यदि आप का कोई कार्य नहीं बन रहा हो तो शुक्ल पक्ष के आज पहले
शुक्रवार को नयी झाडू खरीद कर मंदिर में 2 शुक्रवार को मंदिर में दान
कर दे।और अपनी समस्या को मंदिर में बोल कर चले आये।आप की
समस्या हल होगी।झाड़ू को घर में छिपा कर रखे और झाड़ू को कही
पटकना नहीं चाहिए।
पानी द्वारा कष्ट निवारण:--
रात को सोते समय अपने पलंग के नीचे एक बर्तन में थोड़ा सा पानी रख
लें, सुबह वह पानी घर के बाहर डाल दें इससे रोग, वाद-विवाद, बेइज्जती,
मिथ्या लांछन आदि से सदैव बचाव होता रहेगा । जाे लाेग पलंग पर
शयन न करते हाे वे जल काे अपने सिरहाने जमीन पर रख सकते है
पानी घर के बाहर मेन गेटपर डालना चाहिये।
नाैकरी मे आ रही परेशानी काे दूर करे:--
आप रविवार काे गाैमाता काे गेहूं व गुङ खिलाये। एेसा आप हर रविवार
करे ताे ठीक नही ताे ४ रविवार अवश्य करे इस उपाय काे करने से नाैकरी
मे आपकी किसी भी प्रकार का संकट नही आयेगा।
******** जय श्री राम *******************
मानसिक कष्ट दूर करें:--
यदि आपकाे किसी काम काे करने मे घबराहट हाेती है सिर दर्द हाेता है
बैचेनी लगती है किसी भी प्रकार का मानसिक कष्ट रहता है आैर ङिप्रेशन
का किसी हद तक शिकार हाे रहे है ताे करे ये आसान उपाय:-
आप राेज स्नान के जल मे कुछ कच्चा दूध व केसर काे मिलाकर स्नान
के जल मे मिलाकर स्नान करे कुछ ही दिनाे मे आपकाे लाभ दृष्टिगाेचर
हाेगा।इस प्रयाेग काे कम से कम 15 दिन अवश्य करें। आैर आप
नियमीत करें ताे काेई हानी नही है।
******** जय श्री राम*******************
विवाह बाधा दूर करें:--
शुक्ल पक्ष के साेमवार के दिन अविवाहित कन्या एक रूद्राक्ष आैर पांच
बिल्व पत्र लेकर भगवान शिव के मंदिर जाएे आैर बिल्व पत्र के साथ
रूद्राक्ष शिवजी काे चढाकर कर अपने विवाह की अङचनाे काे दूर करने का
भगवान शिव से निवेदन करे ताे उसकी विवाह की अङचने भगवान शिव
की कृपा से दूर हाेती है।
नाेट:- यह प्रयाेग कन्या २ या ३ साेमवार करे ताे शीघ्र लाभ हाेगा।
******** जय श्री राम*********************
गृह निर्माण व क्रय की समस्या निवारण प्रयाेग:--
* राेज सुबह स्नान कर गणेशजी काे एक लाल फूल चढाऐ २१ दिन तक
मंदिर या घर पर गणेश जी काे आैर समस्या निवारण हेतु गणेश जी से
प्राथना करें।
* 5 मंगलवार गणेश मंदिर मे गणेशजी काे गेहूं गुङ चढाएे।
* किसी भी मंदिर मे एक नीम की लकङी का घर निर्मित करवाकर दान
करें।
* मंगलवार गाैमाता काे मसुर की दाल व गुङ अवश्य खिलाऐ।
***** जय श्री राम*******************
कार्य सफलता:--
घर से बाहर किसी महत्वपूर्ण कार्य में जाते समय मुख्य द्वार पर काली
मिर्च डालकर उस पर अपना दाहिना पैर रखकर घर से बाहर निकले
कार्यों में सफलता मिलेगी ।
******* जय श्री राम*********
शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015
रूद्राक्ष के २१ प्रकार
रूद्राक्ष के २१ प्रकार
======================================
1. एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव का रूप माना जाता है। इस एकमुखी
रुद्राक्ष द्वारा सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है. तथा भगवान
आदित्य का आशिर्वाद भी प्राप्त होता है।
2. दो मुखी रुद्राक्ष या द्विमुखी रुद्राक्ष शिव और शक्ति का स्वरुप माना
जाता है। इसमें अर्धनारीश्व का स्वरूप समाहित है तथा चंद्रमा की
शीतलता प्राप्त होती है।
3. तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव तथा त्रिदेवों का स्वरुप माना गया है।
तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा पापों
का शमन होता है।
4. चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म स्वरुप होता है। इसे धारण करने से नर हत्या
जैसा जघन्य पाप समाप्त होता है। चतुर्मुखी रुद्राक्ष धर्म, अर्थ काम एवं
मोक्ष को प्रदान करता है।
5. पांच मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र का स्वरूप माना जाता है। यह पंच
ब्रह्म एवं पंच तत्वों का प्रतीक भी है। पंचमुखी को धारण करने से
अभक्ष्याभक्ष्य एवं स्त्रीगमन जैसे पापों से मुक्ति मिलती है. तथा सुखों को
प्राप्ति होती है।
6. छह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। इसे
