शनिवार, 18 जनवरी 2014
बुरी संगत से बचाने के लिए करे
बुरी संगत से बचाने के लिए करे
बेटा किसी बुरी संगत मे फंस जाए पती जुआ खेलने लग जाए या बात बात पे झगडा करे मार पीट करे बचचे आवारा हो जाए तो .......आप शनीवार को एक काली मिरच मिकस एक पापड़ ले उसको थाली मे रखे उस पापड़ पर दो लोहे की कील रखे १० ग्राम साबत उड़द रखे १० ग्राम गुड़ रखे एक सरसों के तेल का दीपक रखे दीपक मे चुटकी भर सिनदुर डाले दीपक को प्रजलीत करे एक ताँबे का लोटा पानी का ले लौटे मे थोड़े काले तील डाले और थाली को पीपल के पस लेके जाए पापड़ पीपल की जडो मे रखे फिर ये सारा सामान पापड़ पर रखे दीपक जलाएं पानी का लौटा पीपल की जड़ो मे चढाएं और हाथ जोड़ कर कामना करे फला वयकती या मेरा बेटा या मेरा पती पतनी सुधरे जीसके लिए कर रहे हो उसके सुधार की कामना करे यह का औरत पुऱूष कोइ भी कर सकता है ये केवल शनीवार को
शाम को ना सुरय असत हो ना बाहर हो यानी शाम को गौधुली के समय 7शनिवार करे साथ मे 7 शनिवार व्रत करे केसी भी बुरी
संगती पे फसे हुए का सुधार हो जाएगा यह मेरा अनुभूत प्रयोग है
पति-स्तवनम्
पति-स्तवनम्
नमः कान्ताय सद्-भर्त्रे, शिरश्छत्र- स्वरुपिणे। नमो यावत् सौख्यदाय, सर्व-सेव-मयाय च।।
नमः कान्ताय सद्-भर्त्रे, शिरश्छत्र- स्वरुपिणे। नमो यावत् सौख्यदाय, सर्व-सेव-मयाय च।।
नमो ब्रह्म-स्वरुपाय, सती-सत्योद्- भवाय च। नमस्याय प्रपूज्याय, हृदाधाराय ते नमः।।
सती-प्राण-स्वरुपाय, सौभाग्य-श्री- प्रदाय च। पत्नीनां परनानन्द-स्वरुपिणे च ते नमः।।
पतिर्ब्रह्मा पतिर्विष्णुः, पतिरेव महेश्वरः। पतिर्वंश-धरो देवो, ब्रह्मात्मने च ते नमः।।
क्षमस्व भगवन् दोषान्, ज्ञानाज्ञान- विधापितान्। पत्नी-बन्धो, दया-सिन्धो दासी- दोषान् क्षमस्व वै।।
।। फल-श्रुति।।
स्तोत्रमिदं महालक्ष्मि, सर्वेप्सित- फल-प्रदम्। पतिव्रतानां सर्वासाण, स्तोत्रमेतच्छुभावहम्।।
नरो नारी श्रृणुयाच्चेल्लभते सर्व- वाञ्छितम्। अपुत्रा लभते पुत्रं, निर्धना लभते ध्रुवम्।।
रोगिणी रोग-मुक्ता स्यात्, पति- हीना पतिं लभेत्। पतिव्रता पतिं स्तुत्वा, तीर्थ-स्नान- फलं लभेत्।।
विधिः-कुमारियाँ श्रीकृष्ण, श्रीविष्णु, श्रीशिव या अन्य किन्हीं इष्ट- देवता का पूजन कर उक्त स्तोत्र
के नियमित पाठ द्वारा मनो-वाञ्छित पति पा सकती है।
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