क्या आप का जीवन किसी के श्राप से दूषित या बंध गया है ? आप को साधना या अनुष्ठान करने पर लाभ नहीं मिलता है तो अवश्य ही आप बाधित है ! श्राप,दोष से मुक्ति केवल माँ दुर्गा के विशेष साधना से ही संभव है आज मैं एक विशिष्ट प्रयॊग दे रहा हु जिसे सम्पन्न कर जीवन में श्राप,दोष व पाप से मुक्ति प्राप्त होती ही है ! यह प्रयॊग सिर्फ पाप ही समाप्त नहीं करता बल्कि श्राप - दोष - कीलन को भी नष्ट कर देता है !
यह प्रयॊग शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से या आने वाली नवरात्र से आरम्भ कर ०९ दिन तक निरंतर करे इस प्रयॊग को रात्रि में ही करना चाहिए ! अपने सामने दुर्गा जी का चित्र एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर कर रखे .. चित्र के पास ही गणेश व गुरु को स्थान दे अब दाए हाथ में जल -अक्षत -पुष्प लेकर श्राप - दोष - पाप मुक्ति का संकल्प ले कर गणेश जी के पास रख दे ! अब सर्व प्रथम गणेश - गुरु का पूजन करे और गुरु मंत्र का जप कर साधना में पूर्ण सफलता की प्रार्थना कर माँ दुर्गा का विधिवत पूजन कर ७ बार शापोद्वार मंत्र का जप करे -
शापोद्वारमंत्र-ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं क्रां क्रां चंडिका देव्यै शाप नाशानुग्रह कुरु कुरु स्वाहा ( ७ बार जप करे )
अष्टादश शक्ति मंत्र -
(१)- ॐ ह्रीं श्रीं रेतः स्वरूपिण्यै मधुकैटभमर्दिनयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(२) ॐ श्रीं बुद्धि स्वरूपिण्यै महिषासुरसैन्य नाशिन्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(३) ॐ रं रक्त स्वरूपिण्यै महिषासुर मर्दिनयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(४) ॐ क्षुम क्षुधा स्वरूपिण्यै देवन्दितायै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(५) ॐ छां छाया स्वरूपिण्यै दूत सम्वादिनयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(६) ॐ शं शक्ति स्वरूपिण्यै धूम्रलोचन घतिन्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(७) ॐ तृम तृषा स्वरूपिण्यै चंड मुंड वध कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(८) ॐ क्षाम क्षान्ति स्वरूपिण्यै रक्तबीज वध कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(९) ॐ जां जाति स्वरूपिण्यै निशुम्भ वध कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१० ) ॐ लं लज्जा स्वरूपिण्यै शुम्भ वध कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(११) ॐ शं शान्ति स्वरूपिण्यै देव स्तुत्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१२ ) ॐ श्रं श्रधा स्वरूपिण्यै सकल फल दायिनयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१३) ॐ क्रां कान्ति स्वरूपिण्यै राज्य वर प्रदायै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१४) ॐ मां मातृ स्वरूपिण्यै अनर्गल कहिमसहितायै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१५) ॐ ह्रीं श्रीं दुं दुर्गायै सर्वैश्वर्य कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१६) ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः शिवायै अभेद्य कवच स्वरूपिण्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१७) ॐ कां काल्यै ह्रीं फट स्वाहायै ऋग्वेद स्वरूपिण्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१८) ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती
स्वरूपिण्यै त्रिगुणात्मिकायै दुर्गा देव्यै नमः
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
इन प्रत्येक १८ मंत्र जप का ७ बार जप करना है और जप के पश्चात सात बार शापोद्वारमंत्र का जप करना है , यह शक्ति प्रयॊग अत्यंत तीव्र और प्रभावकारी है , इन १८ शक्तियों का जब आवाहन किया जाता है तब शरीर और मन से श्राप एवं दोष का निराकरण होता ही है ! उस समय एक ज्वलन शक्ति सी उठती है, कुछ विचित्र भाव से होने लगते है साधक अपने आपको शांत रखते हुए यह प्रयॊग करे ! प्रत्येक जप के बाद माँ दुर्गा के चरणों में एक लाल पुष्प अर्पित करते जाए इस प्रकार १८ पुष्प अर्पित करने है ! अत्यंत परिश्रम से आप सब के जन कल्याण उद्देश से उपरोक्त मंत्रो को लिखा है आशा करता हु की आप सब अवश्य ही इस प्रयॊग को करेगे और लाभान्वित होगे !!