शत्रुंजय रुद्राक्ष भी कहा जाता है यह ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति तथा
एवं संतान देने वाला होता है।
7. सात मुखी रुद्राक्ष या सप्तमुखी रुद्राक्ष दरिद्रता को दूर करने वाला होता
है। इस सप्तमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त
होती है।
8. आठ मुखी रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरूप माना जाता है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष राहु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाता है तथा पापों का
क्षय करके मोक्ष देता है।
9. नौ मुखी रुद्राक्ष को भैरव का स्वरूप माना जाता है। इसे बाईं भुजा में
धारण करने से गर्भहत्या जेसे पाप से मुक्ति मिलती है। नौमुखी रुद्राक्ष
को यम का रूप भी कहते हैं। यह केतु के अशुभ प्रभावों को दूर करता है।
10. दस मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप कहा जाता है। दस
मुखी रुद्राक्ष शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है। इसे धारण करने
से समस्त भय समाप्त हो जाते हैं।
11. एकादश मुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का रूप माना जाता है।
एकादश मुखी रुद्राक्ष को भगवान हनुमान जी का प्रतीक माना गया है।
इसे धारण करने से ज्ञान एवं भक्ति की प्राप्ति होती है।
12. द्वादश मुख वाला रुद्राक्ष बारह आदित्यों का आशीर्वाद प्रदान करता
है। इस बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान यह
फल प्रदान करता है।
13. तेरह मुखी रुद्राक्ष को इंद्र देव का प्रतीक माना गया है। इसे धारण
करने पर व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
14. चौदह मुखी रुद्राक्ष भगवान हनुमान का स्वरूप है। इसे सिर पर
धारण करने से व्यक्ति परमपद को पाता है।
15. पंद्रह मुखी रुद्राक्ष पशुपतिनाथ का स्वरूप माना गया है। यह संपूर्ण
पापों को नष्ट करने वाला होता है।
16. सोलह मुखी रुद्राक्ष विष्णु तथा शिव का स्वरूप माना गया है। यह
रोगों से मुक्ति एवं भय को समाप्त करता है।
17. सत्रह मुखी रुद्राक्ष राम-सीता का स्वरूप माना गया है। यह रुद्राक्ष
विश्वकर्माजी का प्रतीक भी है। इसे धारण करने से व्यक्ति को भूमि का
सुख एवं कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने का मार्ग प्राप्त होता है।
18. अठारह मुखी रुद्राक्ष को भैरव एवं माता पृथ्वी का स्वरूप माना गया
है। इसे धारण करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है|
19. उन्नीस मुखी रुद्राक्ष नारायण भगवान का स्वरूप माना गया है यह
सुख एवं समृद्धि दायक होता है।
20. बीस मुखी रुद्राक्ष को जनार्दन स्वरूप माना गया है। इस बीस मुखी
रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को भूत-प्रेत आदि का भय नहीं
सताता।
21. इक्कीस मुखी रुद्राक्ष रुद्र स्वरूप है तथा इसमें सभी देवताओं का वास
है। इसे धारण करने से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्त हो जाता
है।
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....................................................................हर-हर महादेव
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1. एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव का रूप माना जाता है। इस एकमुखी
रुद्राक्ष द्वारा सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है. तथा भगवान
आदित्य का आशिर्वाद भी प्राप्त होता है।
2. दो मुखी रुद्राक्ष या द्विमुखी रुद्राक्ष शिव और शक्ति का स्वरुप माना
जाता है। इसमें अर्धनारीश्व का स्वरूप समाहित है तथा चंद्रमा की
शीतलता प्राप्त होती है।
3. तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव तथा त्रिदेवों का स्वरुप माना गया है।
तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा पापों
का शमन होता है।
4. चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म स्वरुप होता है। इसे धारण करने से नर हत्या
जैसा जघन्य पाप समाप्त होता है। चतुर्मुखी रुद्राक्ष धर्म, अर्थ काम एवं
मोक्ष को प्रदान करता है।
5. पांच मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र का स्वरूप माना जाता है। यह पंच
