूर्ण रूप में पाठ न कर सकें तो विवाहेच्छुक युवक को -
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्। 
तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥ 
इस मंत्र का 108 बार पाठ या जप करने से पत्नी रूपी गृहलक्ष्मी की प्राप्ति संभव होती है। कोई भी उपाय का प्रयोग कृष्ण पक्ष की अष्टमी या चतुर्दशी तिथि से आरंभ कर विवाह संबंध सुनिश्चित हो जाने तक सतत करते रहना चाहिये। पाठ के समय शुद्धता रखनी चाहिए। दुर्गाजी की नित्य सामान्य पूजा जल, पुष्प, फल, मेवा, मिष्ठान्न, रोली व कुंकुम या लाल चंदन, गंध आदि से करते रहना चाहिये। सप्ताह में कम से कम एक ब्राह्मण व दो कन्याओं को भोजन करना चाहिये। प्रतिदिन पाठ के उपरांत कम से कम ग्यारह आहुतियां दुर्गाजी के नाम से देनी चाहिये। पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और भक्ति भावना के साथ इस तरह के विधान का पालन करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं। नवदुर्गा यंत्र या दुर्गा बीसा यंत्र की स्थापना पाठ के प्रथम दिन करनी चाहिये। 
उपाय क्रमांक 2 : यदि किसी अविवाहित युवक को विवाह होने में बारंबार बाधाओं का सामना करना पड़ रहा हो तो ऐसे युवक को चाहिये कि वह नित्य प्रातः स्नान कर सात अंजली जलं ''विश्वावसु'' गंधर्व को अर्पित करे और निम्न मंत्र का 108 बार मन ही मन जप करे। इसे गुप्त रखें। अर्थात् किसी को इस बात का आभास न होने पाये कि विवाह के उद्देश्य से जपानुष्ठान किया जा रहा है। सायंकाल में भी एक माला जप मानसिक रूप में किया जाय। ऐसा करने से एक माह में सुंदर, सुशील और सुसम्पन्न कन्या से विवाह निश्चित हो सकता है। जपनीय मंत्र : 
' ' ऊँ विश्वा वसुर्नामगंधर्वो कन्यानामधिपतिः। 
सुरूपां सालंकृतां कन्या देहि में नमस्तस्मै॥ 
विश्वावसवे स्वाहा॥''
इस प्रकार से विश्वावसु नामक गंधर्व को सात अंजली जल अर्पित करके उपरोक्त मंत्र का जप करने से एक माह के अंदर अलंकारों से सुसज्जित श्रेष्ठ पत्नी की प्राप्ति होती है। कहा भी गया है। सालंङ्कारा वरां पानीयस्या अंजलीन सप्त दत्वा, विद्यामिमां जपेत्। सालंकारां वरां कन्यां, लभते मास मात्रतः॥ यदि किसी अविवाहित युवक का किसी कारणवश विवाह न हो पा रहा हो तो श्री दुर्गा जी का ध्यान करते हुये वह घी का दीपक जलाकर किसी एकांत स्थान में स्नान शुद्धि के उपरांत नित्य प्रातःकाल पंचपदी का उच्च स्वर में 108 बार पाठ करें तो, जगत्जननी माता दुर्गा जी की कृपा से सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है।

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