यह प्रयॊग शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से या आने वाली नवरात्र से आरम्भ कर ०९ दिन तक निरंतर करे इस प्रयॊग को रात्रि में ही करना चाहिए ! अपने सामने दुर्गा जी का चित्र एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर कर रखे .. चित्र के पास ही गणेश व गुरु को स्थान दे अब दाए हाथ में जल -अक्षत -पुष्प लेकर श्राप - दोष - पाप मुक्ति का संकल्प ले कर गणेश जी के पास रख दे ! अब सर्व प्रथम गणेश - गुरु का पूजन करे और गुरु मंत्र का जप कर साधना में पूर्ण सफलता की प्रार्थना कर माँ दुर्गा का विधिवत पूजन कर ७ बार शापोद्वार मंत्र का जप करे -
शापोद्वारमंत्र-ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं क्रां क्रां चंडिका देव्यै शाप नाशानुग्रह कुरु कुरु स्वाहा ( ७ बार जप करे )
अष्टादश शक्ति मंत्र -
(१)- ॐ ह्रीं श्रीं रेतः स्वरूपिण्यै मधुकैटभमर्दिनयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(२) ॐ श्रीं बुद्धि स्वरूपिण्यै महिषासुरसैन्य नाशिन्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(३) ॐ रं रक्त स्वरूपिण्यै महिषासुर मर्दिनयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(४) ॐ क्षुम क्षुधा स्वरूपिण्यै देवन्दितायै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(५) ॐ छां छाया स्वरूपिण्यै दूत सम्वादिनयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(६) ॐ शं शक्ति स्वरूपिण्यै धूम्रलोचन घतिन्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(७) ॐ तृम तृषा स्वरूपिण्यै चंड मुंड वध कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(८) ॐ क्षाम क्षान्ति स्वरूपिण्यै रक्तबीज वध कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(९) ॐ जां जाति स्वरूपिण्यै निशुम्भ वध कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१० ) ॐ लं लज्जा स्वरूपिण्यै शुम्भ वध कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(११) ॐ शं शान्ति स्वरूपिण्यै देव स्तुत्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१२ ) ॐ श्रं श्रधा स्वरूपिण्यै सकल फल दायिनयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१३) ॐ क्रां कान्ति स्वरूपिण्यै राज्य वर प्रदायै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१४) ॐ मां मातृ स्वरूपिण्यै अनर्गल कहिमसहितायै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१५) ॐ ह्रीं श्रीं दुं दुर्गायै सर्वैश्वर्य कारिणयै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१६) ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः शिवायै अभेद्य कवच स्वरूपिण्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१७) ॐ कां काल्यै ह्रीं फट स्वाहायै ऋग्वेद स्वरूपिण्यै
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
(१८) ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती
स्वरूपिण्यै त्रिगुणात्मिकायै दुर्गा देव्यै नमः
ब्रह्मावशिष्ट विश्वामित्र शापेभ्या विमुक्ता भव !
इन प्रत्येक १८ मंत्र जप का ७ बार जप करना है और जप के पश्चात सात बार शापोद्वारमंत्र का जप करना है , यह शक्ति प्रयॊग अत्यंत तीव्र और प्रभावकारी है , इन १८ शक्तियों का जब आवाहन किया जाता है तब शरीर और मन से श्राप एवं दोष का निराकरण होता ही है ! उस समय एक ज्वलन शक्ति सी उठती है, कुछ विचित्र भाव से होने लगते है साधक अपने आपको शांत रखते हुए यह प्रयॊग करे ! प्रत्येक जप के बाद माँ दुर्गा के चरणों में एक लाल पुष्प अर्पित करते जाए इस प्रकार १८ पुष्प अर्पित करने है ! अत्यंत परिश्रम से आप सब के जन कल्याण उद्देश से उपरोक्त मंत्रो को लिखा है आशा करता हु की आप सब अवश्य ही इस प्रयॊग को करेगे और लाभान्वित होगे !!