ब्रह्म एवं पंच तत्वों का प्रतीक भी है। पंचमुखी को धारण करने से
अभक्ष्याभक्ष्य एवं स्त्रीगमन जैसे पापों से मुक्ति मिलती है. तथा सुखों को
प्राप्ति होती है।
6. छह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। इसे
शत्रुंजय रुद्राक्ष भी कहा जाता है यह ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति तथा
एवं संतान देने वाला होता है।
7. सात मुखी रुद्राक्ष या सप्तमुखी रुद्राक्ष दरिद्रता को दूर करने वाला होता
है। इस सप्तमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त
होती है।
8. आठ मुखी रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरूप माना जाता है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष राहु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाता है तथा पापों का
क्षय करके मोक्ष देता है।
9. नौ मुखी रुद्राक्ष को भैरव का स्वरूप माना जाता है। इसे बाईं भुजा में
धारण करने से गर्भहत्या जेसे पाप से मुक्ति मिलती है। नौमुखी रुद्राक्ष
को यम का रूप भी कहते हैं। यह केतु के अशुभ प्रभावों को दूर करता है।
10. दस मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप कहा जाता है। दस
मुखी रुद्राक्ष शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है। इसे धारण करने
से समस्त भय समाप्त हो जाते हैं।
11. एकादश मुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का रूप माना जाता है।
एकादश मुखी रुद्राक्ष को भगवान हनुमान जी का प्रतीक माना गया है।
इसे धारण करने से ज्ञान एवं भक्ति की प्राप्ति होती है।
12. द्वादश मुख वाला रुद्राक्ष बारह आदित्यों का आशीर्वाद प्रदान करता
है। इस बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान यह
फल प्रदान करता है।
13. तेरह मुखी रुद्राक्ष को इंद्र देव का प्रतीक माना गया है। इसे धारण
करने पर व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
14. चौदह मुखी रुद्राक्ष भगवान हनुमान का स्वरूप है। इसे सिर पर
धारण करने से व्यक्ति परमपद को पाता है।
15. पंद्रह मुखी रुद्राक्ष पशुपतिनाथ का स्वरूप माना गया है। यह संपूर्ण
पापों को नष्ट करने वाला होता है।
16. सोलह मुखी रुद्राक्ष विष्णु तथा शिव का स्वरूप माना गया है। यह
रोगों से मुक्ति एवं भय को समाप्त करता है।
17. सत्रह मुखी रुद्राक्ष राम-सीता का स्वरूप माना गया है। यह रुद्राक्ष
विश्वकर्माजी का प्रतीक भी है। इसे धारण करने से व्यक्ति को भूमि का
सुख एवं कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने का मार्ग प्राप्त होता है।
18. अठारह मुखी रुद्राक्ष को भैरव एवं माता पृथ्वी का स्वरूप माना गया
है। इसे धारण करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है|
19. उन्नीस मुखी रुद्राक्ष नारायण भगवान का स्वरूप माना गया है यह
सुख एवं समृद्धि दायक होता है।
20. बीस मुखी रुद्राक्ष को जनार्दन स्वरूप माना गया है। इस बीस मुखी
रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को भूत-प्रेत आदि का भय नहीं
सताता।
21. इक्कीस मुखी रुद्राक्ष रुद्र स्वरूप है तथा इसमें सभी देवताओं का वास
है। इसे धारण करने से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्त हो जाता
है।
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....................................................................हर-हर महादेव
मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015
प्रक्टिकल ज्ञान
सर्वप्रथम तो वो निराकार एक मात्र परमात्मा ही था । उसमे इच्छा (रूपी प्रकृति प्रकट) हुई की मैं अनेक हो जाऊ और वो दो में विभक्त हुआ तथा उन दो से आगे के संसार के विस्तार हुआ । उस एक परमात्मा में इच्छा होते ही मन प्रकट हो गया । मन ही प्रकृति का रूप है वह परमात्मा तो निर्विकल्प था और आज भी है । वहां कोई भी संकल्प -विकल्प है ही नहीं । पूर्व में सृष्टि संकल्प मयि थी अर्थात संकल्प से ही सन्तानोपत्ति हो जाया करती थी बहुत बाद में सृष्टि मैथुन मयि हुई अर्थात सन्तानोपत्ति मैथुन से होने लगी ।
यह सब आप प्रक्टिकल ज्ञान के द्वारा जान सकते है
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